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Full text of "QARINA-E-ZINDAGI (Hindi)"

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| $ आज पा है बाज 
पक ६ गज, 20008 (. | 


हु क््ब्छ ह गान + दल 8 8 #नह कर ' प्र गे | हैँ 
न््ल्फ्ज्, व '्ट्ड "क ता 


जी मी कर था 3 आओ 
हा मन हरी ॥ै 


नाशिर 
लबलदाटा &णपम', नाग <- 


72[)-7 66460 ५ध॥ 00/00५9 ॥#8/ ४8/800 ७७७.|2४900/५.00॥] 


ज्ज्च्सैप्‌ 700२7/+&0॥फकफ शेव्य्श्श्व्य्े 


कननत- अिभतगन»>न-. -ननन जी “ऑन+न-नन-न-नामयननननननन नानी ननननन-.3 कम -- साला कह ह हा क़कार झा - 


च्येत्ताजन्ती (२४९ ७॥72) शक 
इस किताब को छापने के तमाम हुकूक्‌ (अधिकार) 


मुसन्निफ्‌ के पास 5 न के कि मे करे (सुरक्षित) हैं लिहाजा कोई 
। साहब इस किताब को छापने की कोशिश न करे | 
० प्मा सही कानूनी कारवाई की जाएगी । 
किताब : करीन-ए-जिन्दगी 
गी * मुसन्निफ :८ मुहम्मद फारूक खो अशरफी रजवी 


0९० तकरीज , ।- हजरत अल्लामा मुफ्ती अब्दुल हलीम साहब, ' 


॥ 


|  पेशकरदा ;« मुहम्मद इरशाद हुसैन कांदरी 
मर > » नाशिर ;७ गैक्‍्तबतुल हरम, हकीमजी के बाड़े के पास, 


भालदारपूरा नागपूर- ५४7 773392 7.7, 


प्र ।८. रज़ा कम्पयुटर, भालदारपूरा नागपूर. 
| | ॥ कराई | ८; रजा प्रिन्ट्र्स, जामा मस्जिद के सामने, 
मोमिन पुरा नागपूर - (7 726228 

। ) देदिया :- र्भ 


--2000 ' 
| छ&8&0007]0 £0७॥6त" :-  #४०एट६/०१०श६ -907--..-----3000 

) [[#0 €0॥॥670 !-. ४७॥१-१998 ---- 000 । 
१6, 7000 60॥0/. :- 9७॥ -999-........-...--- -3000 ८0४ 


+॥छ8 ६०॥॥0/ !« ४७४।५/-।997-....-...-- 


| ४ ४ +कन- "३ ह।॥। ल्‍क्वृन्यकनन ना... 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


आशिके रसूल, फनाफिर रसूल, पासबाने सुन्नियत, ताजदारे अहलेसुन्नत, 
इमामे इश्क व मुहब्बत, बाला मन्जेलत, अजीमुल बरकत, आका-ए-नेमत 
मुजहिदे दीन ब मिल्लत, आला हजरत अश्शाह इमाम 


अहमद रजा स्थ्रा फाजिले बरेलवी रदौअल्लाहों तआला अन्हो 


जिन को बारगाह में नज़र करने को सआदत व निजात का जरिया और 
कामयाबी व कामरानी का बसीला तसव्वर करता हूँ । 
सब उनसे जलने वालों क॑ गुरू हो गए चिराग । 
अहमद रजा की शम्जू फ्रोजा है आज भी ।॥ 


वालिदे प्रजाजी, आशिके ताजुलवरा, अलहाज 
. गरलाब खा कृम्र अश्रफो साहब (रहमतुल्लाह अलैह 


जिनको तरबियत व शफ्कत ने इस हकौर को शकर बख्ता और 
आला हजरत को मुहब्बत से हम किनार फरमाया । 
“हे खुदा वन्दे करोप उनकी कब्र को अन्वार 8 तजल्लियात से मअमूर फरमाएं ! आमीन ! 


नाचीज, सर्ग रजा 
---भहम्मद फारूक खाँ अशरफी ग्जवी __..*२«७/८ 


72[)-7 66460 ५ध॥ 00/00५9 ॥#8/ ४8/800 ७७७.|2४900/५.00॥] 


आने वाली नस्‍लें त्तेरे इश्क हीं ० कह 
उन्हें नेक तुम बनाना मदनी मदीने वाले । 


कई मज़ीद इजाफ के साथ && 


इस्लामी रौशनी में मियों बीवी के खास तअल्लुकात 
ल्‍ क्ताने वाला मुख्तसर मगर जामआए रिसाला 


मक्‍तबत॒ल हरम 


/ हाकीमजी के बाड़े के पास, भालदारपुरा, _ 
है नागपूर-440 ०48 _ न. 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


ऊनवान न ै सफ्ा न. 
. तकरीज -----------८०““““+:--- शक टकरा तक सर 4० मी 4 7 
जरा इसे भी पढ़िये ---------------८-८८--“““5““ःः5 “5 है | 
करीन-ए-जिन्दी ------------------““४““एह“४प775“57“57“55++5++5++८ !4 | 
किन लोगों से निकाह जाइज नहीं -----७---- नअजतञत57८८7८7+“८८ 6 
कोफ़िर व मुछरिक से सिंकॉह “7: :5जणा 8 
क्या वहाबियों से निकाह करों. ---------------------++- »() 
क्या येह मुसलमान है ?! --नह॥/-त++-+-++ 24 
निकाह कहाँ को -----““""प"पप"75“““5““5““5“5“5-"पप्पपप7पप::7ै:7८ >--- 327 
शादी के लिए इस्तेललारा ---------------“““"“"7प्रप्"77्र7८" ३7 
इस्तेखारा काने का तरीका “>+--ज++5+++_>_ ] 
मंगी या निकाह का पैगाम -------- >-+----“------------ थे 
निकाह से पहले औरत देखना --“--“-“““""-द८7777777 44 | 
लडकी की रजामन्दी ---------------८-८+5८ अतन+++++++ 46 | 
मेहर -----“-“-““-““““““““5“5““57“7“7“7“+“7_ 5८ “““““++“++“+“+++- 53 | 
शादी के रूसूम ----“८7777: कान प्धतपपपिपप्पैपप पाप ८ 56 
दुल्हन दुल्हे को सजाना -----““८""7-775+“7“7< जञतपत-प7८7८८८५८ 58 
सेहरा ज्पिपरिपैरारपपपहपपपप पपपफपै-ै-पपएपएपएपहप।+ह5+ 00 
दुल्हन इल्हें को सजाते वक्‍त दुआ --++ 0! 
निकाह -----“55““>"रप्तपप्पपपपपपपएपप्पएपखणखएणणए: 52 
निकाह के बाद """"२५)५प््पपहफफपहप्पपहपहप-्॒इ॒2प्पथपपएपययण::यखझथझः:ः 03 
दुल्हन दुल्हे को मुबारकबाद व 
को तोहफे -----------““““"""्+पपपँपं“55ै्77575+८ ३5३ 
रूख्सती ---------------“---+८ >त+5>८57८०]८ ->------८८“-८ 7 
सुहागरात के आदाब ---"जजपननापहाप पा 69 
सुहागरात को स्थास दुआ । 70 
एक बडी गलत फहमी --3नन्नज++++ 7! 
सुहागरात की बातें दुस्‍्तों से कहना हर कलम 22 23400 577 हिहाओ 
बलीमा र₹--““-८८०८“८“7-“7“““““८“८“:८::८४४/४४४+४: नर मनन, 
दावत कबूल करना गण 75 
बिन दावत जाता  ऋज++/ककतककलसन----्प्+++े 20 
टेबल क्‌ूर्सी पर खाना ---+- - 77 
कि जा आग 7४7 *“““ै“-+-८४४++-- ४ 
सोहबत करने का तरीका ------८ -------०८८०८८८८----“--- 79 
इन्जाल 80६ निकलते वक्‍त) की दुआ 53 
ज- ; बाद अलग न हो झ- अनफिल्‍---+-+-८ हियव॑ 
मसोहबत के बाद जिस्म की सफाई मी जललकीलिज 2 3१-72. जलन बल लीक ०. 
सोहबत के चन्द्र और आदाब॑ -------०“---5--८--““““-““-“- 9806 | 
साहब अन्त गत मा शा भा 5 _है/ ै। 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


हु 


वन नव न न »+म_बनन-+-मम मनन वतन गहरा प्रधान ५-८८ पा मन ++म+ मम भा भरा नारा ना भव 


सोहबत से पहले बुज़ू 


नशे की हालत में सोहबत न्‍०्कछनऊकक"कफ्जज-- 8: 


खुशबू का इस्तेमाल जा+ 90: 
सोहबत खड़े खड़े न करें +- ! 9] 


किबले की तरफ रूख न हो आल .2208 82286 पक 27/ 
बरहेता (नंगी हालत में) सोहबत करना >> 9३ 
सोहबत के दौरान ज्ञर्माह देखता - -- 04. 
सोहबत के दौरान बात करना ऊ-""ह.00... : 96 ' 
पिस्तान (स्थन) चुमना “++कऊ४छछक्र-ह.. . 96 
सोहबत के दौरान किसी और का छथवाल “नह... 97 
साहबत के बाद पानी ने पिये - - ७ फकन---+-+++न-+--+-- 97 


दोबारा सोहबत करना हो तो 98 
ब॒ुज़ कर के साए ५५9 
बिमार औरत से सोहबते -..तततततत_:३:;,ल्‍--४-#....-४++-०-.-- 0४ 
प्रोहयत मजे के लिए ने हों -..क्‍तत_-...-...0__..&६...--...90- || 
(2]) ज्यादा सोहबत नुकसानदेह ------------- (7 आकर कक दइक हा 00 | 
(22) सोहबत करने का वक्‍त --------- 20 2४ ०२६ ६ कर जल जे कल पे आांश 02 
इन गशातों में साहबत ने करे ---नह॥ँ-....... ] (94 
(23) रमजान में सोहबत -----““--“7८-८-““------------------- “- ]04 
लत “हज माहवारी । न >> >> सन9+त-न+9 9 ++ं-5+5++ 2४-०२ . ()6 
। हालते हैज में सोहबत हराम ]07 


हैज में सोहबत करने से नुकसान जन 08 
हैज के बाद सोहबत कंब करें “>> |]] 
हैज से पाक होने का तरीका - जज [2 
॥ (25) इस्तेहाज़ा “पर्वत 5555 ]3 | 
| (26) पाख़ाने के मुकाम में सोहबत -------“-८-5८“८ ७४ौ०]०-०-८-“-८ -“- ]4 | 


प्रोहबत करने के दूसरें तरीके -----------.....0क्‍_.. ]]5 ॥ 
(« ४] बी णश्फ फिल्में अमन, नम; ना यमन “न, तन २ न बन ना बन नततों लता ना पा तय नयी अयडा "मामा पहना निकाह! गान "ताप का ताबमात "तामाा ४०३३३ जम हे 0. -पह_.५ शिव पिवज ली ] ]6 
कक आया म्रितों की हक >---- पक न विन 5 कट अप. पु 


शावर के होकक -------->+ ली नि ह 8 
बीती के शुकक 77-“-++ हे 77 3 ता 
जारू के 0 ।॥ ६ !24 
| (४५9) :- 7-2 पक । के 252 न थे 4आ कील 2०537 2“ लक शक १३६3०. लि." जल, 58 : 22 3 अल! : 7: । 
कक जगा (बलेत्कारों “/+--++-------८+-+-- न नलत+ 333 5-39 


(3।) पेशावर औरतें ----- >> 3 हि की कम अजीज औछ :2235» शक 5: १४९... मर ]36 
जि) “हिजड़ों से सोइबत -----८------------+--£/४//---“--+-- 839 | 
(33) जानवरों से सोहबत -------- --“------------“८-----८--- 44 
कि त। ' औरत का औरत से मिलाप  --------------+-------+--- कह 
| (35) क़ूव्वत की बरबादी ------------८ “ू“7८7८८7“7८-“८“““+- -+77 8 | 


(३6) तहारत का बयान --+--ननजजजजननन5 5 ' “5४57 
गुस्ल कब फर्ज होता हैं  +ककक्‍ 5 


न 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


नी नमन - न नम मनन प-नन+++म ० “»»+++ममन-+-मनम+ननननन-नमनननन-नन-मनन++ननन---+न-न-न--म“नननमननन-नननक न “-जनन««+-नन-न--- “न-ननकन-ननननन-नननन-म-क ननननमनन-नननन-न-नन “मनन 0 सनम ञननाननननन पे जन ०५ िनननभनगनगन मनन «० नमन «जन पनकगनगभगफगभफरगभवभागननगनगनभन- 3 जन भ 33५3५ «० मनन 33596 ऋन 33५3५ क आज 5... ५ 


नजासंतों के पाक करने का तरीका -------------------- 57 
५3 कलंदर समर उछल कह बज व ता 60 
ताकत बंछश गिजाएँ -------------“--+--++---++------- - ]6] 
गाये का गोशत ----------------------८------------- 65 
ताकत कम करने वाली' गिजाएँ --------४-------------- 66 
मर्दाना बीमारियाँ ----------------------- -“-“--------- 68 
के कही मिल कब 7 ता तग7टकग दर पति हित 
सुरअते इन्जाल 70 
एतलाम (नाईट फाल) ]72 
। /4 
बुबंक (न्लसास ता त२- अल “5 ]/6 | 
पेशाब की जलन - |77 | 
जनाना (औरतों की) बीसारियाँ ------------------------ 78 
हैज की ज्यादती 79 
हैज रूक जाना 0 
हैज दर्द के साथ आता ]8] 
पेशाब में जलत “33... | 8? 
निरोद (0०4००) अल म>नतर 82 
औलाद के कातिल ---०-------““---““---+5---+--->---- ]83 
एक्स-रे-या सोनू गिराफ़ी -------------------८------- [90 
औलाद होने के लिए अमल ----------- >-+++--- नतततप८ 892 
औलाद न होने की वजहात “--..........- 94 
औलाद होगी या नहीं -----......_. 95 
औलाद होने के लिए अमल “+"पपपपप््तततप--+न-+ ]97 
इन्शाअल्लाह लड़का ही होगा “जज ]98 
हमल को हिफाजत “"प्प्िपपपयपतयण।9/)/9?५फ:तः), 7५््पपप:पप9प9पतप++-_:षए>>आऊछछछडउ फउस्‍[99 
हमल के दौरान अच्छे काम "+्"श्पिप+++> 20] 
हमल के दौरान सोहबत करता "2 ॑फपऐपै४४४8/7्--+->+ 202 
आसानी से विलादत के लिए ++ 203 
बच्चे की पैदाइश ---“८“-८7पययययययययययपप< 206 
लडकी के लिए नाराजगी क्‍यों-----... 207 
निफास का बयोन -------------------८------८--८--- 209 
कुछ रस्में -----------८------- “पप्पू 5४८४८ 2] 
: अकौका ्््ग्््््््ज््न्स्‍्य्8्स्‍8्8फ्््््््य््न्न्न्न्यनण्णण्षष्ण क 
ख़तना 75“ "35 5४555 -न+>++5+5+>+>+ ट4 
नाक कतने खेदग: "7 बल्ब 7 & 85 


काला टीका लगाता भैह_॑॑“ह४धदृ-+++- 26 | 
(5०) बच्चे की. परवाशश --- - ---च-+- - 2[7 | 
बच्चे की दध पिलाना “५००२-7६: 2!7: 

। बच का वाह 7-० तल 77777 “7+5++5५-८+ 
बच्चे को तअलीप व॑ धर्राद्दत ---->. ४उ+ +ञन+- +ौ+-+-_-+_+ै 55 224 | 


मी हब... "«॥ अन्‍ल्‍ममन फ् रा व न बात... ऋूू बम अल ी अकम+- | क... समनम»ण-मम»मकन. कल अनना हम. मन. ताला हनी, 


हिल". करन पृ थीं. ४. ह६०० ६.2 लय १. 4 महा "नागिन 2-7 न पलनकजक उमा; आन भनामकाननपतमग। परत: ९ कमनना: "फ 8: "8००: हि. ध...ह। ..पाामालका- " 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


मुफक्किरे इस्लाम, हजरत अल्लामा मौलाना मुफ्ती 
अब्दुल हलीम अशरफी .रज॒वी साहब किबला 
_____(सयप्रस्ते दावते इस्लामी, हिन्दता) #ऑऔ ७ दावते इस्लामी, हिन्दुस्तान) है ात आावत इलबाणी। किन्दुल्ताव। ॥5 5 ४० 7: 


जय जा जा 


जरे नजर किताब (करीन-ए-जिन्दगी) मिल्‍लत के उन अफराद 
है (लोगों) क॑ लिए बेहद फायदेमन्द साबित होंगी जो अज्दवाजी (शादीशुदा) . 
मै जिन्दगी से जूडे हैं । खुसूसन वोह नवजवान जो अपनी ला इल्मी और 
हैं मजहब से दूरी के सबब गैर इन्सानी हरकतें कर के अल्लाह अज्ज व | 
॥ जल्‍ला ओर रसूले अकरम सल्लल्लाहो तआला अलैहि व सल्‍लम की नाराजगी मोल 
लेते है । 
याद रखिये दुनिया का वोह वाहिद मजहब, मजहबे इस्लाम 
है जो जिन्दगी के हर मोड पर हमारी रहबरी करता हुआ नजर आता 
है, पैदाइश से लेकर मौत तक, घर से लेकर बाजार तक, ईबादत से 
॥ लेकर तिजारत तक, खिलवत (तन्‍हाई) से लेकर जलवत (भीड़भाड) तक, # 
| गर्ज के किसी भी शोबे (क्षेत्र) के तअल्लुक से आप सवाल करे, इस्लाम £ 
है हर एक का आप को इतमिनान बख्श जवाब देता नजर आएगा । हमारे ॥ 
॥ म्रजहब ने हमें कभी भी किसी मकाम पर तन्‍्हा नहीं छोडा । 
हमारे नबी (सल्लल्लाहो तआला अलैहि ब सलल्‍लम) आखरी नबी है अब 
॥ह कियामत तक कोई नबी नहीं आएगा । इसी आखरी नबी का लाया हुआ दीन 
व कानून भी आख़री कानून है कियामत तक कोई नया दीन व कानून नहीं 
आएगा । इसलिए मिललत के अफ्राद (लोगों) से अपील है के बोह दूसरों 
को नकल करने से बचें, नकल तो वोह करे जिस के पास असल न हो ! 
हम तो वोह खुश किस्मत उम्मत है जिस को कियामत 
हैं तक के लिए दस्तूरे जिन्दगी और जाबत-ए-हयात दें दिया गया है । 
॥ ताके येह कौम कियामत तक किसी की मोहताज न रहें । 


॥ 6१... हल्का काम ऋण फ़ाब एज कल काना नल बता का क्रम जाम छत छत्र ऋ़ा छात्र छा छा छाल 7 उवा .। 


है ४ का ह॥ +४॥8 ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ #॥ ॥ ॥ * 


के 2 > 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


अजीजे मोहतरम मझृहम्यद फ़रारूक खा अशरफरी र्जवी 
मे सल्लामह, ने ऐसे नेचरियत के माहोल में इस किताब के जरिये सही # 
| रहनुमाई की बहुत कामयाब कोशिश की हैं । 

अल्लाह तआला मुअल्लिफ (लेखक) को जजाऐ खैर अता 
| फरमाए, और इस किताब को हिदायत का जरीया बना दें । आमीन | | 


ना चीज 
अब्दुल हलीम 
ख़तीब रजा मस्जिद, 
बंगाली पंजा नागपुर । 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


कृरीन-ए-जिन्दगी 


है 


7 बच छल छत छत | - हा ह *॥* / कम कल वनणण जाना छात्र छ बल ऋ है - श्ज 
(का 
ह, 


॥* 
प है, त हे 
| 


*€ जरा छसे भी पढ़ीये 3 
क़ुदरत ने हर नर (४७८) के लिए मादा (#€॥8/०) और ॥ 
हर मादा के लिए नर पैदा फरमा कर बहुत से जोड़े आलम में बनाए # 
और हर एक के बदन की मशीन पर मुख्तलीफ पुर्जों को इस अन्दाज # 
के साथ सजाया क॑ वोह हर एक कौ फितरत के मुताबिक एक दूसरे 
को फायेदा पहुँचाने वाले और जरूरत को पूरा फरने वाले है । 
अल्लाह रब्बुल ईज्जत ने मर्द और औरत के अन्दर एक # 
है. दूसरे के जरिये सुकून हासिल करने की ख्वाहिश रखी हैं । चुनानचे # 
॥ मजहबे इस्लाम ने इस ख्वाहिश का एहतराम करते हुए हमें निकाह करने & 
का तरीका बताया ताकि इन्सान जाइज्‌ तरीकों से सुकून हासिल करें । # 
इस जमाने में अक्सर मर्द निकाह के बाद अपनी ला इल्मी ८ 
और मजहब से दूरी कौ वजह से तरह तरह को गलतियाँ करते हैं और ६ 
है नुकसान उठाते हैं इन नुकसानात से उसी वक्‍त बचा जा सकता है जब है 
के इस क॑ मुत्मल्लिक सही इल्म हो । अफसोस इस जमाने में लोग | 
है किसी आलिमे दीन से या फिर किसी जानकार शख्स से मियाँ, बीवी 
॥ के खास तअल्लुकात के गुत्जल्लिक्‌ पूछने या मअलूमात हासिल करने / 
॥ से कतराते हैं । हालाँकि दीन की बातें और शरई मसाइल के मअलूम 
॥ करने में कोई शर्म महसूस नहीं की जानी चाहिये थी । 
- हमारा रब अज्ज व ज्लला इरशाद फरमाता हैं----------- 
- तो आए लोगों इल्म वालों 3/:४:,॥ ४ | 3४7/£: 
॥ह से पूछो अगर तुम्हें इल्म न हो । 5 १2(:5 
ै (#र्जपा +- कच्जुल प्राय, जररा 77 सुटाए “अम्बिया” आयकर 7) 
हमारे आका तआला अलैहि व सल्‍लम इरशाद फरमाते है-- 
"“इल्मे (दन) सीखना हर मुसलमान ही. 0 प्कताओ सो 
| मर्द और औरत पर फर्ज हैं” 5 28640 5 ल्‍ ( 
(पिएकात' शरीफ, जिल्‍द 7 सफ़ा 68, कॉम्या-ए-सआदत, सा ने 727/ ्‌ 


बा 
फ्या 
ण् 
धन्य 
॥ । 
छ्ज 
प्रा 
बडा 
ष्पडा 
च्ख् 


जय जला जा जा ॥ 


ह् 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


कर[नू-ए-ए्जुन्दगा 
पी न्य ह है ६ 9 #॥ दशा ४ । बह ॥)) हर कल फा जाल मात्र बा हमला छा वन जनीत 


अक्सर देखा येह गया हैं के लोग मियाँ, बीवी के ए६ 
दरमियान होने वाली ख़ास चीजों के बारे में पूछने में शर्म महसूस करते 
है और इसे बेहुदापन व बेशर्मी समझते है । यही वोह शर्म व झिझक 
है जो गलतियों का सबब बनती है और फिर सिवाए नुकसान के कुछ 
हाथ नहीं आता । 
एक साहब मुझ से कहने लगे ! “क्या येह शर्म की बात 
नहीं ? के आप ने ऐसी किताब लिखी हैं जिस में सोहबत के बारे में 
साफ साफ खुले अन्दाज में बयान किया गया है । अगर मैं येह किताब 
अपने घर पर रखूँ और वोह मेरी माँ, बहनों के हाथ लग जाए तो वोह 
मेरे मुत्मल्लिक्‌ क्या सोचेगे के मै ऐसी गन्दी किताब पढ़ता हूँ” । उनकी 
येह बात सुन कर मुझे उनकी कम अकली पर अफसोस हुंआ । मै ने 
उनसे सवाल किया-क्या आपके घर टी-वी (.५) है ? कहने | 
लगे---“हाँ है” मैं ने कहा ! मुझे आप बताईये “जब आप एक साथ 
ही कमरे में अपनी माँ, बहनों के साथ टी-वी पर फिल्में देखते ५ 
| हैं और उस में वोह सब कछ देखते हैं जो अपनी माँ बहनों के साथ |! 
तो क्‍या अकेले में भी देखना जाइज नहीं तो उस वक्‍त आप को शर्म 
॥ क्‍यों नहीं आती”!! 
प्यारे भाईयों । शरई रौशनी में अदब के दाएरे में ऐसी 
बातों की मअलूमात हासिल करना और उसे बयान करना जरूरी हैं और 
इस में किसी किस्म की शर्म व बेहदापन नहीं । 
#' देखो हमारा परवरदीगार अज्ज व जलल्‍ला क्या इरशाद 
फरमाता है------------+----- ट 
और/ अल्लाह हक फरमाने | 525. >5०:292॥ 
में. नहीं शर्माता | है ४ 
(ग्जिपा /- कच्छुल छप्रान, पजद्म 22, सराए अहज़ाब, आणत 53 
हदीसों में है के हुज़रें अकरम पल्लल्लहो ठआला अलैह व सल्‍लम 
२ के जाहिरी जमाने में औरतें तक अज्दवाजी (शादी शुदा जिन्दगी में) आने वाले / 


हा की) पे [ जाज एल कक का समा छाप आधा ४. ॥_ 8 8 व  थ॥ महा शा हा आ॥. अालन्काट 


है. हैं. ॥ 8॥ &# 8 ॥ ॥ # हव ॥8 - 8 8 # ॥ 8 ॥ के 
कह हल का जा फ़ छत सा का जक जन बा | 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


-ए-जिन्दगी “6 79) 


खास मसाइल के बारे में हुज़ूर से सवाल पूछा करती थी । 
। उम्मुलमोमेनीन हजरत आएशा सिद्दीका रद्दअल्लाहो तआला 
अन्हा, इरशाद फरमाती है----------------- 8 आस आ अ 
क्‍ “अन्सारी (मदीने मुनव्वरह कौ 
| रहने वाली) औरतें क्‍या खूब हैं के 
| उन्हें दीन समझने में हया (शर्मी नहीं 
॥ रोकती” | (यानी वोह दीनी बातें 
| प्रअलूम' करने में नहीं शर्माती) 
(किखारी शर्तीफ़, जिलल्‍्द 7 स्फ़ा 750, इम्नें ग्राजा, जिल्‍्द 7 स्रफ़ा 202/ 
मअलूम हुआ के दीन सीखने में किसी किस्म कौ कोई 
शर्म नहीं करनी चाहिये । अगर येह बातें (यानी मियाँ, बीवी के दरमियान होने 
बाली चीजे) बेहुदा या गन्दी होती तो उसे हमारे आका व मौला सल्लल्लाहो 
हआला अलैहि व सललम क्यों बयान फरमाते, और फिर सहाबा-ए-किराम, 
 अइम्मा-ए-दीन, बुजुगनि दीन, लोगों तक इसे क्‍यों पहुँचाते, और इन । 
_ब्रातों को अपनी किताबों में क्‍यों लिखते ! क्‍या कोई शर्म व हया में 
हमारे सरकार सल्लल्लाहो तआला अलैहि व सललम से ज्यादा हो सकता हैं ! 
यकीनन नहीं । हमारा अकौदह है के सरकार ने बिला झिझक वोह 
तमाम चोजें साफ साफ बयान फ्रमा दी जिस के करने में हमारे लिए # 
ही फायदे है । और हर उस चीज से मना फरमा दिया जिस के करने | 
हमारी ही जात को नुकसान है ।  (अलह्दुलिल्लाह) 
| इस किताब को लिखने का ख्याल उस वक्‍त आया जब 
न ' चीज के बहुत स॑ दोस्तों व अहबाब (जिन में से अकसर शादी शुदा है) 
| ने उसरगर किया के इप्त ऊनवान (विष्य। पर कीई इस्लामी ४ंग रूप 
है >जर्ज, सेंथंरं किताब लिखी जाए ताकि मुसलमानों को सोहबत के & 
और अज्दवाजो. (शाद्षे शुदां जिन्दगी में पेश आने वाले" मामलात ॥ 
शरऋ अहऊाप /त्ई हम) मअलूम हो सके. और वोह अपनी जिन्दग, | 
इस्लामी रंग ढंग में दाल कर गुजार । 


पद है 39 | मन कि किक 
« ८2 #>लण2 हज 


| 


हा 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


कुरी न-ए-जिन्दगी हर । 
हक ह्िः इनाननाआल मत] ऐड ] * ् | हद | शव एमी कम ्कन बना न्मीक भीण्ण्ममिलुकण क००४०%. < श हि हे 
ः < 0७) # ४ वह ॥ 7 7 7 ॥& की मे की))। # व छ वह मा मआे मे. -््बे 


मेरी भी ख्वाहिश थी के ऐसी किताब लिखूँ लेकिन अभी ' 

तक गैर शादी शुदा होने की वजह से एक किस्म की झिझक भी थी, 

लेकिन दोस्तों की हिम्मत अफजाई ने एक नया - हौसला दिया जिस का 
नतीजा आप के सामने है । 
वैसे येह बात कभी इस हकीर सरापा तक्सीर के | 
में न थी के मुझ जैसे ना काबिले जिक्र, ज़दफुल इरादा शख्स की येह 
अदना सी कोशिश जो “करीन-ए-जिन्दगी” कौ शक्ल व सूरत में आप 
के पेशे नजर हैं इस दर्जे मकबूले ख़ास व आम होंगी । येह यकौनन 
 ख़ुदा-ए-रब्बुल ईज्जुत का फज्ल व करम और उसके प्यारे हबीब 
और हमारे आका व मौला हुजूर सैय्यदे आलम अहमदे मुजतबा मुहम्मद 
मुस्तफी सझलललल्‍लाहो तआला अलैह व सल्लम की निगाहे ईनायत और मेरे | 
आका-ए-नेमत मुजद्दिदे आजम सैय्यदी आला हजरत इमाम अहमद 
रजा खाँ फाजिले बरेलवी रदीअल्लाहो मौला तआला अन्हों का फैजाने करम | 
| है के इस मुश्ते ख़ाक को येह सआदत व ईज्जुत मय्यस्सर आई । 
“करीन-ए-जिन्दशी “का पहला एडीशन जूलाई ॥99 । 
को “जश्ने ईद मीलादुन्नबी” के पुरनूर मौके पर मन्जरे आम पर आया, 
और आते ही इस कद्र मकक्‍बूल हुआ के इस की 2000 कापियाँ सिर्फ 
दो महीनों के अन्दर ही खत्म हो गई और दूसरे एडीशन की शदीद 
जरूरत महसूस की जाने लगी । चुनानचे इस का दूसरा एडीशन 3000 
कापियों का नवम्बर 997 को मनन्‍्जरे आम पर लाया गया, और येह 
एडीशन भी हाथों हाथ लिया साहा, फिर इए का तीसरा एडीशन ॥000 ॥ 
कारपियों का जून ॥998 म॑ मन्जरे आम पर आया जो सिर्फ चार महीनों 
में ही खत्म हो गया और मुसलसल माँग रहौ । चुनानचे अब येह चौथा 
एडीशर 5050 कापियों छा मर्च ॥999 में मझीद इजफों के साथ मन्‍जरे | 
५ आम पर लाया जा रहा है ७ इस वक्‍त आप के हाथों में है । 


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हा |' हु | न कर क न्््ज्ात हु ' न न बा “न्यू प्यासलााा ष्ब्क 
क्र नी की है न्‍ क ७ 5 हा है जन, न ह, 5 कं थे 
4 आओ पी] कि न ० के ० न्लीज ... «८ ऋाशिननन्या वममू।.- ही वर 3०४ बा हा | हह | #क नल बल ..... जा. वि. 


| कण न ह नकल कछतः डा जय. वा +माए हु लय ० जकमा-गक " 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


कृरीन-ए-जिन्दगी एप न 
६; '.2-./ वी [| एम बा छत छल | +॥ है 2 ॥" दि बह हा मा हवा घन छल है कु 


इस किताब को ओलमा व ख़्वास और अतव्वामुन्नास ने " 
बहुत पसंद किया | इस सिलसिले में सेकडों ओलाम-ए-अहले सुन्नत 
ने अपनी दुआओं व तकारीज से नवाजा और खैर ख्याह हजरत ने 
सैकडों खुतूत के जरिये हौसला अफजाई फरमाई 
हमारे कुछ करम फरमा आलमा-ए-अहले सुन्‍्नत ने 
खैरख्वाही के भरपूर जजंबे क साथ किताब में रह गई कुछ लफ्जी 
॥ गलतियों की तरफ तवज्जह दिलाई जिन की तवज्जह दिलाने पर उन 
॥ गुलतीयों को इस एडीशन में दूर कर दिया गया हैं । इस सिलसिले 
॥$ प्रें बलखुसूस मफकिकरे इस्लाम हजरत अल्लामा मुफ्ती अब्दुल हलीम 
+ अशरफो रजवी साहब किबला, उस्तादुल ओलमा हजरत अल्लामा मुफ्ती 
मुहम्मद मन्सूर रजबी साहब किबला, नकौबे अहले हजरत मौलना 
_ अब्दल सालाम रजबवी साहब किबला, फाजिले गिरामी हजरत मौलाना 
फखरूईर अहमद कादरी मिसबाही साहब किबला, ख़तीबे जीशाॉ 
है एजरत मोलाना मुप्ती नाजिर अशरफ रजवी साहब किबला, मुकरीरे 
शोला बयाँ हजरत मौलानाअब्दुल रशीद जबलपूरो साहब किबला, व 
हीगर ओलमा-ए-अहले सुन्नत का बहद शुक्रगुजार हूँ क॑ इन हजरात ने 
तरह से वक्‍तन फवक्तन रहनुमाई से नवाजा । 
दूसरी तरफ कुछ हासिदों ने भी अपनी हसद का खूब बड॒ 
बह कर मुजाहेरर किया और अपनी कजफहमी या फिर हसद को ला 
पुरानी बीमारी की वजह से बे बुनियाद एतराजात किये, लेकिन 
हसद करने से भला क्‍या होता------ 
तो अपनी आय में छुद जल कर' रह यथा / 
हय हैँ को फुज्ले खुदा से और पॉवर गए // 
लिहाजा इस एडीशन में मजीद हवाले और दलीले बह 
गह है ताएि आऊाजला के लिए धो का एप हा आर हॉलाँद, $ प 
रोड जवान मिले । /' 


हे | ७ 8 - क का का कक शी आ छा था 5, 


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“2 है ह  ॥ ॥ 8 ई ॥ ७ ।) हल फल कम बा हक छत कर “मटर टल्र 
बावजूद हासिदों के किताब की मकबूलियत बड॒ती ही गई 
यहाँ तक के “करीन-ए-जिन्दगी” को हमारे इस्लामी भाई मुहतरमुल ! 
मुकाम जनाबा मुहम्मद रफीक कादरी साहब किबला (अहमदआबाद) ने | 
गुजराती जूबान में तर्जजा कर के अहमदआबाद की सर जमीन पर होने 
वाले “दावते इस्लामी” के सालाना आलमी ॥998, के इज्तिमा:में शाए | 
फरमाया, जिसे हजारों कौ तअदाद में लोगों ने हाथों हाथ लिया । और 
इन्शाअल्लाह अब अनक्रीब उर्दू जुबान में भी येह किताब गन्ज्रे आम । 
पर होंगी जिस का काम इस वक्‍त जारी हैं । 
आख़िर में एक अहेम बात और अर्ज करना चाहुँगा वोह | 
येह क॑ इस किताब में जिस क॒द्र भी बातें नकल की गई हैं वोह सब | 
ओलमा-ए-अहलेसुनतत की किताबों से ली गई हैं इस सिलसिले में 
नाचीजू का कोई जाती तजुर्बा (>कव्यं#ए८४) नहीं हैं । ः 
अल्लाह तआला हमें समझने और सीखने सीखाने व उस 
पर अमल करने की तौफीक अता फरमाए । आमीन । । 
गलिबे इआ सगे रजा 
मुहम्मर फारूक खाँ अशरफी रजवी 


न हर ' गु हा न 
ः || पक की 
कु जय. 


ण्ब्फत 


तिय्यार तंगी चहल पहल, ए हजागें इईि गौजल अव्वल / 
मिवाए इन्लीप को जहाँ में सभी हो ख़र्ियों प्रगा हे हैं / 


प्यारे आकू सललल्लाहो तआला अलैहि व सल्लम 
की बिलादत के दिन जश्ने ईद मीलदुन्नबी 


मानाने का सुबूत और बदअकौदा लोगों के एतराजात के जवाबात 


महनून की आमद 


“; पस्नन्तिफ '- 
मुहम्मर फारूक खाँ अशरफी रजती 


चाय - ह  ॥ | 9 8. 8 & # ६ #क॥ #॥ शा ह - -॥ मं. ॥- . हक सा पा आल 


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र्जगा - तो निकाह में लाओ जो 
| औरतें तुम्हें खुश आए । 
है (वर्ण :- कब्जुल इमरान प्रारा 4, सूरए तिस्ा, आयत 3॥ 
(५-१० आजआक) नरे मजस्सम, रसूले खुदा, हबीबे कीबरीया, नबी-ए-रहमत 
 शाफा-ए-महशर, फखरे दो आलम, फखरे बनी-ए-आदम, मालिकं दो जहाँ 
_ ख़ातमुल अम्बिया, ताजदारे मदीना राहते कलबो सीना, जनाबे अहमदे मुजतबा 
। द मुहम्मद मुस्तफा ज्लललल्‍लाहो तहआला अलैहि व सल्लम ने इरशाद फरमाया----- 
“निकाह मेरी सुन्नत हैं”। ०-5 (+८ 5) 

(इब्ने गाजी, जिलल्‍्द !, हृदोस नें. 7973, स्फ़ो ने 578/ 
छल और इरशाद फरमाते है हमारे प्यरे मदनी आका 
 झलल्‍्लल्लाहो तआला अलैहि व 5 बदयरआाआप शा + + ४ आकर काक। >-- 
“बन्दे ने जब निकाह कर न 33675. दर है हिल 

| 


205:2802% ५५5६ 


लिया तो आधा दीन मुकम्मल हो 
जाता है, अब बाकी आधे के लिए 
अल्लाह तआला से डरे” । 

! (/मिएकात शरीफ, जिल्‍दा 2, हदीस ने 2967, सफ़ा नें. 22/ 

४ :455%] 7त्त सहल बिन सझअद्‌ आजलल्‍लाहे तआला अन्हों से 
ित्यायत है क॑ नबी-ए-करीम सल्लल्लाहो अलैहि ब सल्लम ने इरशाद फरमाया------ 
"भ्रक्राह करों चाहे (महेर देने क॑ लिए) 
लोहे की अंगूठी ही हो” । 
(किख्ारी शरीफ, जिलल्‍दा 3, हदीया नं 736, स्का न॑ 20/ 


| जे की ये जा अं 42 
| # ७७५) ४००००) 


। 
|; कल 
हक "२८३८० “2० 2४५ ( 5. 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


ह्य | जम मा श शिवण अल! आयी! ४ _ ली की बाह्य का 


ड बण | ॥ ] हर ध्णााआ० ऋण. | का, हू 


कि रु, धन ह्त मी 
छत का किम किम । 
॥०० 2 “मी ० ० ०० हित हु ०» १5 मी 


है 8 हे, 


क्री न-ए-जिन्दगी नदी 
मे हू 20% 2 ह ह छह ब्र॒ हा (| ॥इ 5 , ))] | जाओ मर मी मिमी पा ब्राष्तच | ५०+-- ० हर हे 


के कक, 
॥ । हजरत. अब्दुल्लाह बिन मसऊद रक्शअल्लाहो तआला अन्हो 
से रिवायत है सरकार झल्ललल्‍लाहों तआला अलैहि व सल्लम नें इरशाद फरमाया---- 
"अए ! जवानों जो तुम में से 
औरतों के हुकूक (हकों को) अदा 
करने की ताकत रखता हैं तो वोह 
जुरूर निकाह करें क्‍योंकि येह 
निगाह को झुकाता और शर्मगाह 
की हिफाजत करता है और जो 
इस की ताकत न रखे तो वोह रोजा रखे क्योंकि येह शहवत (वासना | 
5०४) को कम करता हैं” 
(बिखरी जातफु, जिल्‍्द 3 सफ़ा ने 52, हविर्माज्ी शरीफ, जिल्‍द 7 स्रफ़ा नें 553/ 
मस्अत्ला :- शहवत का गुल्बा (जवानी का जोश) ज्यादा हैं और डर 
है के निकाह नहीं करेगा तो जिना (बलत्कार) हो जाऐगा 
और बीवी का महेर व खर्चा वगैरा दे सकता हैं तो 
निकाह करना वाजिब हैं । 
मसरअत्ता “- येह यकीन हैं के निकाह न करेगा तो जिना हो जाऐगा 
तो उस हालत में निकाह करना फर्ज है । 
मसला :- डर हैं के अगर निकाह किया तो बाद में बीवी का महेर 
खर्चा वगैरा नहीं दे सकेगा तो ऐसी हालत में निकाह 
करना मकरूह हैं । 
मसला /- यकीन हैं के महेर व ख्रचा वगैरा दें ही नहीं सकेगा तो 
ऐसी हालत में निकाह करना हराम है । 
(गहारे शर्रअत, जिल्‍द 7 हिस्सा 7 ब्रा 6 काजूने शरीअत, जिलल्‍्द 2 सफ़ा 4४) 


बा नह] | 


है.) ७5 लए 

५ बट! (००! ५३७ हू 3.28 
हनन हि ७०*+ है ४४ ८ +>]! 
* “७-५५५०७ / »»/९५०७७ 


॥. ॥ ॥ै ॥ हू शव ॥ ॥ ॥ ६ ॥ व हू ॥ ॥ ॥ ॥ ह ॥ ॥. ह ॥ ॥ है ॥ शव ह॥ 


दस 


र्््ाश 


(ट00_2न 0 काम जाल हक का कड्ा करत कला 7 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


दुनिया में इन्सान क॑ वजूद को बाकी रखने के लिए कानने 
ख़ुदा तप मुताबिक दो गैर जिनस (>9#छाटला। 5८५, मर्द और औरत) का | 
आपस में मिलना जरूरी हैं । लेकिन उसी खुदा के कानून के मुताबिक | 
॥ कुछ ऐसे भी इन्सान होते है जिन का जिन्‍सी तौर पर आपस में मिलना 
'कानने खदा क॑ खिलाफ है । 

हाट चुनानचे हमारा और सत्र का खुदा अल्लाह रब्बुल ! 
कत इरशाद फरमाता है-------------------------------- 


हैक :- हराम हुई तुम पर तुम्हारी || ४£:५, ६४ 55८ : ८“: 


पाएं और बेटियाँ और बहनें और हक # 5४5५ कप 5 मल ६८ क्‍ क्‍ 
याँ और खालाएँ और भतीजियाँ ० 35 ह5ाई 


स्‍ + या क क्र 
च्क भारयालियाँ और माँऐं ३ | ३5.७ । विद कक # | मा 
और भानजियाँ और तुम्हारी माँऐं हक कर का 


जिन्होंने दूध पिलाया और दूध की || ““” /59>5 6००) ५2 
बहने और औरतों की मॉऐं------ “7 202०४० ४५०५० | 


(िर्जमा :- कत्जुल इमरान, प्राय 4, यूरए जिसा, आयत 23/ 
क़रआने करीम की इस आयत से मअलूम हुआ कं माँ, 
टी, बहन, फूफो, खाला, भतीजी, भानजी, दादी, नानी, पोती, नवासी, + 
शी सास वगैरा से निकाह हराम हैं । 
#सस्‍्अआत्ना :- माँ, सगी हो या सौतेली, बेटी सगी हो या सौतेली, बहन ! 
. सगी हो या सौतेली, इन सब से निकाह हराम हैं। इसी & 
तरह दादी, परदादी, नानी, परनानी, पोती, णरपोती, नवासी, 
प्रनवासी, बीच में चाहें. कितनी ही पुश्तों (पिडियों। का 

फासला हो, इन सब से निकाह हराम है । 
>फ्फी, फ्फी की फफी, खाला, खाला को ख़ाला 


॥ 8 # ' हो 8 शा... 8 8 -- श. 8. 8 8 छः . न 77 


कि 


बे 
बा 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


भतीजी, भानजी, भतीजी की लडकी उसकी नवासी,पोती 
इसी तरह भानजी की लडकी, उसकी पोती नवसी, इन 
सब से भी निकाह हराम है । 

मसअला /-जिना से पैदा हुई बेटी, उस की बेटी, उस की नवासी 
पोती, इन से भी निकाह हराम है । 

। बहार॑ शर्यीअत, जिल्‍्द 7 हिस्सा ने 7 सफ़ा 74, कानूने शरीअत, जिल्द 2 पक्का न॑ 47/ 
| हलक हजरत अमरा बिनत अब्दुर्ह्मान व हजरत मौला 


॥ अली रददोअल्लाहो तआला अन्हमा से रिवायत हैं के सरकारे मदीना 
सलल्‍्लल्लाहो तआला अलैहि व पललम ने इरशाद फरमायोा-----5+5+--+-+-+---- +-++- 
। “रजाअत (दूध के रिश्तों) से भी के न ५ 
के वही रिश्तें हराम हो जाते है, जो 8 ०33४ ८ 4०५, 
| विलादत से हराम हो जाते है”। 

(कुल्लारी शरीफ, जिल्‍्द 3 स्का 62, तिर्मिज़ी शरीफ, जिल्‍्द 7 सफ़र 587/ 

._ यानी किसी औरत का दूध बचपने के आलम में पिया तो उस 
| ओरत से माँ, का रिश्ता हो जाता है। अब उप्त की बेटी, बहन है, उप्त से निकाह 
| हराम है, यानी जिस तरह सगी माँ के जिन रिश्तेदारों से निकाह हराम है उसी 
9 तरह उस दूध पिलाने वाली औरत के रिश्तेदारों से भी निकाह हराम है । 

9 मरससात्या :-निकाह हराम होने के लिए ढाई बरस का जमाना है । 
कोई औरत किसी बच्चे को ढाई बारस की उपर के 
अन्दर अगर दूध पिलाएगी तो निकाह हराम होना साबित | 
हो जाएगा । और अगर ढाई बारस की उमर के बाद 
पिया तो निकाह हराम नहीं । अगरचे बच्चे को हाई 
* बरस क॑ बाद पिलाना हम्मम हैं । 

न. (बहार ॥राअत, जिल्‍द 7 हिस्सा ने 7 सफ़ा 79, कृाज्ने शर्यअत, जिल्‍द 2 सफा 50/ 


हजरत अबहरेरा ४! रदीअल्लाहों उसाला अन्हों से रिवायत 


इश्शाद फरमाया------- / 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


“कोई शख्स अपनी बीवी के || 
है साथ उसकी भतीजी, या भानजी से ([: 
है निकाह न करे”"। । 
हु (बिल्ारी शर्रीफ़, जिल्‍्द 3, हदीस ने #8, म्रफ़ा नें -66/ | 
| औरत (बीबी) की बहन, चाहे सगी हो या रजाई, (यानौ दूध के 
। रिश्ते से बहन हो) या बोवी को ख़ाला, फफी चाहे रजाइ फूफी या खाला 
है हो इन सब से निकाह करना हराम है है 
अगर बीवी को तलाक दे दी तो जब तक इद्दत न गुजरे 
उस की बहन, फफी या खाला से निकाह नहीं कर सकता । 
(किानने शरीअत, जिलल्‍्द 2, ग्रफ़ा 48/ 
| छहरच्चनछछछ) हजरत अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास रौअल्लाहो तआला 
बनरमा से इमाम बुखारी रत्वेजल्लाहों अन्हों ने रिवायत किया-------- 
“चार से ज्यादा बीवीयाँ इसी . 
हैं तरह हराम है जेसे आदमी की बेटी 
और बहन” | | 
| (बृखारी शर्मफ़, जिल्‍्द उ, बाब ने 5र्ब, प्रफ़ा नें. 64/ 


[फिर मुश्रिक से निकाह :- 


(समा. ८. ८:-जय बा आह. कि. 


| 


किक किट 3-० हि 7 गन हि 


अमन मसल कल बल रब मसल म॒ा भरत >> नानआनआथईएईथईथछथततातआाईछएिािथआाआंंशआआनशणशणशणशशशशनशणशणननशआनानानननेननणआनननशशणरशशशशशशशशशशशणशशशशशशशननननशशशशशशशणणतत 


हे 
| 


ऐ 4440-43. कक) अल्लाह ग्बुलईन्जतु इरेशादि फंरमात। है 22 0 2] 
और मुश्रिकों के निकाह | 5८ ८225० | ५: 


के ने दो जब तक वाह हमान न के 

ना । । ' ! क् | +:! 

[ (विधा /- कम्जुल पान प्राय 2 गुराए बकर, आयत >27/ 

ब्रस्मात्ता “मुसलमान औरत का निकाह मुसलमान मर्द व सिचा 

किसी भी मजहब वाल॑ से नहीं हा सकता !' 
'काउने शरअह | किचा 3 माफ़ ते उछ 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


न, जा >> हर»! (डे | ० । 


५७-,:। ००१२५ | 


" दल्डक्रे 
' कर्ण /- और शिर्क वाली औरतों 
| से निकाह न करो जब तक मुसलमान 
न हो जाऐं । 
#7ज्मा :- कच्जुल इन, प्रात 2, सराए बकर, आयत 227/ 
मसला :-मुसलमान का आग कौ पूजा करने वाली, बुत /मुर्ती) पूजने 
वाली, सूरज की. पूजा करने वाली, सितारों को पूजने वाली 
इन में से किसी भी औरत से निकाह नही होंगा । 
(बहार शरीअत, जिल्‍द 7 हिस्सा ने 2 स्फ़ा 77, 
आज के इस दौर में अक्सर हमारे मुस्लिम नवजवान 
| काफिर, मुश्रिक (पुर्ती पूजने वाली हिन्द) औरतों से निकाह करते हैं । और 
| निकाह के बाद उन्हें मुसलमान बनाते हैं येह बहुत गुलत तरीका है और 
शरीअत में हराम हैं । अव्वल तो निकाह ही नहीं होता क्योंकि निकाह | 
के वक्‍त तक तो लडकी काफिर मजहब पर थी लिहाजा उसे पहले 
मुसलमान किया जाऐ फिर निकाह किया जाऐँ । 
याद रखिये काफिर, मुश्कि औरत से मुसलामान कर के निकाह 
करना जाइज्‌ जरूर हैं लेकिन येह कोई फर्ज या वाजिब नहीं बल्कि हुज़ूर 
सल्लल्लाहो तआला अलैहि ब सल्लम नें इसे पसंद भी नहीं फरमाया इस कौ बहुत सारी 
वजूहात ओलमा-ए-किराम ने बयान फरमाई हैं जिस में से चन्द येह है---- 
(7) जिस औरत से आप ने शादी की वोह तो मुसलमान हो गई लेकिन 
उस के सारे मैके वाले काफिर ही हैं और अब चुँकि वोह आप की . 
औरत के रिश्तेदार है इसलिए वोह उनसे तअल्लुक रखती हैं ! 
(2) भौरत के नव मुस्लिम होने की वजह से औलादों की 
तरबीयत ख्लालिस इस्लामी ढंग से नहीं हो पाती है | . 
अगर मुसलमान मर्द काफिर औरतों से निकाह करेगे तो मुस्लिम 
औरतों को ज्यादा दिनों तक कुँवारा रहना पड़ेगा और मुस्तलमानों में 
किल्लत होंगी जब के औरतें ज्यादा होंगी । 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


कुरान-ए-जन्दगों 
रो मी ॥. ॥ 9 9 9 (६2 है) ॥ ० ० 9 9 9 2७७८ ४ हक 5 


/ (4) दीने इस्लाम में मुश्रिकाना रस्मों का रिवांज पडेगा । ् 
इस तरह कौ कई बातें हैं जिन्हें यहाँ बयान करना मुम्किन 
नहीं-बेहतर हैं के काफिर व मुश्रिकि औरत से निकाह न करे इस से 
| दीन व दुनिया का बड़ा नुकसान हैं इसी लिए अल्लाह तआला. ने जहाँ 
 मुश्रिक औरतों से मुसलमान कर के निकाह की इजाजत दी वहीं मोमिन ० 
' लवँंडी (गुलाम लड़की) से निकाह को ज्यादा बेहतर बताया । ब निस्‍्बत .. 
॥ एस के कि मुश्रिक व काफिर औरत से निकाह किया जाए । ५; 
मस्ऊअत्गा “जिस में मर्द व औरत दोनों की अलामतें पाई जाए और & 
क्‍ येह साबित न हो के मर्द है या औरत उस से न मर्द | 
| का निकाह हो सकता है न औरत का, अगर किया गया 


बातिल (रूट) हैं 
४ (बहारे श़रीआत, जिल्‍द. 7 हिस्‍्या मेँ 7 स्फ़ा 


वहाबियों से निकाह करने के मुत्ञल्लिक इमामे इश्को मुहब्बत > 
दीन व मिल्‍लत अजीमुल बरकत आला हजरत अश्शाह इमाम अहमद | 


रखाँ र्वीअल्लाहो ठआला अन्हों अपनी “मलफूजात” में इरशाद फरमाते है---- 
७75७ स॒न्‍नी मर्द या ओरत का, शिया, वहाबी, देवबन्दी 
नेचरी, कादयानी, जितने भी दीन से फीौरे हुए लोग है ६ 
उनकी औरत या मर्द से निकाह नहीं होंगा । अगर निकाह 
किया तो निकाह न हो कर सिर्फ जिना होंगा । और & 
औलाद जाइज्‌ न हो कर ना जाइज्‌ व हरामी कहलाऐगी & 
फतावा-ए-आलमगीर में हैं----- ४7४०) »-२४ थ 
१७०"७० ४४ ८. ९- | ,>२४ ,:-८ ..४५८./..: ०६५, 4-० 
(अिलगपलफ़्ज जिल्‍्द 2, सफ़ा नें . 705/ हा 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


कुरी न-ए-जिन्दगी ” कह भी) कक । 
हा बल ह.32न7] आं। छा जा हा छबं ही. छल बा ४ ))॥ [ जड़ क्र एल जा पका वा छा + +ा की 
| ब हे पद 
है 


अक्सर हमारे कुछ कम अकल, न समझ सुन्‍्नी मुसलमान ' 
है जिन्हें दीन को मअलूमांत व ईमान की अहमियत मअलूम नहीं होती वोह: 
ह वहाबियों से आपस में रिश्ते जोड़ते हैं । कुछ बदनसीब सब कुछ जानने 
ह के बावजूद वहाबियों से आपस में रिश्ते करते हैं । 

दे कुछ सुन्‍्नी हजरत ख्याल करते हैं के वहाबी अकीदे की 
| लड़को अपने घर ब्याह कर ला लों फिर वोह हमारे माहोल में रह 
ह कर खूद ब खूद सुन्‍्नी हो जाएगी । अव्वल तो .येह निकाह ही नहीं 
| होता क्‍योंकि जिस वक्‍त निकाह हुआ उस वक्‍त लड॒का सुन्नी और 
| लड॒की वहाबी अकीदे पर कायम थी, लिहाजा सिरे से ही येह निकाह 
# ही नहीं हुआ । 

हु सैकडों जगह तो येह देखा गया के किसी सुन्‍्नी ने वहाबी 
| घराने में येह सोच कर रिश्ता किया के हम समझा बूझा कर अपने 
॥ माहोल में रख कर उन्हें वहाबी से सुन्‍नी बना देंगे लेकौन वोह समझा 
है कर सुन्‍्नी बना पाते इस से पहले ही उन वहाबी रिश्तेदारों ने इन्हें ही 
४ कछ ज्यादा समझा दिया और अपना हम ख्याल बना कर सुन्‍्नी से 
8 


वहाबी बना डाला (अल्लाह कौ पनाह) सारी होशयारी धरी की धरी रह गईं 
और दीन व दुनिया दोनों ही बरबाद हो गये । 

येह बात हमेशा याद रखिये एक ऐसे शख्स को समझाया 
जा सकता हैं जो वहाबियों के बारे में हकौकत से वाकिफ नहीं लकिन 

| ऐसे शख्स को समझा पाना मुम्किन नहीं जो सब कुछ जानता और 
समझता है ओलमा-ए-देवबन्द (बहाबियों) की हुज़ुरे अकरम सल्लल्लाहो तआला ! 
अलैंह व सल्‍लम, अम्बिया-ए-किराम, बुज़ुगनि दीन, की शाने- अकदस में , 
गुस्ताखियों को समझता है उन की किताबों में येह सब गुस्ताख़ाना बातों 
को पढ़ता हैं लेकिन इन सब के बावजूद येह ही कहता हैं के येह 

| (बहाबी) तो बडे अच्छे लोग है, इन्हें बुरा नहीं कहना चाहिये। ऐसे लोगों । 

किए को समझा पाना हमारे बस में नहीं । /' 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


पक हमको, हर ॥ 8 28 ॥४ ))॥ ॥ ह ॥ 8 9 ॥ कि कक 5 


 €दउ>चकडे अल्लाह तआला--ऐसे लोगों के मुत्लल्लिक "९ 
की फरमाता हैं+ 77 त 7०3 नली + जन लोन तीन लेन पट पतन 
_जए :- अल्लाह ने उनके दिलों पर : अप े दल 
और कानों पर मोहर कर दी और || १५८८६» ८०४ ६; "५-२८ 
उत की आँखों पर घटा ट्ृप हैं 220 
और उन के लिए बडा अजांब । |; विद आया 
(विर्बणा /- कन्जुल इमान, पर 7 सरिए बकरत आयत 2/ 

लिहाजा जरूरी व अहम फर्ज है के ऐसे लोगों से जिन 
दिलों पर अल्लाह ने मोहर (छाप, 5७७) लगा दी हो उनसे रिश्ते न । 
करें । वरना शादी, शादी न होकर जिना रह जाएगी । ढ 

अलहमदुलिल्लाह !* आज दुनिया में सुन्‍्नी लड़कों और 
गड़कियों की कोई कमी नहीं । और इन्शाअल्लाह तआला अहलेसुन्नत ॥ 
हा जमाअत के मानने वाले कियामत तक बडी तअदाद में शान व. 
कित के साथ कायम रहेंगे । 
5१75 की हजरत अब्दुल्लाह इब्ने ऊमर रबौजल्लाहो तआला : 
हि से रिवायत हैं के सरकारे मदीना सल्लल्लाहो तआला अलैहि व सल्लम ने हैं 
की ख़बर दंते हुए इशशाद फरमाया---------८८८८८८०४८-८८ 
. “बेशक कौमे बनी इसराईल कट अं 70 
रत मूसा अलैहिस्सलाम की कौम) ७ ८३ «८ हल ४२०४५ 
हर (72) फिरकों में बट गई | «(५१ “४४ २.५ एटीदल 9०2७ 
है मेरी उम्मत तिहत्तर 03) फिरकों || ७ +* (“| »५७ :५०। , 2(.. ४। 
की जाऐग्री, सब क॑ सब जहन्नमी 3 4.० 5। (« ७, 4 !॥ (॥0% 
 सिफ. एक फिरका जन्‍नती क्‍ | मन 
| । साहाब-ए-किराम ने अर्ज द 
० -या रसूलललाह ! वोह जनन्‍नती फिरिका कौन सा होंगा सरकार 
हजाला अलैहि व सल्‍लम ने इरशाद फरमाया “जो मेरे और मेरे सहाबा (# 


के ः ।ह 
॥ ॥ ॥ ॥ # & & .॥ . ॥ 8  #॥ -॥ कह. छा 2 के. आ छा . आन. (कक 


|] कं ह 
है हि 
कं 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


कि, ह हा हा का हा ढहीौा ह8.-॥| ॥ निया कह. थ. ॥ ॥ ॥ . ॥ ८० 


।' के तरीके पर चलेगा ॥त्त 
(विर्मिजी शररीफु; जिल्‍्द 2, सफ़ा मे 89) 
अलहमदुलिल्लाह ! बेशक वोह जनन्‍नती फिरका अहले 
सुन्‍नतत व जमाअत के सिवा कोई नहीं ! क्‍योंकि हम सुन्‍्नी अल्लाह 
रब्बुलईज्जुत हु । हुज़ूरे अकरम स्ल्लल्लाहो तआला अलैहि व सलल्‍्लम के मरतबे व 
अजुमत के और बुज़ुगनि दीन की शान व इज्जत के काएल हैं । 
हम सुन्‍्नीयों का अकौदह है के येह तमाम फिरके जैसे-- 
शिया, बहाबी, तबलीगी, देव बन्दी, मौदूदी, कादयानी, नेचरी, चकडालवी, 
सब के सब गुमराह, बददीन, काफिर और दीन से फिरे हुए मुनाफिक है 
आज ज्यादा तर लोग सुन्‍नी, वहाबी के इस इख्तिलाफ को | 
चन्द मौलवियों का झगड़ा समझते हैं या फिर फातिहा, उर्स, नियाज, का 
झगड़ा समझते हैं । येह उनकी बहुत बडी गलत फहमी हैं । ट 
खुदा की कसम, सुन्नियों का वहाबियों से सिर्फ इन बातों पर 
इख्तिलाफ नहीं है । बल्कि हम अहले सुन्नत का वहाबियों से सिर्फ इस बात | 
पर सब से बड़ा बुन्यादी इख्तिलाफ है के इन वहाबियों के ओलमा व पेशवाओं । 
ने अपनी किताबों में अल्लाह रब्बुलईज्जुत व हुज़्रे अकरम सल्लल्लाहो तआला | 
' अलैहि व सललम और अम्बिया-ए-किराम, सहाबा-ए-किराम, व बुज़ुगनि दीन की | 
शाने अकदस में गुस्ताख़ियों लिखी और उन की अजमत व शान से खेल 
उन्हें बिदअती काफिर व बेदीन बताया । (मआजल्लाह) और मौजूदा वहाबी ऐसे 
ही जाहिल ओलमा को अपना बुज़ुर्ग व पेशवा मानते हैं और उन्हीं की | 
तअलीमात को. दुनिया भर में फैलाते फिरते है । 
७॥॥0० 3 डक) हमारा रब ठआला इरशाद फरमाता है---------- । 
रर्जण्ा :- जिस दिन हम हर जमाअत 
को उसके इमाम के साथ बुलाएगें 
(जमा /- कन्जुल इप्रान, जद 75, छृरए क्‍नी इसराईल, आयत 27/ 
अब हम आप के सामने इन लोगों के अकाएद (#क्वंपा5) 
»३ उन्हीं की किताबों से पेश करते हैं जिसे पढ़ कर आप खूद ही फैसला /! 


-3 क्र कथन - हा 9  ॥ ह॥ ॥ ॥ :॥ व कक ह॥ ह॥ ह व #॥ शा कह व हक क्लए 


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कुरीन-ए- वमाइन 
ज्नणा  छ. था आ॥ हा हा भा का ४ ))॥ हछ है ह॥ 8 हछ व दे 


कीजिये के क्या ऐसी बातें कहने वाले येह लोग मुसलमान कहलाने के 
लायक हैं या नहीं ! फैसला अब आप के हाथ हैं । 


क्या येह मुसलमान क्या येह मुसलमान हैं ?? हैं ?? 


वहाबी जमाअत का बहुत बड़ा आलिम “मौलावी इस्माईल 
दहलवी” अपनी किताब (तक्वियतुल ईमान) में लिखता है... कतालनत्नोटलीय आह 
() जो कोई नियाज करे, किसी बुजुर्ग को (अल्लाह कौ बारगाह | 
) शिफारिश करने वाला समझे तो वोह और “अबूजहल” 
शिर्क में बराबर है. । ॥ 
(िक्वयतुल इराक, सफ़ा न॑ 20/ क्‍ 
हर मख़लूक (जैसे अम्बिया, फरिशते, औलिया, ओलमा, आम मुसलमान 
बन्दे सन के सब) अल्लाह की शान के आगे चमार से भी 
ज्यादा जलील है । 
िक्वियतुल ईमान, सका ने 30/ ि 
अल्लाह की मककारो, धोके, से डरना चाहिये के अल्लाह बन्दों | 
से मककारी भी करता है । द 
/#िक्वियतुल इमान, स्रफ़ा नें. 28/ ध 
तमाम नबी और खुद हुज़ूर सल्लल्लाहो तआला अलैहि व सल्लम, | 
अल्लाह के बे बस बन्दे है और हमारे बड़े भाई हैं । | 
(िश्क्यहुल कान, बफ़ा मं. 99) 
हुज़्रे अकरम सझललल्लाहो तआला अलैहि व मसल्‍लम मर केर पट्टी मे ६ 
मिल गए । 
किक्यतुल ईमान, सरफ़ा में 700, प्रकाशक /- अल द्ारूस्सलाफ़िया, मुम्यह) 
यही मौलावी इस्माईल अपनी एक दूसरी किताब “प्लिरते 
....... “5 “दम विज मर ली आजकल. अल कल लत रन 


नमाज में हुज़ूरे अकरम सललल्लाहों तआला अलैहि व सललम का (6/ 


॥ ॥8 ॥ # ॥ 9  ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ # & #॥ $# . #. आलम > लीक 


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ख्याल लाना अपने गधे और बैल के ख्याल में डूब जाने ' 
से ज्यादा बदतर है । । 
(मियते मुल्तकीम, ब्रफ़ा न॑ 778, पकाशक :- इृदाराह अलरशीद, देवबन्द जिला सहारतपुर/ ६ 
वहाबियों के एक दूसरे आलिम जिन्हें वहाबी हजुंरात 
 हुज्जतुल इस्लाम कहते नहीं थकते जनाब “मौलवी कासिम नानूतवी” ॥ 
॥ हैं जो मदरसा-ए-देवबन्द के बानी (70प/6०७) थे । अपनी एक किताब 
| "तहजीरूननास” में. लिखते हैं----------------------------- ः 
4 (]) हुज़ूर सललल्लाहो तआला अलैहि व सल्‍लम के बाद भी कोई नबी 
आ जाऐ तो भी हुज़्र की ख़ातमियत (हुज़ूर के आख़री नबी 
होने) पर कोई फर्क नहीं आऐगा । 
(हजीरूलास, स्रफ़ा ने. ॥4/ 

(2) उम्मती अमल (जैसे नमाज, रोजा, हज नफिल ईबादतों वगैरा) में 
्ि नबीयों से बड़ जाते है । 
| (#हजीरून्तास, सफ़ां के 5, प्रकाशक :- मकतबा-ए-फैज़, जामा ग्रस्जिद, दंव बन्द, दूरी) 
वहाबियों के नकली मुजद्दिद मौलवी “रशीद अहमद ॥ 
9 गंगोही” अपनी किताब में अपना खबीस अकौदह बयान करते हुए 
लिखते है--------------------------८-----८-८८८८८८८८---- 
(]) जो सहाबा-ए-किराम को काफिर कहे वोह सुन्नत जमाअत 
से खारिज नहीं होगा । (यानी सहाबा को काफिर कहने वाला | 
मुसलमान ही रहेगा) 
म (फितावा- ए- रशीकिया जिल्‍द 2 सफ्रा 77,/ 
| (2) मोहर्रम में इमामे हुसैन रदौअल्लाहो तआला अन्हो की शहादत का 
बयान करना, शरब्त पिलाना, ऐसे कामों में चन्दा देना 
न येह सब हराम है 

/फ़रलावा-ए-एशीदया, जिल्‍द 2 सफ़ा ने 774, अकाक्षक: प्रकातबा-ए-थानवी, देवबन्द, वृ्णी,/ 
इन्हीं रशीद अहमद गंगोही के शागिर्ट और वहाबियों के # 
0 बड़े इमाम “मौलवी खलील अहमद अम्बेठी” ने अपने उस्ताद, 


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'धांगोही” की इजाजुत और देख रेख में “बराहिनुल कातिअ” नामी एक 
किताब लिखी आईये देखिये उस में उन्होंने क्या गुल खिलाया है | & 
। हि ) हुज़्रे अकरम सल्लल्लाहो तआला अलैहि व सललम सी ज्यादा इल्म + 
शैतान को है, शैतान को ज्यादा इल्म होना कुरआन से छ 
साबित है जब कं हुज़र का इल्म कुरआन से साबित नहीं £ 
जो शैतान से ज्यादा इल्म हुज़ूर का बताए वोह मुश्रिक [8 
(बुतों को पूजने वाला काफिर हे । (बरहीजल' कातिआ, सफ़ा हूं 55/ है 
अल्लाह तआला झूट बोलता है । (यानी अल्लाह झूटा है 

/बिगहाजल काविआ, ग्रफ़ा में. 273/ | 
हुज़्‌र सललललाहों तआला अलैहि व सल्‍लम का मीलाद (जन्मदिन, ईदे 5] 
मोलादुलबी) मनाना कन्हैया (हिन्दुओं के देव कृष्ण) के जन्मदिन मनाने 
की तरह है, बल्कि उस' से भी ज्यादा बदत्तर हैं । 

. बगहीजल कातिआ, ग्रफ़ा नें. 752/ 

हुँज़ुर सल्लल्लाहों तआला अलैहि व सल्‍लम ने उर्दू जबान मदरसा-ए- 
दवबन्द में ऑओलमा-ए-देवबन्द से सिखो । (यानी ओलमा-ए-देवबन्द 


हज़्र के उस्ताद है) ३ 
(बयहाॉजल कातिआ, ब्रा ने 30/ थे 


हुजूर सलल्‍लल्लाहों तआला अलैहि व पल्‍लम को दीवार के पीछे का '' 
भी इल्म नहीं । 
हीजल काविआ, स्रफ़ा ने 55, प्रकाशक :- “कुत॒ब खात्र इ्मदातिया दंव कनद यू प्री 
येह है “मौलवी अशरफ अली थानवी” जो के वहाबियों 
उम्मत हैं और वहाबियों के नजदीक इन के पैर धो कर पीने ह 
मिलती हैं | येह साहब अपनी किताब में लिखते है----- ** 
नबी-ए-करीम सल्लल्लाहों तआला अलैहि व सल्लम को जो इल्मे गैब 
है इसमें हुजूुर का क्या कमाल ऐसा तो इल्मे गैब हर किसीको, & 
हर बच्चे, व पागलों बल्कि तमाम जानवरों को भी हासिल हैं | । 


हि कात्‌ प्रक्ता ने ४, प्रकाशक :- दारूल किताब देवबन्द, यूपी / 
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हे खा 2 2. था. 8. व. ४ 2 ही)  ढ छा कि छा . 2 आस आजतक 
इन्हीं थानवी साहब की एक किताब “रिसाला-ए-अलइम्दाद” 
में हैं क---इन के एक मुरीद ने कलमा पढ़ा “ला इलाहा | 
इल्लललाह अशरफ अली रसूलुल्लाह”" (बआजल्लाह) और | 
अपने पीर अशरफ अली थानवी से सवाल पूछा के “मेरा | 
इस तरह येह कलमा पढ़ना कैसा है” ? इस के जवाब । 
में थानवी साहब ने कहा---“तुम्हारा ऐसा कहना जाइज ६ 
है तुम इस के लिए परेशान न हो तुम अगर इस तरह । 
का कलमा पढ़ रहे हो तो सिर्फ इस वजह से के तुम्हें 
मुझ से मुहब्बत है लिहाजा तुम्हारा ऐसा कलमा पढ़ने में | 
कोई हर्ज नहीं । 
(रि्राल-ए-अलहयदाद, सफ्ा ने 45/ 
थानवी साहब के फतवों की एक किताब “बहेशती जेवर” में हैं 
(3) हाथ में कोई नजिस (ना पाक) चीज (जैसे पेशाब, आदमी या 
जानवर का पाखाना वगेर) लग जाए तो किसी ने जबान से 
तीन मरतबा चाट लिया तो पाक हो जाएगा ! 
(बहेशवी जुंवर, जिलल्‍द 2 सफर के. 78/ 
येह है जनाब “मोलवी इल्यास कानदहलवी” जो तबलीगी | 
जमाअृत के बानी (#0एागगछ्छार) है इन का कहना है के--------- 6 
(!) अल्लाह तआला अगर किसी से काम लेना नहीं चाहते तो ६ 
चाहे तमाम नबी भी कितनी कोशिश कर ले तब भी जर्रा ॥ 
नहीं हिला सकते और अगर लेना चाहे तो तुम जेसे । 
कमजोर इन्सानों से भी वोह काम ले लें जो तमाम नबीयों | 
से भी न हो सकें 
(मिकाहीबे इल्यास, ग्रफ़ा व. 707, प्रकाशक /- क्हारहें झशाजते दीकियात, नई दिल्‍ली 
येह है जनाब मौलवी “अबुआला मौदूदी” जिन्हों ने “जमाअते 
इस्लामी" नाम की एक नई जमाअत कायम की थी । आज इस जमाअत । 
की कई जाईज्‌ व ना जाईज औलादें 5--५, $--0 के नाम से वजूद # 


४१: ही - | हर हा आ छा अआक मा या 


हि । इ ः पा ४ हैः | ् हि | ॥ [ छ़् ॥ । ॥ ॥ हु |] हक शि हि || 
ब् का. | ॥« शक 2०. पा हे न श् का ब्ो कक ही] 
१ न ् है 


7 
रा 


बा न 
के 5 सना (2 चामाबा 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


करी न- ए-जन्दग्गा अल मल 
॥ 2 _ हल इन हा हल्‍न मन उन हम (2 8: 0) कक हू ऋूब्न उनक अल सा एज उस 


कं ४ 
धा 


42० 


ध्का 
॥ ह ह॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥- ॥ ॥ ॥& 8. ॥ . 8... कह ७ 


॥ । न ॥ | 


में आ चुकी है जो मौदूदी की तअलीमात को फंला रहों है । इनक 
है नजदीक मौदूदी ही सब कुछ है, चुनानचे इन्हें मौदूदी साहब हुक्म देते है 
॥ (]) तुम को खुदा की मरजी के मुताबिक जिन्दगी बसर करने 
कं का तरीका नहीं मअलूम---अब तुम्हारा फर्ज है कि खुदा 
के सच्चे पैगम्बर कौ तलाश करो इस तलाश में तुम्हें | 
हु होशयारी से काम लेना है-----जब तलाश के बाद तुम 
"पा को येह मअलूम हो जाए के फ़ेला शख्स खुदा का सच्चा 
|. हि . चैगम्बर है तो उस पर तुम को पूरा भरोसा करना चाहिए 
और उस के हर हुक्म की इताअत करनी चाहिए । 
/रिसाल-ए-दीनियात, स्रफझा मेँ 47, प्रकाशक /- सरकज़ी मकतबा हस्लागी, दिल्‍ली) 
यहीं मौदूदी साहब अपनी एक दूसरी किताब में लिखते हैं---- 
(2) जो लोग हाजतें मॉगने अजमेर, (छ्वाजा गरीब नवाज की मजार 
पर) या फिर सैय्यद सालार मंसऊद गाजी कौ मजार पर 
जाते हैं वोह इतना बड़ा गुनाह करते हैं के उस गुनाह के 
सामने किसी को कत्ल कर देना या किसी लड॒की से 
जिना करना भी कमतर (कम) हैं । . 
वॉफिदादां हहवा-ए- दीन, श्रफ़ा ने ऋ%, प्रकाशक /- मग्ररकजी मकतबा इस्लामी, नह दिल्‍ली) 
यही अबू आला मौदूदी अपनी एक और किताब में अपनी ये 
ला दर्ज की बकवास लिखते है के----“““7775"3">777777 77८7 
| सब जगह अल्लाह के रसूल अल्लाह की किताब्रें ले कर #& 
आए है, और बहुत मुम्किन है क॑ बुध, कृष्ण, राम, मानी, 
सुकरात, फिसा गोरस, वगैरा इन्हीं रसूलों में से हो । 
बिल्‍्द 7 यफ़ा मे 724, प्रकाशक -- मरकजी गकतबा इस्लासी, नहँ दिल्‍ली 
बहाबियों के पीरों के पीर “महमूदुल हसन” ने अपनी एक किताब & 


ज: हा हे के 


इट, जुल्म व तमाम बराईयों (जैसे चोरी, जहालत, ज़ुल्म, गौबत, 
जिना वगैश) करना अल्लाह के लिए कोई अयेब नहीं, ओर £ 
क्‍ '_ 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


॥ 9 ॥ ह .. 29 ॥)) ॥ ह# हा हा का -3252 


न इन कार्मो के करने की वजह से उस की जात में कोई 
नुकसान आ सकता हैं । 


. जह़ुुलमकल, जिलल्‍्द 3 प्रफ़ा मेँ 77) 


हमारा एलान 7- (ण टाभोकाइ०)| एलान /- (0ए0 (फ््वा]ल्‍०72७) 
हम ने यहाँ जितने भी बहाबी जमाअत से मुत्मल्लिक 
हवाले पेश किये है वोह सब उन्हीं के ऑलमा की किताबों से नकल 
किया हैं याद रहे येह किताबें आज भी छप रही हैं और इन के मदरसों 
व कूुतुब ख़ानों (बुक स्टालों) पर आसानी से मिल जाती हैं । 
श हमारा. आम एलान ((फ्शाक्ा४४) हैं के अगर कोई साहब 
इन बातों को या हवालों में से किसी एक भी हवाले को गलत साबित 
हैं कर दे तो उसे पच्चीस हजार (25,000) रूपये नकद दिये जाएगे । 


जा शा शा शा वा शा या शा का छा छाया 


अल हमारा रब जलल्‍ला गा इरशाद फरमाता है-------- 
तजपा तुम फरमाओ के अपनी पक उप हे हक कक हट पक 5 
दलील लाओ अगर तुम सच्चे हों || ४08५४ 
(रिज्मा /- कन्जुल इन कराए कपल, प्रय 20 छूक 7 आयत 64 
546.4 3. शिकिक) ओर एक दूसरी जगह इरशाद फरमाता है--------- 
जब सुबृत न ला सके तो 3०८ 30 2७ २५4-॥. 57756 | 
अल्लाह के नजृदीक वही झूटे है । ८2४75. ॥ 

(कुरआने कराम, झृरए तर, जया 78 रूढू 8, आवत 73 

वहाबियों के यही वोह अकाएद (7»॥8) हैं जिन की | 
| वजह से ओलमा-ए-हरमैन, तय्यबैन (मक्का: ए-मुअज्जमा व मदीना शरीफ क॑। | 
श दुनिया के तमाम ओलमा-ए-दीन ने वहाबियों को काफिर, गुमराह, 
॥ बददीन, मुरतद (दीन से निकले हुए) और मनाफिक करार दिया । 


है ओलमा-ए-किराम इन लोगों क॑ बारे में इदशाद फरमाते हैं-------- । 
गा ५ हे +४७ है? । डा कं हे न कट 
कल 7 छा अं आ ७ आफ प८७ आक पापा उप हक पाप पर रास पा 5 दब: पका एज का 77772 ५. 


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2 अब का आह हा हक पर जब जब ९.5 0 2) ऋपफण फन उमा रथ अर उर्जा “०९२ 
५ “जो इन (वहाबियों) के काफिर होने में और इन के अजाब ऐ 
में शक करे वोह खूद काफिर हैं हिस्सायुल हरमैत,/ 
छ्लश्ख्फ्छछ) हजरत अबूहरेरा हजरत अनस बिन मालिक, /| 
हजरत अब्दुल्लाह बिन ऊमर व हजरत जाबिर रद्वीअल्लाहो तआला अन्हम 
रिवायत करते हैं के हुजूर अकदस सल्लल्लाहो तआला अलैहि व सललम नें ह 
शिशाद फरमाया--------------------- किन की 00773 अल कान“ मी 
“अगर बद मजहब बेदीन 
प्रुनाफिक, बीमार पडे तो उन को 
पूछने न जाओ, और अगर वोह मर 
जाए तो उनके जनाजे पर न जाओ, 
जैन को सलाम न करो, उन के 
पास न बेठों, उन के साथ नखाओ 
न ही उन के साथ 
शादी करो न उन के साथ नमाज पढ़ो” 
(मृस्लियग शर्गफ़, अबृद्षऊद शारफ़, व इल्‍े माजा शरीफ, मिल्षकात शेंग्रेफ़/ । 
( तैरत :--) हजरत इ६ ब्ने अदी स्दीअल्ताहों तआला अन्हों हजरत # 
अली रझ्लअल्लाहो तआला अन्हों से रिवायत करते हैं के हुजूर ॥ 


करण सल्लल्लाहो तआला अलैहि व सलल्‍लम ने इरशाद फरमाया---------८८ 
मेरी ईज़्ज्त न करे और मेरे ' कर के 2 हि २ 
। 


। ३७१) »४३७। >> ,* (।५ 
“22 ७ (७ 9७72७ ,: « & क्‍ 
60 +- एच ५०९:०।५-०१2२७ 
(5४५/७५४।५४५/८/४०४५ # 

2५ ८८४४ | ४०८ ४, /» +< ४ 
क्‍ बाई ७. अंक; | ० द 


सहाबा और अरब 

का हक न पहचाने वोह 
काल से खाली नहीं, या तो 
है, ' या हराम कौ औलाद, |. 
हैज॒ (माहावरी) की हालत में जना हुआ 3] 
े गए, बहवाला इधाआल अदब लफ़ाजिलिससाब, सफ़ा 46, अज.- आला हज़रत गा, /६ 


२. ).। | (3७... ८.७ 


“+ ६ 


हि. है. + शाप 0.32 ५7! ४ 


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फ्रर[]ू-५- एज नच व 


०, 
बा हि; ०३० सनम! 
कु: 


हा फल ता (२) | ))))ड सका जा पस्थ काला सास कम कक “०८: 
छिप चमक) हजरत इकरेमा रौअल्लाहो तआला अन्हो रिवायत करते हैं ऐ 
हजरत पौला अली र्लअल्लाहो तआला अन्हो की ख़िदमत में चन्द बददीन गुस्‍्ताख ! 
पेश किये गये तो आप ने उन्हें जिन्दा जला दिया जब येह खबर हजरत इब्ने | 
अब्बास रहोल्‍लाहो तआला अन्हुमा को पहुँची तो उन्होंने फरमाया---के अगर में । 
होता तो उन्हें न जलाता क्‍योंकि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहों तआला अलैहि व सललम ने... 
किसी को जलाने से मना फरमाया है बल्कि उन्हें कत्ल करता के रसूलुल्लाह | 
सल्लल्लाहो तआला अलैहि व सल्लम ने इरशाद फरमाया---“जो अपना दीने इस्लाम | 
तंबदील करे उसे कत्ल कर दो” । 
बिखारी शरीफ, जिल्‍्द 3, हदीस में 7874, स्रफ़ा ने 658/ 
६: 5 छ0) अल्लाह जलल्‍ला जलालाहु इरशाद फरमाता हैं------ न 
का :- आए गैब की ख़बर देने 33 8. 
वाले (नबी) जिहाद (जंग) फरमाओं जि वि 5 
काफिरों और मुनाफिकों पर और पा हैं 
उन पर सख्ती करो 
(जमा /- कब्जुल इम्तान, घृरए तौंबा, प्राय 70, आयत 73/ 
अल्लाह रब्बुलईज्जत इरशाद फरमाता है--------- 
रर्जा। :- और तुम में जो कोई उनसे ५-०, ८2 
दोस्ती करे तो वोह उन्हीं में से हैं | हक 000: 0 कक, 777 
(जमा /- कब्जुल इपान, प्र 6. कराए ग्राएहह, आयत 357/ 


जरा सोचिये ४- अब भी क्या कोई गैरतमन्द इन्सान अपनी 
बेटी ऐसे काफिरों, मुनाफिकों क॑ यहाँ ब्याहना पसंद करेगा ?! 
अब भी क्या काई गुलाम रसूल इन गुस्ताख वहांबियों की 
लड़कियाँ अपने घर लाना गवारा करेगा ?! 
अब भी क्‍या कोई आशिक नबी अपने नबी क इन 
गुस्ताख़ों से रिश्ता जोड़ना चाहेगा ?! 4 


| हैँ 
आना हर हा ॥ बह ॥ ॥& बजाज का जात इका छा समर छा 8 8 &॥& आध्यणए ही, 


| अआ शा शा शा शा या शा शा हे 


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| ३ #४३& ॥ _ ह ॥ बढ छा ६ )4 2 8 2४ ह 9 ॥ कि. महक ये 


कक हमारा येह सवाल उन लोगों से है जिन में गैरत का जरा पं 
सा -धी हिस्सा बाकी है, जिन्हें दौलत से ज्यादा अल्लाह व रसूल की 
खुशी प्यारी हैं । और रहे वोह लोग जो किसी दुनियावी लालच या 
हुस्न व जमामाल या फिर माल व दौलत से मुतास्सिर (ग्रण्ना०5) हो कर 
बहाबियों से रिश्ते बनाए हुए हैं या रिश्तेदारी करना चाहते हैं तो उनके 
पुत्अल्लिक ज्यादा कुछ कहना फुज़ल है वोह अपनी इस हवस व लालच 
में जितनी दूर जाना चाहे चले जाए अब इस्लाम का कोई कानून 
रीअत की कोई दफअ, कोई जनन्‍्जीर उनके इस उठे हुए कदम को नहीं 
रोक सकती । लेकिन हाँ ! हाँ ! याद रहे यकौनन एक दिन अल्लाह 
और उस के रसूल को मुँह दिखाना हैं । 


च््ठा हे डय ठठ्झें 


है; 


छा 
मे 
क्‍ प् 
कं 
पर । 
सजा 
ह्त 
बज 
जद । 


अमशेडप5 कादर काका भा 


हि पक) उम्मुलमोमेनीन हजरत आएशा सिद्दीका, हजरत 
नेंस बिन मालिक, हजरत अब्दुल्लाह इब्ने ऊमर रद्ौअल्लाहो 
अन्हप में रिवायत है कक हुजूरे अकदस पसल्‍लल्लाहों तआला अलैहि व 
शक गाद, फरमायो-------८ तप तततननता ८ प7 “ता एन 5 
"अपने नुत्फे (शादी के लिए) 5 की. कक ते वर कद 
ह जगह तलाश करो, अपनी | | ० 4०४ (५१ ५ >स्टी रण ४ 
में ब्याह हो, और बिरादरी || ०४७०५ «(१ ००५ + ४! 
धराह कर लाओ कि औरतें >> ४-५ 
ही क्म्बे (बिशदरी) के मुशाबा (मिलते हुए बच्चे) जन्ती का 
शाह, मिलल्‍द 7, हदोय | 2038, ग्रफ़ा. 5४9, बदहकी जारफ़ व हाकिम,॥ 
इस हदीसे पाक से पता चलता हैं के अपनी ही बिरादरी 
करना बेहतर है । अपनी बिरादरी में ही निकाह करने के /£ 


(< | ॥ मैं हैं. ह  #&.. 8 .. ॥# #॥ ॥. ॥ ह& # 8 8 &॥ छह हा कक * 


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कुरीन-ए-जिन्दर्गी 
"४ बी अरबी हक. हा 


#/ बहुत से फायदे हैं जैसे----औलाद अपनी बिरादरी के लोगों के चेहरे 
से मिलती जुलती पैदा होंगी जिस कौ वजह से दूसरे लोग देखते ही 
पहचान लेंगे के येह सैय्यद हैं, येह पठान है, वगैरा वगैरा । दूसरा येह 
फायदा है के बिरादरी की गरीब लडकियों की जल्द से जल्द शादी हो | 
जाएगी तीसरा फायदा येह हैं के अपनी ही बिरादरी की लडकी हो तो ०“ 
वोह क्योंकि बिरादरी के तौर तरीके, घर के रहेन सहेन के बारे में पहले । 
से ही जानती हैं लिहाजा घर में झगडे और न इत्तेफाकीयाँ नहीं होंगी, 
चौथा फायंदा येह हैं क॑ बिरादरी की ऐसी लड़कियाँ जो देखने दिखाने 

में ज्यादा खूबसूरत नहीं होती उनकी भी शादी हो जाऐगी । अक्सर देखा ॥ 
गया हैं के लोग दूसरों कौ बिरादरी की खूबसूरत लडकियों को ब्याह ! 
कर लाते हैं जब के उन की बिरादरी की बद सूरत लड॒कीयाँ कुँवारी 
ही रह जाती हैं और बहुत सी लड॒कियों की जब बहुत दिनों तक शादी 
नहीं हो पाती है तो वोह किसी बदमाश, आवारा, मर्द के साथ भाग 
जाती हैं या फिर तरह तरह की बुराईयों में फंस जाती है । यही वजह ॥ 
है के बिराद में ही शादी करना बेहतर बताया गया है । 


254 ६-4 बिदका) हजरत इमाम नलुखारी रदीअल्लाहो तआला अन्हों रिवायत ॥ 


ह ॥ .॥ | & ह। छऔछे ॥) छा & छा या छा मा कप किक 5 


“और मुस्तहब (अच्छा, बेहतर) 
है के अपनी नस्ल के लिए बेहतर 
औरत चुने लेकिन येह वाजिब नहीं” (सिर्फ मुस्तहब हैं) 

(कुखारी शर्तीफ़ू, जिलल्‍्द 3 बाब नें 47, ग्रफा न॑ 56/॥ 


त्र्छ ॥ | 


े का 
निज लिष्ट 2+ 


गजल जय का का क्रा का कह एम कल का बता पा ला कमा जल का पक का पा का था का का का का पथ बाल कक ७३... जय ज ब्च 


कं नबी-ए-करीम सल्लल्लाहो तआला अलैहि व मल्लप ने इरशाद फराया----- । 
“अच्छी नस्ल में शादी करो | | ०७ <व०) «बनी (३०७० 
(रगे ख़ुफया अपना काम करती है)” २3्>०% 5 रथ: हे 


हे 


(दिकुली शरीफ, बहवाला हराओुल अरब लंफ़ाजिलिल तप्तब, ्रफ़ा 28, अज आला हजरत) 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


॥/7४ 3००४ ह हवा - हक बढ छा. ४ 04  ॥. ॥8. ॥ वह ॥ छा ढक छा इक 


| छह) और फरमाते है आका सल्लल्लाहो अलैह ब सलल्‍लम--“- 
._ “घोडे की हरयाली से बचो 2 _+नी (+ ४) »। ०० » ४5 (| 
बुरी नस्ल में खूबसूरत औरत से” ->2>अ०. 0५५४६...) 
(एसकुली शरीफ, बहवाला इयजहुल अदब लेफ़ाज़िलिल नम्नन, स्रफ़ा 26, अज़ आला हज़रत) 
4. लडकी का खूबसूरत होना ही काफी नहीं बल्कि खूबी तो येह है 
के लडकी पर्दादार, नमाज रोजे की पाबन्द हो, उस का खानदान 
हैन-सहेन, तहजीब व इख्लाक में और ख़ास तौर पर मज॒हबी अकाएद 
बेहतर हो । अगर आप ने येह सब चीजों को देख कर निकाह किया 
आप की दुनिया व आखिरत कामयाब हैं और आगे ऐसी लड॒की 
$ जरिये, फरमाबरदार, मजहबी और दुनियावी खूबियों वाली बेहतर नस्ल 
लेती है । चुनानचे सरकारे दो आलम सल्लल्लाहो तआला अलैहि व सल्लम 
हमें यही हक्‍म दिया ! 

तेस्त्र हजरत अबूहुरैरा व हजरत जाबिर रह्दअल्लाहों तआला 


से रिवायत है क॑ हुज़ूरे अकरम सल्लल्लाहो तआला अलैहि ब सल्लम 
अल नम मम मम अल न 


| "औरत से चार चीजों की (५... हर ५) | त्ड८ 


से निकाह किया जाता हैं 
| प्राल, उसके ख़ानदान, उसके अफसोस अल ५ 


बे जमाल, और उसके दीनदार “०४० ८॥3? | 
की वजह से | लेकिन तू 
औरत को हासिल कर 


शरीफ, जिलल्‍्द 3 सफ़ा नी 59, तिर्मिजाी शरीफ, जिलल्‍द. 7 ब्रफ़ा 555/ 
लिहाजा इस हदीस से मअलूम हुआ के दीनदार औरत से 
करता सब से ज्यादा बेहतर है । दीनदार औरत शौहर कौ मददगार _ 
और थोडी रोजी पर कनाअत कर लेती है । उसके बरखिलाफ 

हुए औरतें गुनाह और मुसीबत में मुबतेला कर देती है । 


| 
ह # हर #॥ & & ह ॥ ह 8 ह छह ह& छह ह छह & कान >+ मम 


ह हा जन क़ हक जा जात उस बह जड़ का बड़ा का कहा बा का का जा क्रा फा जा छा बक का ला का जब बता डह बल का फ् बता -##ह५ँ 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


> [ः वि. शशि... | आठ ))। ह ॥ शा शा आ छा छा दाम ह 
“*फताबा-7-रजलीया” में है--++ -उक++०+उ>ओ- 


कक, 
डा 


/ “दीनदार लोगों में शादी करे कि बच्चे पर नाना मामू की आदातों 
है व हरकतों का भी असर पड़ता है 

क्‍ कर (फतावा-ए-रजवीया, जिल्द 9, सफा ने. 46) 
हे ( ज्वस्टीटय_:--) 4:55 नबी-ए-करीम सललल्लाहो तआला अलैहि व सल्लम नें 
| इरशाद फरमाया--------------------------------------- 

है “औरतों से उन के हुस्न के मा 

है सबब शादी न करो हो सकता है हट ही + यलील की | 
॥ उन का हुस्न तुम्हें तबाह कर दे, न उद्उज २५ ००४०२ ०) ००४२ 
हैं उन से माल की वजह से शादी -०# »० (५-25 ०७) »० ४.०९ 


करो हो सकता हैं के उन का माल 
हुं तुम्हें गुनाहों में मुबतेला कर दे, 
| बल्कि दीन कौ वजह से निकाह किया करो, काली चपटी बदसूरत 
लौन्डी अगर दीन दार हो तो बेहतर है” । 
(इब्नें माजा, जिलल्‍्द, 7, हदीस नं 7926, स्का. 522/ 
इमाम गृजाली ॑ु्अल्लाहो तआला अन्हो इरशाद फरमाते है-- ( 
“अगर कोई ओरत खूबसूरत तो है मगर परहेजुगार व पारसा नहीं | 
| तो बुरी बला हैं--बद मिजाज औरत, ना शुक्रगुजार और जबान दराज । 
होती हैं और बेजा हुकूमत करती है, ऐसी औरत कं साथ जिन्दगी बे 
मजा हो जाती हैं और दीन में खलल पड़ता हैं”। 
किप्या- ए- सआदत, सफ़ा नें 260/ 
याद रखिये अगर आप ने सिर्फ ऐसी लडकी से निकाह 
किया जो माल व दौलत (जहेज) खूब साथ लाई, और खूबसूरत भी 
बहुत थी लेकिन दीनदार नहीं औ/ न ही तहजीब व इख्लाक के मामले 
में बेहतर, तो आप उस के साथ यकौीनन एक अच्छी और खुशहाल 
जिन्दगी नहीं गुजार सकते, ऐसी लड़की की वजह से घर में हमेशा # 
५ तनाव रहता है और आख़िर कार माँ, बाप से दूर होना पड॒ जाता है / 
[0 कहा. 8  ह& 8  ॥ # & छह ह#॥ कह अ व ॥ हक हक  ॥ शा ॥ काला आल 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


4 इसलिए जहाँ आप खूबसूरती, माल व दौलत को देखते हैं इन सब से जे 
॥ ज्यादा जरूरी हैं के आप उस का इख्लाक्‌ उस का ख़ानदान, और ख़ास 
हैं तोर पर दीनदार हैं या नहीं येह जरूर देखे तभी आप एक कामयाब | 
_ जिन्दगी क॑ मालिक बन सकते है । | 
अगर एक खूबसूरत लड॒की में येह खूबियाँ नहीं और उस 
;$ उलट किसी बदसूरत लड॒की में दीनदारी हैं तो वोह बदसूरत लडकी । 
खूबसूरत लड॒की से बेहतर है । 

अक्सर हमारे भाई दौलतमन्द, फैशन प्रस्त लड॒की पर 
है और दौलत को बहुत अहमियत देते है जब के दौलत से ज्यादा 
को अहमियत देनी चाहिये । 


कद फरमाया-------------८-777_----८---८---+-+-- 

“जो कोई जमाल (खूबसूरती) या माल व दौलत की खातिर _ 

मी औरत से निकाह करेगा--तो वोह दोनों से महेरूम रहेंगा और जब 

'ै के लिए निकाह करेंगा तो दोनों मकसद पूरे होंगे” । 

(किग्या- ए- सआदत, गफ़ा नें. 260/ 

57:+ आज) और फरमाया रसूलुल्लाह सललल्लाहो तआला अलैहि व 

हु न . 7 >पर्निीय 23 आज अमर लक 2 जज ननकी मिलन हक लक वन व मी 
“औरत की तलब दीन क॑ लिए हो करनी चाहिये जमाल 

| के लिए नहीं” । इस के मअनी येह हैं के सिर्फ खूबसूरती के लिए 

न करे । न यह कं खूबसूरती दून्ड ही नहीं, अगर निकाह करने से 

हासिल करना और सुन्‍्नत पर अमल करना हों किसी शख्स 

; हैं, खूबसूरती नहीं चाहता तो येह परहेजगारी हैं । 

('काम्या- ए-सआदत, म्रफ़ा के 280/ 

के) अल्लाह रब्बलइंज्जत इरशाद फरमाता हैं---------- ' 

छः अगः वोह फकौर (गरोब। 2०47 7 मे ७ 50 

ब्रेललाह उन्हें गुनी कर दगा | जे. 3 के 


लक मत हे है हा ही ह मा की कं था शा जा छा हि बहन 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


. अआए॥भुत पु नइपय लय नह 


धप्तत 478- 8 (6: ४ क)) । 
> 2 लया ॥ | ब्ब | । |. । | ॥ | | हि | ॥: | || है क्र थ्ि | । 


सिक. -। हू बयक हनी दिया ज 
-अ... । 
३५ पका कु 

्द्ध 


# अपने फज्ल के सबब । 

(जमा /- कच्जुल इप्राम शरीक, पार 78, सराए “तर आयत 32/ 

«' लिहाजा अगर किसी लडकी में दीनदारी ज्यादा हो चाहे 

ह वोह कितनी ही गरीब क्‍यों न हो उस से शादी करना बेहतर हैं क्‍या | 

॥ अजब के अल्लाह तआला उस से शादी करने की और उस्र की बरकत | 

से आप को भी दौलत से नवाज दे । आप को उस नेक और गरीब 

हैं लड़को से वोह ही खुशी व सुकून मिल सकता हैं जो एक दौलतमन्द, 

रा बदमिजाज मॉर्डन (४०0९7॥) फैशन की देवी से नहीं मिल सकता । ' 

है हो अगर कोई दौलतमंद लडकी दीनदार नेक, अच्छे इख्लाक वाली हो # 

मै और उस से शादी की जाए तो येह भी बहुत बडी खूशनसीबी की बात 
है । बेशक अल्लाह माल व दौलत व चेहरों को नहीं देखता बल्कि 

| तकवा व परहेजगारी को देखता है ! 


॥ (शादी के लिए # के लिए ड्स्लेख़ारा) 


ब8 300ए॥779 व0णा णाषशाड 07 89फ7ए [007 |५७792८ कह 


"५ उक७००»+००००-+म- >०--माममम.अर-+. मका ७. आप» “पा अमाछ शाप पापा साधना पाप ८-5" 4-२८ नाप - 5 पादप...“ ४-3०... -<44--..८+--...-..--+-5------०६७-६६----म अब ७-+++०+ाा---.. अमात----वममक...3५3यक कक. 


है किसी नये काम को शुरू करने से पहल इस्तेखारा करना चाहिये, 

» इस्तेखारा उस अमल को कहते हैं जिसके करने से गैबी तौर पर येह 
मअलूम हो जाता हैं के फुला काम क॑ करने में फायदा है या नुकसान | | 

3557£+ आज) हजरत जाबिर बिन अब्दुल्लाह रअल्लाहो तआला 

शहआ रिवीयित आते है ली० लीन न न न ज नल म जलकर न ली नि न लन नन 


*रसूलुल्लाह सललल्लाहो तआला अलैहि | हाब्य 40 <->बओ ५०, (हैं 

| 5 खत हे हे आई है हि | .+ 0८६-मेल बदन 
करने की ऐसी ४ + गक बते "हरी हि हि मी ममता या ही आन है. 
जैसे कुरआन की कोई सूरत सिखाते क्‍ 


ऋबारी शरीफ जिल्‍द 7 सरफ़ा ने 455. तिर्मिजी शरीफ जिल्‍द । सफ़ा 292/ 


शव हू हि हू “जी, टन ब् 3. किक |, हि हक # 
[40 का _ 8 छा  छ था छा का छा जा छा का 2: ॥ ॥ & ॥ . #& प्रल्श.2।॥] 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


का आस कक ४ | * | ))॥ है  ॥ ॥ हा. ॥& है  ह॥ _ आह 


५ इस्तेख़ारा और “शगून” में बहुत फर्क है, इस्तेख़ारा में 
किसी नये काम के शुरू करने में अल्लाह से दुआ करना और उसकी 
प्ररजी मअलूम करना मकसद होता हैं । जब के शगृन जादूगरों, छ-छा 
है करने वाले, सितारों से, परिन्दों से, तीरों से, नुजूमी, जोतिषीयों, वगैरा 
और इस तरह की दूसरी चीजों के जरिये लेते हैं । जो कि शरीअत 
में "शिर्क” के बराबर हैं, शिर्क वोह गुनाह है जिसे अल्लाह कभी 
प_ुआफ नहीं करेगा, शिर्क करने वाला हमेशा हमेशा जहन्नम में रहेगा 
नैकिन इस्तेखारा करना सुन्नते रसूलुल्लाह व सहाबा और बुज़ुगगनि दीन 
का तरीका है 
ब्नचब्णा) सरकारे मदीना सललल्लाहो तआला अलैहि व सल्लम ने 
रेशाद फ्रमाया------८--८--- अल्लाह तआला से इस्तेख़ारा करना 
॥लादे आदम (इन्सानों) की खुश बख्ती (सौभाग्य, 004 0०) है और 
तैखारा न करना बद बख्ती (ईभाग्य, |शांई।णएणाढ) हैं” । 
५ इस्तेखारा किसी भी नये काम को शुरू करने से पहले 
नो चाहिये जैसे नया कारोबार शुरू करना है, मकान बनाना है, या 
देना है, किसी सफर पर जाना है, कोई नई चीज खरीद रहा है 
हैं बगेरा इन सब में नुकसान होंगा या फायदा, येह जानने के लिए 
बारा का अमल किया जाना चाहिये । 
अब चुँकि शादी एक ऐसा काम है जिस .पर सारी जिन्दगी 
ग्राराम, खुशी व सुकून का दारोमदार है बीवी अगर तक, परहेजगार, 
बत करने वाली, खुशमिजाज होगी तो जिन्दगी खूशियों से भरी होगी 
आने वाली नस्ल भी एक बेहतर नस्ल साबित होंगी । लेकिन अगर 
मिजाज, बदकार, बेवफा, हुई तो सारी जिन्दगी झगडों से भरी 
से खाली होंगी । यहॉ तक के फिर तलाक तक नौबत पहुँच 
॥। लिहाजा ज़रूरी है के शादी से पहले ही मअलूम कर लिया 
जिस औरत को अपनी शरीके जिन्दगी (बीवी) बनाना चौहिता ' 
हम व दुनिया के एतेबार से बेहतर साबित होंगी या नहीं ! 


8 ह # छा #॥ 2॥ & ह& &॥ ॥ 8 #& जज 8 ह#& - दाता” की 


॥ ह..॥ ॥ ॥ ॥. ॥ -॥ & ॥ भर कं कक # की 8 8 हि हिल नल झा 5 श्र रु ] 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


्म करीन-ए-जिन्दगी 


तआला अलैह ब सल्लम ने दरशाद फरमाया--------------------------- 
५ “अगर नहुसत किसी चीज में || ... 2॥ 55:05 885, 
| है तो वोह घर, औरत और न दा 
घोड़ा हैं”। (यानी इन में से कोई चीज ८०-४५४...२५ 


 मनहूस हो सकती है) 
हैं. (एस्तरे इमामे आजम, बाब मे 727, स्फा 277,--मोता इमाम झलक, जिल्द 2, बाब 
ने. 8, हदीस ने 27, यफ़ा 207,--बुखारी श़र्तफ, जिलल्‍्द 3, बाब ने 47, हदीस ने 386, 
| सका 67.--विभिज्ी शरीफ, जिल्‍्द 2, बाब - 327, हदीस न॑ 730, स्रफ़ा 275,--अबृदाऊद 
का उरीफ़ जिल्‍्द 3, बाब ने. 206, हदीस ने 524, श्रफ़ा 7865,--नयाई शर्रीफ जिलल्‍्द 2 
 ग्रक्ना 5338, इनमें माजा, जिल्‍्द 7, बाब न॑. 643, हदीस नं. 2064, ग्रफ़ा 555, पिश्कांत 
यरीफू, जिल्‍्द 2, हदीस ने 2753, ब्रफ्रा 70, गायकक्‍ता किस्सुन्ता, सफ़ा 60/ 

हजरत इमाम तिरमीजी रदीअल्लाहों तआला अन्हो फरमातें है- गो 


; येह हदीस अहादीस की और दीगर किताबों जैसे मुस्लिम 
४ शरीफ, मुस्नदे इमाम अहमद, तबरानी शरीफ, वग़ेरा में भी नकल है । 
ह इस से पहले एडीशनों में हम ने येहं हदीस बुख़ारी के अलफाज में नकल 
/ की थी और हालाँकि अपनी तरफ से इस पर कोई तबसेरा भी नहीं 
६ किया था लेकिन .इस के बावजूद कुछ ना वाकिफों ने इस पर एतराजात 
५ किये थे लिहाजा इस बार मजीद हवाले बडा दिये गए हैं, अब भी अगर 

हि किसी साहब का हम पर इलजाम बाकी हो तो वोह हम से सही हजाले 
है देख सकते हैं । | 


४ जफक) फाबओ) इस हंदीस की तशरीह 8०0 (० ॥॥/:4/0।॥ है. मे इमामे 
आजम अबूहनाफा रोअल्लाहो उआला अन्हो अपनी “मुस्नद” में रिवायत 
करते है के------- आल 0 25 


“घर कौ मनहूसियत येह है 
के वोह तंग (छोटा) हों (और बुरे [| है हरि 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


] 
29 काना ॥ था हर. ॥  ॥ थआ हा. वा हे ॥ मे के या मा कब छह अमकाट | 


। | सअद्‌ रक्देअल्लाहो तआला अन्हुमा से रिवायत है के हुज़्रे अकरभ सजल्‍लल्लाहो ॥ | 


“*येह हदीस हसन सही है"। हद वन काम व की] 


"ही ही मी - ही. 


| जा हा शा >जा छा मजा. आओ आ कि. 


मजा मिनी / 48 0) 


पड़ोसी हो) घोड़े को मनहूसियत 
उस की सर कशी और मुँह जोर 
होना है, और औरत की मनहूसियत 
हैं कि वोह बद इख्लाक, जबानदराज और बॉन्ड हो” 
(युलद इमाम आजम, काब न॑ 727, स्फ़ा ने 272,/॥ 

3-अिाकी इसी हदीस की शरह में आला हजरत इमाम 
रजा खाँ रूवैअल्लाहों तआला अन्हों इरशाद फरमाते हैं------- 
“शरीअत के मुताबिक घर की नहुसत येह हैं के तंग हो 
होसी बुरे हो, घोड़े की नहूसत येह है के शरीर हो बद लगाम हो, । 
रत की नहूसत येह के बदजबान हो बद इख्लिाक हो । और बाकी 
हैं. ख्याल के औरत के पहरे से येह हुआ फ़रेला के पहरे से येह, येह | 
॥ बकवास हैं और काफिरों के ख्याल हैं” 
द (फतवा-ए- रज़्जीया, बविल्‍द 2 सफा 254/ 
५६५ डक) सदरूएशरीअ हजरत अल्लामा मुहम्मद अमजद | 
है साहब रहमतुल्‍्लाह तआला अलैह अपनी मशहूर जमाना किताब “बहारे 
जत"पमें हदीस नकल फरमाते हैं कि--हजर्त सअद बिन अबी | 
क्ास रदौअल्लाहो तआला अन्‍्हों ने रिवायत किया कि रसुलुल्लाह ॥ 
हीहीं तआला अलेह व सल्लम ने इरशाद फरमाया---------------- 
“वीन चीजें आदमी की नेक छख्तो से है और तीन चीजें ६ 
हती से । नेक बख्ती की चीजों में से नेक औरत और अच्छा मकान 
बडा हो और उसके पडोसी अच्छे हों, और अच्छी सवारी । और £ 
॥ की चीजें, बद औरत, बुरा मकान, बुरी सवारी । 

बज्जार, वे हाकिम, बहवाला बहारे शरीअत, जिल्द । हिस्सा नें. 7 सफा 6) ५ 
0७9) हजरत जआसामगा बिन जैद रदीअल्लाहडों तआला अख्मा नो ॥ 


कैया के नबी-ए-करीम सल्लल्लाहों तआला अलैहि व खलल्‍लप नें | 


है हे 
8 छत बम लमनमम -मनन्‍न्‍म 2 मम अमन ममाया८ ना  अरमाा- पा पान आधा. आयात बामााद पाना. पाता... गाया. खवानाल।. तापधआा। - लाया: लालामाशा.. तालाशाकः तमबाहााः."हमानाल-."गहहर-+-.. मालकमाइन...नगनमनाल... "मनन"... नलगगू॒मन.... मिस. "रममूसमाान..नममममअम... हम" >लमम.... मी मो. नमो. >> १००." मोना 


हि 


खि 


(4.० , >> हि (० >- 2+ कम (५९.० है हल 
परी: (७ (०४ ७६.५, ॥# 


७-+++ 


कक 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


-ड ह ॥ 9 ॥ # + च.2.8))। & #॥ ॥ #॥ का का 
“मेरे बाद कोई फिला ऐसा || “ :७ ५००:०४४५७ हि) 
| बाकी नहीं रहा जो लोगों पर औरत 24० कार पक शक कक ५. 
के फिले से ज्यादा नुकसानदेह .हो”। ५. 
बिखारी शर्गफ, जिल्द 3, बाब त॑ 4, हदीस में 87, सफ़ा 67, तिर्मिजी शरीफ जिल्‍्द 2, बाब न॑(७ 
हदीस ने. 682, प्रफ़ा 279, पिश्कात शरीफ, जिल्‍्द 2, हदीस न॑ 2857, स्फ़ा 70/ 2 
अब आप ने जान लिया के किसी मर्द के लिए औरत | 
मनहूस भी हो सकती हैं और फिला भी, लिहाज[ येह जानने क॑ लिए | 
के जिस औरत से आप शादी करना चाहते हैं वोह मनहूस होंगी या ! 
बरकत का सबब, फिला होंगी या मुहब्बत करने वाली, वफादार होंगी 
या बेवफा इस के लिए इस्तेख़ारा जरूर करें । ह 


इस्तेखरा करने का तरीका :- 


() जिस से निकाह करने का इरादा हो तो पैगाम या | 
मंगनी के बारे में किसी से जिक्र न करें । अब खूब अच्छी तरह वुज़ू । 
| कर के जितनी नफ़िल नमाज पढ़ सकंता है दो, दो, रक्‍्अृत कर के | 
पढे । फिर नमाज ख़त्म: करने के बाद खूब खूब अल्लाह की तस्‍्वबीह 
बयान करे (जो भी, तस्वीह याद हो ज्यादा से ज्यादा पढ़े) जैसे, ;: 20 अल्लाहो 
अकबर, «॥॥८,५-:.. सुबहानल्लाह .(॥४2४.(अलहम्दुलिल्लाह, #<%,£ 
या रहीमों, ££5[/ या करीमो, वगैश फिर उस के बाद येह दुआ 
खुलूस व दिल की गहराई से पढ़े------- जजजञजततजत-+557८_-५-++-+++- 


५०००२ ४८६-० $-3- /220/% | 


अल्लाहुम्मा इनन-क-तकदिरों बला अकदेरों व तअलमु वला आलमु 


है. ॥ ला हर हा. ॥ ॥ 8 ॥ - 8 ॥ ॥ हर ह# 9. ॥ हक. (की 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


करोंन-ए-जिन्दर्गी 


हम कल कम एऋह छल सक ))) ऋचा फम पा कमा छा कल जात पक मप्र 


तब अन-त-अल्लामुल ग़ुयुबे-फ-इन-र-ऐ-त-अन-न-फी (यहाँ लड़की या औरत का हे 
॥ नाम लें) खैरल ली फी दीनी व. दुनया-य-व आख़ेरती फक दिर हाली व 
एन काना गैरो-ह-खैरम मिन-ह-फी दीनी व आखेरती फक दिर हाली 0 
जय /- आए अल्लाह तू हर चीज पर कादिर हैं और मै कादिर नहीं और तू सब कुछ 
बातता हैं मैं कुछ नहीं जानता--बेशक तू गैब की बातों को ख़ूब जानता हैं अगर (लडकी 
ही नाम ले) मेरे लिए मेरे दीन के एतेबार से, दुनिया व आखेरत के एतेबार से बेहतर हो 
| उस को मेरे लिए. मुकद्दर फरमा दे । और अगर उस के अलावा और कोई लड़की 
| औरत मेरे हक में मेरे दीन के और आखेरत के एतेबार से उस से बेहतर हो तो उस 
॥ मेरे लिए मुकददर फरमा दें । 

(हिस्‍्ने हसीन, सफ़ा नें. 760/ 
इस तरह इस्तेखारा करने से इन्शा अल्लाह तआला सात 
| दिनों में ख़्वाब या फिर बेदारी में ही अल्लाह की जानिब से ऐसा 
जाहिर होगा या ऐसा कुछ गुजरेगा जिस से आप को अन्दाजा हो 
के उस लडकी या औरत से निकाह करने में बेहतरी है या नहीं। 
ही (2) कछ ओलमा-ए-किराम ने इस्तेख़ारा करने का 
के भी बयान किया है के+-------77---+--+++८ “>> 
रात को पहले दो रकक्‍्अत नमाज इस तरह पढ़े के पहली 
में सूरए फातिहा (अलहम्द शरीफ) के बाद «32576( 
या अइयोहल काफेरून” (पूरा सूरा पढ़े) और दूसरी रक्‍्अत में सूरए 
| के बाद «८८505 “कुल हुवललाहोअहद” (धूण सूरा) 
रे सलाम फेर कर दुआ पढ़े । (वही दुआ जो हम ने पहले लिखो है) & 
रने से पहले और दुआ के बाद सूरए फातिहा (अलहम्द शरीफ) और 
रीफ जरूर पढे । 
बेहतर येह हे के सात (7) बार इस्तेखारा करे (यानी स्रात | 
है रात को करे. एक डी रात में सात बार भी कर सकते है) इस्तेखारा करने 
फौरत बा तहारत किबले की तरफ रूख़ कर के सो जाऐ । 
अगर ख्वाब में सफेदी या हरे रंग की कोई चीज देखे तो ॥# 
उस लडकी से शादी करना ठीक होंगा । और अगर लाल , 


| कह 9 आय छा की [_ जा ॥ & -॥ | 8 छ _ आकलन 


| हा बह पा छत जम का एक छा एल पा प्र जा छा फल का एल के 


रा ड | ॥ कम | _| हाथ व हि 'कबम७- ४ वथ हर ड़ ्छ || छः 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


|, ६25“ रूम था का व का. मा ॥ बा...) छा ना “5 


या काली चीज देखे तो समझे के कामयाबी नृहीं उस लड॒की से शादी 
करने में बुराई है | (वल्लाहों आलम) 


अर 


॥ /“+| डइल् या जनिकाह॥“5५ 
॥ 0... का पेगाम आए 
कर उाररक्‍्त 2 आज) अल्लाह रब्बुलईज्जत इरशाद फरमाता है---------- 
और तुम पर गुनाह नहीं 5520 ८ (८556 ८५८५; 
है इस बात में जो. पर्दा रख कर तुम | 2 लिप 

औरतों क॑ निकाह पं 0. £. 4.०० "77 ० 
॥ ओगतां क निकाह का पयाम दोौ-- 
(वर्ण :- कन्जुल इ्मान, जद 2 घृराए बकर, आवत 235) 
हे जब किसी लडकी या ओरत से शादी का इरादा हो तो 


उसे शादी का पैगाम या मंगनी करने से पहले येह जुरूर देख ले के 
उस लट॒झी या औरत को किसी और इस्लामी भाई ने पहले से ही तो 
॥ पेगाम तहों दिया है या उस की मंगनी तो नहीं हो गई है । 
| अगर किसी इस्लामी भाई ने उस लडकी को निकाह का 
पैगाम दिया हैं या उस से रिश्ते की बात चीत चल रही हो तो उसे 
हरगिज मंगनी या रिश्ते का पैगाम न दे के इसे इस्लामी शरीअत में. 
| सख्त न पसंद किया गया है चुनानचे हदीस पाक में हैं । 
ह हजुरत अबू हुरैरा व हजरत अब्दुल्लाह इब्ने 
॥ ऊमर र्अल्लाहों तआला अन्हम से रिवायत हैं के हुज़॒रे अकरम सझल्लल्लाहो 
ल्‍ तआला अलैह व सललम ने इरशाद फरमाया------- मर 2 ५2 ऋ 6 मन अल. क्‍ 
“कोई आदमी अपने भाई क द 
हैं. पेगाम पर (उसी औरत को) निकाह 08 ४ हर. 
| का पैगाम न दे यहाँ पक के 37 के *अ क्‍ 
पहला खूद मंगनी का इरादा तर्क “५+> ०७८ ००३२७* ७ 


बी) कान _ ह ॥ 8 छ कह का छू ४ छा छह ला शा ह कहा छह हा मा झा बाहम्मा लो 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


ए-जिनन्‍्दगी 
रण मी -. 


जय वा वा व डआ ६2 हर 4 2 8 मा ला 3 शा : हा. मा लय 


हि आन“ 


7 
नि. 


हर दे (छोड दे) या उसे पैगाम भेजने कौ इजाजत दे” । 
(बुल्लारी शरीफ, जिलल्‍द 3, खफा मेँ 78, मांता शरोफ़, जिलल्‍्द 2 सफ़ा 45/ 


2 किक्ाल से पत्ल ४2 


_ किसी लड॒की या औरत को किसी गैर मर्द को उस वक्‍त दिखाने 
गई हर्ज नहीं जब वोह उस से शादी का इरादा रखता हो या उस 
ग़ादी का पैगाम भेजा हो । लेकिन उस मर्द क॑ दूसरे मर्द रिश्तेदारों 
शैंस्त अहबाब को नहीं दिखाना चाहिए के वोह सब गर महरम हैं. 
ब पर्दा करना जरूरी है) लिहाजा सिर्फ लड॒के या मर्द और उसके घर 
भौरतें ही लडकी देखे । 
निकाह से पहले औरत को देखना जाईजु हैं लेकिन इस बात 
हर ख्याल रखें कि लड़के को लड॒की इस तरह से दिखाए के लड॒की 
जात की भनक भी न लगे के लड॒का उसे देख रहा है (यानी खुल्लम 
प्रति न लाए) अगर इस एहतियात से दिखाया जाएगा तो इस में कोई 
| बल्कि बेहतर हैं क॑ बाद में गलत फहमी नहीं होती । 
हि हजरत मुहम्मद सलामा रक्लौजल्लाहो तआला अन्हों कहते 
कं ने एक औरत को निकाह का पैगाम दिया । मैं उसे 
लिए उस के बाग में छुप कर जाया करता था यहाँ तक के 
लिया किसी ने कहाँ--आप ऐसी हरकत क्‍यों करते है ६ 
हुज़्र के सहाबी है, तो मैं ने कहा-रसूलुल्लाह सललल्लाहों है 
ने इरशाद फरमाया--“जब अल्लाह तआला किसी £ 
औरत से निकाह की ख्वाहिश डाले और वाह उसे ६ 
की जानिब देखने में कोई हर्ज नहीं” । 


शिफ्त जिल्द 7, बाब ने5»97 हदोंसे ते 7937. 'त्रफ़ा 527/ 


शत . 
कप! 
६ 8... 

' 


है हैं. है... ॥ - है. है. | है 8 ॥. ॥ ह& ६ ॥ ॥. ॥ .. है _ हैं. 8. ॥  .॥ _ & हू. ॥ . ॥ ही "है 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


का 
58:०८ | बना #छऋछ छत छा छा ला | 45 2) 8 जा. का कमा. जा मा का . हा! कक गा 


कि हुज़ूर सल्लल्लाहों तआला अलैहि.ब सल्‍्लम ने इरशाद फ्रमाया----------- 
“जब तुम में से कोई || «७३ ,.। 5 ०»>]। ....००-):। 
किसी आते को निकाह की पैगोम | आओ ६. 
दे तो अगर उस औरत को देखना कक के 
मुम्किन हो तो देख ले” किक किक ० | 
(अबू दाऊद शरीफ, काब में 56, हदीस नें उाब, जिल्‍्द 2 मफ़ा 722/ 


ड््छीस्प : हुज़ूर सैय्ययना इमाम बुखारी रद्दोअल्लाहो अन्हो ने | 
अपनी मश्हूर किताब “सही बुख़ारी” जिल्द 3 बाब किताबुन निकाह में 
निकाह से पहले औरत को देखने के मुत्औअल्लिक एक खास बाब (अध्याय, 
(००८४०) लिखा हैं जिस में येह साबित किया हैं के निकाह से पहले 
औरत को देखना जाइज हैं । चुनानचे उस बाब की एक तवीले हदीस 
आह जि का जया ता है। हो नरक न पतन पति अमल ०-7००+-77८८ 
हुज़ुरे अकरम सल्लल्लाहों तआला अलैहि व सल्‍लम की खिदमते अकदस 
. में एक मरतबा एक सहाबिया औरत तशरीफ लाई और आप से शादी की 
दरख्वास्त की, लेकिन हुज़ूर ने अपना सरे मुबारक झुका लिया और उन्हें कुछ 
जवाब न दिया । एक सहाबी ने खड़े हो कर अर्ज किया-“या रसूलल्लाह ! | 
अगर आप को इस औरत की हाजत नहीं है तो उस का मेरे साथ निकाह 
कर दीजिए”| सरकार क॑ उन से पूछने पर मअलूम हुआ कि उन के पास 
कुछ रूपया पैसा कपड़ा वगैरा नहीं है यहॉ तक के महेर के लिए एक लोहे 
की अंगूठी तक नहीं हैं लेकिन क़ुरआन की कुछ सूरतें याद हैं । चुनानचे 
सरकार ने उन के क़रआने करीम जानने की वजह से उस सहाबी का निकाह 
| उस सहाबिया औरत से पढ़ा दिवा । 
इसी तरह एक दूसरी हदीस में हैं के----- रसूले अकरम 
सलल्‍्लल्लाहो तआला अलैहि व सलल्‍लम को ख्वाब में हजरत आएशा रद्दौअल्लाहो तआला 


९ 29५ अच्हा को निकाह से पहले दिखाया गया । 
नि] >> कप हि... जाल ऋान जाना छा छा छा छात्र बका जड़ा छा हा । 


8. ॥- ॥ # ॥ & ॥ & ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ & ॥. ॥ ॥. &. ॥& ॥ ॥ ॥&. ॥  क ढछ "र् 


|. ॥ है. ह ..॥ 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


क्री न-ए-जिन्दगों ७7 8) 
> जय वे जञ। ॥ ह वह ह है ॥ 3 की); ॥ # ते मो के का जा 800० ० / व 


इन हदीसे मुबारका से इमाम बुखारी ने येह साबित करने श 
कोशिश क्‍ की हैं के औरत को निकाह से पहले देखना जाइज हैं । 


450 0 आओ) सैय्यदना इमाम मुहम्मद गजाली रूरौअल्लाहो तआला 
कम करते को 5 लकी पलक 72 8 ० 27562 लक 


“निकाह से पहले औरत को देख लेना इमाम शाफआई | 
हलाहों तआला अन्हों के नजदीक सुन्नत है ० 

यही इमाम गजाली आगे नकल फरमाते है के------ 

“औरत का जमाल व ७स्त का चेहरा) मुहब्बत व उलफत 
है--इस लिए निकाह करने से पहले लडकी को देख लेना 
है--बुज़गों का कौल हैं के औरत को बे देखे जो निकाह होता । 
पं का अन्जाम परेशानी और गम है” | 
(कि/स्था- ए- यआदत, बफा ने 260 


हुजूर सैय्यदन मौसे आजम शेख अब्दुल कादिर 
एदौअललहो तआला ऊच्हों दरिशाद फरमातें है----------------- 
. “प्रुनासिब है के निकाह से पहले औरत का चेहरा और ! 
बदन देख ले (यानी हाथ, मुंह बगैर को) ताकि बाद को नफरत या 
की नौबत न आए क्योंकि तलाक और नफरत अल्लाह तआला 
पसंद है । ((यदुत्तालंबीद, सफ़ा 772) 


सरज्नामन्दी 


आप ने अक्सर देखा और सुना होंगा बहुत से गैर मुस्लिम 
है ताना देते हैं कि इस्लाम ने औरतों के स्राथ ना इन्साफी 
बॉकि इन बेवकूफ़ों को येह नहीं दिखता के उनके धर्म ने 
नें ही हुकुक का किस बे दर्दी से गला घोटा है । | 
क्रम अक्ल ओरतों को सड॒कों, बाजारों, अपनी झूटी ईबादत हि 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


कृरीन-ए-जिन्दगी ४ 
८-52. का हज कक जज पर हम पत्र 7) आस 


गाहों (मंदौगे) में आधा नंगी हालत में खुले आम घुमने फौरने को ही उन की ' 
आजादी और जाइजु हक समझते है यही वजह है के उनके अपने खुद साख्ता 
धर्म में मर्द और औरतें ही नहीं बल्कि उनके देवी देवता और भगवान भी 
आशिक्‌ मिजाज नजर आते हैं । किसी शाएर ने क्‍या खूब कहा है--- 
औरतें बाल सवारे मंदीर में गई पूजा के लिए ! 
देवता बाहर निकले और खूद पुजारी हो गए !! 
बेशक मजुहबे इस्लाम ऐसी बेहदा. चीजों की हरगिज 
इजाजत नहीं देता । वोह औरतों को बाजारों और सड॒कों पर खुले आम. 
हुस्न का मुजाहेरा पेश करने से रोकता हैं ! लेकिन वहीं औरतों को 
उन के जाइजु हुकूक देने में कोई कमी नहीं करता और न ही औरतों 
के साथ बुरा सुलूक करने, उन के साथ जबरदस्ती करने या ना इन्साफी 
करने की हरगिज इजाजत नहीं देता, वोह हर मामले में ओरतों से 
बराबरी और इन्सानी सुलूक करने कां मर्दों को हुक्म देता हैं. ! 
चुनानचे शरीअते इस्लामी में जहाँ कई मामलों में ऑरत 

की रजामन्दी जरूरी समझी जाती है वही शादी के लिए लड़की या 
औरत से उस की रजामन्दी जरूरी हैं 
। 557८5 कि). हजरत अबूहरैरा व हजरत अब्दुल्लाह बिन 
9 अब्बास रह्अल्लाहो तजाला अच्ुणा से रिवायत है के हुजर अकरम चललल्लाहो 

तमाला अलैंहि व सलल्‍लम ने दरशाद फरमाया------------६------+--८ | 
हू “कुँवारी का निकाह न किया || ७२००-३७ ४ हुक > 
जाए जब तक उस को रजा मन्दी || >> ्ीए23फड->५ 
न हासिल कर ली जाए और उस |[। हट आह, 
का चुप रहना उठ को रजामन्दी है, और के निकाह किया जाए बबाह 
का जब तक उम्र से इजाजत न ली जाए---”। 4 

(रिफपिजों शरीफ, जिल्द । झफ़ा उहह, यूादे उयाय अजय, पेट नें पक | 
47 अबकी) हजरत अंब्यल्लाह ढने अब्बास उलअल्लाहो ताला: 


हा क्र जा जा का का का फ्र बा ऋएा का था छा का का का का क भा जा कर “३ र 


ह ५ हैं। ध् हि ः हु ; । हे] कि! 2५ ही. दः * का पु 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


. क्रीन-ए-जिन्दगी 5 .क्ष 


की िलशित हे मम कट कर कक तक लव 7 
. एक औरत का शौहर मर || (ऑ्ि32 ४० ७ # 7० | 
या । उसके देवर ने उसे निकाह || ५०४७१७५००७(७०/ , .»» ५ [ 
पैगाम भेजा मगर (औरत का) हा फट किक के अरब हे 
देवर से निकाह करने पर +..0+ 4 | )++ ५०४३) ०.७ 
| 


| हा उ्स कक ने किसी दूसरे 25%:3#8.0: 5. 55... £ 
दि स॑ औरत का निकाह कर दिया 
और । हा है ०.० | ३.४: जा  । _हजरे- अचदी (५. ्ा 
रते नबी सललल्लाहों तआला | तन 

की खिदमत में हाडिए ८2+7५४७ ७, ७५८३० ८५ 

और आप से पूरा किस्सा ३ आफ जए 7 7 नकज हि 
थान किया । हुज़ूर ने उसके बाप हिल आरती क५। है 
की बुलवाया उप्नसे आप ने फरंमाया/येह औरत क्या कहती है”? उस 
_ जवाब दिया---सच कहती है मगर मैं ने इस का निकाह ऐसे मर्द ञ 
| किया जो इस के देवर से बंहतर है । इस पर हुज़ूर ने उस मर्द ह 
रि औरत में जुदाई करवा दी और औरत का निकाह उसी देवर से # 
३ दिया जिस से वोह निकाह करना चाहती थी । श 


(वुलदे इपाप॑ आजय, बाब ने 724, सफ़ा ने 275/ 


हजरत मुल्ला अली कारी रूमतुल्लाह तआला अलैह 


_ है 8 हे 


“ते 
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“इब्ने क॒तान रत्अल्लाह अन्हो ने कहा हैं कि इब्ने 
की येह हदीस सही है और यैह औरत हजरत खनंसा बिन्त 
रदीअल्लाहो त्आला अन्ुुपा थी जिस को हदीस इमाम मालिक व इमाम 
लाए हैं के उन का निकाह ऑ-हजुरत सल्लल्लाहो तआला अलैहि ब हैं 
तें रद फरमा दिया था 
हलक इमाम बखारी ने बुख़ारी शरीफ में यही हदीस इन 
न नकल को हे-----८+.७...०---६४८०--०४५४६० ४ (९ 


जय एक छक जा बना कक जज चक 


| मा मा मी  ॥ ह# छू हा ला #॥ छह: था - हा -ल पद 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


बेर. री 2 


है ओर अगर पसंद न आया तो फिर झगडों और ना इत्तेफाकीयों 
कु सैलाब उमड॒ पड़ता है और नौबत फिर तलाक तक॑ आ पहुँचती है । 


/ पक) का बा बता फल सत्र | (| | 4 % )) जाला एए छजएा जमा बता जात ; ल०-«. " 


! हजरत खनसा बिन्त खेजाम रुदंअल्लाहो अताला अन्दुपा इरशाद फरमाती 

है के 
“इन के वालिद ने उन का की कक आज 0 | 

निकाह कर दिया जबके वोह बेवाह || ९, 3. «40७25 उसे 


थी और इस निकाह को ना पसंद 

करती थी । वोह रसूलुल्लाह, को है 

बारगाह में हाजिर हो गई आप ने फरमाया के“वोह निकाह नहीं हुआ” 
(माता शरीफ, जिल्द 2 स्रफ़ा 424, बृखारी शरीफ जिलल्‍द 3 स्रफ़ा ने. 78/ 

... इन तमाम अहादीसे मुबारका से पता चला के शादी से 

पहले कॉवारी लडकी और बेवाह से इजाजत लेना जरूरी है और हमारे 

प्यारे आका सल्लल्लाहो तआला अलैहि ब सल्‍लम की बहुत ही प्यारी सुन्नत. भी 


थ् बा 5 > #/> हम (७४ 


35575 की) हजरत अबूहरैरा रदौअल्लाहो तआला अन्हो से रिवायत है 
“नबी-ए-करीम सल्लल्लाहो तआला ना! *उ+, मी 

अलैहि ब सल्‍लम अपनी किसी साहबजादी ध्यं | की कल इक है 
को किर्सी के निकाह में देना चाहते 40% >> अप: 
तो उन के पर्दे के पास तशरीफ || -५६७-० (5७७ ४53.0%..॥ 
लाते और फरमाते---“फ़्लॉ शख्स 
(यहाँ उन का नाम लेते) तुम्हारा जिक्र करता है” फिर (रजामन्दी मअलूभ हों 
जाने पर) निकाह पढ़ा दिया करते । 

(पुल्तर इसमें आजम, काब हे 723, सफ़ा ते 274॥ 

लेकिन आज देखा येह जा रहा हैं कि माँ, बाप 
की मरजी को कोई एहमियत नेहीं देते और अपनी- मरजी के 
ही ब्याह देते है अब अगर लड॒की को लड॒का पसंद आ गया तो ठीक 


औ0, 2 जकना... ह  ह - ह# जा - ॥ हि 8 ॥. ॥ &  #&. & # शा  बिहालाना 3 मी 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


जि ; ह ॥ ॥ ह& - 8- कक हक ५ 
ग अपनी लड़की के लिए अच्छे लड़के की तलाश करना 
फिर ब्याह देना यकीनन येह माँ, बाण की ही जिम्मेदारी हैं लेकिन ! 
| इतनी उठा पक करते हैं वही अगर लड॒की से उस की रजामन्दी 
तुम कर ली जाए तो इस में भला क्‍या हर्ज हैं । लड़की से उस ॥# 
प्ररजी मअलूम भी करना चाहिये क्‍योंकि उसे ही सारी जिन्दगी | 
[ता है । हाँ अगर खुल कर कहने में झिझमक या शर्म महसूस हो ॥ 
| अलफाजों (०८ ऋएत्व) मे इजहार कर यह सुननत भी हैं ३ 
जप) टजरत ड्ब्ने अब्बास रदोअल्लाह तआला अच्हों से रिवायत 
'सरकार सल्लल्‍्लाहो तआला अलैहि ब सल्‍लम नें जब अपनी साहबजादी 
री फातमा रदीअल्लाहो तआला अन्हा का हजरत अली रदोअल्लाहों तआला 
हैँ निकाह करने का इरादा फरमाया तो आप हजरत फातमा के पास 
लाए और इरशाद फरमाया----------------- -ल#॥% ९ ल्ड 
तुम्हारा जिक्र करते हैं” 
हैं. निकाह का पैगाम भेजा है) 
(युल्तदे इमामें आजस, बाब नें 722, सफ़ा के 273/ 
._येह इजाजत हासिल करने का निहायत ही बेहतर तरीका 
ग्राम के वक्‍त जरूरी है, और वैसे भी साफ खुले अलफाजों 
हैजाब व हया के खिलाफ मअलूम होता हैं ।.. 
मी तरह ऐसे बहुत से अलफाज्‌ है जो इजाजत लेते वक्‍त दबे 
कह सकते हैं । जेसे कहे--फ़ुलाँ लड़का तुम्हारा जिक्र करता 
पर बहुत मेहरबान है, फ़लाँ लड॒का तुम्हारे लिए बेहतर है 
जरूरत है, फ़ू्लां का पैगाग तुम्हारे. लिए है, वगैरा वगैरा 
लॉ" लिखा है वहाँ लड़के या मर्द का नाम लें । 
"लडकी या औरत से इजाजत लेते वक्‍त जरूरी है के 
के साथ निकाह करने का इरादा हो उस का नाम 
हस तरह ले कि औरत जान सके । अगर याँ कहा 


_ ऑ &  ॥  छ 8 _ छा छा  छ  छ छा छा छा 8 +्न्न्न्क 


कक > लि उआ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥& ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ &॥ ॥ हू 8. 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


पक न्‍ हा खिन्दभ| -झ । जात जा जा छत्लच (५. ५७ | /) ता जन | | मम का एन जान 37 


एक मर्द से शादी कर दूँगा, या यूँ कि फ़ुलां कौम के 
एक शख्स से निकाह कर दूँगा तो येह जाइज नहीं, 
येह इजाजत संही भी नहीं । 

िएरूने शररीअत, जिल्‍द 2, सफ़ा ने 54॥ 


क | है जद हि 
मा । 


१६5 आज) इमाम ब (|) 2 कसा, 3३२ 5 (॥ 
रदीअल्लाहो तआला अन्हो नकल फरमाते हैं (+ 45४ ५० , ५००६५ ५४५ 


हजरत आएशा रदोअल्लाहो तआला अन्‍्हा नें 4०० ५)॥ (५-०५), ) ,...., ७. 
अर्ज किया-“या रसूलल्लाह! कुँवारी (रण... 95 ल्‍०००5 5:,॥.. . 
लडकी तो निकाह की इजाजत देने में | | 
शर्माती है ? इरशाद फरमाया “उस का खामूश हो जाना ही इजाजत है" 
(कुज़्ारी शर्रफु, बाब ने 77, हदीस ने 724, जिलल्‍्द उ, सफ़ा 78/ 
ब्यस््ऊत्गाा “अगर औरत क्ँवारी है तो साफ साफ रजामन्दी 
अलफाज कहे या कोई ऐसी हरकत करे जिस से 
होना साफ मअलूम हो जाऐ जैसे---मुसक॒रा दे 
हँस दे, या फिर इशारे से जाहिर करे । 
(कानूने श़रीअत, जिल्‍द 2 स्फ़ा ने 54/ क्‍ 
और अगर इन्कार हो तो इस तरह से साफ साफ कहे' 
मुझे उस की जरूरत नहीं, या फिर कहे वोह मेरे लिए बेहतर नहँ 
वगैरा वगैरा जिस तरह भी मुनासिब तौर पर जाहिर कर सकती हो ! 
॥ तरह से जाहिर कर दे | फिर माँ, बाप, का भी फर्ज है के वोह ज 
| दबाव न डाले या जबरदस्ती न करे के येह जाइज नहीं । 
आह हजरत अब हरैरा रदोअल्लाहो अन्हो से रिवायत 


रसूले अकरम सल्लल्लाहो तआला अलेहि व सलल्‍लम ने इरशाद फरमाया---७ 
“बालिग कुँबारी लड़की से [| ८७ ५-७ # >“८-< 
उस के निकाह की इजाजत ली 3७ ८... (| ७ ४3 | +» ५ 
कैजाए अगर ख़ामूश हो जाए तो येह -५:/»] 


बी फकायह.. क जा छा छा फना हनन छा | _ है है | ६  # ह कह 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


जब कप हब 8 8 8 #& & )॥ ॥ 8 # # # #& #& गाव 
बल 


की तरफ से इजाजत है । और अगर इन्कार करे तो उसपर कोई । 

नहीं” । 

...._(तिर्पषिजी शरीफ, आक, हदीय ने. 770, जिलल्‍्द 7 स्फ़ा 567/ 

भ्रत्ता :- बालिगू व आकेला (समझदार) औरत का निकाह बगैर उसकी | 
इजाजत के कोई नहीं कर सकता न उस का बाप न 
इस्लामी हुकूमत का बादशाह, चाहे औरत कुँवारी हो या 
बेवाह । इसी तरह बालिग समझदार (पागल वगैर न हो) मर्द | 
का निकाह बगैर उसकी मरजी के कोई नहीं कर सकता । 

(कल्‍्ने शररीअत, जिल्‍्द 2 सफ़ा मेँ 54) 

-- कॉवारी लडकी का निकाह या लड़के का. निकाह उनकी । 
इजाजत के बगैर कर दिया गया । और उन्हें निकाह 
की खबर दी गई तो अगर औरत चूप रही, या हँसी, । 
या बगैर अवाज्‌ के रोई तो निकाह मन्‍्ज़ूर है समझा. 
जाएगा । इसी तरह मर्द ने इन्कार न किया तो निकाह । 
मन्ज़ूर है समझा जाएगा । लेकिन औरत ने इन्कार कर | 
दिया या मर्द ने इन्कार किया तो निकाह टूट गयां । 

!एवीया, जिल्‍्द 5 सफ़ा 704, काकूने शरीअत, जिल्‍्द 2, सफ़ा 54/ 

ज्षमाम दीनी मसाइल हैं जिन का जानना और उन पर अमल 

ह जिस में माँ, बाप भी अपनी ओलादों की खूशी का ख्याल 

| का भी फर्ज है के वोह माँ, बाप और घर के दीगर 

वोह जहाँ शादी करना चाहे उनकी रजा में ही अपनी | 

|, बाप कभी भी अपनी औलाद का बुरा नहीं चाहते । 

हजरत अबू हरैरा रदीअल्लाहो अन्हो से रिवायत हैं कि 


तआला अलैहि व सल्‍लम ने इरशाद फरमाया-----““7 
| औरत का 59,7०३, ८3% ४ 
कोई औरत (54०० |) (०७५७---२ 9 >बी 7: ५ 


है. |  & 8 छह मे हा की हिला 4 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


2 हा छत उ छा छा | छछ छत छा छत हा छत छल 


अपना निकाह खूद करे क्‍योंकि । “हि-++ टू 95५४ 

जिनाकार वही हैं जो अपना निकाह खूद करती हैं 

(ईनले माजा; जिल्‍्द 7, बाज ने 509, हदीस नें. 7750, सफ़ा 528, प्रिश्कात शरीफ, जिलल्‍द 2, हदीस 

नें. 3207, म्रफ़़ा 78/ 

मरअल्ग :-बालिग लड॒की वली (माँ बाप, बगैण) की इजाजत के बगैर 

खूद अपना निकाह छुप कर या एलानिया करे उसके 

जाइज होने के लिए येह शर्त है कि शौहर उस का कुफ्‌ 
हो यानी मजहब या ख़ानदान या पेशे या माल या चाल 
चलन में औरत से ऐसा कम न हो कि उसके साथ उस 
का निकाह होना लडकी के माँ, बाप, व रिश्तेदारों के 
लिए बे इज्जती, शर्मीान्दगी, व बदनामी का सबब हो, 
अगर ऐसा है तो वोह निकाह न होगा--- 


(फ़रतावा- ए- रज़वीया, जिल्‍्द 5 ग्रफ़ा 742/ 


आप का और हमारा येह मुशाहेदा है के मुसलमानों में 
आज बडी तअदाद में ऐसे लोग है जो शादी तो कर लेते है महेर भी 
बाधते हैं लेकिन उन्हें येह पता ही नहीं होता के महेर. कितने किस्म 
का होता है और उनका निकाह किस किस्म के महेर पर तय हुआ 
लिहाजा मुसलमानों को येह सब जान लेना जरूरी है । 
महेर तीन किस्म का होता है । 
मुअज्जल /-महेरे मुअज्जल येह हैं के रूख़सती से पहले महेर देना 
करार पाया हो । (चाहे दिया कभी भी जाए) 

मृवज्जल /-महेरे मुवज्जल येह है के महेर कौ रकम देने के लिए 
| कोई वक्‍त (अवधि, एललं०छ) मुकरर कर दिया जाए । 
क्‍ * मृतलक </- महेरे मुतलक येह हैं के जिस में कुछ तय न किया जाए 


“जो कया _ ह॥ ॥ &2॥ #॥ ॥ #& _ ॥.. ॥ .. ॥ &॥ ॥ ७ क#& - छः - 


जात मा बन उड् छा जा पा फा बजा का हा का एव का बा पता छत फतर जज जा ता एड | हे ॥ -॥8 ॥ ॥ ह# हक. ० कफ 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


न है ह शा बह हवा ॥ हा [5] )॥॥ है ह ६ ॥ | शक | 


हतावा-ए-गुस्तफ़ाविया, जिल्‍्द 3 झफ़ा कं. 66, कापूने शागीअठ, जिल्द 2 सफ़ा ने 6) ए 
है इन तमाम महेर की किस्मों में महेर “मुअज्जल” रखंना 
दा अफ्‌्जल है । (यानों रूख़सदी से पहले ही महेर अदा कर दिया जाए) ॥ 
कप (कार शारीआत, जिल्‍्द 2, ब्रफा नें &0/ 

ना “>महेरें मुअज्जल बुसूल करने के लिए अगर औरत चाहे 
तो अपने शौहर को सोहबत करने से रोक सकती है / 
और मर्द को हलाल (जाइज) नहीं की औरत को मजबूर 
करे या उसके साथ किसी तरह की जबरदस्ती करे । 
येह हक औरत को सिर्फ उस वक्‍त तक हासिल है जब 
क्‍ तक महेर वुसूल न कर ले (इस दरमियान अगर औरत अपनी 
है“ मरजी से चाहे तो सोहबत कर सकती है) इस दौरान भी मर्द 
अपनी बीवी का नान नफ्का (खाना, पीना, कपड़ा, खर्चा & 
वगैरा) बन्द नहीं कर सकता । जब मर्द औरत को उस # 
का महेर दे दें तो औरत को अपने शौहर को सोहबत / 
। करने से रोकना जाइज नहीं । 

ए-गृस्तफ़ाविया, जिल्‍्द 3 सफ़ा 66, कानूने शर्त, जिल्‍्द 2 स्रफ़ा 60/ 
-इसी तरह अगर महेरे मुवज्जल था (यानी महेर अदा करने के 
लिए एक ख़ास मुद्दत मुकररर थी) और वोह मुद्दत ख़त्म हो गई 

तो औरत शौहर को सोहबत करने से रोक सकती है । 

; (कानून शर्दअत, जिलल्‍्द 2, स्रफ़ा | 60/ 

#-औरत को महेर मुआफ कर देने के लिए मजबूर करना 
जाईज नहीं । 

जमाने में ज्यादा तर लोग यही समझते हैं कि महेर 
नहीं बल्कि येह सिर्फ एक रस्म है । और कुछ लोगों 
म्हेर तलाक के बाद ही दिया जाता है, कुछ लोग 

इस लिए रखते हैं कि औरत को महेर देने के खौफ ! 
दे सकेगा । 


जाय एल जता प्रका जला छत जा जा का ज फ का जा कान 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


ए-जन्दगा हा -च् 
शिू ६2877 हा एल पाला छह छह कमा हालत इउत 55 2) छा. ह हर ॥ ॥ () 


यही वजह हैं हमारे हिन्दुस्तान में ज्यादा तर लोग महेर 
नहीं देते यहाँ तक कि इन्तिकाल के बाद औरत उनके जनाजे पर आ 
कर महेर मुआफ करती है । वैसे औरत के महेर मुआफ कर देने से | 
मुआफ तो हो जाता है लेकिन महेर दिये बगैर दुनिया से चले जाना 
ठीक नहीं, अगर खुदा न ख़ॉसता पहले औरत का इन्तेकाल हो गया | 
। तो कियामत में सख्त पकड़ और सख्त अजाब, लिहाजा इस खतरे से 
बचने के लिए महेर अदा कर देना चाहिये इस में सवाब भी है और | 
येह हमारे आका सल्लल्लाहों तआला अलैह ब सलल्‍लम की सुननत भी हैं | 
(3 लटक हमारा रब जल्‍ला जलालह हमें क्या हक्‍्म फरमाता हैं- -- 
कर्ण :- और औरतों को उन के 
 महेर खुशी से दो । 
जमा /- कन्जुल ईपाग, प्राय 4, शरए विद्या, रूकू 72, आवत 4/ 
जहाललत >:- 
अक्सर मुसलमान अपनी हैसियत से ज्यादा महेर रखते हैं | 
और येह ख्याल करते हैं कि “ज्यादा महेर रख भी दिया तो क्या फर्क | 
| पड़ता है देना तो हे ही नहीं” येह सख्त जहालत है और दीन से मजाक | 
| ऐसे लोगों के मुज्जल्लिक “शहजादा-ए-आला हजरत हुज़ूर मुफ्ती-ए-आजमे | 
इिन्द मुस्तफा खाँ रजा रहमतुल्लाह तआला अलैह, अपने एक फतवे में | 
इरशाद फरमाते है-----------००“>-5;««>_->“7+7-०+5>«>-+>->--++-- | 
(महेर नहीं देना हैं) ऐसा ख्याल कर लेना बहुत बुरा है 
जो ऐसी नियए रखता हैं, कि [बोह। दीन नहीं समझता, वोह इस से डरे ह 
कि हदीसे पाक में हैं उसका हा जिना करने वालों के साथ होंगा । 
(फतावा- ए- पृस्तफ़ा/विया, जिलल्‍्द 3. ग्रफ़ा ने 79; 
लिहाजा महेर उतना हो रखे जितना देने की हैसियत हो 
और महेर जितनी जल्दी हो सके अदा कर दे के यही अफजल 
तरीका हैं 


िथ) 
(0, का _ ॥. 8 छह ॥ छा ॥ &॥ ॥& ह॥ शा ॥ मा वा ह॑ हू ह हू हू ानान्मप्ट: लक 


एल जल का खा . बा. 


कर 4.५६ (है “तय > |... | ०) + 


हैं है 3 है" पा ॥ ड - ही ह हवा ही मे की ही. हि।.- 


(छ जय बा का क जा ॥ बन का के 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


का भोँ अ्ि भी 
कह संककर ५ ५5 6 |) छन हल छत छत छल छा छा हे 


श्णच्णणजाछ) हुजर रसले मकबूल पझल्लल्लाहों तआला अलैहि व मल्लम | 
हरशाद फरमाया------------८-०८-८८------------+-+5“5+5“55-- 8 
“औरतों में वोह बहुत बेहतर है जिस का हुस्न व जमाल £ 
बसरती) ज्यादा हो और महेर कम हो” |. /कौम्या-ए-सआदव, कफ 250/ । 

इ्ाम गजाली +द्तअल्लाहों तआला अन्ह फंरमाति आय हम मल 
'बहुत ज्यादा महेर बाँधना मकरूह है, लेकिन हैसियत से कम ॥ 
| नहाँ ! 'क्रीम्या- ए- पक्रादत, श्रफा ने 2650: ॥# 


शादी में तरह तरह कौ रस्में बरतों जाती ई हर मुल्क मे । 
है रस्म हर कौम और खानदान का अपना अलग रिवाज, येह कोई नहीं ॥ 
के शरअन येह रषस्पें कैसी है. मगर येह जरूर है क॑ रस्मों की | 
उसी हद तक की जाए कि किसी हराम काम म॑ पुबतज़ा न 
है । कछ लोग रस्मों की इस कदः पाबन्दी करते हैं कि ना जाइज 
काम भले ही करना पड़े मगर रस्म ने छूटने पाए !। 
हमारे हिन्दुस्तान में आम तौर पर बहुत ही रस्मों को 
नदी की जाती हैं जैसे---रतजगा, हल्दी की रस्म, नहारी. शादी क॑ 
शग़ब पीना. ढोल बाज, नाचना गाना, शादी से एक रात पहले खूब 
धुन जुवा खेलना, गाने बाजों के साथ बारात निकालना, वगेरा बगेश, 
जबकि इन रस्मों में बे पर्दगी, छिछोरापन, अय्याशी और हराम कामों का 
बजद होता है जवान लड़के और लड॒कियोाँ हल्दी खेलते हैं, नाचते गाते, 
बरहृदा हँसी मजाक और तरह तरह की इन्सानियत से गिरी हुई हरकतें 
करते है, अगर इन तमाम रस्मों की पाबन्दी के लिए रूपये न हो हो 
सूद (ब्याज) पर रूपये कर्ज लेने से भी नहीं चुकते । हे 
॥$ यहाँ मुम्किन नहीं कि हर रस्म पर अलग अलग बहेस को ! 
लिहाजा हम यहाँ मुख़्तसर तौर पर चन्द हदीसें पेश करते हैं । 65 


$) _ & &8: हर हक ३ #॥ का. ॥ हा ॥ # 8 #छ बा खाक: 725. फ ५ 


नया] 
छा 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


कंतीन-ए-जुन्दगां 
4 272 जा एम 


इन्साफ पसंद के लिए इसी क॒द्र काफी और हट धर्म जाहिल के लिए 
क़रआन व हदिसों के खजाने भी ना काफी--- 
([ ली अतल्याह रूबलईग्जत दशशाद फरमाता ह------- 
8. तर्जमा +- और फ़ुजूल न उड़ा, ने 
शक उड़ाने वाले शैतानों के भाई 
| है, और शैतान अपने रब का बडा 
ना शुक्रा है । 
(एज /- कत्जुल इमाब शर्तफु, प्राद् 75, सरए की इस्टाडन, आयात 28, 27/ । 
“ज्डतीस्त :--) सरकारे मदीना रहते कलबो सीना सल्लल्लाहो ताला | 


ज् लय छत छत ज (.. <> « //ज्व हल हल ऋण छत रूल बा 


“बेशक सूद का एक रूपया लेना छत्तीस (36) मरतबा 
जिना करने से बडु कर है | बेशक सूद लेना अपनी माँ, के साथ जिना ४ 
करने से भी बदतर है” 
(फ्रतावा-ए-मृत्तफ़ाव्या, जिल्‍्दे 7 स्रफ़ा ने 26/ 
ह्ल्ीीरप सरकारे दो आलम जझलललल्‍लाहो तआला अलैहि व सलल्‍्लम 
ने हंशाद फामगो> ८ केक 5-० के कल समन अथन न अल +ा न कप 
“जिस ने जुवा खेला गोया उस ने खिनन्‍जीर /(सुबर) के 
गोश्त और खून में हाथ धोया 
(अस्लिय शरीफ, अबृद्ाऊद ज़रीफ, मृकारशोफ़तुल .कुलुब, बाब में 99, सफ़ा ने 555॥ ह 
ज्ॉडस्जीरत :--) नबी-ए-करीम सल्लल्लाहो तआला अलैहि व सलल्‍लम . नें 
इरशाद फरमाया---०--८०८८०------०--“---८----+--+- कल लक 
“सब से पहले गाना इब्लीस (शैतान मरदूद) ने गाया” । 
#िएल समा बाइल्तिलाफ़ं अक्वालुल गश्नाहख् व अहवालोहम फ़ील प्रमा 
_ अज ,- शेत्र अन्दुलहक म्रोहदिस वहलवी रखीअल्लाहो अन्हो, श्रफ़ा हे. 47/ 
$5+-7: + कक) हजरत इमाम मुजाहिद रूदअल्लाहो अन्हो फरमाते है- 
“गाने बाजे शैतान की आवाजे हैं, जिस ने इन्हें सुना गोया | 
१ उस ने शैतान की आवाज सुनी” । (हादीन्‍तात फ्री रूसम्रिल आरा, सा कं. 78) / 


हल अचल  ॥  ॥ -॥ ॥ ॥ ह॥ ह॥ ॥ ॥ व | ह हे ला बा बान्‍ग 7 (हक धन 


892: ज जा जा ए जा बा जा फल क सर जरा बा बडा कक बा बह का बा बड़ा . 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


- ॥ | ही ० ० 
०5 ०-> ना हु सन्ननर 
उट/20, 


नु- ए-[जुन्दगा हुमा तय )) ॥ 
>> जय छल छना एक एन छज़ ऋल छल (५ बडा बक जम बा बका जात बना का बा 7" 


5 -उबटन मलना जाइज है । और दुल्हा की उम्र नव दस 7 
्य साल को हो तो अजनबी औरतों का उस के बदन में 
उबटन मलना भी गुनाह व मना नहीं, हाँ बालिग के 

बदन में ना महरम औरतों का मलना ना जाइज है और 

बदन को हाथ तो माँ भी नहीं लगा सकती । येह हराम 

और सख्त हराम है । और औरत व मर्द के दरमियान 

शरीअत ने कोई मुँह बोला रिश्ता न रखा, येह शैतानी 

व हिन्दुवानी रस्म है । 

/फ्तावा- ए- 7ज्वीया, जिल्‍्द 9 पफ़ा 770/ 

अल्लाह तआला मुसलमानों को सादगी से सरकार सल्लल्लाहो- 
जी अलैहि व सल्‍लम की सुनन्‍्नत पर अमल करते हुए शादी ब्याह करने 

'तौफीक अता फरमाये । आमीन ! 


है ड १.) ४ 20072 ॥ 8 


नहला पक. जुआ 


न््ब_्ब्न्न्न्न्न्भ्भ्ज_्_्ज्ज्  षुफपिराओओ च्क न्‍्क- न क #न्यूल् क 


है | लुललन वटुल्ले वाठो | ॥ 
हक. ज्वज्नाव्ना | 


शादी के मौके पर दुल्हन, दूल्हे को मेहन्दी लगाई जाती 

| ब्रान्धा जाता हैं और निकाह के दिन सेहरा बान्धा जाता है 

बिरात से सजाया जाता हैं । लिहाजा यहाँ मासाइल बयान कर 
ही जरूरी है । 

-औरतों को हाथ, पावं में मेहन्दी. लगाना जाइज है लेकिन 

बिला जरूरत छोटी बच्चियों के हाथ, पार्वें में मेहन्दी लगाना 

न चाहिये । बडी लडकियों के हाथ पावँ में मेहन्दी लगा 

। +. सकते है | 

/कानूने शर्रअत, जिल्‍्द 2, स्रफ़ा न॑ 274/ 


बा नल! 


ढ वन पज2 
॥ हथ ह कर छह छा ॥ छह हक आाहम्ग जज बीकिल, 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


कुरी न-ए-जिन्दगी हक 
मम )५277 कया छल हम [ फेजक इनक कमा एमाम ५ 


59 ()हऋऋप्न जा शा शा मा का. का शक, 
ला 290 ॥! 


| इस मस्अले से पता चला कि औरतें और लडकियों मेहन्दी "३ 
| लगा सकती है चाहे शादी का दिन हो या और कोई खूशी का मौका, 
व इपटलीसतय ->४++ कै सरकार सदीना जल्लल्लाहो तजाला अलैहि व सललम ने 
इरशाद फरमाया-----“-----------"--+“_“5“5“5“5““5-““5“5“5“+“++: 
"औरतों को चाहिये के हाथ और पावें पर मेहन्दी लगाए 
ताकि मर्दों के हाथ की तरह हाथ न हो, और अगर किसी वजह से 
या बे एहतियाती में किसी गैर मर्द को दिख जाए तो उसे पता न चले 
कि औरत किस रंग की है यानी गोरी है या काली क्‍योंकि हाथों के 
रंग को देख कर भी इन्सान चेहरे के रंग का अन्दाजा लगा लेता है”। 
एक हदीस में इरशाद हुआ के “ज्यादा न हो तो मेहन्दी से नाखुन ही 
रंगीन रखें”। /फ्दावा-ए- रज़्वीया, बिल्‍द 9 सफ़ा 748) 
लिहाजा औरतों को मेहन्दी लगाना बेशक जाइज है और 
| इसी तरह हर किस्म के जुंवरात भी जाइज है चुनानचे दुल्हन को मेहन्दी 
लगाने, जेवरात से सजाने में काई हर्ज नहीं । लेकिन मर्दों को येह सब 

हराम हैं चाहे दूल्हा ही क्‍यों न हो । 
मरस्खत्यता “हाथ पार्वे में बल्कि सिर्फ नाखूनों में ही मेहन्दी लगाना 

मर्द के लिए हराम है |! 
/फ़तावा- ए- रज्वीया, 
शहजादा-ए-आला हजरत हुज़ूर मुफ्ती-ए-आजमे हिन्द 
रहमतुल्लाह तआला अलैह के फतावा-ए- में है कि आप से फतवा पूछा गया---- 
सवाल :-दूल्हे को मेहन्दी लगाना दुरूस्त है या नहीं ? दूल्हा चांदी के जेवर 
पहेनता है, कंगन बांधता हैं इस सूरत में निकाह पढ़ा दिया तो 

दुरूस्‍्त है या नहीं ? 

जवाब /-(इस सवाल के जवाब में आप ने फतवा दिया कि) मर्द को हाथ 
पावें में मेहन्दी लगाना ना जाइज हैं---जेवर पहनना गुनाह 
है--कंगन हिन्दुओं की रस्म हैं येह सब चीजें पहले उतरवाए & 


डा ह वह श॑ मा वा आ पम्प. की पर दि 


बन 


| 
ह। 


, जिलल्‍द 9 स्रफ़ा 749/ 


ड़ ॥ ॥ है ॥ & हर ॥ हू हर ॥ हर ॥ शू॑ कि का मी को मी आल . ह हैं ॥ & ॥ ह॥ ॥ 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


फिर निकाह पढ़ाए के जितनी देर निकाह में होंगी उतनी देर 7५ 
वोह (दूल्हा) और गुनाह में रहेगा । और बुरे काम, को क़ुदरत | 
(ताकत) होते हुए न रोकना और देर करना ख़ूद गुनाह है, बाकी 
अगर जेवर पहने हुए निकाह हुआ तो निकाह हो जाएगा । #॥ 

/फ़तावा- ए-युस्तफ़ाविया, जिल्‍्द 3 सफ़ा नें 775/॥ 


| और अगर ॥ 
न पहेने तो न कोई गुनाह । येह जो लोगों में मश्हुर हैं के सेहरा पहेनना हुज़ूर । 
तआला अलैहि व सल्‍लम को सुन्नत हैं, गलत है और सरासर झुट 
कोल :- मुजदिदे आजम सैय्यदना आला हजरत इमाम अहमद 
रजा सा रदीअल्लाहो तआला अन्हों इरशाद फरमाते हैं.।+ पति" अजीत न लिल- 
_. “सेहरा न शरीअत में मना है न शरीठत में जरूरी या मुस्तहब । 
(अच्छा काम) बल्कि एक दुनियावी रस्म है, को तो क्‍या ! न कौ तो | 
क्‍या ! इसके सिवा जो कोई इसे हराम गुनाह व बिदअत वं जुलालत | 
बताए वोह सख्त झूटा सरा सर मककार है । और जो उसे जरूरी 
_लाजिम (समझे) और तर्क को (सेहरा न पहेनने को) बुरा जाने और सेहरा 
है न पहनने वालों का मजाक उडाए वोह निरा जाहिल हैं । न 
द | (हादिनास फ्री रृद्यूमिल' अयस, सफा ने 42/ 
दुल्हे का सेहरा ख़ालिस असली फूलों का होना चाहिये । 
गुलाब के फूल हो तो बहुत बेहतर है कि गुलाब के फूल सरकार & 
सललल्लाहो तआला अलैहि ब सल्‍लम को बहुत पसद थे । सेहरे में चमक वाली ः 
एन्निया न हो कि येह जीनत हैं और मर्द को जीनत (यानी ऐसा लिबास 
जो चमकदार हो उसका) इस्तेमाल हराम है । दूल्हन के सहरे में अगर येह | 
चमक वाली पन्‍न्नियाँ हो तो कोई हर्ज नही । हर 


बी) जाए _ #  . छा ही 8 आ थी की ॥ ॥ : ह ॥ &॥ & कासस्ना 8 4 


सेहरा पहेनना मुबाह है यानी पहेने तो न कोई सवाब् 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


कस क्री न-ए-जिन्दमी 


' | #इसी तरह आज छल सेहरा में रूपये (नोट) वगैरा लगाते है येह फुज़ूल कै 
है ख़ची और गुरूर व सकंब्बुर की निशानी हैं जो शरीअत में जाइज नहीं, । 


| रिहाजा ऊपर सेहरा पहेनना ही हो तो सिर्फ खुशबूदार फलों का हो 
| हो । वरना एक गुलाब के फूलों का हार भी .काफो है । (वल्लाहो आलम) । 


# दुलहन्‌ दुल्हे को सजाते वक्त दुआ :- 


| मिकाा++-उमामाा-पा.. छा८- सवार. >प८ -. 8... ऋथथ.. जा. पाया - का -.. क्‍ वाह... समामकाधक. >कक 


मा... था श्ा-पाम-प्राआ.3.3५५* ला... समा जरा >पा->परा:..सपमामापा।.क्‍ पा छाप... शाम. का. गा 9७५ 8 9 ०००७७००००- डा -#-:::राका.. ल्‍ा.. 


दुल्हन को जो औरतें सजाए उन्हें चाहिये कि वोह दुल्हन | 


तआला अन्हा इरशाद फरमीती है कें"-------------------------- 
; हुज़ुर सल्लल्लाहों तआला अलैहि व सल्लम से जब मेरा निकाह ॥ 
॥ हुआ तो मेरी वालिदह माजेदह मुझे सरकार के दोलत कदे पर लाई वहाँ 

अनसार कौ कुछ औरतें मौजूद थी (उन्होंने मुझे सजाया) और दुआ दी--- । 


दुआ /- अलल खेरे वल बराकते व आला खैरे-त-अ-ए-रिन 0 
#र्जणा /- खैरो बरकत हो अल्लाह तुम्हारा नसीब अच्छा करे । 
(किखारी शर्तीफ़, जिल्‍द 3, बाब नें 67, हदीस नें. 742, मत्रफ़ा ने 82/ न्‍ 
. लिहाजा हमारी इस्लामी बहनों को भी चाहिये के जब भी 
वोह किसी की शादी के मौके पर जाए दुल्हन सजाते वक्‍त या फिर । 
उस से मुलाकात के वक्‍त इन अलफाजों से बरकत की दुआ- करे । | 
इसी तरह दूल्हे के दोस्तों को भी चाहिये के वोह दूल्हे 
को सजाते या सेहरा बांधते वक्‍त यही दुआ दे । बुखारी शरीफ की 
एक दूसरी रिवायत में हैं कि हुज़ूर सललल्लाहो तआला अलैहि व सल्लम नें 
॥ हजरते अब्दुर्र्रमान बिन औफ रबीअल्लाहो तआला अन्हों को उन की शादी पर | 
| इसी तरह बरकात की दुआ इरशाद फरमाई थी । 


. की... .मि .... ब् | डा हि | हा... | कि ह....... 4 व |  जाशा एल्का...। 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


ीन-ए- 


की ' हुजूर सैय्यदना गोसे आजम शेख़ अब्दुल कादिर 
नानी रदोअल्लाहो तआला अन्हों नकल फरमाते है----------------- ्ि 
“निकाह जुमेरात या जुम्जे को करना मुस्तहब है । सुबह 
बजाए शाम के वक्‍त निकाह करना बेहतर व अफजल हैं 


(गन्यातुत्तालंबीन, बाब न. <, सफ़ा 775/ 


आला हजरत इमाम अहमद रजा खा “फतावा-ए-रजवाया 


“जुम्जे के दिन अगर जुम्जे की अजान हो गई हो तो उसके 
जब तक नमाज न पढ़ ली जाए निकाह की इजाजत नहीं के अजान 
ही जुम्मे की नमाज के लिए जल्दी करना वाजिब है । फिर भी | 
कोई अजान के बाद निकाह करेगा तो गुनाह होंगा, मगर निकाह 
बे सही हो जाएगा” । 
(फतावा-ए-रज़्वीया, जिल्‍्द 5 स्रफ़ा ॥58/ 
/- कुछ लोगों का ख्याल है कि निकाह मोहर्रम के महीने 
में नहीं करना चाहिये, येह ख्याल फ़ुजूल व गलत है, 
निकाह किसी महीने में मना नहीं । 
/फलवा-ए-?ज़वीया, जिल्‍द 5 सरफ़ा 779/ 
दूल्हा, दुल्हन दोनों के माँ, बाप का या फिर किसी जिम्मेदार 
| फर्ज है कि निकाह के लिए सिर्फ सुन्‍्नी काजी को ही बुलवाए, 
देवबन्दी, मौदुदी, नेचरी, गैर मुकल्लिद वगैरा न हो । 
इमामे इश्को मुहब्बत मुजद्दिदे आजम आला हजरत इमाम 
/ खा रद्देअललाहो तआला अन्हों इरशाद फरमात हैं-------- 
का) वहाबी से निकाह पढवाने में उस को तअजीम होती | 
. है जो कि हराम हैं, लिहाजा इससे बचना जरूरी है । 


॥ बाबत काका काम क्रम उनन्‍्य फन्म एसत ताल छल कमा जा छाउर जा हाल छल उत्म ए7 70 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


जात हल हल्‍म कमा कलम ऋतू ( है) :5 _.. रू हब जकन हनन फज कलम कम छत पपेत् 
अलपलफ्‌ज, जिलल्‍्द 3 स्फ़ा नें. 76/ 
निकाह की शर्त में येह है कि दो गवाह हाजिर हो । 
है इन दोनों गवाहों का भी सुन्‍्दी सहीहुल आकीदह होता जुरूरी है । ॥ 
जरास्कात्ता “एक गवाह से निकाह नहीं हो सकत! जब तक दो मर्द या एक 
मर्द व. दो औरतें मुस्लिम (सुली) समझदार बालिगु न हो । 
( #क्धा- ए- रज़्वीया, जिल्‍्द 5 सफ़ा 763/ 

. मरसला /- सब गवाह ऐसे बद मजहब हैं जिन की बदमजहबी काुफ्र 
तक पहुँच चुकी हो जैसे बदाबी, देवबन्दी, शिया, नेचरो. 
चकडालवी, कादयानी, गैर मुकल्लिद, (मौदूदी) वगैरा तो 
निकाह नहीं होंगा । 

(फितावा-ए-अफरतिका, सफ़ा में. 67/ 
डेड ४-7) लक) हजरत ड्ड्ने अब्बास रदीअल्लाहो अन्हो से रिवायत 


| के हज़्र सल्लल्लाहो तआला अलैहि व बल्लम नें इरशाद फरमाया----८-->: 
+ “गवाहों के बगैर निकाह करने | | (25२ (5 90 ७४०) 

वाली औरतें जानियाँ (जिता करने 
वाली) हें [.' 
/तिर्मिज़ी शरीफ, जिल्‍्द 7, बाब मं 757, हदीस मे 7085, श्रफ़ा 563/ 


निकाह के बाद :- 


न ऑ्डल पभच 


निकाह के बाद मिसरी व खजुर बाटना बहुत अच्छा है येह रिवाज 
हुजुर सल्लल्लाहो तआला अलैह व सलल्‍लम के जाहिरी जमाने में भी था । 
आला हजरत रदौअल्लाहो तआला अन्हों फरमाते है- बा पऋ 
“(निकाह के बाद) छूवारे (खजूर) हदीस शरीफ में लूटने का हुक्म हैं 
और लूटाने में भी कोई हर्ज नहीं और येह हदीस “दारक़ुली” 
है “बयहकी”" व “तहावी” से मरवी हैं”। 
७ (अलगबलफूज, जिल्द 3, सफ़ा के 76/ 


_ छह #. झा. झा ए़ा का आ छा का आस "हा . लाकर 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


|. हक का इक का कल रथ (6...) पर तह पक डरा पका ऋ कक जा -> एप्प 
आला हजरत के इस इरशाद से पता चला के, मिसरी व" 
जलूटाना चाहिये यानी लोगों पर फेंके । लेकिन लोगों को भी चाहिये | 
वोह अपनी जगह पर बैठे रहें और जिस कदर उनके दामन में गिरे # 
ज्यादा हासिल करने के लिए किसी पर न गीर पडे । 


दुल्हा को मुबारकबाद : 


निकाह होने के बाद दूल्हा, दुल्हम को मुबारक बाद दैनी 
ये और उन के लिए बरकत की दुआ करनी चाहिये । 

5 आज) हजरत अबूहुरैरा रदअल्लाह तञआला अन्हो से रिवायत हैं- 
. “जब कोई शख्स निकाह करता तो हुज़ूर सल्लल्लाहों तआला 
ब सलल्‍लम उसको मुबारकबाद देते हुए उसके लिए यूँ दुआ फ्रमात-- 


| क्‍ 52-2८: 5245 2250४ 4८0 40०८५ के 


' «. ब-र-कल्लाहो लका-व-ब-र-- क-- अलैका व जमा-अ-बै-न-कुमा 

फी खैर ० 

१० अल्लाह तआला तुझे बरकत दे और तुझ पर बरकत नाजिल फ्रमाए और तुम दोनों 
| रखे । (गिमिणी शरोफ़ जिल्‍द 7 स्फ़ा 557, अकुदाऊद शरीफ जिलल्‍्द 2 स्फ़ा 99,/ 


लडकी को जहेज देना सुन्नत है, मगर जरूरत से ज्यादा देना 

ले कर देना दुरूस्त नहीं । लड़की वाले अपनी हैसियत के मुताबिक 

भी जहेज दे उसे खूशी खूशी क़ुबूल करना चाहिये अपनी तरफ 
करना किसी भीकारी के भीक मॉगने से किसी तरह कम नहीं । 
_.. जहेज के पूरे तमाम माल पर ख़ास औरत का हक है 

दूसरे का उस में कुछ हक नहीं । 
(फतावा-ए-रजवीया ५ सफा 529) 


६--- 
शत || | हि हब श्र का . 


एफ 


9-7 जम छा बा ज हक उस स्य जा बम का छा । ॥. है ॥' ॥ ॥ ॥ ह॥॑ हर डर ॥ ॥ #॥ हे. जा हल छा ऋ छा का का 


बा जता छा": 7250 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


क्रान-ए-(जन्दगा ॥# बढडक 
60 2227-30 थ. # ॥ 28 व 75 की), ॥ ॥ व ह मे मो 20७० ०४७ 


।। हमारे मुल्क में येह रिवाज हर कौम में पाया जाता हैं कि निकाह के 
बाद दुल्हन वाले दूल्हे को तोहफे देते हैं जिस में कपडे का जोडा, सोने 
की अंगूठी और घडी वगैरा होती है । तोहफे देने में कोई हर्ज नहीं 
लेकिन इसमें चन्द बातों कौ एहतियात बहुत जरूरी हैं, मसलन, आप जो 
अंगूठी दूल्हे को दे वोह सोने की न हो । 
ग्स्भमत्ता “-- मर्द को किसी भी धात का जेवर पहेनना हराम है, इसी 
तरह मर्द को सोने की अंगूठी पहेनना भी हराम है । औरत 
को सोने की अंगूठी व जेबर पहेनना जाइज है । मर्द सिर्फ 
चॉदी की ही अंगूठी पहेन सकता है लेकिन उस का वजन 
साड़े चार माशा से कम होना चाहिये | दूसरी घातें मसलन 
लोहा, पीतल, ताम्बा, जस्त वगैरा इन धातों की अंगूठी मर्द 
और औरत दोनों को पहेनना ना जाइज हैं | 
(कानूनें श़रीअत, जिलल्‍्द 2 स्रफ़ा ने 796/ 
है-5-३ ८८ कीआओ) एक शख्स हुजर सल्लल्लाहो तआला अलैहि व सल्‍लम की | 
खिदमत में पीतल की अंगूठी पहेन कर हाजिर हुए । सरकार ने इरशाद 
फरमाया----“क्या बात हैं कि तुम से बुतों की बू आती है”। उन्हों 
ने वोह अंगूठी फेंक दी । फिर दूसरे दिन लोहे की अंगूठी पहेन कर 
हाजिर हुए । फरमाया---“क्या बात है कि तुम पर जहेन्नमियों का | 
जेवर देखता हूँ”। अर्ज किया--“या रसूलललाह ! फिर किस चीज की 
॥ अंगूठी बनाऊ"। इरशाद फरमाया---“चॉँदी कौ और उस को साडे चार. 
४ माशे से ज्यादा न करना” । क्‍ 
क्‍ (अबृदाऊद शरीफ, जिल्‍द 3, बाब न॑ 222, हदीस ने 827, श्रफ़ा 277/ द 
मस्अला --मर्द को दो अंगूठीयाँ चाहे चाँदी की ही क्‍यों न हो 
पहेनना ना जाईज है । इसी तरह एक अंगूठी में कई 
नग हो या साडे चार (4) माशा से ज्यादा वजन हो । 
तो इस तरह की भी अंगूठी पहेनना ना जाइज है । 
(अहकामे शरीअत, जिल्‍द 2 सफ़ा ने 60/ 


जा 
+, . बच . क हो  # झा ॥ #॥ ६ जाम उस आम जाप कमा खाद प्रा ऋण इमम पट 


जज जाय जा जा का का जा जा जा जा जा ला का का जा का का का छा जाग अर 


: "0 है | ह #॥& हैं & 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


( ))॥ छा 8 था छ. के क 9 80००० शक (- 


लिहाजा दूल्हे को सोने कौ अंगूठी न दे । इस कौ बजाए ् 
की कोमत के बराबर कोई और चीज या फिर चॉदी की सिर्फ एक 
गठी साडे चार माशा से कम वजन की ही दें । वरना देने वाला 
॥र उसे पहेनने वाला दोनों गुनाहगार होंगे । 
क्‍ मुम्किन हैं कि आप के दिल में येह ख्याल आए के अगर 
दी की अंगूठी देंगे तो लोग कक्‍्योाँ कहेंगे, किस कदर बदनामी होगी 
रा वगेरा । तो होशयार ! येह सब शैतान के वसवसे हैं वोह इसी 
रह लोगों से गलत काम करवाया करता हैं । हम आप से एक 
धी, सी बात पछते हैं कि आप को अल्लाह व उस कं रसूल की 
शी चाहिपे या लोगों की वाह ! वाह ! सोचिये और अपने जमीर | 
ही इस का जवाब तलब कीजिये । 
द अब आईये हम आप को घडी कं मुत्मल्लिक भी कछ 
हरी व अहम मअलूमात दें 
सरकार सैय्यदी आला हजरत इमाम अहमद रजा खां & 
तआला अन्हों अपने एक फतवे में इरशाद फरमाते हैं-------- 
“घडी की जन्जीर (चैन) सोने, चाँदी की मर्द को हराम 
और दूसरी धातों (जैसे लोहा, स्टील, पीतल, वगैरा) की मम्नूअ, इन 
॥ पहेन कर नमाज (पढ़ना) और इमामत करना मकरूहे तहरीमी (ना 
इज, व गुनाह) है । 

/अहकामे श़रीअत, जिलल्‍्द 2, ग्रफ़ा नें 770/ 
हुजूर मुफ्ती-ए- आजम हिन्द रहमतुल्लाहा अलैह, अपने क्‍ 
में इशशाद फरमाते है---------"“"""-7-7यय॒पायप्रुए८75४८ 
बस्अल्मा ::वोह घडी जिस की चैन सोने, या चाँदी या स्टील वगैरा 
किसी धात की हो, उस का इस्तेमाल ना जाईज है और 
उस को पहेन कर नमाज पढ़ना गुनाह और जो नमाज 
पढ़ी गई उस का लौटाना वाजिब है 
/बहवाला ग्राहनामा इस्तेकामत, कानपुर, जनवरी 7978/ /£ 


पट भमप्क 
" . 8 ह हा ह& __ हक हक. . ह - | ह &  ॥ है (&' पड़ 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


-जिन्दगी | क 
* +उ8- न बा 9 व  + (कि) 9 9 9 9 हम | मे ७०० कक 


इस लिए हमेशा वही घडी पहेने जिस का पट्टा (चैन) 
चमडे, प्लास्टिक या रेगजीन का हो । स्टील या किसी और दूसरी 
धात का न हो । और शादी के मौके पर भी दूल्हे को अगर घड़ी देना 
ही हो तो सिर्फ चमडे या प्लास्टिक के पटटे वाली ही घड़ी दें । 


ना 


... जब को, जब कोई शख्स अपनी 'लड॒की की शादी करे तो रुखसती के 
वक्‍त अपनी लड॒की और दामाद (दूल्हा, दुल्हन) दोनों को अपने पास बुलाएं 
फिर उसके बाद एक प्याले (गिलास) में पानी ले कर येह दुआ पढ़ुं---- 


८5.0 ०४०८॥८:2७४०४०5८ए७-२८६०८६४._| 


दुआ:- अल्लाहुम्मा इन्‍नी उडज़ुहा बेका-व-जुरी-य-त-ह-मिनश शैतानिर्रजीम 
तर्जमा :* अए अल्लाह मैं तेरी पनाह में देता हूँ इस लड़की को और इस की (जो होगो 


॥ है ह ॥ ॥ ॥ ॥ &॥ ॥ ॥ ६ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ शक? 


के . औलादों को, मरदृद शैतान से । (हिलने हसन प्रफ़ा न॑ 63/ 
)] इस दुआ को पढ़ने के बाद प्याले में दम करें (यानी फुंके) 
ह उस के बाद पहले अपनी लडकी (दुल्हन) को अपने सामने खड़ा करे 
॥ और फिर उस के सर पर पानी के छींटे मारे फिर सीने पर और उस 
हब की पीठ पर छोटे मारे । 

३" फिर उस के बाद इसी तरह दामाद (दूल्हा) को भी बुलाए 
मै और प्याले में दूसरा पानी ले कर येह दुआ पढ़े------------०--०-- 


लय ८/०८--॥ ८.2५. ५ ; 57 >ट। (५7 (&// 


दुआ :- अल्लाहुम्मा इन्‍नी उद्ज़ुहु बेका व ज़ुर्री य-त-हू मिनश 
शैतानिर्रजीम 

तर्जमा :- अए अल्लाह मै तेरी पनाह में देता हूँ इस लड़के को और इस की (जो होगी) [ 

औलादे उन को शैतान मरदूद से । (हिल्‍ने हसीन, ब्रफ़ा न॑ 763/ (४ 


आय कण 


दर की0, ज्यमडा हा कक जन जा कात्ा जाता शाम का छान का पा जाल जा पक काना प्रा प्रणाम फरणाष ' __य | 


" 
क्र 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


ए-जुन्दगा ल्‍ 
87" इएल कम कल एज छा कब छा उन बडा जय एक मा जब का -परानयक 


द पानी पर दम करने के बाद पहले की तरह अपने दामाद के सर 
[र सीने पर फिर पीठ पर छीटे मारे और उस के बाद रुख़सत कर दें । 
उ5(£+ आज). हजरत इमाम मुहम्मद बिन मुहम्मद बिन मुहम्मद ॥ 
जज्री शाफआई रऋूहअल्लाहो ठञला अन्ठम अपनी मश्हूर किताब _ 
हैसस्‍्ने हसीन” में नकल फरमाते हैं के---------८----------- - 
क्‍ “जब रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो तआला अलैदि व सल्‍लम नें हजरत 
ली रदौअल्लाहों तआला अन्हो का निकाह हजरत 'फातमा रददोअल्लाह तआला अन्हा ६ 
कर दिया तो आप उन के घर 7णशरीफ ले गए और हजरत फातमा । 
'फरमाया---“थोड़ा सा पानी लाओ” । चुनानचे वोह एक लकडी के | 
जले में पानी ले कर हाजिर हुई, आप ने उन से वोह प्याला ले लिया 
[र एक घूँट पानी दहने मुबारक (मुँह शरीफ) में ले कर प्याले में ही 
ल्‍ली की, और इरशाद फरमाया---“आगे आओ”। हजरत फातमा ॥# 
_मने आ कर खडी हो गई तो आप ने उन के सर पर और सीने पर | 
हैं पानी छिड़का और येह दुआ फरमाई (वोह दुआ जो हम पहले लिख चूके | 
और उसके बाद फरमाया---“मेरी तरफ पीठ करो” । चुनानचे वोह 
| की तरफ पीठ कर के खड़ी हो गई तो आप ने बाकी पानी भी* | 
| दुआ पढ़ कर पीठ पर छिड॒क दिया । इस के बाद आप ने (हजखत | 
| को जानिब रुख़ कर के) फ्रमाया---“पानी लाओ”। हजरत अली कहते 
कि--'मैं समझ गया जो आप चाहते हैं चूनानचे मैं ने भी प्याला भर ॥ 
* पानी पेश किया । आप ने फरमाया---“आगे. आओ” मैं आगे 
ग्रा--आप ने वही कलमात पढ़ कर और प्याले में कुलली कर के 
| सर और सीने पर पानी के छिंटे दिये और फिर वही दुआ पढ़ कर 
रे प्याले में कुल्ली कर के मेरे मोन्डे (कंधों) के दरमियान पानी के 
दिए उस के बाद फरमाया--“अब अपनी दुल्हन के पास जाओ” 
है. (हिस्ने हम्ीन, सरफ़ा मै. 764/ 
हि /- पानी पर सिर्फ दुआ कर के ही दम करे उस में कुल्ली न करें । सरकार सल्लल्लाहों /# 


ह 8 8 ॥ 8 ह ॥ 9 8 | ॥ ह छा ॥- छ. ला आ. की  आलतय . कक /र 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


कृूरागन-ए-स्ञज न्यना ५ 
हक नमया महा ॥ 8. 8 ॥ ६8 #& ४ 47.9) ॥ 2 ॥ 8 #॥ #& ४. [5 


ऊ ६ 
| तआला अलैहि व सलल्‍लम का थूक मुबारक और कुल्ली किया हुआ मुबारक पानी पाक ही नहीं ॥ 
9 बल्कि बाइसे बरकत है और बीमारियों से शिफा देने वाला और जहन्नम की आग के हराम होने 
है का सबब है सरकार का लोवाबे दहन . (थूक मुबारक) खुश नसीबों को ही मिलता है । 


जब दूल्हा, दुल्हन कमरे में जाए और तन्‍्हाई हो तो बेहतर | 
येह हैं कि, सब से पहले दुल्हन, दूल्हा दोनों वुजू कर ले और फिर 
| जानमाज या कोई पाक कपड़ा बिछा कर दो (2) रकअत नमाज नफिल 
॥ शुक्राना पढे । अगर दुल्हन हैज॒ (माहवारी) की हालत में हो तो नमाज 
| न पढ़े लेकिन दूल्हा जरूर पढ़े । 
हनन आज) हजरत अब्दल्लाह इब्ने मस्ऊद रहददअल्लाहो तआला | 


. “एक शख्स ने उनसे बयान किया कि--मैं ने एक जवान 
लडकी से निकाह कर लिया है और मुझे डर है के वोह मुझे पसंद । 
नहीं करेगी, हजरत अब्दुल्लाह बिन मस्ऊद ने फरमाया-“मुहब्बत अल्लाह | 
'की तरफ से होती है और नफरत शैतान की तरफ से, जब तुम बीबी | 
के पास जाओ तो सब से पहले उस को कहो कि वोह तुम्हारे पीछे | 
दो (2) रक्‍्अत नमाज पढ़े । 
(न्यबुतालेबीन, बाब न॑ 5, ग्रफ़ा 775/ 
नयाज की नियत /- नियत की मैं ने दो रक्अत नमाज नफिल शुक्राने की ! 
वासते अल्लाह तआला के मुँह मेरा काबा शरीफ के, अल्लाहों अकबर । 
फिर जिस तरह दूसरी नमाजें पढ़ी जाती है उसी तरह येह नमाज | 
भी पढ़े । (यानी अलहम्द शरीफ फिर उसके बाद कोई एक सूरा मिलाए) 
नमाज के बाद इस तरह से दुआ करें---------------- 
आए अल्लाह अज़्ज व जल्ला तेरा शुक्र और एहसान हैं कि तू | 
9३ ने हमें येह दिन दिखाया और हमें इस खूशी व नेमत से नवाजा और हमे अपने / 


0, ज्याया . ॥  ॥ 8 # . ॥ _ ॥ .  ॥  ह हैं ॥ . #. मै म ॥ बन. ( 


(७८ 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


न्‌-ए-ज न्‍्चय गा 
जज हा हा हा हा. हब बा आओ ४ 


)। 8 8 9 8 8 हा 8 9७७ 
ग्ीब सललल्लाहो तआला अलैहि व सल्‍लम की इस सुन्नत पर अमल करने की तौफोक 
| फरमाई--अए अल्लाह हमारी इस खुशी को हमेशा इसी तरह कायम 
हमें मेल मिलाप प्यार मुहब्बत के साथ इत्तेफाक व इत्तेहाद के साथ । 
दगी गुजारने की तौफीक आता फरमा, अए रब्बे कदीर हमें नेक फरमाबरदार 
अता फरमा, अए अल्लाह मुझे इस से और इस को मुझ से रोजी 
न फरमा । आमोन ! ((न्यहुत्तालंबीन, बाब हें 5, सफ़ा 75/ | 


रात को ख्लरास दुआ :- 


नमाज और फिर उस के बाद दुआ पढ़ लेने क॑ बाद ॥ 
दूल्हा, पलंग पर सुकून से बैठ जाए फिर उसके बाद दूल्हा अपनी । क्‍ 
की पेशानी के थोडे से बाल अपने सीधे हाथ में नर्मी के साथ 
बत भरे अन्दाज में पकड़े और येह दुआ पढे--------------- 


डक 5! नी जी 


८00:2. >> ०2 ४ 


7 /- अल्लाहुम्मा इन्‍नी अस अलुका मिन खैरे-ह-व-खेरे-म- जबल 
ह-अलैहे व अउज़ू बे-क-मिन शर्रे-ह-व शर्रे-म-जबल-त-ह-अलैह । 
ह ;- आए अल्लाह मैं तुझ से इस कौ (बीवी कौ) भलाई और खैरो बरकत माँगता 
हूँ और उस की फितरी आदतों की भलाई, और तेरी पनाह चाहता हूँ इस 


को बुराई और फितरी आदतों की बुराई से । 

क्ड्ूछ्छछ) हजरत अम्र बिन आस र्जल्लाहा अन्हो से रिवायत है 
मदीना सल्लल्लाहो तआला अलैहि व सललम नें इरशाद फ्रमाया--- 
“जब कोई शख्स निकाह करे और पहली रात (सुहाग रात) 

दुल्हन के पास जाऐ तो नर्मी के साथ उस की पेशनी के 

से बाल अपने सीधे हाथ में ले कर येह दुआ पढ़े । (वही दुआ 

हम उपर नकल कर चुके है) 

(अबूदाऊद शरीफ, जिल्द 2 सका ॥50, व हिल्‍ेे हसीन, सफ्रा वे 76#/ 


-जता जा प्रात छाका तल जद जात हल एकल हाल जया एक जात का छाल काका हड़ा हा 7:75 


2, ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥& ॥ 8. ॥ ॥ 9 ॥ _ज ह ह ॥ 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


ट--ग ॥:- ॥ 8-8 है दब 7: 8 -:8 डे ॥. ४: ॥ : ॥ ४ ध आह. 8 हू हु? हा ह-  & ४ .छ 


ऋण रद हू कु ९१--॥ पु रच, | [ 
या मिकाआ पी | 


8 9 8 8 | 2 की) ० ० ०» ०» 2 92 9 9 न 
फ़जीलत /- सुहाग रात के रोज इस दुआ को पढ़ने की फर्जीलत' 
में ओलमा-ए-दीन इरशाद फरमाते हैं कि---अल्लाह रब्बुलईज्जुत इस के 
पढ़ने की बरकत से मियों, बौवी, के दरमियान इत्तेहाद व इत्तेफाक और 
मुहब्बत कायम रखेगा, और औरत में अगर बुराई हो तो उसे दूर फरमा 
कर उस के जरिये नेकी फैलाएगा और औरत हमेशा मर्द की खिदमत 
गुजार वफादार और फरमांबरदार रहेगी | (इजा अल्लाह) 
क्‍ अगर हम इस दुआ के मअनों (अर्थ, ॥७९७४४४४७) पर गौर 
करे तो इस में हमारे लिए कितना अम्न व सुकून का पैगाम हैं । 
लिहाजा इस दुआ को सुहाग रात की रात जरूर पढ़ लें, येह दुआ हमें 
दर्स देती हैं के किसी भी वक्‍त यादे इलाही से गाफिल न होना चाहिये 
।_ बल्कि हर वक्‍त हर मामले में अल्लाह कौ रहमत के तलबगार रहें । 


एक बड़ी गरूत फहमी 


कुछ लोगों का ख्याल हैं कि जब औरत से पहली बार सोहबत 
की जाए तो उसकी शर्मगाह से खून का खारिज होना जरूरी है । 
चुनानचे येह खुन का आना उस के बा अजमत, पाक दामन, (पवित्र) 
होने का सुबृत समझा जाता हैं। अगर खून नहीं आया तो औरत बदचलन, 
| आवारा समझी जाती हैं और औरत की शराफ॒त और बा अजमत होने में शक 
किया जाता है । कभी कभी येह शक जिन्दगी को कड॒वा और बद मजा कर 
देता हैं और कई बार नौबत तलाक तक आ पहुँचती है । लिहाजा इस मस्अले 
पर रौशनी डालना और इस गलत फहमी को दूर करना जरूरी हैं । 
कुँवारी लड़कियों की शर्मगाह में थोंडा अन्दर एक पतली । 
झिल्ली होती है जिसे पर्दा-ए-अजमत या पर्दा-ए-बकारत (प्रजा) 
कहते हैं । इस झिल्ली में एक छोटा सा सूराख होता है जिस के जरिये | 
लड़की के बालिग होने पर हेज (माहवारी) का खून अपने वक्‍त पर. 
» खारिज होता रहता हैं । / 


/ 
क्‍या... ॥ 2 ॥ #॥ व  ॥.: ॥  ह व ह# ढ़ हवा हू आ मे मा वा या बकललप किन 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


हक जाल आज साल पक पता ताय। 
शादी के बाद जब मर्द पहली बार सोहबत करता है तो ऐं 
मर्द के ऊज़ु-ए-तनासुल के उस से टकराने की वजह से वोह झिल्ली | 
फट जाती है इस मौके पर औरत को थोडी तकलीफ होती हैं और 
थोड़ा सा खून भी खारिज होता है । फिर येह झिल्ली (पर्दा) हमेशा 
के लिए ख़त्म हो जाता है .। 
द लेकिन चुँकि येह झिल्ली पतली और नाज़ुक होती है तो 
कई मरतबा किसी किसी लडकी को येह किसी मामूली चोट या किसी 
हादसे की वजह से या कभी कभी खूद ब खूद भी फट जाती है | 
आज कल बहुत सी लड॒कियों सायकल वगैरा चलाती है, ॥ 
कुछ खेल कद और कसरत वगैरा भी करती हैं जिस की वजह से भी 
येह झिल्ली कई मरतबा फट जाती है । ऐसी लडकियों कौ जब शादी 
होती हैं और पहेली रात सोहबत्‌ के वक्‍त जब मर्द खून नहीं देखता । 
तो वोह शक करने लगता हैं । क्‍ 
किसी किसी औजत की येह झिल्ली ऐसी लचकदार होती 
है कि सोहबत के बाद भी नहीं फटती और सोहबत करने में रूकावट | 
भी पैदा नहीं करती । और न ही खून खारिज होता है । 
हे लाखों में से किसी एक औरत की येह झिल्ली इतनी मोटी 
और सख्त होती है कि फटती नहीं जिसके लिए नशतर की जरूरत 
पड़ती है । लिहाजा अगर किसी लड़की से सोहबत के वक्‍त खून न । 
आए तो जरूरी नहीं के वोह आवबाश और अय्याश व बदचलन हो इस 
लिए उस की अंजमत और पाक दांमनी पर शक करना किसी भी सूरत 
में मुनासिब न डोंगा, जब तक की मुकम्मल शरई सुबूत न हो । .. 
फिकह की मश्हूर किताब “तन्वीरूल अबसार” में 
|. “जिस का पर्दा-ए-अजमत 
कदने, हेज आने या जख्म या उमर 


ज्यादा होने की वजह से फट जाए 
#ं६) का ह-. है. मा ॥ का आशा शा हा 


कब पिनललक नूर 75-- 


छ् ब्कूच 7०० न ््ञ मन च्क ब-प्ख्त 
॥ 8 #&. है 8 व # हा ह हैं| ॥ श्र मं. 2 शिाआ. ऐ 


|| 


जजनिल ल्नन्य 
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“६०८ #- .ह ५ 


अ | बा शा का छा ब् छा हा जो ओ “मय हा 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


ऋुरीब-ए-६अन्‍्दर्गी 
ली (का) शक ४ > हर हा. ॥ - शा - #. शा दा है है । 


#/ वोह औरत हकीकत में बकिरह (कॉवारी, पाक दामन) हैं” । 


(विन्वीछल अबसार, बहवाला फरतावा-ए- एज़्वीवा, जिलल्‍्द 72 ग्रफ़ा #/ 
| सुहागरात की बातें दोस्तों से कहना :- 


कछ लोग अपने दोस्तों को पहली गत (सुहाग गत) में बीवी । 

के साथ की हुई बातें और हरकतें मजे ले कर सुनाते हैं, दूल्हा अपने | 
दोस्तों को बताता हैं और दुल्हन अपनी सहलियों को बताती है और | 
सुनाने वाला और सुनने वाले इसे बडे खूशी के साथ मजे ले ले कर ! 
सुनते है । येह बहुत ही जहीलाना तरीका है भला इस से ज्यादा बेशर्मी 
| की बात और क्‍या हो सकती है । 
६5 पक) जमाने जहालियत में लोग अपने दोस्तों को और | 

। औरतें अपनी सहलियों को रात में की हुई बातें और हरकतें बताया करते 
थे चुनानच जब सराकर॑ मदीना सललल्लाहों तआला अलैहि व सललम को इस 
बात की ख़बर हुई तो आप ने इसे सख्त न पसंद फ्रमाया और इरशाद । 
4 0. मल कम जल अंक 250 हज, के ।५ 22% महल; &% किले 7 मे ह 2 
“जिस किसी ने सोहबत की 


[3 ८. <5 3 | 
बातें लोगों में बयान की उस को ली लक के ] 
मिसाल ऐसी है जैसे शैतान औरत नर अल ले किन न कहे 

शैतान मर्द से मिले और लोगों के |. धन 
' सामने ही खुले आम सोहबत करने हु 
लगे" द श 


(अबू दाऊद शरीक, जिलल्‍्द 2, बाब नं727, हदीस ने 477, ब्रफ़ा 755/ 


का ही लत ् हा ४ तन न ्् 
ढ है मी बा 


। पाया. छ... &. 8 हा . था .. 2... 2). _ .2 ...8 मा में. हीं कि. ४68 . ॥ ...॥  # .. . .. 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


वलीमा करना सुन्‍्नते मौकंदाह हैं ! (ज्ञान बुझ कर वलोमा छ 
ने वाला सख्त गुनाहगार हैं 
(कि म्या-ए-साआदरत, सफ़ा ने 267/ 

वलीमा येह हैं कि सुहाग रात की सुबह को अपने दोस्तों, 
दारों और महल्ले के लोगों को अपनी हैसियत के मुताबिक दावत है 
| दावत करने वालों. का मकसद सुन्‍्नतत पर अमल करना हो 
(काडून॑ शररीअत, जिल्‍द 2, स्रफ़ा हें अफ 

ध्ण्ण्छ्लछ) हजरत अब्दुर्र्रममान बिन औफ रह्ोअल्लाह तआला # 
का बयान हैं क॑ मुझ स॑ नबी ए-करीम सललल्लाहों तआला अलैहि व छ 
ने इरशाद फरमाया------------ “४८“०-““ज्त्टज+5++ 5 ++ 5८ 
करो चाहे एक ही जकरी हो” -7५-२ # 3 (3 (3! 
(बुखारों शर्तीिफ़ जिल्‍्द 3 स्रफ़ा में 65. मांता शारफ़, जिल्‍द 2 सफ़ा 434/ 
इस्तेताअत (हैसियत) हो तो बलीमे में कम से कम एक 
| या बकरे का गोश्त जुरूर हो कि सरकार मल्लल्लाहों तआला अलैहि 
लपम ने इसे पसंद फरमाया----लेकिन अगर हैसियत न हो तो फिर 
नी हैसियत के मुताबिक किसी भी किस्म का खाना पका सकते है 
थेह भी जाइज हैं एक हदीसे पाक में है------------------ 
जरा) हजरत सफिया बिन्त शैबा रबअल्लाहों तआला अन्हा 
गती है कं------------“5“-जपपप्ततजत555““5प7॒5+प77575+57+7८ 
_ सलल्‍लललाहों तआला अलैहि प्र 
_ल्लम ने अपनी बाज अजवाजे 
रात (बीवीयों) का वलीमा दो 
जब के साथ किया था" | [' 
किखारी शरीफ, जिलल्‍्द 3, म्रफा नें. 67/ 


धन एऋ छ छव छा छात्र जा का हा मय ड 


है... ॥ . ॥ _ ॥ .-.ह .. 


किन, 


5५] 


«7 ० 
हा है| | न 
कि 22 


बा 8 ॥  & . हे... आप पक जाता पल एल छत ऋाक फ़्म रण जा फक 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


. करान-ए-जन्दगा 


[आम न पक न्‍त् ऋक (2 5 2) ऋऋब कद हक कम पाक कक फत फह ० पट 
ना इमाम मुहम्मद गृजाली रक्अल्लाहो तआला अन्हो 

“कीम्या-ए-सआदत” में इरशाद फरमाते हैं----------+---------- 
“वलीमा मे ताखीर (देरी) करना ठीक नहीं अगर किसी 

शरअई वजह से ताखीर हो जाए तो एक हफ्ते के अन्दर, अन्दर बलीमा 

| कर लेना चाहिये उस से ज्यादा दिन गुजरने न पाए" । 

(कॉम्या-ए-सआदत, सफ्रा मे. 267/ 


| िआा5१ 7). हजरत इब्ने मस्ऊद र्वीअल्लाहों अन्हो से रिवायत है । 


“पहले दिन का खाना (यानी ॥॒ 
| सुहाग रात के दूसरे रोज वलीमा करना) (22 (०५ ७० (3२! री 
वाजिब है, दूसरे दिन का सुन्नत ही ध् [रे “लिप 3 ३ (५42 
और तीसरे दिन का खाना सुनाने हक 20 ..०-०(००-२८०१७ है 7 | 
और शोहरत के लिए है, और जो 
कोई सुनाने के लिए काम करेगा अल्लाह तआला उसे सुनाएगा । (यानी | 
इस की सजा उसे मिलेगी) इमाम तिर्मिजी रदअल्लाहो तआला अन्‍्हों फरमात॑ / 
हैं------- “येह हदीस गरीब व जईफ है 8 

/गिर्मिज्ञों शरीफ, जिल्‍्द 7, काब ने 746, हदीय मेँ 7089, सफ़ा 559) 


दावत कूबूल करना 


] का ला 


| 
थ 

हम 

डा 

। 

् है. 


ऋण ऋ-े आना बध-म 


दावत क़ुबूल करना सुन्नत है । 


(६5-१६ आज) हजरत अब्दल्लाह बिन उमर रक्तोअल्लाहों तआला ! 
॥ अन्हुमा से रिवायत है कि रसुलुल्लाहे, सल्तललाहों तआाला अलैहि व सल्लम ने 
॥ इरशाद फरमाया-------------८-८८““"“"““+“5+“““+“““5+“7+“7-+-++-- 
“जब तुम में से किसी को (.७3 7... ५) (ढ 6५०] (५६३३! 
+ बलीमा खाने के लिए बुलाया जाए क्‍ 
तो वोह हाजिर हो जाए"। 


हि] जज हल छा हालत एल का छल छा कम उस एस एकता एक एल फा् । 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


क्रान-श-जुन्दगा है उदार 
५ 972---- हक वा थे. था ॥ 6 की) ढ मा थे व की मे के आज 


रा 


। (कुखायी ग़र्फ़, जिल्‍द 3उ ग्रकझ्रा 67, माता इसाम मालिक, जिलल्‍्द 2 ब्रफा वध 
| ( जलीरपय :--) कक) हजरत अबूहरैरा रदीअल्लाहो तआला अन्हों से रिवायत है 
हुजरे अजकर॒म सल्‍ललल्‍्लाहो तआला अलैहि व मसललम ने इरशाद फरमाया------ । 
. “जो दावत क़ुबूल न करे उसने 
अल्लाह तआला व रसूल सल्लल्लाहो 
॥ तआला अलैहि व सललम की ना फरमानी || 
को । (बुखारी शरोफ, जिल्द 3, जबाब ने 02, हदीस ने. 63, सफा 88) 


है 3.३७ 2 ++# +० ्जऊ * 
-४५-०) 3“ | 


बिन दावत जाना :- 


| | >> मा आओ » अब नल 


दावत में बगैर बुलाए नहीं जाना चाहिये । आज कल आम | 

है तोर पर कई लोग दावतों में बिन बुलाएं ही चले जाते हैं और उन्हें न #॥ 

ही शर्म आती है न ही अपनी इज्जत का कछ ख्याल होता है 

.. नमक “मान न मान मैं तेरा महमान” 
 वव्सीसा :--) लार्सीसवत 5: सरकारे मदीना चल्लल्लाहो तआला अलैंहि व सलल्‍लम ने ।; 


अम्मा मन्‍मोमा+ वा, वन. अननम, . अन+ ना अभननन+.. जात मधयाधत। आम; पर. गाया तय शाह: या. वा! लाहाका।" गाया! गाए" 'ाम्मूझाहुए.ममुन्मपूए- मम. भममूझााा+. भामाामाकान.माममभा... मामा. जमा. धरा... मम... सिम. मर. दमा... आता. गाया. पाता 


| बगैर बुलाए दावत में 
गया वोह चोर हो कर घुसा और 
गारतगीरी कर के लुटेरे की सूरत 
में बाहर निकला”। (यानी गुनाहों को साथ ले कर निकला) 
/अब्दाऊद शर्ग्फ़, जिलल्‍्द 3, बांब में 727, हदीस ने अब2, सफ़ा 750/ 
बुरा वलीमा 

हदीसे पाक में उस बलीमे को बहुत बुरा बताया गया है 
जिस में सब अमीर (रूपये पैसे वाले) ही हो और कोई ग्रीब न बुलाया 26 
 ण्यादं - हा हा. ॥. शा 82 थ॥ मा हा गन 


5 ० ३-+० /<+ (५ “30.0 हि । 


४० । _ सन इक हि &, [५ 


- 
- 


ह वा. .॥ _. # # छा. हर # मा [सं 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


कशन-ए-]ज न्डगा 
छान कल छल ऋछ फल छल जा"). हें हे जय जा या का मा. हक का) हे 


जाए या जिस में ग्रीबों कें लिए अलग किस्म का खाना और अमीरों 
के लिए अलग किस्म का खाना रखा जाए । 


5 


है +55 ८६ आज) हजरत अबूहरैरा रदीअल्लाहों तथ्षाला अन्हों रिवायत करते 
है रसूले ख़ुदा सललल्लाहो तआला अलैहि व सलल्‍लम ने इरशांद फरमाया------ 
सब से बुरा वलीमा का विमिवनण 
वोह खाना है जिस में अमीरों को (हरी3२ “४ 6०० #ल्नं्टी ० 
तो बुलाया जाए और गरीबों को _ह 2०५००, ५ »५>४॥॥! 
नजर अन्दाज कर दिया जाए" । ।ै६ | 
(बुखारी शरीफ, जिलल्‍्द 3, सझ्फ़ा हू 88, माता शरीफ, जिल्‍द 2 सफ़ा 4उछ। 


का छा छा हा ॥ ५ आंका आज कं ऋण आह 


ह् ॥.. .ह : ॥& .. 2 .-7॥ ह. . ह कह |. #ह - 
ह ऐछ गत है थ हा ध्ल्् |. न 
ढ 


न्य्आ ,णण०ण न » ल्‍्थ, कक ऋण बका 


आज कल टेबल कुूर्स़ो पर जूते पहने हुए खाना, खाना 
फैशन बन गया हैं । याद रखिये येह हमारी शरीअत में जाइज नहीं 
टेबल कुर्सी पर खीलाने वाले, खाने वाले दोनों सख्त गुनाहगार है 


रखुलुल्लाह जललललाहो तआला अलैहि व सलल्‍लम ने इश्शाद फरमाया-------- - 
'जब खाना, खाने बेैठो तो किम ४७ | 

जूते उतार लो के इस में. तुम्हारे हर मद डी ह हे 
पार्वें के लिए ज्यादा राहत हें बुक किट 2. बजे है 30) तले 
और येह अच्छी सुन्तत है” । [| 7४% #करानी शरीफ) 
टेबल कसी पर खाना खाने के मुत्जल्लिक मुजद्दिदे आजम 

इमाम अहमद रजा खाँ रक्षैजल्लाहों तआला अन्हों हरशाद फरमाते हैं---- 
“टेबल कुंसी पर जूता पहने हुए खाना, खाना ईसाइयों की 

नकल है इस से दूर भागे और रसूलुल्‍लाह सलल्‍्लल्लाहों तआला अलैहि व सल्लम 
का बोह इरशाद याद करे -/७““»&# « »£/ «5... कि---“जो किसी 
कौम से मुशाबेहत (नफल।) पैदा करें बोह उन्हीं में से है 


(जे, हा... 8 हर : का हक. 


2 :%::१०] इज एन छा जा जता जा छा बा जा बा का छा जा कर जरा का छा फ्त आत हे 
45 कल ढ 


(५3६ + हु ह हू ह॑ वह ह ॥ ॥ ह॥ ह 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


कप जन जज ू 4 कल 28 /): है... है... कि. ह हा हम 


क्‍ ;' नि ' क्रातवा- ए-अफर्रोिका, सफ्ा ने. 53/ 

है. मरअल्ला :-भूक से कम खाना सुन्नत है । भूक भर कर 
मुबाह है, यानी न सवाब है न गुनाह, और भुक से 
कु ज्यादा खाना हराम है । ज्यादा खाने का मतलब येह 
हि है क॑ इतना खाया जिस से पेट ख़राब होने (बदहजमी) 
का गुमान है 
। हि कानने शरोअत, जिलल्‍्द 2, ग्रफ़ा -ें 78/ 
॥ 


एक नई खस्थवराफात :- 


| आज कल मुसलमानों में एक और नई चीज राएज हो गई ॥ 
॥ है, वोह येह क॑ औरतों में जवान मर्द और लड़के खाना परोस्‍्ते हैं । 
है खाने के दौरान बेहुदा गन्दा मजाक, लड़कियों से छेड़ छाड और ६ 
॥ बदतमीजी को हर हद को पार कर लिया जाता हैं, क्या इस के हराम ४! 
। ह गनाह होने में किसी को कोई शक है !। ह 
(नर फीस :72-) बे पं £+ आज) सालललाह सललल्लाहो अलैहि व मलल्‍लप ने इरशाद फरमाया- ढ 
अल्लाह की लअनत बद || आज 072 रे 
_ निगाही करने वाल पर और जिस नमक मत मल ममक ु | 
की तरफ बद निगाही की जाए"। | है. 
/अयहकेी शरोफ, बह़वाला मिशकात शर्रीफ़ जिल्द 2 मफ़ा 27॥ हः 
छल चनकआछ) और फरमाते है हमारे प्यारं आका सल्लल्लाहों तआला हैं 
हर थ सल्‍तम----- "जों शख्स किसी औरत को बद निगाही से देखेगा, # 
| कियांमत क॑ दिन उसकी आँखों में पिघला हुआ सीसा डाला जाएगा”। 
.... इस बुरे तरीक॑ पर पाबन्दी लगाना हर पढ़ें लिखे मुसलमान - 
पर जरूरी हैं और ख़ास कर हमारे बुजुर्गों पर ख़ास जिम्मेदारों हैं क॑ हु 
| बोह शादी बयाह क॑ मौके पर औरतों में मर्दों को खाना खिलाने से रोक॑ # 
| बरना याद रखिये महशर में रूख्त पूछ होगी और आप से पूछा---- । । 


कं सबका ८ आ. के 79 या 8 आओ -आ  कि. 28.. 8 आ थे 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


__ करीयब-ए-जिन्दगी ्क्ष् 
४) उन फहा छा उप उस कर एक ५ > चू चर चछ छू रू स्‍अमलह व० 
ै पक 


है जाएगा-“तुम कौम में बुजुर्ग थे तुम ने अपनी जवान नसस्‍लों को इन हराम 
है कामों से क्यों ना रोका था”। उस वक्‍त आपके पास क्‍या जवाब होंगा ?हैं 


ह्श्ल्श्य्छ्छछ अल्लाह के रसूल सल्लललाहो तआला अलैहि व सललम 


ने शाह फमॉथो 27-7० 5 ००75 लत जाम ः 
"बुराई देख कर हक बात || ०“।०४०:०७००८००५८-/..॥ 
कहने से खामृश रहने वाला गुंगां शैतान हैं 


॥॥ 00000 0 ॥0 कई 007] गम गामगगा | ] ॒ | गण 58325. 222 


शि || है| | ॥ # | | हरि प् ड्ि छ्ि || 


(६5१६६ आिजआ) अल्लाह ख्बुलईज्ञव इरशाद फरमाता हैं-+------- ५ 
| उर्जा :- तो अब उन से सोहबत || ४ 75॥ ६.5: 2:४:2७ 
करो और तलब करे जो अल्लाह 'टं। है 
ने तुम्हारे नसीब में लिखा हो । ६ 08 मा 
(एज /- कच्छुल झ्ार, प्राय 2, कृषए बकर, आय 787/ 
.. इस बात का हमेशा ख्याल रखे कि जब कभी भी सोहबत 
का इरादा हो तो येह जान ले के कही औरत हैज (माहवारी) की हालत | 
में तो नहीं है ? चुनानचे औरत से साफ साफ पूछ ले । अगर औरत | 
हैज की हालत में हो तो हरगिजु हरगिज सोहबत न करें कि इस हालत ४ 
में औरत से सोहबत करनां बहुत बड़ा गुनाह है । (इस 'मस्अले का बयान | 
आगे इन्शा अल्लाह तफ्सील से आएंगा) का 
औरत का फर्जी है कि अगर वोह हैज की हालत में हो ॥ 
| तो बे झिमक अपने शौहर को बता दें । 
४ अक्सर औरतें शादी की पहली रात (सुहाग ग़त) की शर्म की 
ह वजह से बताती नहीं है या कह भी दें तो मर्द सब्र नहीं कर पाते और 


हि के ब्ि हे कट ह्ि त्र हु | | | ! द्व हि हि | | | | ३ | ० ह् मु 
॥ दा 


मिला छा कदआ 8. कह. &॥ .॥  #॥ शव छह हू. झा हा. मा. 8. का 0 की 2: 


72[)-7 66460 ५ध॥ 00/00५9 ॥#8/ ४8/800 ७७७.|2४900/५.00॥] 


कुरीन-ए-* जगी 


हि 


+& और हकीमों को फीस को शक्ल में भुगत्ते फिरते हैं । लिहाजा मय 
और औरत दोनों को ऐसे मौकों पर सब्र से काम लेना चाहिये । 

ऋछ मर्द मतलब प्रस्त होते हैं उन्हें सिर्फ अपने मतलब 
से ही लेना होता है वाह दूसरें की खुशी को कोई अहमियत नहीं देते 
वोह सेह ही बुसूल अपनो जीवी के साथ भी रखते है चुनानचे जब बोर 
सोहबत का इरादा करते है तो येह नहीं देखते कि औरत सोहबत करना 
चाहती है या नहीं, वाह कही किसी बीमारी या दुख दर्द में मुबतेल 
तो नहीं है । इन सब से उन्हें कोई मतलब नहीं होता वोह बेसबरी : 
साथ औरत पर टूट पड॒ते हैं और अपना मतलब पूरा कर लेते है ' 
इस हरकत से औरत की निगाह में मर्द की इज्जत कम हो जाती हैँ 
और वोह मर्द को मतलब प्रस्त समझने लगती है, साथ हो सोहबत का 
वोह लुत्फ हासिल नहीं हो णत्ता 


.  अचछ, 


हि. किम पर: 


74 हु है है. बह ॥ ॥ है... ह. 8 .. ॥ की के की 8. 


हक ५०-) आज) रेल जा सललल्लाहो अलैंहि व सललम | इरशाद फरमाया-- ; । 


| “तुम में से जो कोई अपनी 9, 22... ०० 5 ०] 505 
। बीची क॑ पास जाए तो पर्दा कर ले || जनक 


अर शी (ज अकाल १७ 73 >2 अरशशजमण 


और गधों की तरह न शुरू हो जाए” | 
हिन्में गाजा, जिल्‍द 7, काब हें 676, हदीस न. 790, सफा उ38/ हे 

हू हक 7-० क्र सेय्यदना हजरत इमाम गजाः ली रदीअल्लाहों तआला अन्दों श्र 
र्वायत करते हैं कि सरकार आलप्रयान उल्लल्‍लाहो तआला उलहि व सल्लः ” 
ने इरशाद फरमाया------------०----०-----४-------“““४:+: ' 
“प्रद को न चाहिये कि अपनी औरत पर जानवर की तरह 

गीरे, सोहबत से पहले कासिद (पैगाम पहुँचाने वाला) होता है”। सहाबा 
-ए-किराम ने अर्ज किया--“या रसूलुल्लाह ! वाह कासिद क्‍या ओ 
आप ने इरशाद फरमाया---“वोह बोस व -किनार (चृम्मन, (55) वगैरा 
है" ।_ (यानी सोहबत से पहले चुम्मन बगैश से औरत को राजी करें) 
(कॉम्या- ए-सआवत, सक्रा नें 266/ 


छ्ब्यकहुर ताज जजाना 


हन+ इडइबन- 


आप 


दब >तक. के 
० 


छा का न हे हि न््प 
जझ। हु. बचा 
हक | | हु _ हैं... । वि ॥ 
रद 


है 5 ग ॥ 
ि हा | पा ज 
है, "व्थर थक 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


ह 8 ह ह (| कह )) छा कह हवा छ छा मरा मा आ ० क 80 


' (हररूवाहुछ9) उम्मुलमोमेनीन हजरत आएशा रदीअल्लाहो तआला अन्हो से '' 
॥ रिवायत है कि रसूले अकरम सल्लल्लम ठआला अलैहि व सललम नें इरशाद 
है फरमावो-०“ न ३ू+--८+४्त+न 5 3३ “जो मर्द अपनी बीवी का हाथ 
ह उसको बहलाने के लिए पकड॒ता है, अल्लाह तआला उसके लिए एक 
॥ नेकी लिख देता है, जब मर्द प्यार से औरत के गले में हाथ डालता 
है उसके हक में दस नेकियाँ लिखी जाती हैं, और जब औरत से सोहब॒त 
॥ करता है तो दुनिया और जो कुछ उस में है उन सब से बेहतर हो जाता 
/। (गन्यहुत्तालेबीन, सफ़ा 773॥ 


सोहबत से पहले खूद बे चैन न हो जाए अपने आप पर 
पूरा इतमिनान रखे जल्दबाजी न करें पहले बीवी से प्यार मुहब्बत को 
| बात चीत करे फिर बोस व किनार (चूम्मन,॥(४६६) वगेरा से उसको राजी 
करे और इसी दौरान दिल ही दिल में येह दुआ पढ़े----------- 


च् ११७ है| *४६४१2॥ | 6:32. हि ॥ +...| लटानओ 


दुआ /- बिस्मिल्लाहिल अलीयुल अजीमे अल्लाहों अकबर अल्लाहों अकबर 

जमा /- अल्लाह के नाम से जो बुजुर्ग व जरतर अजमत वाला है अल्लाह बहुत बड़ा 
है अल्लाह बहुत बड़ा है । 

इसके बाद जब मर्द, औरत, सोहबत का इरादा कर लें तो 

॥ कपडे जिस्म से अलग करने से पहले एक मरतबा “सूरए इख्लास” पढ़े 


| «354. पा के [४५2 - /35«००%/5%2४7६८4.०॥४॥,८०700॥ ;5.6. है नर (9 +ज>)० ४ # -५-०-०«४.. ४.22 ,/,८2४४)॥ 475. | 


क़्ल हुबललाहो अहद 0 अल्लाहुस समद 0 लम-य-लिद 0 वलम यूलद 
वलम य कुल्लाहु कुफ़्वव अहद 0 
सूरए इख्लास पढ़ने के बाद येह दुआ पढ़े------------- 


_॥ ॥ ह# ॥ ॥ ॥ & & कम &॥ आ आ 


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| 


_,&/७८७:४...८5४(८०८९५.4४५0.: | री 


३८०4० ४४ कह (४0 /८+ 2: 
(७: ((:८0७७.०)॥ _..< 5८४०.-॥८.< .40॥५॥ .2.. 


। | ८6 
बन न 
«... कब जाय जला छा एन फ़ छा छत एल छा एल छा छत फऋा ऋण छऋऋछ छा शक्ल एटा & 7 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


है सोहबंत क॑ वक्‍त पढ़ेंगा (वहां दुआ 


। | | | 


निताओऋषुछत का 


हि शीला 
जहा 


॥ ॥ ॥_ ॥ ॥ ह 3 ॥ &॥ 8: 8 .. ॥ 


बा ..... नम ++-ननन मन >> लक -- 2 ऋ- कनममाकनननत 


न हू »य् जा. 


हुँ 
ह 


#ै दुआ /- बिस्मिल्लाहि अल्लाहुम्मा जननिब नश शैताना व जन्‍्ने बिश ४ 


शेताना -म-रजक तना. 
वर्जप्ा :- अल्लाह के ताम से 0 आए अल्लाह दूर कर हम से शैतान मरदृद को और दूर 
कर शैतान मरदद को उस औलाद से जो तो हमें अता करेगा :! 


मै. (बुखारी शरीफ, जिलल्‍्द 7? सफ़ा 475, करौस्या-ए-स्आदत, प्रफ़ा 256, हिल्‍ने हसीन, प्रफ़ा /65/ 


हजरत इब्ने अब्बास उलंअल्लाहों तआला अन्हपा से रिवायत 


है के रसूल अकरमभ पजललल्लाहा तआला अलैह ब झलल्‍लम ने इशशाद फरमाया---- 


'जो शख्स इस दुआ को || ४५७४-४३ ० ३५१७४ | 


बा | 3] (.) [..30....० __ 3 द् 


बल 9 2 है)॥ 9 के मो कह 9 हर किक | कुक 5 


| जया फ बा कमा म्ा बा बा पक 


जो उपर लिखों गई) तो अल्लाह उस पढ़ने बाले को अगर औलाद अता & 


फरमाए तो उस औलाद को शैतान कभी भी नुकसान न पहुँचा सकेगा" 


बुलारो शरीफ, जिल्‍्द 3 श्रफ़ा है 85. तिर्मिजी शरोफ़ जिल्‍्द 7 प्रफ़ा 557) 


हाोशियार :- इस हदीस की तशरीह (अर्थ, एकराश्याश्ंणा। में * 
हज़ूर गौसे आजम शंख अब्दुल कादिर जीलानी व हजरत मुहक्किके 
इस्लाम शेख अब्दुल हक मोहद्दिस दहलवी, और आला हजरत इमाम 


अहमद रजा खाँ रक्तेअल्लाहो तआला अहम इरशाद फरमाते है-------- 
“अगर कोई शख्स सोहबत क॑ वक्‍त दुआ न पढ़े (यान! 
शैतान से पनाह न माँगे) तो उस शख्य की शप्मगाह से शैतान लिपट जाता 


है और उस मर्द के साथ शैतान भी उस की औरत से सोहबत करने 


लगता है । और जो ओलाद पैदा होती है वोह न फरमान, बुरी आदतां | 


वाली, बेगैरत, बददीन, होती है शैतान की इस दख्ल अन्दाजी की वजह ॥& 


से औलाद में तबाहकारी आ जातो हैं 
([न्यतृत्तालबीन प्रफा 76, अश्ञवुल लम्जात, फ़तावा-ए: रज़वीया, जिल्‍द 9 ग्रफ़ा 46/ 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


“बुखारी शरीफ” की एक हदीस में है क॑ हजरत | 


अऋगुन-ए- जिन्दगी #-::;:5 
हि 9270-- हि. आय हल इधय पाल ))8 _ हलक कन कूल कल एन कक -उदइ न 
7०५ | 


अगर में अपनी बीवी क॑ साथ किसी को देख ले तो तलवार 
से उस का काम तमाम कर दूँ”। उन को इस बात को सुन कर अल्लाह 
के रसूल सल्लल्लाहो तआला अलैहि ब सललम ने इरशाद फरमाया---- “लोगों तुम्हें 
सआद की इस बात पर तअज्जुब आता है हालाँकि मैं उन से बहुत ज्यादा 
गैरत वाला हूँ और अल्लाह तआला मुझ से ज्यादा गैरत वाला है”। 

(बुखारी शारयफ़्, जिल्‍द 3, बाब नं, स्रफ़ा ने 704 

क्या आप गबारा करेगे कि आप कौ बीवी के साथ आप 
के अलावा भी कोई और मर्द सोहबत करे । यकौोनन अगर आप में गैरत 
का जरा सा भी जर्स मौजूद है तो आप येह हरगिज गवारा नहीं करेगे । 
फिर भला बताइये आप कैसे गवार कर लेते है कि आप की बीवी के 
साथ शैतान मरदूद भी सोहबत करे ! लिहाजा इस मुसीबत से बचने के 
लिए जब भी सोहबत करे तो याद करके /बैह दुआ पढ़ लिया करे । 

गालंबन आज कल ज्यादा तर इस्लामी भाई ऐसे होंगे जो 
सोहबत के वक्‍त दुआ नहीं पढ़ते । शायद यही वजह है कि औलादें 
बे गैरत, ना फरमान और दीन से दूर नजर आ रही हैं । हमारा और 
आप का रोज मरह का मुशाहिदह हैं कि--मसलन औलद से बाप 
क़हेता है बुजुर्गों की मजारात पर हाजिर होना चाहिये, बेटा बुज़ुर्गों की. 
मजारों पर जाने को जिना और कत्ल कर देने से ज्यादा बुरा समझता 
है । बाप का अकीदह है कि रसूलुल्लाह हमारे आका व मौला है, बेटा : 
रसूले अकरम को अपना बड़ा भाई कहता हुआ नजर आ रहा है, गर्ज 
के दुनियावी मामला हो या फिर दीनी, औलाद अपने बाप से बागी नजर 
आती है । अल्लाह तआला मुसलमानों को तौफीक दें । 


अा.0."मम्मबल सक ॥म किले पममममा ०००... मम 


_ हैं हैं... बल. 


छू पड 


हैं है. ७2. .. 


कल कल काम करण ऋण बह 


॥ ॥ #& ॥ ॥ &' & ह| ॥ .0- है ॥ ॥ #॥ ॥& ॥ ॥ ॥& ॥ ॥& > 


व कला छत्र हा हु कु प्नजतनात |] ञ् प् 


शमइ..६.. 5-८ समन मातम 


|... हैं. है है. है है. है है. 


६. लक मा ८००... >पनााा्ाापमा -.... ल्‍नययकमकाओ .. जप 


..*॒.॒.3ल्‍नना आया. का... बा... 2: अपार. ०-०. ७४:०० ७: परम डा. ध 2. डा. कप. .$..-:पाए. डराआ-ज 25. आथ८-०-००००-परा-..... सका. क्‍ पथ ८ 


जिस वक्‍त इन्जाल हाँ यानी मर्द की (मनी धातु, चिर्य) ॥ 
उसके आले (ऊज़्-ए-तनासुल लिंग] से निकल कर औरत की शर्मगाह में /#5 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


हा क्रीन-ए-जिन्दगी _ 


(६ / नाल छक ला एज जय आधा छा हैं. 7 


८ 
का कब | न 


दुआ /- अल्लाहुम्मा-ल-तजअल लिश शैताने फी-म-रज॒कतनी नप्ी-ब 
तर्जमा :- आए अल्लाह शैतान के लिए हिस्सा न बना उस में जो (औलाद) तो हमें अता करें 
(हिले हसीन, सफ़ा नें 765, कृतावा-ए-रज़विया, जिल्‍्द 9 झफ़ा 767/ 

इस दुआ की तअलीम देना इस बात की शहादत है कि 
है इस्लाम एक मुकम्मल दीन है और जिन्दगी के हर मोड पर अपना हुक्म 
8 नाफिज़ करता हैं ताकि मुसलमान किसी भी मामले में किसी दूसरे मजहब 
हैं का मोहताज न रहे और मुसलमान हर हाल में यादे इलाही से गाफिल 
4 न हो कर याद इलाही में मसरूफ रहें । साथ ही येह बात भो याद 
रखना जरूरी हैं कि आने वाली औलाद के लिए अल्लाह तआला की 
बारगाह में दुआ तो कौजाए के अल्लाह उसे शैतान से महफ़्ज रखे लेकिन 
जब औलाद पैदा हो जाए और उसे शैतानी कामों से न रोके, उसे बुरो 
बातों से भगा न करें और अच्छी बालों का हक्‍म न दे तो बड़ी अजीब 
| व तअज्जुब की बात होंगी इसलिए आगाह हो जाईये कि येह दुआ हमें 
| आइन्दा क॑ लिए भी अमल करने की दावते फिक्र देती है । 


िमम»»-कममन हा थ अशम्नना «३०... आम हक. 9 आए नाता 


_॥ इन्जाल के फौरन बाद अलग न हो 


सं हु न कप गाज 7 ब। 
दा व न ० 
मन 5० के वन नमन. ८ 


हजरत सैय्यदना इमाम मुहम्मद गजाली रुलेअल्लाहों तआला अन्हो 
रिवायत करते है हुज़ूर बल्लल्लाहो तआला अलैहि व सल्लम नें इरशार्द फरमाया---- 
“पर्द में येह कमजोरी की निशानी है कि जब प्लोहबत का 
॥ इरादा हों तो बोस व किनार (चुम्मन, ॥टा55) से पहले बीवी से सोहबत 
॥ करने लगे और जब उस की मनी (घाँतु, विर्य)] निकलने लेंगे: तो सब्र न. 
मै करे और फोरन अलग हो जाए कि औरत की हाजत पूरी मैहीं होती” 
हे किम्या-ए- सआदत, गफ़ा ने 266/ 


कब फ़डस आड उछमत ऋए हा्ता काम पज्य सजा हक बाका छापा फ्ण्य काज का हक प्र. 


७ ७. छ का क- सरमामाममआ--कामा | ४ थ डक ॥- वा ्ा- 8 हम आाआ- 2०... ल्‍ राम. डा ॥ का। ... हा" 8 - झा मा, 


0 -- जा नया कक छल करत ८&# ७ अल छा 


हा ६ 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


क्रीन-श-जिन्दगी 


॥ 8 ॥ ४8 #॥ + 5); ॥ व ॥ ह ढ& 8 8 2७७८० कक ८ 
आला हजरत इमाम अहमद रजा खाँ रूअल्लाहो तआला ए 
अनहो फरमाते हैं--------------------+>-------““+“--“-+-+ 

“इन्जाल होने के बाद फौरन औरत से जुदा न हो यहाँ तक 
कि औरत की भी हाजत पूरी हो हदीस में इस का भी हुक्म है । 
अल्लाह अज्ज व जल्‍्ला की बेशुमार दुरूदें उन पर जिन्हों ने हम को हर 
बाब में तअलीमे खैर दी और हमारी दुनियावी व दीनी हाजतों की कश्ती 
को बगैर किसी दूसरे के सहारे न छोडा । 

/फ़तावा- ए- ?जवीया, जिल्‍्द # प्रफ़ा 767/ 

चुनानचे मर्द की मनी (धातु, विर्य) निकल जाए -तो भी 
| फौरन औरत से अलग न हो जाए बल्कि इसी तरह कुछ देर और ठहरे 
रहे ताकि औरत का भी मतलब पूरा हो जाए, क्योंकि कुछ औरतों को 
देर में इन्जाल होता है । 


सोहबत के बाद जिस्म की सफाई 


|... ॥ हू ॥ . ह॥ ह ॥& ॥ ा 


.. डक अम्मभााा ४ आाौएााआआ.".-. <पल्‍भयमभमममकमम+ ६०.63. मा... सा. धाआ-.. क्‍या». ४» 33-७७. ००७३-७७ ."..->वाथम«+++आथ उमा... डा ८उा--ूए.. डा व्माममामममा.. हा... कमा. धामणञपामा 8. 5-८ “आम ---...... क्‍पणा०-3+ ०००". मा: 3... आमाभाआआर--ाान.८:आा... लव 2 3०-अमबा०-मथ था >आओ3० 2 शा आम. क्‍<-ता पाक 


; सोहबत के बाद मर्द और औरत अगल हो जाए फिर 
ह किसी साफ कपडे से पहले दोनों अपनी अपनी शर्मगाह को साफ करे 


[ छक़ा एम एल छा छा उन एम हब हम हल छा धमा हम बक हल्ला एम एन का एड का छा 


| ताकि बिस्तर पर गनन्‍्दगी लगने न पाए । शर्मगाह को साफ कर लेने 
के बाद दोनों पेशाब कर लें इस के बहुत से फायदे है जैसे------ 
(]) अगर मर्द के जज़ू-ए-तनासुल में या औरत की शर्मगाह _ 
में कुछ मनी बाकी रह गई हो तो वोह पेशाब के जरिए निकल जाती 
है और अगर थोडी सी मनी ऊज़्ू-ए-तनासुल में या औरत की शर्मगाह 
हि. पं उपर रह जाए तो बाद में पेशाब में जलन और खुजली की बीमारी | 
होने का अंदेशा होता है । 
(2) पेशाब जरासीमकश होता है (यानी पेशाब, 5८7शा« को खत्म 
करने वाला होता है) इस लिए पेशाब के वहाँ से गुजरने से वहाँ की सारी 
| गन्दगी खत्म हो जाती है, उस जगह के जरासीम (66ज्ा5 किटानू) खत्म 6 ॥!ः 


५ पा. कण जज हा का ऋण फल फ़ता फ्ता छा का छा । 


बज बा का बा छत जम बन छा 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


क्री न-ए-जिन्दगी 
दि बन 2 ह बज जा था था हा मा ४ कं! हि) हे ॥ हे हा हे हा मा 5 


# हो जाते हैं और शर्मगाह की नली साफ हो जाती हैं । 

ऐसे बहुत से फायदे हैं जो यहाँ बयान करना मुम्किन नहीं 
पेशाब कर लेने के बाद शर्मगाह और उस के आस पास के हिस्से को. 
अच्छी तरह से धो ले इस से बदन तंदरूस्त रहता हैं और खुजली की 
बीमारी से बचाव हो जाता है । 

लेकिन याद रखिये सोहबत करने के फौरन बाद ठन्डे पानी 
से न धोए, इसलिए के इस से बुखार (#८एट) होने का खतरा होता हैं 
इसलिए कि सोहबत करने के बाद जिस्म का दर्जा-ए-हरारत (तल्‍्षाफएाः(एए८) 
बड़ जाता है और जिस्म में गर्मी आ जाती है अगर गर्म जिस्म पर उन्डा 
पानी डाला जाएगा तो बुखार जल्द होने का ख़तरा हैं । 

लिहाजा सोहबत करने के बाद तकरीबन पाँच, दस 
मिनिट बैठ जाए या लेट जाए ताकि बदन कौ गर्मी बराबर (]४०७७७/) 
हो जाए अगर जल्दी हो तो हल्के गर्म, कुन कूुने पानी से शर्मगाह 
धोने में कोई नुकसान नहीं । 


४ 


है. ह .॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ह ॥ ॥ ध् है 8 हो ॥ ॥ ही | ् झा, हे 


गा जा बच 
छ. 
है. ॥. ॥.  ह .ह. ॥  ॥ . ह ह 8 &8 & # ह ॥& ह. # ह# बे मैं म 


जैसा के हम पहले ही बयान कर चुके है कि मजहबे | 
इस्लाम हमारी हर जगह हर हाल में रहनुमाई करता हुआ नजर आता 
है यहाँ तक कि मियाँ, बीवी, के आपसी तअल्लुकात में भी एक 
बेहतरीन दोस्त व रहनुमा बन कर उभरता हैं और हमारी भरपूर «हनुमाई 
करता है । 

यहाँ हम शरई रोशनी में सोहबत - (संम्भोग) करने के चंद 
आदाब बयान कर रहे हैं जिसे याद रखना और उस पर अमल करना 
हर शादी शुदा मुसलमान मर्द व औरत पर जरूरी है । 


[ ०... ; हिएक-ती. किक. मिओ जा छा एन का छा ऋान छल छा 7 हक 


की हे हे 8. ण > हा जब छः हि छत ऊना घक़ पर 
(0. , जया ॥ ॥ है ॥ ॥ ॥ .॥ 


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हज कह कह मरा 8 का है 8 की) के 8 है 9 मे 


सोहबत तन्‍हाई में करें 


आज कल सड़कों पर, सिनेमा हाल में और बागिचों में खुले 

आम कुछ पढ़े लिखे कहलाने वाले मॉड्न (४०त८८४) इन्सान, इन्सानी 

शक्ल में जानवर नजर आते है जो सड॒कों व बागीचों में ही वोह सब 

कुछ कर लेते हैं जो उन्हें नहीं करना चाहिये । लेकिन अलहमदुलिल्लाह 

हम मुसलमान हैं और अशरफुल मखलूकात है इस लिए हम पर जरूरी 

है हैं कि हम इस्लाम का हकम माने और गैरों की नकल से बचे वरना 

५ एक जानवर और हम में क्‍या फर्क रह जाएगा, लिहाजा याद रखिये 

# पोहबत हमेशा तन्‍्हाई में ही करे और ऐसी जगह करे जहाँ किसी के 

आने का कोई खतरा न हो । और सोहबत के वक्‍त कमरे में अंधेरा 
कर दे रौशनी में हरगिज सोहबत न करे । 

है. अस्जला जहाँ करआने करीम की कोई आयते करीमा कागज या 

.. किसी चीज पर लिखी हुई हो अगरचे उपर शीशा (कॉच। 

हो, जब तक उस पर गिलाफ न डाल लें वहाँ सोहबत 

करना या बरहेना (नंगा) होना बेअदबी है ! 
(फतावा-ए-रज्वीया, जिल्‍द 9 सफ्रा 258/ 

हुजुर गौसे आजम रूतंअल्लाहो अन्हो की “गुन्यतुत्तालेबीन” में और 

आला हजरत इमाम अहमद रजा र्ंअल्लाहो अन्हो की “मलफ़्जात“ में है--- 

'जो बच्चा समझता है और दूसरों के सामने बयान कर 

हैं सकता है उस के सामने सोहबत करना मकरूह (यात्री शरीअत में ना पसंद | । | 

3 बना जाइज) है"। (गन्यतृत्ञालंबनी, सफ्रा 7706 अलगलफ़्ज़ जिलल्‍द 3 सफ़ा ने ॥9/ 

मस्ऊअआला :- किसी की दो बीवीयाँ हो तो एक बीवी से दूसरी बीवी । 

क॑ सामने सोहबत करना जाइज नहीं । मर्द को अपनी # 

बीवी से पर्दा नहीं तो एक बीवी को दूसरी बीवी से & 


तो पर्दा फर्ज है और शर्म व हया जरूरी है । 
/फ्तावा- ए- रजवाया, जिल्‍द 9 स्रफ़ा 207/ ८ 
हा. 8. का मा का था शा मा. मं का आ न्नहाप का: प्रस्ा५क 


* ्स 


ही ही. डे 


| । 


शन्ज ऋओ ला जज फ्लो जा कम फा 


है. ॥ हे की की हीं. की. की की. 


हल काला छा ॥ 


कह हे. 


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कृरीन-ए-जिन्दगी__ 
0 कट हल्ला इन कतक 


सोहबत से पहले वुज़ु 


“7 ह'॥  ॥ ॥ हू ॥ 8 कह 


सोहबत करने से पहले वुज़ू कर लेना चाहिये इस क॑ बहुत 
॥ से फायदे है जिन में से चन्द हम यहाँ बयान करते है-------------- 
श () अव्वल तो बुजूं करने से सवाब मिलता है । 

(2) सोहबत से पहले तुजू करने की हिक्मत एक येह भी है 


क॑ मर्द और औरत दोनों में येह एहसास पैदा हो के सोहबत हम सिर्फ 
अपनी हवस को मिटाने या मजा लेने क॑ लिए नहीं कर रहे है बल्कि 
नेक सालेह औलाद पैदा करना मकसद है, और किसी भी वक्‍त यादे 
इलाही से हमें गाफिल नहीं होना चाहिए । 

(3) मर्द बाहर के कार्मो सं और औरत घर क॑ कामों की वजह 
से दिन भर के थके मान्दे होते हैं, थका जिस्म दूसरे को फायदा नहीं 
पहुँचा सकता लिहाजा वुज़ूं कर लेने से चुस्ती और क़ुव्वत (ताकत) 
में इजाफा होता हैं । 

(4) दिन भर के काम की वजह से चेहरे पर गन्दगी और 
जरासीम (किटानू) मौजूद रहते है जब मर्द और औरत सोहबत करते हैं 
और बोस व किनार (चुम्मम) करते हैं तो येह जरासीम मुँह में जा सकते 
है जिस से आगे बीमारियों के पैदा होने का खतरा होता है । 

ऐसे सैकड़ों फायदे हैं जो वुज़ू कर लेने से हासिल होते है । 


'हल्ज ए ह“ हे १ ऋक इज कात 5 कह डे का 


शरीअते इस्लामी में हर किस्म का नशा हराम है और 
शराब को तो तमाम बुराईयों की माँ बताया गया है । दो हदीसे पाक 
का हासिल हैं के--------------------------+४६---------“--5 
श्ख्प्ख्श््िछछ) "जिस ने शराब पी गाया उस ने अपनी माँ क साथ 


॥ ॥आ था ७ छा ह छा आ &॥ ह & ॥ 8 #& के . छः 


हर | 
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|. 


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करी न -0- जि न्दगं| कुछ " एलचकहकलन् 
। नल बम धछ _ था शा शा शा डा ला ] ॥ $% ॥) 


जिना (बलत्कार) किया” | /ब हवाला फगावा-ए-मुस्तफ़ाविया, जिल्‍द 7 स्रफ़ा व 76/ 
) रसूलुल्लाह सललल्लाहो तआला अलैहि व सल्‍लम फरमाते है--- 


| श्राब पीते वक्त शराबी का कम कि किए 
ईमान || 

3 ईमान ठीक नहीं रहता". कं बन 

श (कुख़ारी शर्गीफ, जिलल्‍्द, 3 स्रफ़ा ढाका 


( हासीस्य :-) ८ जब) ओर फरमाते है आका सललल्लाहों अलैहि व सल्‍ललम----- 
“शराबी अगर बगैर तौबा मरे 520 दा आज 
तो अल्लाह तआला के हुज़ूर इस ४ 
उसे - (०7 ३०७ 
तरह हाजिर होगा जैसे कोई बुत पूजने वाला”। |; 
(अहमद, इनमें हिब्बानं, बहवाला फतावा-ए-रज़्वीया, जिलल्‍्द 70 सफ़र 47/ 
*>+-१ ६ » आज) हजरत अब हरेरह रदीअल्लाहो तआला अन्हो से रिवायत 
है कि रसूलुल्लाह स्लल्लललाहो तआला अलैहं व सललम ने इरशाद फरमाया----- 
"जो जिना करे या शराब पीये «| ६.7४ ५०. | ५१) ०८ 
अल्लाह तआला उससे ईमान खींच ०-०२७०२५5 ५५-४५. <॥। 
लेता है जैसे आदमी अपने सर से कल लग कक 
कता खाच ले | [(हाकिम शरीफ, बहवाला फतावा-ए-रजवीया, जिलल्‍्द 0, सफा 47) 
खिक ताज) हजरत अबू उमामा द्धांडल्लाहो अन्हो से रिवायत है 
कि ले ल्‍ल।ह सअल्लल्लाहों ताला अलैहि व सलल्‍लम ने दरशाद फरमाया------- (| 
अल्लाह तआला फरमाता हैं कश्षम है मेरी इज्जुत की जो मेरा कोई 
बज्दा शरातर का रक घूँट भी पीयेगा में उसको उतना ही पीप पीलाउँगा”। 
#माम अहमद, ब हवाला बहारे रावरीआत बिलल्‍द 7 हित्मा ? पका 52) 
े हकीमों और डाक्टरों ने कहा है-----“नशे. की हालत में 
सोहबत करने से रेहमेटीक पैन (रसआाएग्रारपंट ७एथांए) नामी बीमारी पैदा 
॥ हो जाती हैं और औलाद अपाहिज (लंगडी लूली) पैदा होती हैं” 
अल्लाह तआला मुसलमानों को शराब़ और दूसरे किस्म के 
नशे से नफरत अता फरमाए । ८६ 


रह छ 
| है 5 | 
हर 
2 प पक 


! ० न्‍्श पट 
॥ ॥. ॥ 8 ॥ ॥ ॥ ह ॥ है &॥ कह हक की की के ४ की 


छत छत छत छा 7५% छः छऋचजलछ़ 


4 | न शे 5] पा ही न 
"आह न मं न दिन हाथ ७ >> की “2 मी ० ले &००- --०-् है है ४ न लीला .....3। बापनो "बनना... हग्हमात न्ण्न्या बी बक' हे - । जा 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


... क्रीन-ए-जिन्दगी 
का ही ही ला शला शा. । (8६) 2) जय ऋय जाल बात कमा बाबा बना “5. 


| खशब का इस्तमाल :- 


क सोहबत से पहले खुशबू लगाना बेहतर है । खुशबू सरकारे 
मदीना सल्लल्लाहो तआला अलैहि व सलल्‍लम को बहुत पसंद थी । आप हमेशा 
है खूशबू का इस्तेमाल किया करते थे ताकि हम गुलाम भी सुन्नत पर 
4 अमल करने की नियत से खुशबू लगाया करें ; वरना इस बात , किसी 
॥ को शक व शुबा नहीं कि आप का वजूदे मुबारक खुद ही पहेकत! 
है रहता और आप का मुबारक पसीना खुद काएनात की सब से बेहतरीन 
॥ खशब है । सोहबत से पहले भी खुशबू का इस्तेमाल करना अच्छा है 
ह खशब से दिल व दिमाग को सुकून मिलता है और सोहबत करने में 
दिलचस्पी बढ़ती हैं । 
हजुरत इमाम काजी अय्याजु मालकी ऊन्दलेसी रददीअल्लाह 
| तआला अच्हो, अपनी मशहूर किताब “शिफा शरीफ” में इरशाद फरमाते हैं--- 
! “हुजुर सललल्लाहो तआला अलैहि व सल्‍लम को खुशबू बहुत ज्यादा 
॥ पसंद थी । रहा आप का ख़ूशबू इस्तेमाल करना तो वोह इस वजह 
॥ से था कि आप की बारगाह में मलाएका (फरीश्ते) हाजिर होते थे ! 
॥ और दूसरी वजह येह है कि खुशबू सोहबत करने में दिलाचस्पी को 
| बड़ाती है, सोहबत में मद्गार होती है और मर्द की काुव्वत में इजाफा 
| करती है । लेकिन हुज़ूर का खूशबू इस्तेमाल करना अपनी जात के लिए 
न था बल्कि शहवत का जोर कम करने के लिए था वरनां हकीकी 
; प्र॒ृहब्बद॒ तो आप को जाते बारो तआला (थानों अल्लाह तआला) के साथ 
ख़ास थी” । (शिफा शरीफ, बिल्‍्द / सझा है. 754) 
लेकिन येह याद रहे कि सिर्फ ग़तर का ही इस्तेमाल करे 
| बद किस्मती से आज कल खालिस इतर का मिलना दुशवार हो गाया 
है अब ऊमुम्न जो इतर बाजारों में मिलते है उन में कैमिकल्स ॥! 


हि -: है - ह. . ॥ &. ॥ _ ॥ _.॥ 
| |! ६ | 
है 


| | है ध्य ह् | ु | ॥ ह् ह् थ; “ 


. - हैं. हैं... ह ह  ॥ है. ह॥ है # ह... 


॥ ((॥ला्ं2»७) होते हैं उन का लिबास में इस्तेमाल करना जाइजु है / ५ 


बी यान हा. . ॥ 8. . ॥ * # & 8 .॥ ६8 8 & - ॥ ६७ &॥ -ह 8 ! |+-+ हा 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


कृरी नू-ए-जिन्दगी 
6 2---- बा 8 8 (6) की) ० 9 9 9 ॥ 9 ॥ बा 


फ लेकित सर और दाढ़ी के बालों में लगाना नुकसानदेह हैं । सैन्ट में १६ 

इस्पिरिट (अलकोहल &:०७७॥) की मिलावट होती है जो शराब के हुक्म # 

में है । यानी शराब है और शराब हराम है । 

आला हजरत रूदअल्लाहो अन्हा इरशाद फरमाते हैं------- 

"अलकोहल (शराब) वाले इतर (थानी सैन्ट) का इस्तेमाल 

गुनाह है बल्कि ऐसे इतर (सैन्ट) की खुशबू सूंगना भी ना जाइज हे”। 

(छतावा- ए- रज़्वीया; जिल्‍्द 70 स्रफ़ा 88/ 

इस लिए सिर्फ ऐसे इतर का इस्तेमाल करे जिसमें इस्पिरिट 

(अलकोहल) न हो । अलकोहल वाले इतर या सैन्ट की पहचान येह है 

कि उसे अगर हथेली पर लगाया जाए तो ठन्डक महसूस होगी और 
फोरन' उड़ भी जाएऐगा । 

औरतें ऐसे इतर का इस्तेमाल करें जिस की खूशबू हल्की 

हो ऐसी न हो जिस की खूशबू उड़ कर गैर मर्दों तक पहुँच जाए । 

आज जज) हजरत अब मूसा अशअरी उझुंजल्लाहो अन्हो से 


॥. हवा ॥.. 8 ॥ ॥ ॥ ॥ -॥ & :-॥ ह॥ ॥ ६ है 8 


] 
| | न 
चल मम +«« जज का 


'जब कोई औरत खुशबू लगा 
कर लोगों में निकलती है तो वोह 
औरत जानिया (बलत्कार करवाने वाली 
पेशावर औरत) हैं । |; 
| (भत्र झऊद जशर्रफ़ जिल्‍द 3 स्फा 284, उ्ताए शरीफ, जिल्‍द 3 स्रफ़ा उड्त। 


पा ही न २०3५० 9 | (| 
(के >> , (20 9 ०-८ 6७) (४ 


है 


० हो, डर हे 
श । |] ॥ 
न्न | है 
तु ही स्‍- श . | हक हैं 28००० ऑन 


न्‍-ःण|ः ० क ८ «मम अकनणन.. 


हल आह हक. ह ॥ ॥ है... 


| 
हों 
ना! रे 


| सोहबत खड़े खड़े न॒ करे 


ऐ 


पड का हा 8 थे हे 8: 8 हि ह हा वे बा 


सोहबत खडे खडे न करे कि येह जानवरों का तरीका है 
और न ही बेठे, बैठे कि इससे मर्द औरत दोनों के लिए नुकसान है । | ॒ क्‍ 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


ल्ड से हर मा महा का हा री थे )) छल हूल छत छात्र कब | 
| ” पार्ट) जड़ स॑ कमजार हो जाता हैं और औलाद कमजोर, अपंग हृष्ण रे 
पैर से अपाहिज। पदा हाताो है । बाज आलमा-ए-दोन ने फरमाया 
औलाद बददिमाग और बंबकफ होती है । है 

हकोमों ने कहाँ है कि खडे हो कर सोहबत करने से राशा £ 
(बदन हिलने) को बॉमारी हो जाती है । (अल्लाह को प्रगाह। " क्‍ 

सोहबत करने का सही तरीका येह है कि बिस्तर पर लेटे ४ 
लेटे करे और औरत नींचे हो मर्द उपर हो जैसा के क़ुरआने पाक को & 
इस आयते करीमा में भो इशारा किया गया है---------------- 


हज 


आंत 
5 


या कट ६ हू 


तर्जज़ा :- फिर जब मर्द उसपर छाया पा 


उसे एक हल्का सा पट रह गया । 
(व्जपा :- कह्छुल उप्रान, ग्रादय 9, सूराए अयफ, रूकू ॥7/ आयत 789/ 
इस आयते करीमा से हमें सबक मिलता है कि सोहबत के 
वक्‍त औरत चित लेटे और मर्द उस पर पट (उल्य) लेटे कि इस तरह से मर्द 
के जिस्म से औरत का जिस्म ढक जाऐगा । और देखा जाए तो इस तरीक॑ 
में ज्यादा आसानी है और मर्द की मनी आसानी से निकल कर औरत की 
शर्मगाह (योनों। में दाखिल होती है । और हमल जल्द करार पाता है । 


क्िबले की तरफ्‌ रूसख्र न हो 
हुजर सैय्यदना इमाम मुहम्मद गजाली रक्तअल्लाहों तआला 
अप रॉफकल हैं जता >> लननन>+>लरअ+> ली + 45% व जान २ 5०5 


मे > ऋष छल 
एन छत छत्र छा लक इज उन बना छलट हमर बस कक छल ५5 ... 


जी जी. अमर थी. न 


हु हा हू हू हू ह॥ ॥ ह8:- हर ॥ शव ॥ हू है. है. है हक के. है. 


ह 
क्‍ ः “सोहबत करने के आदाब में से एक अदब येह भी है. 
॥ कि सोहबत क॑ वक्‍त मुँह किबले की तरफ से फेर लें” 
पति /कॉम्या- ए-सआदत, सफ़ा है. 2686/ द 
है. " 


आला हजरत र्दीअल्लाहो तआला अन्‍्हों फरमाते है--------- के 

“सोहबत क॑ वक्‍त किबले कौ तरफ मुँह या पीठ करना | 
हे मकरूह व खिलाफ अदब हे जैसा क॑े “दुर्रे मुख्तार” में बयान हुआ ) 
रचा के “पहल कब । >-- बम 9 वा आ. कप 


| ॥।  छ॥ . ..क . 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


कपीज-. हा... जिन्दगी । 
"८०0 कक न "हाय हल ऋाा आत् कत्न (5) कक कर्म कक जम का काम कमा । बज 


/फतावा-ए-रज्वाॉया, जिल्‍द 9 ग्रक्का 740/ 
सोहबत के वक्‍त किबले की तरफ से मुँह फेरने क लिए 
शायद इस लिए कहा गया, क्योंकि किबले की तअजीम हर मुसलमान 
पर जरूरी है उस की तरफ रूख कर के बन्दा अपने रब की ईबादत 
करता हैं और किबले की तरफ थुकने, पेशाब पखाना करने और बरहेना 
(नंगा) उस की तरफ रूख करने की सख्त मुमानियत आई हैं । 


( जडीस :-) एक हदीसे पाक में हैं कि नबी ए-करीम सल्लल्लाहों 


डे क + | 
ह 
ञ 


॥ ॥ #॥& #& : 


ही, मी. 


“जब बन्दा नमाज पढ़ता है तो उस का परवरदिगार उस 
के और किबले के दरमियान होता हैं । (यानी किबले की जानिब अल्लाह | ै 
तआला की रहमभत ज्यादा मुतवमज्जहे होती है) द 

बुखारी शरीफ, जल्‍द 7, बाब ने 274, हदीस मे उम्र, सरफ़ा नें 293॥ 

अब चूँकि सोहबत के वक्‍त मर्द और औरत बरहेना (नंगी) 
हालत में होते है तो इस हांलत में भला किबले कौ तरफ रूख कैसे 
किया जा सकता है । 


मकान +_>9आ> न. तक 
जि दल जज नम वाला बज बा मी ााााआााााााााणाणाणााणाणणणणणणछाॉाणण री ामममामामााामाममामामममामममममााााभाामआआखआखआखआखईईईिई आजा आछेोेआईआएईांंआंिखआखआखआखआखथखएखआथएखआखआआआओ 


छह हल एन छात्र का छा इक पढ़ 


सोहबत के दौरान मर्द और औरत कोई चादर वगेरा ४ 
ओडले जानवरों की तरह बरहेना (नंगे रह कर) सोहबत ने करे । छ 


शातदपपपोग ८ सकल 


रपये 5-92 हुज़ूरे अकरम जलल्‍लल्लाहो तआला अलैंहि व सल्तम दरेशाद । 
बह पी 0 08776 0:02 की जा नी ९» 2 मजा नी लि ः 
“जब तुम में कोई अपनी बीवी से सोहबत करे तो पर्दा ' ४ 
कर ले, बे पर्दा होगा तो फरिश्ते हया की वजह से बाहर निकल जाएगे | 
और शैतान आ जाएगे, अब अगर कोई बच्चा हुआ तो शैतान की उस 
में शिर्कत होंगी । 


ून्यृत्तालंबनी, स्रफ़ा नें. 776/ 


अंक 20 चना था. ॥ ॥ हा 2 8 8 के छह के - मा मा छा. का ड -छि हा - धान मी हे 


५ की रु हु | जा पा ॥ ४ /ह्ःः हि: । ही छू हा यो हैक, हर है 
हा इ 
् गा ४ 
नह 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


करीन-ए- जिन्दगी क्‍ श ः 
>/: पक >> हा आ [ .॥ )) जल बम छका बाबा जा काला पाक उदय न कु 


इमाम अहलंस॒ननत आला हजरत इमाम अहमद रजा खाँ । 
| रदोअल्लाहो अन्हों ने अपनी किताब “फतावा-ए-रजवीया” में फरमाते है---- 
'सोहबत के वक्‍त अगर कपड़ा ओडे है बदन छुपा हुआ 
| है तो कुछ हज नहीं और अगर बरहेना (नंगी हालत में) है तो, एक तो 
| बरहेना सोहबत करना खूद मकरूह है हदीस में है रमलुल्लाह 
| सल्लललाहों तआला अलैहि व मल्‍लम ने साहबत के वक्‍त मर्द व औरत को 
॥ कपड़ा ओड लेने को हुक्म दिया और फरमाया -.६१॥५.०४८०७ ««०४५ 
यानी गधे की तरह नंगे न हो”। 
(फतावा-ए-रजवीयका, जिल्‍द 9 पग्रफ़ा 740/ 

आला हजरत रदौजल्लाहो त्ञाला अन्हो एक दूसरी जगह 
बशाद : पंशमांति है-नतततकततता लत कस कप न क +प कक शत 5 न 

“बरहेना (नंगी हालत में) रह कर सोहबत करने से औलाद 
के बे शर्म व बेहया होने का खतरा है 
(फतावा-ए- रज़्वीया, जिल्‍द 9 सफ़ा 46/ 


न का का फन का रत बत पता बता कम छा का मम ऋ पा जा सा का जा का 


॥ सोहबत के दौरान शर्मगाह देखना :- 


है मसाला /“-मियाँ बीवी का सोहबत के वक्‍त एक दूसरे को शर्मगाह 

थे को मस करना बेशक जाइज है बल्कि नेक नियत से - 
हो तो मुस्तहब व सवाब हे” 

/फतावा- ए-7जवीया, जिल्‍द 5 ग्रफ़ा 570, और जिलल्‍द 9 सफा 722/ 

| लेकिन सोहबत के वक्‍त मर्द व औरत ने एक दुसरे 

हैं शर्माह नहीं देख” चाहिये के इसके बहुत से नुकसानात हैं । 


ऑक उययाना-- क - # “हा. # ह. हा. हे. ता. ह हे हा. शा. वी हे ॥ हक. हा... हत्या 


0. जला जा जा का कक कह कन 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


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कूरीन-7-जिन्दमी 


रे मा _ कम कम फल छान अब कुछ )) कि आय एम का छह सभा काम बाड़ अअया 225 माय 
लेकिन न कभी आप ने मेरा सत्र (शर्मगाह को) देखा और न में ने आप 


का सत्र शर्मगह को) खा । 
(ईननें ग्राजा शरीफ, जिल्‍्द 7, बाब नें. 676, हदीय हू 797, स्रफ़ा 538, 
सोहबत के आदांब में से एक येह भी है कि सोहबत के 
दौरान मर्द औरत की शर्मगाह की तरफ न देखे. । 

( अऑस्ीडय 2:2०, 53६5 अछ) 5 जरत इब्ने ब्ने अदी सक्लअल्लाहो अन्हों हजरत अब्दल्लाह 
इब्ने अब्बास स्वजल्लाहो तआला अन्हों से रिवायत करते हैं---हजुरत इब्मे 
अब्बास ने फसमाथा------------------------------------ 

. “तुम में से कोई अपनी औरत से सोहबत करे तो उस की 
शर्माह को न देखे कि इस से आँखों की बीनाई (शैशनी) खत्म हो जाती 
है” । (यानी आदमी आँखो से अंधा हो जाता है) 

हि/शिया, मस्त इमामे आजम, शरक्रा ने. 225/ 
आला हजरत इमाम अहमद रजा खां रौअल्लाहों तआला 


हैं. अं वकले अकाल हे कि रन नवतानन+त+9- +-+--+-पनन+ अं अलअ93०-++ कम 


_“झोहबत के वकत शर्मगाह देखने से हदीस में मुमानियत « 


हक. है. 9... 9 के ही... हि 


... है... है... है .ह- हे... 


माष्णगान्गान्‌?. 


' फरमाई और फरमाया-- - -<>पीटे , ३2५०७ तोह अंधे होने का सबब ६ ः 


हैं. होता है । ओलमा ने फरपाया है कि--इस से अंधे होने का सबब या 


क वोह औलाद अंधी हो जो उस सोहबत से पैदा हो, या मआजल्लाइ दिल ६ 
& का अंधा होना के सब से बदतर है” । 


/फलावा- ए- रजकीया, जला 5 ब्रफ़ा 570/ 


कान गत में हैं. कि--न्यांा 7» न पता मि+नलला+ 
. “औरत की शर्मगाह की तरफ नजर न करे क्‍योंकि इस | 


(कानूने शरीअह, जिलल्‍्द 2, सकता हें 202/ 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


है से निसयान (भूलने की बीमारी) पेदा होती है और नजर भी कमजोर होती ४ 


कुरीन-ए-झिन्दगी 
27 बा के. 8 था. जा श. ६ की) के 


.... हि. - हि: - है : हक छ 
! क पक न 
2322 22:22: 72: "शत 2 नम नननं८- नमन | हि 


सोहबत के दौरान बात चीत न क़रे ख़ामृशी से सोहबत | 
9 5 करे, इमामे अहलेसुनत आला हजरत रह्वअल्लाहो आला अन्हों इरशाद # 
फरमर ३२2० मनन 5. ० 8 ! 
“सोहबत के दौरान बात चीत करना मकरूह है बल्कि ह 

बच्चे के गूंगे (मूक्‍के, बेज़ुबा) या तोतले होने का खतरा है”। क्‍ 
(छवावा-ए-रजवीया, जिलल्‍्द 9 स्फ़ा 78/ 


पिस्तान्‌ (स्तनू, 38985) चुमना +- 


सोहबत करते वक्‍त औरत के पिस्तान (स्तन) चूमने या. 
चूसने में कोई हर्ज नहीं, लेकिन ख्याल रहे कि औरत का दूध हलक 
में न जाए । अगर हलक में दूध आ गया तो फौरन थूक दें जान बूझ 
है कर दूध पीना ना जाइज व हराम है । 
“फतावा-ए-रजवीया” में आला . हजरत इमामे अहले 
| सुन्‍नत इमाम अहमद रजां रक्॑अल्लाहो तआला अन्हो नकल फरमाते है--- 
“सोहबत के वक्‍त अपनी बीवी के पिस्तान. मुँह में लेना 
जाइज हैं बल्कि नेक नियत से हो तो सवाब की उम्मीद है जैसा कि 
हमारे इमामे आजूम रलंअल्लाहो तआला अन्हो ने मियाँ बीवी का एक. दूसरे 
| की शर्मगाह को मस करने के बारे में फरमाया ५४७०/»४५७॥»»» “यानी 
' मैं उम्मीद करता हूँ कि वोह दोनों उस पर अज्र (सवाब) दिये जाएगे 
हाँ अगर औरत दूध वाली हो तो ऐसा चूसना न चाहिये जिससे दूध 
ह हलक में चला जाए और अगर मुँह में आ जाए और हलक में न जाने 
कह दे तो हर्ज नहीं कि ओरत का दूध हराम है नजिस नहीं, अलबत्ता रोजे 
' में इस खास सूरत से परहेज करना चाहिये” 
5 (फितावा-ए-रज्वीय, जिल्‍द 9, निस्‍फ्र आखिर सफ़ा 722/॥ 


* 
| 2 ज्यवक -- का. कक 2 आ का. आ का मा था आ. थ॥ ब्र. है 9 मा ह के के  पटज आप 


आ ७. ० अअंडज >> कि न्‍ु « +५ न कर थ 
न 0/०.3आड महर » थे हा के कि आमकीन ७ " हक ल्‍णु ट ढ ० अए 
का न है बा गज बथ बा कण बच 
ते 
+ हि. हैं. _ #  &... है. & #& श्र ह&. हर. -हु है थ.. है है. 


है  ॥ 8. ॥ 8 छा झा ह 


बलइ नये पिक्क -> डिक 
है... 2 


जन जा जम एन हा कह बला जा छा छा छा 


“को ही हु. मर हूं. छू... ॥. हि. थी. हा. है. .ह है है. व 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


कर जब ज हक सत ऋ (वा कला कल का कम कला कम. आर 


कुछ लोगों में येह गूलत फहमी है कि सोहबत करते हुए 

अगर औरत का दूध मर्द के मुँह में चला गया तो औरत मर्द पर हराम & 

हो जाती है और खूद ब खूद तलाक (४०7०९) हो जाती है, येह बात 
गूलत है इस की शरीअत में कोई हैसियत नहीं । 

"काम शरीवत" में हैं कि--7+--नल+तनान नल लाकर 

“मर्द ने अपनी औरत की छाती (स्तन) चूसा तो निकाह में कोई 

ख़राबी न आई चाहे दूध मुँह में आ गया हो बल्कि हलक से उतर गया हो 

तब भी निकाह न टूटेगा, लेकिन हलक में जानबूझ कर लेना जाइज नहीं” # 

(छातून॑ शरगीअत, जिलल्‍द 2, सफ़ा न 52/ 


सोहबत क॑ दौरान किसी और का ख्याल :- #॥ 

सोहबत के दौरान मर्द किसी दूसरी औरत का और औरत “ 
किसी दूसरे मर्द का ख्याल न लाऐं । यानी ऐसा न हो कि मर्द सोहबत | 
तो करे अपनी बीवी से और तसव्वर (कल्पना, पाशबचएांगर्नां।ंणा ) करे कि 
किसी और औरत से सोहबत कर रहा हूँ । और इसी तरह औरत किसी 
और मर्द का तसव्वर करे तो येह सख्त गुनाह है । 

हुज़ूर पुरनूर सैय्यदना गोसे आजम शेख़ अब्दुल कादिर 
जीलानी रदौअल्लाहो तआला अन्हों अपनी मशहूर किताब “गुन्यातुत्तालेबीन” में 
नकल फरमाते है कि--------------------०------------- 

“सोहबत के दौरान मर्द अपनी बीवी के अलावा किसी 
दूसरी औरत का ख्याल लाए तो येह सख्त गुनाह है और एक किस्म 
का (छोटा) जिना (बलत्कार) हैं” ((न्याहुत्तालेबीन) 


सोहबत के बाद पानी न पीये 


जैसा कि हम पहले ही बयान कर चुके हैं कि सोहबत 
करने के बाद जिस्म का दर्जा-ए-हरारत (पर्माएश।शण-हछ) बेड जाता है ८ 


' 


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5... है है &  ह # ह॥ :॥. 


आप फ ६ जा जन जन जा जा जा छा जा जा का कर जा का कक का का का का का कक आर कह जा प्र भा का सा का कर का का. | न 
 ह ॥ शव हर #॥ शा हा 


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- छा छह हि शा छा वहाकबन्पा" (आकनि, 


72[)-7 66460 ५ध॥ 00/00५9 ॥#8/ ४8/800 ७७७.|2४900/५.00॥] 


कूरी न-ए-जिन्दगी । 
4, 5... किन काम जाय . है ह ह ह& ६ ;(7' 4 कह | मा बा. आ थ् 


। इस लिए उप्त तक्त प्यास भी महसूस होती है । रु 
लेकिन ख़बरदार ! सोहबत करने के फौरन बाद भूल कर 

भी पानी न पीये । हकीमों ने लिखा हैं कि--------------------- 
“सोहबत करने के फौरन बाद पानी नहीं पीना चाहिये 

क्योंकि इससे दमा (सास) कौ बीमारी हो जाती हैं | /शौला ला महफूज़ रखे) 


एक रात में एक मरतबा सोहबत करने के बाद उसी रात 
| में दूसरी मरतबा सोहबत करने का इरादा हो तो मर्द और औरत दोनों 

बुज़ू करलें कि येह फायदेमन्द हैं। और अगर सोहबत न भी करना 
हो तो बुजू कर के सो जाए । 

( छसीरत :--) छ्) हजरत उमर व अबू सईद खुदरी रदीअल्लाहो तआला 
अन्मा से रिवायत हैं नबी-ए-करीम सलल्‍लल्लाहो तआला अलैहि व सल्लम नें 
| इशशाद फ्रमाया-----------------7--------““-“-४-“-“८-“--+- 
| “जब तुम में कोई अपनी ०७) है ५० ४ ०० (७03 
| बीवी से एक मरतबा सोहबत के |. 882 अरे लक 
| बाद दो बारां सोहबत का इरादा 304 %6 30% 
| करे तो उसे बुज़ू करना चाहिये” 
(#गिर्मिजी शरीफ, जिल्‍्द । प्रफ़ा ॥39, इन गाया, जिलल्‍द । ग्रफ्ता ॥88/ 

इमाम ग॒जाली रूतअल्लाहो आला अन्हो नकल फरमाते है--- 
“एक बार सोहबत कर चुके, और दोबारा (सोहबत) का 
; इरादा हो तो चाहिये कि अपना बदन धो डाले (/बुजू कर ले) और अगर 
| ना पाक आदमी कोई चीज खाना चाहे तो चाहिये कि वुज्जू कर ले फिर 
॥ खाये और सोना चाहे तो भी वुज़ू कर के सोए अगरचा (वुज़ू करने के बाद 
भी) ना पाक ही रहेगा (जब तक गुस्ल न करले) लेकिन सुन्‍्नत यही है" 


॥ (डीप्या-ए-सआदत, ग्रफ़ा - 267/ 


|! 40) ० ज्कबा हा हज फ़ फ़्य छा सका छत काला जा छत छत जता छा ऋण फर्म एज जा छत व 


मी अल न 3 अक का अ्च्िंं ध्स्द् . «3 रन 
5 न द्ड 
छा एन जल एज एक को मिएंए एच एड मामी कि शी की . हि 
है. ह “ 


». अल «>-अमन3..-+-फजकन-- किक गोकि*- 


हर | | || ह् ह् डि हर हट | | | ॥ बा | | | ॥ ब् 8० | । ' दर धः | | | ॥ हर | ॥ ८ शव 
न रू मत] ।] ] ब् जल ] ँ ] करू 


| ह ७ ह्वञ हक 


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22- 
5 है. > ली ॥ ॥ ॥ ॥. ॥ ॥  ॥ ॥ #॥ &॥ #॥ 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


करी न-ए-जिन्दनां 23 
अमर ६2७- आल एल आह हम एम कमा इमम हम ५. 


! चुज़ करके सोए :- 


सोहबत करने के बाद अगर सोने का इरादा हो तो मर्द 
और औरत दोनों पहले अपनी शर्मगाह को धो लें और वुज़ू करलें फिर 
उस के बाद सो जाए । 
(€:<घ्|क8छ99) हजरत आएशा रहीअल्लाहो तआला अन्हा फरमाती है----- 
“रसूलुल्लाह सललल्लाहो तआला अलैहि 
व सलल्‍लम, हालते जनाबत में (सोहबत 
के बाद) सोने का इरादा फरमाते तो 
हि अपनी शर्मगाह धो कर नमाज जैसा 
| बज कर लेते थे” । (फिर आप सो जाते) 
(खादी शरीफ, जिल्‍द 7 सफ़ा न /94५, तिमिेजी शररीफ़ु, जिल्‍्द 7 स्रफ़ा 729/ 


बीमार औरत से सोहबत :- 


औरत अगर किसी दुख, परेशनी या बीमारी में मुबतेला हो 
॥ तो उस की सेहत का ख्याल किये बगैर हरगिजु सोहबत न करे, वैसे 
मै भी इन्सानियत का तकाजा भी येह है कि दुखी या बीमार इन्सान को 
। और हकलीफ न दी जाए बल्कि उसे आराम और सुकून दे । 


4  ॥ . 8. & . ॥  &॥ है  ॥ ७० व 


५4२० * 5 कि (४5४ (76 
५ + ०. 9१ 3 [ ८५ ८») || 


है. है ॥ ॥ ६. ॥ |॥ & ह॥ ६॥ |॥ ॥ ॥ &॥ # की की के छह # कं आ की 84. जे ; 


'>रामााामा5 - पाना "गाया गो गिरे: कनजा। गम"नममानमभमननगनाममाइ नमो जि ० "एन जहेर नम नहर मारे. सना" गगालनमममाला नाली ने नम सेन न न नम नमन» से कम के न किन "मनन न मील न्‍न्‍नन न नि ध ।द प आ॥+ परत आधार आकक 


॥ सोहबत मजे के लिए न हो 


हजरत मोौला अली मुश्किलकुशा रदीअल्लाहो तआला उन्‍्हों ने 
| अपनी वसीयत (9/॥॥) में और हजरत इमाम मुहम्मद गृजाली रद्दौअल्लाहो 
| अन्हों नें अपनी किताब ”कीम्या-ए-सआदत“ में नकल किया है कि---- ॥! 
; जब कभी सोहबत करे तो नियत सिर्फ़ मजा लेने या ८5 


बा ॥ ॥ ॥ ॥& ॥ श ह&. ह॥ 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


हज न गत 


/ शत (४०७, इस) की आग बुझाने कौ न हो बल्कि नियत येह रखे कि । 
मै जिता से बचूँगा और ओऔलाद नेक होगी । अगर इस नियत से सोहबत | 
॥ करेगा तो सवाब मिलेगा । द 


(वसाया शरीफ, कीम्या-ए-सआदत, सफा ने 255) 


दर जीवी से जिन्दगी में एक मरतबा सोहबत करना कजाअन 
४ वाजिब है । और हुक्म येह है कि औरत से सोहबत कभी कभी करता | 
+ ॥ रहे इस के लिए कोई हद (तञदाद मुकरर 77५) नहीं मगर इतना तो हो 
५ ॥ कि औरत की नजर औरों की तरफ न उठे और इतना ज्यादा भी जाइज्‌ 
4 नहीं कि औरत को नुकसान पहुँचे । 
प्र (काल्‍ूरे शीत, जिल्‍्द 2 सफ़ा 63/ । 
5 हद से ज्यादा सोहबत करने से मर्द और औरत दोनों के 
॥ लिए नुकसान हैं इससे ख़ास तौर पर मर्द की सेहत चौपट हो जाती है। 
8 सेहत की कमजोरी की वजह से जब मर्द औरत की पहले की तरह 
5५ ख्वाहिश पूरी करने में नाकाम होता है (जिस की वोह पहले से आदी हो चुकी 
+ 8 होती है) और औरत को आदत के मुताबिक पूरी तसल्ली नहीं होती वो 
४ वोह फिर पड़ोस और बाहर वोह चीज तलाश करने की कोशिश करती 
| हैं और फिर एक नई । बुराई का जन्म होता है इस लिए जरूरी है कि 
॥ कुदरत के इस अनमोल ख़जाने का इस्तेमाल अहतियात से किया जाए । 
व हकीमों ने लिखा है कि ज्यादा से ज्यादा हफ्ते में दो 
| मरतबा सोहबत की जाए | हकीम बुक्रात (जो एक बहुत बड़ा हकीम 
॥ था और हजरत ईसा अलैहिस्सलाम से 450 साल पहले गुजरा है) उससे किसी #ि 
के ने पूछा, “सोबहत हफ्ते में कितनी मरतबा करनी चाहिये ? उसने जवाब 4 


(हक पययनाक “जज हलत छल पडए ३०७४ जज एलन खाट छाल एफ छठ छा कद ताल ऋा एज पतला 588 


बरलव हक थ जाना हा है कात्नापण ह०... छकनर दा ' हम्नी ः एक; ने हु, | ' ॥एह--नुखना सा |. साल हु । 
है. जा । ॥४ हू ह ॥ ॥ ॥ ॥ हक हू है इक 
दि न] ० ५. कब" » नया ! धर जारी: व कि. हि च्न कल जी [- हट ् । पी ध््याी हि | बे 
कं ८ 4 बट 
है 


नहला 
नाकम्माकगा 


॥ ॥. है ॥.  ॥ हू #&॥# है. 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


(पका है... कजन्दनी आज जा जा का बा | रा  ॥ ॥॥ | )) | है ही 8 ह कि हक! 53 


ह दिया-- “हफ्ते में सिर्फ एक मरतबा पूछने वाले ने फिर पूछा--“एक है 
मरतबा ही क्‍यों ? बुकरात ने झल्ला के जवाब दिया “तुम्हारी जिन्दगी 
है तुम जानो मुझ से क्‍या पूछते हो” (गोया येह इशारा था कि ज्यादा 
सोहबत करोगे तो कमजोर होगे और जिन्दगी ख़तरे में पड़ु सकती है) 

फकीहे अबूललेस समरकन्दी रहौअल्लाहो तआला अन्हो 
रिवायत करते हैं कि हजरत मौला अली रूअललाहो तञाला अच्छो नें 
इरशाद फरमाया------ >-““+>>>+८-«++_«+---+-+-“““““८८+-+«““-““+“+++-+- 

“जो शख्स इस बात का ख्वाहिशमन्द हो कि उसकी सेहत 
अच्छी हो और ज्यादा दिनों तक कायम रहे तो उसे चाहिये कि वोह 
| कम खाया करे और औरत से कम सोहबत किया करे । 

(बिस्तान शरीफ) 

आज के इस फैशन और नंगाई के दौर में जजबात बहुत 
जल्द बे काबू हो जाते हैं इसलिए ध्यान रखें कि बीवी कौ अगर 
ख्वाहिश हो तो इन्कार भी न करे वरना जहेन भटकने का अंदेशा है 
वैसे तो आम तौर पर एक सेहतमन्द औरत ज़िन्सी ताक॒त में एक 
सेहतमन्द मर्द का मुकाबला नहीं कर सकती है । 

कुछ लोग शादी के बाद शुरू, शुरू में औरत पर अपनी 
कव्वत व मर्दानगी का रोब डालने के लिए दवाओं का या किसी इस्पीरे 
या फिर तेल वगैरा का इस्तेमाल करते है जिस से औरत को और उन्हें 
खूब मजा आता है । लेकिन बाद में उस का उल्टा असर होता है ! 
औरत उस चीज की आदी हो जाती है फिर बाद में अगर वोह दवा 
या इस्पीरे वगैरा का इस्तेमाल न किया जाए तो औरत की तसल्ली नहीं 
होती । और वोह अपनी तसलली के लिए मर्द को उस का इस्तेमाल 
करने पर मजबूर करती है । दवाओं के मुसलसल इस्तमाल से मर्द को 
सेहत चौपट हो जाती हैं वोह दवाओं का आदी हो कर जल्द ही तरह 
है तरह की बीमारियों का शिकार बन जाता है । मर्द अगर येह दवाएँ / 


॥ ॥ ॥ ह॥. #॥ # (० जाए छाए फाण छा एप कराया पा बा! बट बा _--्य आन | 


जज जम छा बज छत एक जा जा हा छा एव जता एल पक फा पा छा का एय का जा छा छत 


चल 
| 


जा - ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ # ॥ # ॥ ॥ ॥ ॥ & ॥ ॥ ॥ ' छह के 0 आस ॥ ॥ आछ॑॥ ०, री है 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


५ #' इस्तेमाल न करे तो औरत को पहले की तरह तसल्ली नहीं होती जिस ' ४ 
8 की वोह आदी बन चुकी है ऐसी हालत में औरत के बदचलन होने का है 
9 भी खतरा होता है या फिर वोह दिमागी मरीज बन जाती है । लिहाजा & 
क़व्वते मर्दाना को बड़ाने के लिए दवाओं, इस्पीरे व तेल वगैरा की बजाए 
4 ताकतवर गिजाओं का इस्तेमाल करे । गिजा के जरिये बड़ाई हुई ताकत £ 
घे खत्म नहीं होती और न ही इससे किसी तरह का नुकसान होता हैं | ॥ 


“का कि. पक" पक का इक व्छूय्ने| हे : 


हु शरीअते इस्लामी में सोहबत करने के लिए कोई ख़ास ६ 
॥ वक्‍त नहीं बताया गया है । शरीअत में दिन और रात के हर हिस्से | 
4 में सोहबत करना जाइज है, लेकिन बुज़ुर्गों ने कुछ ऐसे अवकात (वक्‍त) ६ 

बताऐं हैं जिन में सोहबत करना सेहत के लिए फायदेमन्द हैं । #॥ 
89) हजरत इमाम गजाली ने अपनी मशहूर किताब ६ 


“रसूले करीम सल्लल्लाहो अलैहि व सल्‍लम रात के आख़री हिस्से + 

में (तकरीबन रात के 2:30 बजे से लेकर फजर कौ अजान से पहेले) में जब वित्र | 
ह की नमाज पढ़ चुके होते तो अगर आप को अपनी बीवी को हाजत है 

क्‍ होती (यानी बीवी से सोहबत का इरादा होता) तो उन से सोहबत फरमाते । | 
| िहयाउल अलूम/ 

। हदीसों में हैं कि सरकार सल्लल्लाहो तआला अलैहि व सल्लम, ईशा 
3 की नमाज पढ़ते और सिर्फ ईशा की वित्र नहीं पढ़ते फिर आप आराम 
॥ फरमाते थे फिर कुछ घंटों के बाद आप उठ बैठते और “तहज्जुद” की # 
9९ नमाज पढ़ते और कुछ नफिल नमाजें अदा फरमाते और आख़िर में ईशा & 


0 का  ॥  ॥ व ह : 8  ॥ ॥  ॥  # कह  ॥ # छ आआ सका झाालमनना 4 हि 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


| को वित्र पढ़ते उसके बाद अयर आप को अपनी किसी बीवी की हाजत ऐप 
होती तो उन से सोहबत फ्रमाते या अगर हाजत नहीं होती तो आप # 
| आराम फरमाते यहाँ तक कि हजरत बिलाल रददौअल्लाहो तआला अन्हों नमाजे & 


आह है ॥' ॥ ॥-॥. ह  ह॥ ,॥' 5 ॥ ह व ह॥ ह | हर है छह छह * ह हू हा हू ह ॥ हा कं की ४ आई 


फजर के लिए आजान के वक्‍त आप को जगा देते । 


इस हदीस के तहेत इमाम गजाली फरमाते है------ 5 
“रात के पहले हिस्से (तकरीबन रात 9 से 2 बजे के बीच) | 
में सोहबत करना मकरूह है कि सोहबत करने के बाद पूरी रात ना £ 


पाकी की हालत में सोना पडेगा” । हयाउत' ऊलम) 
फकीहे अबूललैस रदोअल्लाहो तआला अन्हो, अपनी मशहूर ४ 


किताब “बुस्तान शरीफ” में नकल फरमाते हैं कि-------------- 


'सोहबत के लिए सब से बेहतर (अच्छा) वक्‍त रात का | 


आखरी हिस्सा है (यानी तकरीबन रात 2:30 बजे से 4:30 बजे के बीच ) 


हिस्से में सोहबत करने से फायदा है (जैसे आदमी दिन भर का थका हुआ 


होता है और रात के पहले और दूसरे हिस्से में. उसकी नींद हो जाती है जिस 
की वजह से उस कौ दिन भर की थकावट दूर हो जाती है और वोह ताजा ४ 
दम हो जाता है इस के अलावा दूसरा एक येह भी फायदा है कि) रात के 
। आखरी हिस्से तक खाना अच्छी तरह हजम हो जाता है । 


(बिस्तान शर्तफ्र। 
नोट /- येह तमाम बातें हिकमत के मुताबिक है शरीअंत में सोहबत करने का 
कोई ख़ास वक्‍त नहीं बताया गया है शरीअत में हर वक्‍त सोहबत की इजाजत 
है । सरकारे मदीना सझल्लल्लाहो तआला अलैहि व सल्‍लम का अपनी बीवीयों से दिन 


क्‍योंकि रात के पहले हिस्से में पेंट गिजा (खाने) से भरा होता है और ! 
| भरे पेट सोहबत करने से सेहत को नुकसान है जब कि रात के आखरी ६ 


और रात के दिगर वक्‍तों में सोहबत करना साबित है । . (वल्लाहो आलम) । 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


६ कं: शक ला कर अं 


. | - मं ॥ शा झा शा - हा ॥ हैं ६) है ))) ॥ ह शा. . श शा छः किक [ ः 


: (४ / | 
बल 


हजरत इमाम मुहम्मद गजाली नकल फरमाते है कि 
8 अमीरूलमोमेनिन हजरत अली और हजरत अबूहरैरा और हजरत 
अमीर मआविया रूंअल्लाहो तआला अन्हुम ने रिवायत किया है कि------- 

"(हर महीने की) चाँद रात, और चाँद की पंद्रहवी शब (रात) 
॥ और चॉद के महीने की आख़िर रात सोहबत करना मकरूह है कि इन 
रातों में सोहबत करने के वक्‍त शैतान मौजूद होते है । (वललाहो आलम। 

(कॉस्या- ए-सआदत, स्रफ़ा न॑ 2686/ 

है. नॉट /- 'तहकीक येह है कि इन रातों में सोहबत करना जाइज हैं लेकिन अहतियात 
| इसी में है कि सोहबत करने से बचे । .._ (वल्लाहों आलम! 


_॒ ह ॥ ॥्‌॒ ह ह॥. 


ही पा न रोजों कौ रातों में अपनी ही क्‍ ८८ (7५2 |.» 
। | ॥ «५०७० 44.) «६. |] 
४ औरतों के पास जाना तुम्हारे लिए ५५०५ “ है "52 

हलाल हुआ । & 283 


/#ज्मा /- कन्जुल इपान सरीफ़, प्रा 2, शृुरए बकर, आयत 787, 
रमजान के महीने में रात को सोहबत कर साकते है । 
मैं ना पाकी की हालत में सेहरी करना जाइज है और रोजा भी हो जाता | 
॥ है लेकिन नापाक रहना सख्त गुनाह है । " 
मस्खालला :-रोजे की हालत में मर्द, औरत ने सोहबत की तो रोजा ## 
टूट गया या मर्द ने औरत का बोसा (चम्मन) लिया, गले 


अन्‍नमनमपीर आ मो. | व्यााााथ व्ममााण 6 |५... हा. .._.+. बचााआ>2 मम. मइा गजाान शा बमममाल' न्याय" .>एमपयए याद! न्कन्गाइल्‍ना.हप्न्गएः नागा बनाओ. 


॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥_ ॥ है ॥॒ ॥ ॥ ॥ ह॥ ॥: ॥ ॥ ॥ हवू॑ ह॒ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ & 


है 9 - 


को 


कं. हाहाकलन 5 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


कुरी ज-ए-जजिन्द गी के 47% सद् ल्‍ 


लगाया, और इन्जाल हो गया (यानी मर्द की मनी निकली) तो 
रोजा टूट गया और कफ्फारा भी लाजिम हो गया । 
जान बूझ कर औरत से सोहबत किया चाहे मनी निकले 
या न निकले तो रोजा टूट गया और कफ्फारा (शरई जुर्माना) 
भी देना जरूरी हो गया । 
(कारूनें शररीअत, जिल्‍्द 7 स्का न॑ ॥35,737/ 

कृफ्फारा (जुमना) :८ 

कफ्फारा येह है कि लगातार साठ (०) रोजें रखे । अगर 
येह न हों सके तो एक गुलाम आजाद करे (और मौजूदा दौर में येह 
हिन्दुस्तान ही नहीं दुनिया के किसी भी मुल्क में मुमकिन नहीं) अगर येह भी न 
हो सक॑ तो फिर साठ (०) मिसकीनों (गरीबों मोहताजों) को पेट भर कर 
दोनों वक्‍तों का खाना खिलाए । और रोजा रखने की सूरत में अगर 
बीच में एक दिन का भी रोजा छूट गया तो अब फिर से साठ (७०) 
रोजे रखने होगे पहले रखे हुए रोजों को गिना नहीं जाएगा । मसलन 
उन्सठ (59) रख चुका था और साठवा नहीं रख सका तो फिर से रोजे 
रखे । पहले के उन्सठ (59) बेकार गये । लेकिन अगर औरत को रोजे 
रखने के दौरान हैजु (माहवारी) आ गई तो हालते हेजु में रोजें रखना छांड 
दे फिर बाद में पाक हाने के बाद बचे हुए रोजे रखे यानी पहले के 
रोजे और हैज के बाद वाले रोजें दोनों मिला कर साठ (०) हो जाने 
से कफ्फारा अदा हो जाऐगा । 

अगर कफ्फारा अदा न किया तो सख्त गुनाहगार होगा 
और बरोजे कियामत सख्त अजाब में रहेगा । 

(किल्‍्ने शरीअत, जिल्द न॑ 7, प्रफ्छा न॑ 737/ 


है, कट की कर 
किया. हिआ (227 
दर आ हल 


०णण्णी-य हज तक 


नह, बओ है हर हर ॥ ॥ ॥ ॥ काट“ ७ कि 


5 ब्यूलन--र 


- है हि. है हू... 


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क्ज्ण हु हु. “ वा 


छल छात्र &ज> ८४ छल छत छूऋ बढ 


आय ॥ ही ॥ आह हि हा. को की :आ - की 8 


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पा क्या हा. 8  ॥ 'आ 8. 8 . छ का का कं. छा छ छा 8 5 मा 


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कलर कृरी न-ए-जिन्दगी 


रजत :- तों औरतों से अलग रहो 
है हैज॒ के दिनों, और उन से नजदीकी 

न करो जब तक पाक न हो लें 
॥ फिर जब पाक हो जाए तो खउ्बके 

पास जाओ जहाँ से तुम्हें अल्लाह 

ने हुक्म दिया । 

(गिज्पा /- कत्जुल इप्ान शरीफ, जता 2 बृरए बकर, आवत 222/ 
बालेगा औरत के आगे के मकाम (शर्मगाह) से जो खून | 

हैं; आदत के मुताबिक निकलता है उसे हैज॒ (माहवारी, मासिक ७र्म अवस्था, ह 
है (० वगैरा) कहते है । लड़की से जिस उमर से येह खून आना शुरू है 
| हो जाऐ उस हीं वक्‍त से वोह बालिग समझी जाती है । 

। मस्अला --हैज (माहवारी) की मुद्दत (?७१००) कम से कम तीन दिन 
और तीन रातें हैं, यानी पूरे बहत्तर 62) घंटे, एक मिनट हु 
भी अगर कम है तो हैज नहीं । और ज्यादा से ज्यादा. # 

३५० दिन और रातें हैं । 

हु (बहार शातंआत, जिल्द7)-हिस्सा 2, सफ़ा 42, कानूने शरौअत, जिल्‍द 7, सछा 7 57) है 

है. मस्ऊला :-येह जरूरी नहीं कि मुद्दत में हर वक्‍त खून जारी रहे # 

बल्कि अगर कुछ कुछ वक्‍त आए जब भी हेैज है । ४ 
(बहारे शरअत, जिलल्‍्द 7 हिस्सा 2, सफ़ा 42, काने शरीअते, जिलल्‍्द 7, स्रफ़ा 52/ 
मस्अला :-हैज में जो खून आता है उस के छे () रंग हैं । काला, 
लाल, हरा, पीला, गदेला (कीचड की तरह गन्दा) और मटीला 

(मिट्टी के रंग जैसा) इन रंगों में से किसी भी रंग का खून 

आए तो हैज है ' /६ 


की हु हक कर 


0० #औ#५अ 4 था 
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6725222,...5,56८ ८८5 ॥ 
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७ 4. 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


जो [ कक फ्रता बच सा हड | का ह ४0 4 जब छछड 2तत छन छथर 7न फट! ० ध 


].05ए्ा७ ) हेज नहीं । 

(बहारे शरीअत, जिल्द , हिस्सा 2, सफा 43, कानूने शरीअत, जिल्द ॥ सफा ने 52) 

मस्फकलता :-हैज और निफोस, (निफास का बयान आगे आएगा) की हालत 
में क़ुरआने करीम छूना, देख कर या जूबानी पढ़ना, नमाज 
पढ़ना, दीनी किताबों को छूना, येह सब हराम हैं लेकिन 
दुरूद शरीफ, कलमा शरीफ वगैरा पढ़ने में काई हर्ज नहीं 
(बहार ज़रीअत, जिलल्‍द 7 हिस्सा न॑ 2, स्रफ़ा न॑ 45/ 

उास्फाल्या “हालते हैजे में औरत को नमाज मुआफ है और उसकी 
कजा भो नहीं यानी पाक होने के बाद छूटो हुईं नमाज | 
पढ़ना भी नहीं है | इसी तरह रमजान शरीफ के रोजे 
हालते हैज में न रखे लेकिन बाद में पाक होने के बाद 
जितने रोजे छूटे थे दोह सब कजा रखने होंगे -। 

(फ्रताका-ए- मृस्त फविया, जिल्‍द 3, सका 73, कानूने शरीअत, जिल्‍्द 7, सफ़र 46/ 


! यह का हा 


;ः _#ज 


| जी जाना विनय वह विवनक-«-न- म ः | 
छत छ्र छब बम छल 
रा मा] कया -म बार कर प्र का 


व एज छू हल एल पडा छत एप छाज । 


जा जन बाज छा का न आजा छल पा जा फा हक जा व बा किया शी की... 


ध वश»... 2७७७-७७ ++9 6. हि... थं- बम. लिन ३-६..." 6.३५ 4४ < परम %३०७००३७ - ९“ ५०.७3. २५ २+3३3 ५-०७. 3>७8४४- अर. 


जब औरत हैज (माहवारी) की हालत में हो तो उस से 
सोहबत करना सख्त गुनाहे कबीरा, ना जाइजु व सख्त हराम-हराम-हराम | 
है । इस बात का ख्याल रखे कि जब कभी भी सोहबत का इरादा 
हो तो पहले औरत से पूछ लें और औरत का भी फर्ज है कि अगर 
वोह हालते हैज में हो तो मर्द को खबरदार करदें और किसी भी हालत 
में मर्द को सोहबत न करने दे वरना सख्त गुनाहगार होगी ।. 

अक्सर मर्द खास कर शादी की पहली रात (सुहागरात) को 
॥ अपने आप पर काबू नहीं रख पाते है और बावजूद औरत के हेज की 
७ हालत में होने के सोहबत कर बैठते है । याद रखिये अगर औरत हालते 
9 हेज़ में हो तो उस से किसी भी तरह सोहबत करना जाइज नहीं चाहे 
शादी की पहली ही रात क्‍यों न हो ! 


आफ हज ककिओ आता है... कि ५४ छू या ० कि: कप आ आ - या न्ञझज 


वन छ उतरा पतन छा 7 छ 


बीत 
गा / 
किबनक <.- के. 


जज जिम का पाल एन छत छान व शथ पाल शिधा 4 


जे का छत धय हड शिब 2०म छड़ । 


| 
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श्य है रथ " न ञ 

न 2] पड़ '8 जान का 
हर 


हि 
| आन न्च्न 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


ता 2 कुरीन-ए-जिन्द ्न्तब बनना | पा हवा ४// | | || £॥] ))॥ छा | 2 | हा है... किक. हुड़ 


#! इस लिए मर्द की जिम्मेदारी हैं कि वोह शादी की पहली 
है ही रात से अपनी बीवी को हैज के मुत्जल्लिक दीनी मअलूमात से 
9 आगाह . (अवगत) कराए ।ढ 


इमाम गृजाली रह्वअल्लाहो तआला अन्हों इरशाद फरमाते है-- 

'इल्मे दीन जो नमाज तहारत वगैरा में काम आता है 
औरत को सिखाए अगर न सिखाएगा तो औरत को बाहर जा कर. 
हैं आलिमे दीन से पूछना वाजिब और फर्ज है । अगर शौहर ने सिखा 
| दिया है तो उस की बे इजाजत बाहर जाना और किसी से पूछना औरत 
है को दुरूस्त नहीं । अगर दीन सिखाने में क़ुसूर करेगा तो खूद गुनाहगार 
है होगा कि हक तआला ने फरमाया है------- 

कर्जज्ा “- आए ईमान वालों अपनी ४६५७५ 5: 

जानों और अपने घर वालों को 5 8-३ तह के 
| आग से बचाओ । (कीम्या-ए-सआदत, सज़ा है. 265) 


॥ हैज में सोहबत करने से नुकुसान्‌ :- 


! 

हकीमों ने लिखा है कि औरत से हैज की हालत में 
। है सोहबत करने से मर्द और औरत को जुजाम (कोड़, 5००८) की बीमारी 
॥ हो जाती हे । ओर कुछ हकीमों ने कहा हैं कि हज की हालत में 


| सोहबत किया और अगर हमल ठहर गया तो औलाद नाकिस (अधूरी 
ही] एणाए।€ ) या फिर कोडी पैदा होंगी । 

" हालते हैज में सोहबत करने से औरत को बहुत तकलीफ 
होती है क्योंकि औरत का उस जगह से लगातार गन्दा खून निकलता 
रहता है जिस की वजह से वोह जगह नर्म और नाज़ुक हो जाती है 
और जब मर्द अपना आला (ऊज़ुू-ए-तनासूल, 5८५ एथा.) उस में दाखिल 
करता है तो वहाँ जख्म बन जाता है जिस से तखलीफ होती है और 


4 ह 8. च्ाक _ _ ॥ ॥ ॥ ॥ ,॥ ॥ ॥ हू ॥ ॥. ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ह# ॥ ॥ ॥ ॥ &. ॥ &॥. ॥ ॥._ 


0; पच्ण -.. का [ बिक कर हे | जात इुडर छा एज 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


का “अल ऋचा पज कल | ))॥ उ च्छ एन छा ऋा आम | न >> 


में लेने के देने पड जाते हैं । जरा खूद ही सोचिये उस घर. में इन्सान 'र 
ह॥ क्या रह सकता है जहाँ गन्दगी और बदबू हो । फिर भला उस मुकाम 
| से उसे कैसे फायदा हो सकता है जहाँ गन्दगी का बसेरा है । हाँ उस 
मुकाम से उसी वक्‍त फायदा हासिल किया जा सकता है जब वोह साफ 
व पाक हो | लिहाजा चन्द दिनों का सब्र बेहतर है इससे कि सब्न न 
कर के जिन्दगी भर पछताया जाए । 
मस्मनला :-औरत हैज की हालत में है और मर्द को शहवत (सहवास, 
5८») का जोर है, और डर येह है कि सोहबत न किया 
तो किसी से जिना (बलत्कार) कर बेठगा तो ऐसी हालत 
में अपनी औरत के पेट पर अपने आले (ऊजू-ए-तनासुललिंग) 
को मस कर के इन्जाल कर सकता है (यानी मनी निकाल 
सकता है) जो जाइज है लेकिन रान पर ना जाइज है कि 
हालते हैज में नाफ (बोम्नी, [0०]४४४८।) के नींचे से घुटने 
तक अपनी औरत के बदन से सोहबत नहीं कर सकता । 
(शतावा-ए-अफुरीकू, सफ़ा हे 777) 
याद रहे येह मस्अला ऐसे शख्स के लिए है जिसे जिना 
हो जाने का पूरा यकीन हो तो वोह इस तरह .से मनी निकाल कर सूकून 
हासिल कर सकता है । लेकिन सब्र करना और उन दिनों सोहबत से | 
बचना ही अफजल है । (बहारे शरीअत, जिल्द 7 सफ़ा नं 42/ 


हालते हैजू में औरत अछूत क्‍यों :- 


कछ लोग औरत को हालते हैज (माहवारी) में जब तक 
वोह पाक नहीं होती तब तक ऐसा ना पाक और अछत समझ लेते है 
कि उस के हाथ का खाना उस के हाथ का छूवा पानी और खाना 
वगैरा खाने पीने से एतराज करते है यहाँ तक कि उस के साथ बैठना 
0७ भी छोड देते है । 


"कद ्चाका 2 ॥ 8 छा छा 8 छा 8 आओ अल लय पक बस 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


रह रे ॥ साल एल छत्र #छ ऋषछ . | । ६) ।)|ऋूज बा कब छठ उधा जा छह | 2०७०४ ७ कक - 
/ शैसे लोगों के बारे में शहजादा-ए-आला हजरत हुज़ूर 
मुफ्ती-ए-आजमे हिन्द <ूमतुल्लाह तआला अलैह अपने फतवे में इरशाद # 
फरमाते है. किन न ना -+> 3 त2ननीनन तन कन न»-न समन नल नितिन मनन के थ 
“जो लोग ऐसा करते हैं वोह ना जाइज व गनाह का काम छु 
करते है और मुशरेकीन, यहुद और आग की पूजा करने वाले काफिरों की 
रस्मे मरदृद को पैरवी करते हैं । हैज की हालत में सिर्फ शर्मगाह में सोहबत & 
करना ना जाइज है बस इस से परहेज जरूरी है मुशरेकीन व यहद और मजूस 
(आग की पूजा करने वाले काफियें) की तरह हैज वाली औरत को भंगिन (मेहतर 
#& एशा8।० 5$७०९एल) से भी बत्तर समझना बहुत ना पाक ख्याल, निरा 
ज़ुल्म, बहुत बड़ा वबाल है येह उन की मन घड॒त है । 
(फतावा-ए-मुस्तफ़क्या, जिल्‍्द उ सफ़र न॑ 73) 
अस्अला :-हालते हैज में सोहबत करना बहुत बड़ा गुनाह (हराम व 
ना जाइज) है लेकिन औरत का बोसा (चुम्मन | +++- ले सकः 
है । खबरदार बात चूम्मन (८55) तक ही रहे उससे आगे 
(सोहबत तक) न पहुँच जाए | इसी तरह एक ही पिलेट 
में साथ खाने पीने यहाँ तक कि उस का झूठा खाने पीने 
में भी काई हर्ज नहीं । गर्ज कि औरत से वैसा ही सुलूक 
रखे जैसा आम दिनों में रहता हैं । लेकिन एक बार फिर 
हम आप को आगाह कर देते है कि किसी भी हालत 
में औरत की शर्मगाह में सोहबत न करे । 
(कलखीज :- ॥्िर्मिजञी शरीफ जिल्‍्द ॥, सरफ्ा 7356/ 
मास्अत्या “- हालते हैज में औरत के साथ शौहर का सोना जाइज 
है । और अगर साथ सोने में शैहवत (5००) का गलबा 
और अपने को काबू में न रखने का शक हो तो साथ 
न सोए । और अगर पक्‍का यकीन हो तो साथ सोना 


॒ 'ंं रत रू जी ऋ छू # तर लेडी नये अ जा ऐ्रेंक जं छह एंडी५ मा। पका जा 


ज्छ 
>ज्बक ह॒ ह॒ ह .॥ ॥ ॥ .॥ ॥. ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ -॥ ॥ ॥ & &॥ #&. है . ॥ 8 अं |॥ .॥ #॥ है. है. 9. हे. 


5 स्का आह ह ॥ ॥ ॥ # मा हा 
6 * हे | या हर 


गुनाह नहीं है । 
(हारे ज़रअत, जिल्‍द 7, हिस्सा ने 2, पश्रफ़ा मे उ4 / के 
के ह - छ कक - का छ 9 की. ६. है ह ह छ हा अछी ही _ हाल्कम्ण | 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


23 झा हनन हा हल हा हज हू | हैं है ॥ ))) _हन हम हमला कम छा: हामा बे “77 ल्शाया 


॥ हेज के बांद सोहबत कब- करे 


फ > | ४ 


हमारे इमाम, इमामे आजम अबू हनीफा रदअल्लाहो तआला || 
अन्हो के नजदीक, हालते हैजू में जब औरत से खून दस (0) दिनों के बाद | 
आना बन्द हो जाए तो गुस्ल से पहले भी सोहबत करना जाइज है लेकिन ॥ 
बेहतर है कि औरत जब गुस्ल कर ले उस के बाद ही सोहबत की जाए । ॥ 
६:८9 हजरत सालिम बिन अब्दुल्लाह और हजरत ॥ 
सुलेमान बिन यसार से हैज्‌ वाली औरत के बारे में पूछा गया--- | 
“क्या उस का शौहर उसे पाक देखे तो गुस्ल से पहले सोहबत कर | 
| सकता है या नहीं” ? दोनों ने जवाब दिया--“न करे यहाँ तक कि । 
वोह ग़ुस्ल कर ले । 
(श्र इमाम मालिक; जिल्द 7, बाब न 26, हदीय ने 9, ब्रफा 79/ 
गरजल्ा +- दस दिन से कम में खून आना बन्द हो गया तो जब 
तक औरत गुस्ल न करे सोहबत जाइज नहीं । 
(गहार॑ ज्रीमअत, जिल्द- 7, हिल्सा ने 2, ब्रा मेँ 74/ 
मस्अला :-- आदत के दिन पूरे होने से पहले ही हैज का खून आना | 
बन्द हो गया तो अगरचे औरत गुस्ल कर ले सोहबत । 
जाइज्‌ नहीं, मसलन किसी औरत की हैज की आदत चार & 
दिन व रात थी और इस बार हैज आया तीन दिन व रात ! 
तो चार दिन व रात जब तक पूरे न हो जाए सोहबत | 
जाइज नहीं । 
(हारे जरजत, जिल्‍्द 7, हिस्सा में 2 स्का ने 47) 
मस्अत्ग “- औरत को जब हैज का खून आना बन्द हो जाए तो 
उसे गुस्ल करना फर्ज है । 
किक्नी शरअत, जिल्‍्द 7 सफा ने 38) 


प 8, | ; ६ शा हल्ला ँंँआि॑- डिक हा. -ह. शक  ह अं ॥ 8 ॥ -॥ - ॥ का आल 


£)2- बज का जार थर जा का काओआज उक फछ है. ॥ 8 & &- ॥#॥ &8 &8 ॥ ६ ॥&॥. ॥ ॥ ६ ॥ ॥ #& & #॥ ६& #ह#& #& 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


'].. है ४ है .. है हे ह 


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॥ ॥ (० ०न्‍क बज 2० ०-० है . न था [.] खब 
ड़ 


लक जे हल | छल छा जब 


“कक कक (बा आजा जा आय जा जय जा 


कर 


| 4 "हि. द 
[० दि 
गा बा |। 
न्न्न्यी बा 


हैज से पाक होने का तरीका :- 


जरा) ऊम्मूलमोमेनीन हजरत आएशा सिद्दीका रतअल्लाहो. 
इआला:अछा से - रिवोयत है किं+-कलनक--अ>ूनने+ >किस + न कयनसनस 9 +9+++ . ही 


“एक औरत ने रसूलुल्लाह ४0 (५० (४ 2.0५; . ..) 
सल्लल्लाहो तआला अलैह व सललम से हैज (०५७७ ->*५)...-.-++ कक 4. 
के * कु फनी से क्‍ शहर ७-७ ०४ ४ 5 ७ ..७ 

. अत «जो ग ऋर | छ " 2. को तु ह 
और फिर फरमाया--- 'प्र्श्क (कस्तुरी) पर जा ५४ हे 2 
शक कक (४ /$ब्य( ०५: .#-5| ....६ ...2& 


से बसा हुआ रूई का फाया ले « क्‍ 
और उस से तहारत हासिल कर”। ५/ 5० 0: के 


वोह समझ न सकी और कहा--- “आल पी कह जे। 52% 
'भकिस तरह तहारत करूँ”? फरमाया- # 7७१८१ 
“सुबहानल्लाह उस से तहारत करो” । (हजरत आएशा फरमाती हैं) “मैं 
ने उस औरत को अपनी तरफ खींच लिया और उसे बताया कि उसे 
खुन के मुकाम पर फेरे” 
(बिखारी शररीफ़, जिल्‍द 7, बाब में 275, हदीय | 35, सज़ा ने 207/ 

जाट /- इस जमाने में मश्क मिलना मुश्किल है इसलिए उस की जगह इतएः 
या गूलाब पानी का फाया लें । 

इस हदीसे पाक से मअलूम हुआ कि हैज का खून जब 
आना बन्द हो जाए तो औरत जब गुस्ल करने बैठे तो पहले रूई (कपास, 
८०४०) को इतर वगैरा कौ खुशबू में बसा ले फिर उसे खून के मकाम 
(शर्माह) पर अच्छी तरह फेरे ताकि बहाँ कौ सारी गन्दगी साफ हो जाए 
फिर उसके बाद गुस्ल कर ले (गुस्ल का तरीका हम आगे बयान करेगे) 


प 5 कस -अचक मे पक 


9 यान हक +-7: का. हा ह॥ हा का आंयाहा- का का या. ॥ .॥ छः # # 


छा छत आर] ध््ज् हं ॥ 
॥ : हैं है. -+ क॑. ॥ :॥ है है. है 8 


5 


है. प जता हम हा कम छत हल हम करा शाम हद हम आम जमा सका हक बसा खाना जाम हाथ हम कम कमा पाम समय हम: अध्छ लाभ ही 8 


बला 9 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ह ॥ # & ॥ ॥ छह 8 मी 8 छा आ छा 88 88 आस माता 


हे 


वोह खून जो औरत के आगे के मकाम से निकले और हैज व निफास का 
न हो वोह इस्तेहाजा है । इस्तेहाजा का खून बीमारी की वजह से आता है 


मस्अत्या +- हैज की मुद्दत ज्यादा से ज्यादा दस दिन रात और कम | 
से कम तीन दिन व रात है । दस दिन रात से कछ भी ज्यादा आया । 


या तीन दिन रात से कुछ भी कम आया तो वोह ख़ून हैज (माहवारी) 
का नहीं बल्कि इस्तेहाजा का है, अगर किसी औरत को पहली बार हैज 
आया है तो दस दिन रात तक हैजू और बाद का इस्तेहाजा है और अगर 
पहले उसे हैज आ चुके है और आदत दस दिन रात. से कम की थी 
तो आदत से जितने ज्यादा दिन आया वोह इस्तेहाजा है। इसे यूँ समझे 
कि किसी औरत को पॉच (5) दिन की आदत थी (यानी उसे हमेशा हैज 
पाँच दिन तक आता और फिर बन्द हो जाता था) लेकिन अब आया दस (0) 


दिन तो कुल हैज है (यानी दस दिन का हैज्‌ है) लेकिन बारा (72) दिन आया | 


तो पॉच दिन (जो आदत के थे) हैज के हैं बाकी सात दिन इस्तेहाजा के 
हैं । और अगर हालत. मुकरर न थी बल्कि हैज किसी महीने चार दिन 
आया, कभी पॉँच दिन, कभी छे दिन, तो पिछली बार जितने दिन आया 
इतने ही दिन हैज के समझे जाएगे बाकी इस्तेहाजा के । 

(बहारे शरीअत, जिल्द ॥, हिस्सा ने 2, सफा 42, कानूने शरीअत, जिल्‍्द ), सफा 52) 


, हम  -। 


| आ क्र | 


"जब जन छत छा छात्र बा छा छा छा छा छत छा छा जम हमर पा छा छा छत छल 


मसला “- इस्तेहाजा में नमाज मुआफ नहीं (बल्कि नमाज छोड़ना गुनाह) न ६ 
ही रोजा मुआफ है, ऐसी औरत से सोहबत भी हराम नहीं | ॥ 
मरसअल्या :-- अगर इस्तेहाजा का खून इस कदर आ रहा हो कि इतनी # 


| मोहलत नहीं मिलती कि वुज़ू कर के फर्ज नमाज अदाकर सके (यानी ॥ 


खुन लगातार निकलता रहता है थोड़ी देर भी नहीं रूकता) तो एक वुज़ू से उस ॥ 
वक्‍त में जितनी नमाजें चाहे पढ़े ख़्न आने से भी उस पूरे एक वक्‍त ! 


के अन्दर तक बुज़ू न जाऐगा । अगर कपड़ा वगैरा रख कर नमाज ४ 


पढ़ने तक खुन रोक सकती है तो वुज़ू कर के नमाज पढ़े । 
(काए्नें श़रीअत, जिल्द, 7, म्फ़ा ने 54॥ 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


00 जाल हका जात छा उन जाल छात्र जा छका हक छा [ उन छा एल छऋन छा | कल्प छल 


कृरन-ए-जिन्दगी : 


ऐ 


कुछ कम अकल जाहिल हालते हैज॒ में औरत से उस के 
पीछे के मुकाम (पाख़ाने के मुकाम) में सोहबत करते है और दीन ब दुनिया 
दोनों अपने ही हाथों बरबाद करते हैं । होश में आईये येह कोई मामूली 
सा गुनाह नहीं बल्कि शरीअत में सख्त हराम और गुनाहे कबीरा है । 
बल्कि कुछ हदीसों में तो इसं-फेल को कुफ़ तक बताया गया है । 


_॥ ॥ ॥ ॥. है ह ॥ ॥ 8 ॥ बाप 


हू... ॥ है | 


कल | ह] | - है. ह....ह.. ॥ . ह . ॥ . ॥. 8. ॥  ॥  ॥  ॥.- ॥ ॥ ॥. ॥  ॥ ..&.. छ86:० 89 ६: 


रसूलुल्लाह जललल्लाहो अलैह व सललम ने इरशाद फरमाया----- ----- 
*पाख़ाने के मुकाम में औरत से वह 
सोहबत करना हराम है”। हो" 
(पुलदे उम्रायें आजय, ग्रफ़ा हें. 223) 
(६१६६ कक) ( ज्टल्टी-अ्य व 575 अबूहरैरा रदौअल्लाहो तआला अन्‍्हो से रिवायत है ह 
“जिस ने औरत या मर्द से पल लग, थ 
हैं उस के पीछे (पाख़ाने के) मुकाम में की क्र ६४] ४०७८४ | | 
मैं (जाइज समझते हुए) सोहबत की उस “3७००, ७५७ 
। ॥ ने यकौनन कुफ्र किया” । ः 
(अबृदाऊद जर्गफ, अहमद शर्त, जया शरीफ, कौर) " 
म १ कि रसलुरूताह सल्लल्‍्लाहों तआला अलैह व सल्‍लम फरमात हक “2 जी: -.. 
। अब्ताहड ताला कियामत के दिन ४ | 7 , 2 5 4.०0] »+2<4/। ५४ 
$ ऐसे शख्स की तरफ नजरे रहमत | | ० 0 2 


* है नहीं फरमाएंगा जिसने अपनी औरत के पीछे के मुकाम से सोहबत कौ” 
पी (ुख़ारी शर्रीफ़, हिर्मिज़ी, अबृदाऊद, इब्में माजा, मृस्लिप शरीफ, नसाड़ी 


कसा जाउत जप हकता छत सका जाला ऋण छाल पा 


कक महा हज ७अ फक एल 


जा 
] 
न है जग. ह--्ीशिक ७ न. मान. कमा." करा< डा अत ॥ापाभात मामा. क्र. क्‍प-.. मम ८... 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


अं व पल ३ बन हर | घर ड़ [अब धर जा वा 


है 
ही. 
 ] 


पथ आफ त। 
, 


अगर हम जरा सा भो गौर करे हो मअलूम होंगा कि ' 
| अकक्‍ल की रू से भी येह काम निहायत हीं गन्दा और ना पसंदीदा है £# 
जिस से इन्सान को खूद ब खूद घिन आते लगती है ! ओलमा-ए-किराम 
ने औरत से उस के पोछे में सोहबत करने क॑ कई नकसानात बयान किये | 
है जिन में से चन्द्र हम यहाँ बबान कर रहे है । ५ 
बृकृसानात २- अव्वल तो येह गिलाजह, बदबू, और गन्दगी के * 
खारिज होने का मुकाम है । सोहबत की लिज्जत व लुत्प अन्दोजी को # 
उस से क्‍या इलाका ! दत्तरा येह कि कुदरत ने उस जगह को इस काम 
के लिए नहीं बनाया है तो गोया उस जगह से सोहबत करना क़दरत के “ 
बनाए बुसूल से बगावत है । तासझरे येह कि औरत की शममंगाह में 
जाजाबियत (खींचने, &0४ऊतवा) का मादेह हाता हैँ जी मर्द को मनी का ) 


जज्ब (खींच 455०) केर लेता है जब कि पाखान क॑ मुकाम में इस्घाज “ 
फेंकने ॥0709)] का माद्दा होता है लिहाजा मर्द की मनी का कुछ हिस्सा | 
मर्द" ऊज़्‌-ए-तनासुल में ही रह जाता हैं जो कई बीमारियों को पैदा करता 
है । चोौधा येह कि इस सूरत में ऊजू-ए-ठनासुल (लिंग) की रगों और 
जिस्म के दूसरे हिस्सों पर खिलाफ फित्तरत जोर पड़ता है जो रगो के | 
लिए नुकसानदेह है । इस तरह के और कई दुसरे नुकसानात कौ वजह 

से शर्रअत ने इस काम को हराम करार दिया और इसे बुरा बताया ! 


कर फूक फू का 5 बल] 


ह्प्य्वल्ष्ध्छे ध्ट-फ्छि रब वआला दरशाद फरमाता हैं------------ 


#र्जक्ञ :- तुम्हारी औरत तुम्हार लिए |: ,८.. दा 
खेतियाँ हैं तो आओ अपनी खेतियों [| 7४-०४ ३० 


॥ 


५..०४) हे ध्नसि २ ह 


में जिस तरह चाहों, और अपने [| 
भले का काम पहले करो 


/#जपगा /- कन्जुल ईपान, पार, 2, गराए बकर, आयात 223/ 
िप्ण तकका पा लाश ६ क्र जकक एका शत उक्त ऋण जाए जय ऋष्य कुलत एए: कर फटा एन है] 


हा 
| व 


हे ग॒रयाक 
हा पट 
॥' ४ हि 
| 


४... अफन्न 
द 


72[)-7 66460 ५ध॥ 00/00५9 ॥#8/ ४8/800 ७७७.|2४900/५.00॥] 


। 8 0४ जा १३ शा ट  है। 
>> क्) रा का “है छ्ज बाह ज फ्शाण्ज जाप 


“यैह आयत साोहबत करने क मुत्जल्लिक नाजिल हुई” 
(कुजारयों शर्रोफ़, बिल्‍द 2, बाब म6/3, हदीस नें. 660, ग्रफ़ा ने. 229/ 


। £ कक हो) उअाजलाह कं र्ुले सललल्लाहो तआला अलैह व सल्लम ने 


ह ब्र॒ ॥ : ४8४. 8. ॥ - आध्यप्ज हि 


जा अओओआ लजात। भसानाा सात 'नवासहाः माला ना! सतना अमान मम नम बम. वन. "मम... 4७--...मामममम«भम...गगममकभ»भ». "रमन. मलममलण.....्मनाहलए.ममाहल्‍ूण.गालामाहः तालबाम।. लाना. पाया. पाक. समान पन्ना मनन नमन. अन्‍««»««« ंन्‍अ«नभ रण असल नम«ः+ बम. अमन. ममनणमकन.“मगाममकणमो 


हा “सोहबत सिर्फ औरत की शर्मगाह में ही होना चाहिये चाहे आगे 
व से करे या पीछे से दाई करवट से हो या बाई करवट से, जिस तरह कोई 
६ शख्स अपने खेत में जिस तरफ से आना चाहे आता है उसी तरह उस्तकी 
हि. बीवी भी उसके खेत की तरह है उस से सोहबत किसी भी सिम्त (दिशा) 
# से की जा सकती है लेकिन सोहबत सिर्फ शर्मगाह में ही चाहिये । 


! काम आजा लात जमा एल बर छत बा बा ला बना बात जाम | 


हमारा और आपका मुशाहेदा है कि आज- कल लोग 
सेक्‍स की मअलूमात क॑ लिए ब्ल्यू फिल्‍मे (8.7.) देखते हैं । बिल्ख़ुसूस 
नव जवान लड़के । कुछ बेवकूफ सुहागरात में औरत को खास तौर 
पर ब्ल्यू फिल्‍म दिखाते हैं तांकि औरत जिस तरह फिल्म में दिखाया 
गया है उसी तरह उन से पेश आए और येह खूद भी हर वोह काम 
और तरीका अपनाने की कोशिश करते है जो फिल्म में होता है चाहे 
उस में कितनी ही तकलीफ क्‍यों न हो । आप को मअलूम होना 
चाहिय किसी भी मुश्किल से मुश्किल काम को फिल्माया जाना अलग 
बात है और उस को हकीकत में कर लेना अलग बात है । ब्ल्यू फिल्में 
तो सरासर आँखों की अय्याशी और धोके के सिवा कुछ नहीं । आज 
तकरीबन हर मुसलमान का बच्चा जानता है कि येह इस्लाम में गुनाह 
' इलात छत फधज तहान उकम ॥8/5 उापत्र फल एताद छाल हल छल जा छह जाल हाय खाए 


/१ ०० कं 


हा > [जता हक हम जय पद हज एक मम जन पक जात उड़ एस ए़ठह उमा फाड़ हम 


ली है. किए शा पिंड हूं; हिकिनिर | जनम कक पड बड़ बाड़ कक कक कक 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


कुरीन-ए४- जिन्दगी कनगान-+-+- यह, 
कर (387 श-॥४ ॥ मर 8 8 ॥+ | ))॥ + 


४ व हराम है लेकिन परवा किसे है । 
फिल्मों में देख कर उस की बातों को सीख कर अमल 
: करना ऐसा ही है जैस किसी फिल्म मे झोरो ते मोटर सायकल इस 
तरह चलाते हुए दिखाया जाए कि हीरो सड़कों से होते हुए मोटर ॥ 
सायकल उछाल उछाल कर लोगों की बिल्डींग और मकानों की छत पर 
चला रहा है कभी इस बिल्डीग पर तो कभी उस बिल्ड़ीग पर । #& 
इसी मनन्‍्जर (5८८४८) को किसी बेवकफ ने देखा और इसी £ 

तरह करने के लिए उसने अपनी मोटर सायकल अपने घर की छत पर ४ 
खडी कर के शुरू (567४) की और कलच दबा कर गेर बदला » 
एकसिलेटर कलच के साथ छोड दिया--------- ऐसे बेवक॒फ शख्स " 
है 


है 8 की को. आस आज कक ७. 


डर ॥ 


का जो हाल होगा वही हाल उस शंख्स का होता है जो ब्ल्यू फिल्में [ 
देखता है और उस पर अमल करता है । ऐसा शख्स गैरत और .मर्दानिगी # 
की ऊँची छत से, बेहयाई और ना मदनिगी क॑ ऐसे गढ़े में गिरता है £# 
“जिस से निकलना जिन्दगी भर मुश्किल होता है । 


+]:/ 3 शिड) अल्लाह रखब्बे कदोर इरशाद फरमाता है----------- 
_कर्जड्न :- वोह तुम्हारी लिबास है 52907% 5 2 8. &% 
और तुम उन के लिबास, 
(गिजणा /- कन्जुल इमरान शायफ़, प्रारा 2, यूराए बकर, आयत 787/ 

इस आयते करीमा में अल्लाह रब्बुल इज्जत ने क्‍या ही # 
बेहतरीन मिसाल से मियाँ बीवी के एक दूसरे पर हुकूक के मुत्शल्लिक & 
अपने बन्दों को समझाया है | जिस तरह आदमी अपने लिबास की 
हिफाजत करता हैं और लिबास जिस्म से जिस कदर 2005:/' होता हैं || 
५ उतनी ही कोई चीज करीब नहीं होती चुनानचे अल्लाह उच्बुल इज्जत हमें 


आपका / ० दर: के जप अत ऊअउशा उजयय इक या #इफती पंमतओ आओ ५7 फजदक छतड़ उज्भ अफेएई बम्लह जलता कड 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


हि 
| । 
|| 


लकी > 


>ब-० ० पं... 


गा... कोड कप नो "क)००-कट न +- 3०० «०० 2३० के. 2 जन्‍म 


१: है, आ...॥ .ह ॥ ह.. ॥ ॥. ॥ & 8. .॥... 


६ क्ल्ड कलह +3--२ै७- 


या 
9.7 
, “अन्न ७७ (- व्वणण 


७ « «अल 


५ ता बा 


क्रीन-ए-जिन्दगी 


कम ; ऋण कमा फल ना पक है ॥ #$ ))) . हज... था छा शा छा ह्ञा >> 
# हुक्म देता है कि मर्द अपनी बीवी के हुकुक्‌ की उतनी ही जिम्मेदारी 


से हिफाजत करे जितना वोह अपने लिबास की हिफाजत करता है और 


बीवी से उतनी ही मुहब्बत करे और उसे अपने से करीब रखे जिस तरह | 


लिबास से मुहब्बत होती हैं और जितना वोह करीब होता हैं । इसी 
तरह औरत पर भी येह सब चीजें मर्द की तरह लागू होती है । इस 
आयत कौ एक दूसरी तफ्सीर येह भी है कि मियाँ बीवी एक दुसरे 


| के अयेब छूपाने वाले हैं जिस तरह लिबास जिस्म को छुपा देता है ।. 
शौहर के हुकूक्‌ :- 


बीवी का फर्ज है कि अपने शौहर की ईज्जृत का ख्याल 
रखें और उस क॑ अदब व एहतराम से किसी किस्म की कोताही न. बरते 
और ज़ुबान से ऐसी कोई बात न निकाले जो शौहर की शान के 
खिलाफ हो । 


हिला) उममुलमोमेनीन हजरत आएशा सिद्दीका व हजरत 
अबूहरेरा रदीयल्लाहों तआला अन्हुमा से रिवायत है कि रसूलुल्ला[हू सललल्लहो 
तआला अलैहि व सललम नें इशशाद फरम्ताधा-----------+/+४/“/--5+---+-८-८ 
“अगर में किसी को किसी 
के लिए सज्दे का हुक्म देता त। ५ 
22 07 _## | ८. ४०० 

औरतों को हुक्म देता कि अपने की 2 की 


शौहर को सज्दा करें! । 7०० | 


/निर्मेजी एफ, जिल्‍द 7, बाब में 7889, हदीस ने 7758, सफ़ा में. उ#4/ 


द इस हृदीर शरीफ हे शक बात तो येह मअलूम हुई कि ४ 
खुदा के सिद्रा किसी को किसी के लिए सज्द! करना जाइज नहीं | 
ं कु 


और दूसरी बात येह मअलूम हुई कि शौहर का दरजा 


5५० ० शज ह8 7 छह १०४ फऋ इन अमा हुक उप आफ त्पझ अपा जा कमा 


करा. हाा- ला] 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


४ 


इतना बुलन्द है कि मखलूक में किसी क॑ लिए सज्दा करना अगर जाइज ॥€ 


हा एल का छा छक बा जा किट 


है. ॥. ॥ -॥ ह  ४- कह हे. 


सललल्लाहो तआला अलैहि व सललम ने इरशाद फरमाया----- 
“जो औरत अपने शौहर की । ना 
इताअत व फरमाँ बरदारी करे” 
(न्त्ाई शर्सफ़ू, जिल्‍दे 2, सफ़ा 564/ 


न भागे बल्कि जिन्दगी के हर क॒दम पर निहायत ही खनन्‍्दा पेशानी (ख़ुशी 
के साथ) शौहर को ख़िदमत कर के अपनी वफादारी का अमली सुबूत 


दे जो बेकार व फ़ुजूल हो तब भी औरत का फर्ज है कि शौहर के 

हुक्म की तअमील करे 

६5-१८ + आज) हजरत मैमूना रदीयल्लाहो तआला अन्हों से रिवायत है कि 

रसूलुल्लाह सललललाहो तआला अलैहि व सल्‍लम ने इरशाद फरमाया------- 

“मेरी उम्मत में सब से बेहतर वोह औरत है जो अपने शौहर 

| के साथ अच्छा सुलूृक करती है, ऐसी औरत को ऐसे एक हजार शहीदों 

का स॒वाब मिलता है जो ख़ुदा की राह में सब्र के साथ शहीद हुए, उन 

औरतों में से हर औरत जन्नत की हूरों पर ऐसी फजीलत रखती है जैसे 
मुहम्मद (सल्लल्लाहो अलैहि व सल्‍लम) को तुम में से अदना मर्द पर । 

(वन्यहुत्तालंबीन, ग्रफ़ा 773 
( छदीरस :--) जब) हजरत अबू सईद रदीअल्लाहों तआला अन्हों से रिवायत 
है हुजूर सल्लललाहो तआला अलैह ब सलल्‍लम ने इरशाद फरमाया------------- 


“शौहर की ना शुकरी करना आ नो 3 
एक तरह का कुफ्र है और एक कक कलह मम, 


» जा जन जा न जा जा बा छा का जा जा का का जा जा का एज फ् बा पता का का बा का बा लि मिल... जा जा जा बम जा 


(कुखारी शरीफ, जिल्‍द 7, बाब ने 27, हदीस मेँ 28, स्फ़ा ने 709) 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


( होता तो औरतों को हुक्म दिया जाता कि अपने शौहर को सजदा करे | ४ 
बूसीरत  ६--) 9) एक शख्स ने हुज़ुर सल्लल्लाहो तआला अलैहि व सललम २8, 
दरयाफप्त किया कि---“बेहतरीन औरत की पहचान क्‍या है”? हुज़ूर 


औरत का फर्ज है कि अपने शौहर की खिदमत से दूर 


दें । यहाँ तक की शौहर अपनी औरत को किसी ऐसे काम का हुक्म 


॥ ह हर ह है ॥ ॥ ह॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ हे हे 


कुफ़ दुसरे से कम होता हैं | बह 


5 गए पे ॥  ॥ ॥ छा. ॥ ॥ ७0 &॥ #॥ ७. 0 ॥ 8 छह - ह8- कह #॥. “-: ५ बेर 


हि. बह. व व ० ्प्म्र ० सती पज कट डे हु पु म्प 


नि 
८ ६5 | हजरत उअब्वल्लाह इब्ने अब्बास से रिवायत है 
कि रंसलुल्लाह पललललाहों त आला अलैह व सल्लम ने इरशाद फरमाया----- 
मुझे दोजख दिखाई गई में ने वहाँ औरतों को ज्यादा पाया 
वजह येह है कि कुफ़ करती है । सहाबा-ए-किराम ने अर्ज किया, क्या 
वोह अल्लाह के साथ क॒फ़ करती है ? इरशाद फरमाया---नहीं ! वोह 
शौहर की ना शुकरी करती है (जो के एक तरह का कुफ़ है) और एहसान 
नहीं मानती, अगर तू किसी औरत से उमर भर एहसान ओर नेकी का 
सुलूक करे लेकिन एक बात भी खिलाफे तबियत हो जाए तो झट कह 
देंगी मैंने तुझ से कभी आराम और सुकून नहीं पाया" । 

(बुखायी शरीफ, जिल्‍्द 7, बाब नें. 27, हदीस ने 28, सफ़ा न॑ 709/ 


हजरत उमर रूदअल्लाहो तआला अन्हो रिवायत है हुज़ूरे 


अकरम जझ्ल्लल्‍्लाहो तआला अलैहि ब सल्‍लम ने इरशाद फरपराया---------- 

“तुम को नहीं मअलूम औरत के लिए शिर्क क॑ बाद सब 
से बड़ा गुनाह शोहर की ना फरमानी है” 

(युन्ददुत्तालंबीन, सफ़ा 774/ 

लिंहाजा औरतों को चाहिये कि अपने शौहर की ना शुकरी 
न करे वरना फिर जहन्नम में जाने के लिए तैयार रहें । 

औरत अगर येह चाहती है कि शौहर को अपना गुरवीदा 
बनाए रखे तो उस की खिदमत में कोताही न करे इस की पुर ख़ुलूस 8 
खिदमतों को देख कर शौहर ख़ुद ही उस का गुरवीदा हो जाऐगा | .। 
| हजरत अबूहरेरा रदीअल्लाहों तआला अन्हों से रिवायत है 
रसूलुल्लाह सललललाहो तआला अलैहि व सल्‍लम ने इरशाद फ्रमाया------- 

“शौहर अपनी बीवी को जिस वक्‍त बिस्तर पर बुलाए 


और वोह आने से मना कर दे तो उस ओरत पर खुदा के फरीश्ते सुबह 
तक लअनत करते रहते है 


(बृखायरी शरीफ, जिल्‍्द 3, बाब में 775, हदीस ने 778, स्रफ़ा नें. 96/ 


बताता ऋात इाता 7#छ उाछ छा उतार ऋण एल छा कमा ऋा छ छत छल छात् + 


छल छल छज ऋवव छत छत धज्य हब हनन कल नय छत जा 


बह ह ॥ ॥ ह ह ॥ ॥ ॥ हर ह शा हू को. का 


द् लेकर -छब बता कम छल छल छल हक बता छत कल हज हक फत छत हआ एम हा उस एल छत हम छल कल छल हट ।पल कब फाड़ काल कण हक हक फ़ह| बा 
हा 0 क हक । 5० 


+ हैं हे. 


०-->००_- -ममाइकक ० 


ञ्ड - + हल्का 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


' $ ) एक और रिवायत में है कि----“जब शौहर अपनी ' | 
9 हाजत (सोहबत) के लिए बीवी को बुलाए तो बीवी अगर रोटी पका रही 
"| हो तो उस को लाजिम है कि सब काम छोड़ कर शौहर के पास हाजिर 
। हो जाए । ह्त्ल्जाछ (गिर्मेज़ी शरीफ, जिलल्‍्द 7, बाब नं 788, हदीस +ें 7759, स 595/ 
छाच्तीरसपं : हजरत आएशा रबौअल्लाहो तआला अन्हा से मरवी है--- 
हुज़ूर सल्लल्लाहो तआला अलैहि व. सल्‍लम की खिदमत में एक 
| जवान औरत हाजिर हुई और अर्ज किया--“या रसूलुल्लाह ! मैं जवान 
औरत हूँ मुझे निकाह के पैगाम आते हैं मगर मैं शादी को बुरा समझती | 
हूँ, आप मुझे बताईए बीवी पर शौहर का क्‍या हक है” ? आप ने 
| फ्रमाया---“अगर शौहर कौ चोटी से ऐडी तक पीप हो और वोह उसे ॥| 
थ जबान से चाटे तो भी शौहर का हक अदा नहीं कर पाऐगी”। उसने ' 
| पूछा--“तो मैं शादी न करो” 2? आप ने फरमाया--“तुम शादी करो $ 
| क्‍योंकि इस में भलाई हैं” | (बुकाशेफ़कुल .छुलूब, जब नंक सा तर 677) " 
#./ आह ! अफसोस आज कल की ज्यादा तर औरतें अपने | 
है शोहरों को बुरा भला कहती और गूलिया देती है कुछ बे बाक बेशर्म ॥ 
॥ तो अपने शौहर को मारने से भी नहीं चुकती । कुछ अय्यश बदचलन 
॥ औरतें अपने बीमार शौहर को घर पर छोड कर दूसरे मर्दों के साथ 
है रंग रलियों मनाने में मस्त रहती हैं । । 
का खुदारा ऐसी औरतें होश में आए अपने शौहर के मरतबे : 
है को पहचाने और इस दुनिया में थोड़ी सी मस्ती, रंगरलियों और थोडे 
५ से झूटे मजे की खातिर हमेशा हमेशा रहने वाली .आखित कौ जिन्दगी 
| को तबाह व बरबाद न करें । 
नि. एकू सास अमल />- जिस शख्य की बीवी उसका कहा न 
॥ मानती हो ना फरमान, जबानदराज, और झगड़ालू होतो बोह शख्स सोते 
वक्‍त --+ ४.) --+अलमानेओ” दिल से बहुत ज्यादा पढ़े बफजलेहि 
 तआला औरत फरमाबरदार और मुहब्बत बाग़े वालों हो जाएगा । 
/क्जाइफ़ एजवीया, सफ़ा ने >> 4/ 


“0५. का एक उन जज हज पका कम छत ऋत तक 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


_.. आर +-श-जिन्दगी 2, 


जिस तगह बादी को लाडिन है कि शौहर के हकक अदा 
हु करे उसी तरह शोहर पर भी फर्ज है कि बीवी के हुकूक अदा करने 
| में किसी किस्म की कोताही न करें ! कम 

| ६4:3 डक) रब ताला इरशाद फरमाता है------------ 


तर्जप 2 | * और नि जनसा > मर औरतों है ०] + कं ४ ही... न्फ़्ड ।;. बी 
7 7-३ )और- कम लाजखों भें) /( / 5 57४८४ २६८८ 
अच्छा बरताव करो । || 


(गिजपफा /- कम्यजुल इउपान प्रा<्य 4. बुरए विम्ा, आवक 79/ 


॥ बडी जिम्मेदारी येह भी है कि वोह अपनी बीवी का महेर अदा करें । 
हि न जब) 08०]९ सल्नल्लाहों तआला अलैह ब सल्लम ने इरशाद फरमाया-- 
“निकाह को शर्त यानी महर अदा करने का सब से ज्यादा 


दिन सख्त गिरिफ्त होगी और सजा भुगतनी पड़ेगी | 


| पर ज़ुल्म व ज्यादती करना बद तरीन गुनाह है 


णगयो- के ८ -न्‍्नत/नकत अपना» मद किन 7-00: मन मकर किए 5८4० +२४8४+ पक 
“सब से बुरा आदमी वोह है 'जो अपनी बीवी क॑ सताए"। 
करनी शरीफ़/ 


 दरशाद फरमाया----------------------८---८-०“९ 7१००० कब 
१ ऐ >> 


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शौहर यर बीवी की जो जिम्मेदारों आएद है उन में से एक ४ 


| ख्याल रखो” । (जुख़ारी शक, जिल्‍्द 3, सफ़ा 73०/ 
क्‍ बीवी का महेर शौहर के जिम्मे वाजिक है औः उसे अदा ७ 
करना जरूरी है अगर इसक॑ अदा करने में कोताही कौ तो क्रियामत के # 


शौहर का अपनी बीवी को सताना, गालिया देन और उस ## 


॥ (हाललाहछे रसूले ख़ुदा रच्लल्लाल त्माला अलेह व रुलतः ने इरशाद हि 


| ड्व्ीरय :--. रसूले मकबूल झललल्लाहों तआला अलैहि ॥ गत ने ॥ 


रा श्र हक पक फल छल एल्ब (मै 2 :$ )) फल कल हल्‍्ल एन कम हल जन्म" 


क्‍ 5॥ ०3 अर (५ 
"तुम में वोह बेहतर है जो पक, . 
अपनी बीवीयों के साथ बेहतर है “४ > £ 
| 


और मैं अपनी बीवीयों के साथ तुम सब से ज्यादा बहतर हूँ”। 
बने प्राजा, जिलल्‍द ॥, हदीय ने 20४7, ग्रफ़ा 557, हठिर्मिजी शर्तीफू, जिल्‍्द 7 सफ़ा 575/ & 
. शौहर को चाहिये कि अपनी बीवी के साथ ख़ूश मिजाजी, # 
नर्मी, और मेहरबानी से पेश आऐ और अपने प्यारे नबी के हुक्म पर ६ 
अमल करे । 
लेकिन आज कल आम तौर पर देखा येह जा रहा है कि ॥ 
मर्द हजरत बाहर तो चुहा बने फिरते है लेकिन घर में शेर होते है और । 
बे वजह बीवी पर रोब झाड़ते फिरते है । > 
बीवी से हमेशा मुहब्बत का सुलूक रखे हाँ अगर वोह ना | 
फ्रमानी करे या जाइज्‌ हुक्म न माने तो उस पर गुस्सा करे सकते है | 
हुज़र सैय्यदना गौसे आजमा “गुम्यतुत्तालेबीन” में और ॥ 
इमाम महंम्मद गजाली रुत॑ंअल्लाहो तआला अन्हों 'कीम्या-ए-सआदत” में 
फरमाते है------------------४+//---“““"++55““+“5“+-“++- 
“अगर बीवी शौहर की इताअत न करे तो शौहर नर्मी व 
मुहब्बत॒ और समझा बुझा कर अपनी इताअत करवाएं । अगर इस के 
| बाद भी बीवी न समझे तो शौहर गुस्सा करे और उसे डाट डपट कर 
समझाए फिर भी अगर ओरत न माने तो सोने के वक्‍त उस की तरफ 
पीट कर के सोए । अगर इस के बाद भी न माने तो फिर तीन रातें # 
उस से अलग सोए । अगर इन तमाम चीजों से भी न माने और अपनी हे 
हट धर्मी पर अडी रहे तो उसे मारे मगर मुँह पर ने मारे और न ही है| 
इतने जोर से मारे की जख्मी हो जाए । अगर उन सब से भी फायदा 
न हो तो फिर एक भहीने तक नाराज रहे (फिर भी कुछ बात न बने हो & 
अब एक तलाक दें) द 
(एन्यातृत्तालंबी,, सरफ़ा 778, कीप्या-ए-सआदते सफ़ा हे 265/ 


5» हु: ह 6055.. कि..::वि 3: :- के जा -आ। -आ ५. 


ह. हु औ. छह. ह- ह ॥ - |. .॥ हा ॥ ॥.. थे | है “हा शव आ मी . या . छा... 


: :॥ . 8.  ह .: ॥ 8 हा हे .' हक . हि 


हट का आह हा 2 . हक 
ध्क्य 


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अगर किसी शख्स की दो बीदीयों या उससे ज्यादा हो तो हु हु 
3 सब के साथ बराबरों का सुलूंक रखे खाने घीने ओढ़ने बगैश सब में 
हे साफ से काम लें हा बीवी के घर बरानर बसबर वक्‍त गुजारे और ४ 
है उसक लिए उनकी बारी मकर! कर ले । 
५ शिवा हजरत अब॒हरेरा . र्वोअल्लाहों अन्हों: से रिवायत है. कि 
॥| "ताल अकरम जललल्लाहों तआला अलैह व सल्लम ने इरशांद फरमाया----- द 
; “जब क पु 
लि & ५ किसी निकाह में दो || &,६। 5 ॥ ७० ०2:6॥5 ० 
हे बतीयों हो और वोह एक डी की || ४ $0 8 के हा 
5 या अटल को उ हे |... 24.०४. ७ 925३० ००५०.३। (05 ७ 5 | 
तरफ मायेल हो तो वाह कियामत || का मम ही 

ः | | 
| 

| 


ऊे दिन जब अगप्गा तो उसका | अनाओन झलक ० ब.2 


आधा धड़ गिरा हुआ हांगा" . । 
/िमिकोी शरोक्र, डिलद 7, हदीस हैँ 75, सफ़ा ने उ#&# इब्ने ग्राजा जि. 7 से. 549/ 


जोरू के गुरूम :- 


है अगर आप किसी भी मोहल्ले या बस्ती में चले जाए और रथ 
ध जहां का दौरा [ज्षाएटटाणा) केर तो आप को हर दो घर की बाद तोसरा ः 
| घर जोरू के गुलाम का मिलेगा । 
है यानी इस जमाने में शौहर अपनी बीवी से अपनी इताअत 
है नहीं करवाता बल्कि ख़द उस की इताअत करता है 


मर्द अफसर है औरतों पर || __;८0 7८2 5255 0८") & 


(विर्जष्ा /- क्जुल जमानत, ग्राग़ 5 कराए तिम्मा। आवत 34/ 


फरमाया------------------++-+5८5४८-+७८७८“८“८“-८“८“>“ “-“-“-“-“-+--“+“--- 


| | “बीवी का गुलाम बद बख्त है”। | + ४७ जी २.० जय 
(कीम्वा- ए-सआदत, म्रफा नें. 265/ 
लि दधााए आए उन मा इतर एसा पाल कमा हा हाए सा शा हा तरल काए सह 7 22 4 


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का] हि 


॥ह पका ह 2 ]॥ .॥ 8 ॥. ॥ 8: :॥ .॥ छा. ॥.  ॥ ' ॥ के कस 8 


इमाम गृजाली रहवअल्लाहो वाला अन्हो फ्रमाते हैं------- 5 
“बुजुर्गों ने फरमाया है औरतों से मशवरा करो लेकिन (६६ 
अमल उस के खिलाफ करो” । (यानी जुरूरी नहीं कि औरत के हर मश्वरे #| 
पर अमल किया जाए) (कीम्या-ए-सआदत, ग्रफ़्ा नें 263/ ! 
लेकिन अफसोस आज कल लोग औरत के बहकावे में & 
आ कर खिलाफे शरीअत काम तक कर लेते हैं यहाँ तक कि वोह ॥ 
औरत के इस क़दर गुलाम बन जाते हैं कि अपने माँ, बाप को छोड £ 
देते है लेकिन बीवी की गुलामी नहीं छोड़ सकते । अगर घर में किसी ॥| 
मामले में झगड़ा हो जाए तो बीवी को समझाने कि बजाए उल्टा ही # 
अपने माँ, बाप को झिड़कते हैं। और अपनी आखिरत की बरबादी का 
सामान अपने हाथों से जुटाते है याद रखिये भले ही बीवी नाराज हो | 
जाए लेकिन माँ, बाप नाराज न होने पाए । बीवी तो सेकडों मिल 
सकती है लेकिन माँ, बाप नहीं मिल सकते । 
आओ) हजरत अबू उमामा रदोअल्लाहों तआला अन्हो से रिवायत ब 
है कि सरकार सझल्लल्लाहो तआला अलैहि व सलल्‍लम ने इरशाद फरमाया----- 
“मां, बाप तेरी जन्नत «भी है ० को, 5७ 
और दोजूख़ भी” । 
ब्नें ग्राजा शर्रीफ़ू, जिल्‍द 2, बाब नें 627, हदीस मे 7456, स्फ़ा नें 395॥ श् 
इस हदीस का मतलब येह है कि तू अपने माँ, बाप की 
फरमाबरदारी करेगा तो जन्नत में जाएगा और ना फरमानी करेगा तो / 
दोजख़ में सजा पाएगा । ४ 
ह्च्श्श्लनछ््छ) श्ज्ध फेस /ै.++ फरमाते है प्ललल्लाहो तआला अलैह व मललप- ----------- ! 
“खुदा शिर्क और कुफ़ के अलाव। झिस गनाह को चाह़ंगा बख्श & 
देगा मगर माँ, बाप की ना फरमानी को नहीं अछशोेगा बल्कि मौत से 
पहले दुनिया में भी सजा देगा” । 
(बणकी शरीफ 


जि 


है: ०, के की पक | 5 त 
क *# [हक हक कक | 


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॥( )) 
लिहाजा माँ, बाप को फरमाबरदारी को ही हमेशा 
अहमियत दें । औरत का भी फर्ज है कि वोह अपने सास, सासूर को 
अपने माँ, बाप कौ डी तरह समझे और उन से नेक सुलूक करे । मर्द 
पर भी जिम्मेदारी है कि वोह अपनी औरत से अपने माँ, बाप की 
इताअत करवाए । 

क्क्त चल) हजरत अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास से रिवायत है 
कि सरकारे मदीना सल्लल्लाहो ठआला अलैह व सललम ने इरशाद फरमाया----- 
हर “जब कोई नेक लड॒का न <जड़ी 05 5 5, 
माँ, बाप को तरफ मुहब्बत "6 20280 
नजर से देखता है तो अल्लाह के - हर का 2 
तआला उस के लिए हर नजर के तिल) आय 5 सा 
बदले एक हजे मकबूल का संवाब लिखता हे”। सहाबा-ए-किराम ने 
अर्ज किया--“या रसूलुल्लाह ! अगर कोई सौ (००) बार रोजाना देखे 
तो कया उस को रोजाना सो हज का सवाब मिलेगा” ? सरकार ने 
इरशाद फरमाया--“हाँ ! बेशक अल्लाह तआला बुज़ुर्ग व बरतर है उस 
को येह बात कुछ मुश्किल नहीं”। 


जम छ बड .. ॥ हा 


॥ 
| | जया शा 
# |] _ बल 
६६ 
| ५, छू पा 
क्‍ । 
न ध 
| शा ' 
| 


न वा लीन किक... हे हक... 5... िड 8 ह का  ंब' * 
ल्‍ हे न, >द्म ्य ॥ 8. शा ह हु ' ्बंगंल्नामरलं जे ड़ न नि 
हर क ब हि र न्‍ब्र थ || 
्' जज बढ 


४: -जअरे को बाद से लेकर कफून, दफन, तक की का 
| मुकम्मल मअलमात और सैकड़ों हदीयें व मस्राइल का कयान 


मोत से कब्र तक्त 


(हिन्दी में) 
हुड़म्नद फाऊछ जऑ' अडाटफी अजवी._# 


>ल्‍णा बज: व हा 


5 औ >प्याह ॥ हैं है. ॥ह ॥ ॥ ॥ ॥ हू ॥ ॥ ॥ ह॥ ॥ ॥ ॥ ॥ हू वह ॥ ॥ ॥ है ॥ ॥. है ॥ .॥. है ॥ ह. ॥" है. 


5 


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की का है . ह शा हा हू. छह छू. | ह ४» व) / कला छल जात पल का क्त हला हि ० कक । 


थे 


आज के नवजवानों में तरह तरह की बुराईयाँ जन्म ले चुकी + 
है जिस की सब से बड़ी वजह दीन की तअलीम से दूरी है इस के अलावा | 
फिल्में देखने का आम चलन, औरतों और कुँवारी लड़कियों का बेपर्दा, सज - ६ 
धज कर सड़कों पर खुले आम घुमना वगैरा वगैरा जैसी बुराईयाँ है |. # 
आज के मॉड्न नवजवान जिना (बलत्कार) गैर औरतो से छेड & 
छाड्‌ जैसे गुनाह को गुनाह ही नहीं समझते यहाँ तक के कुछ नवजवान तो ॥ 
पेशावर औरतों के पास जाने में भी कोई शर्म व झिझमक तक महसूस नहीं £ 
करते बल्कि इसे मर्दानगी का सुबूत व ०८७४॥८४/७ समझते है, और जो शख्स & 
येह सब नहीं करता वोह इन अय्याशों की नजर में बेवक॒फ, बुजदिल ना मर्द हैं 
समझा जाता है । आह ! किस कदर जहालत है येह । 
&0॥ 02 3.४७) रब तआला इरशाद फरमाता हैं------------- 
और मुसलमान औरतों को || ८5 «४ <.. ५४ १5; 
हुक्म दो अपनी निगाहें कुछ नीची ८272 :०८८ «| 
रखे और पारसाई की हिफाजृत करे ६८: ८५३ ८८४. ८222 ॥ 
और अपना बनाओं न दिखाए मगर 


> ; - कक झा :: 5: शक! ह 
एड जात बल बता जा जड़ जय का ए छा करा कर कक फल 20 48 ॥ डक 488 कक कक ४ “ 
8 ॥ 2, 


। कीं नाक के नी हर 

। (2 ! 9-4 (5 कर बी. 
है जितना खूद ही जाहिर है और || ्निट्रीए पट 2+०४ | 
8 दूपरटटे अपने गिरेबानों पर डाले रहें ८४2०2, ८४२) ००२: २४ है 
| और अपना सिंगार जाहिर न करे मगर अपने शौहरों पर----- 


(रिजपा /- कत्जुल इमरान, प्राय 78, बृरए कूट, आय 37/ 

इस आयते करीमा में अल्लाह रब्बुल ईज्जुत ने साफ साफ | 
हुक्म दिया हैं कि अपनी निगाहें नीचे रखें, अपना बनाव सिंगार अपने ! 
शौहर के लिए ही करे गैर मर्दों के लिए नहीं, और अपने सीने, और । 
सर पर डुपटटे डाले रहें । | 
लेकिन आज मामला उल्टा ही नजर आ रहा है अक्सर /॥ 


0. हि पका जम तय जमम जमा पाक हल हम एय कार माल एड छा जाय का ध्मा सलय उलट 


ह:2.228 जज छल बा छ छछ 


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मे प 
हे 
गेरतें घर में तो गय्दी बैठी रहती हैं लेकिन जब बाहर 


मिकलना होता हैं तो खूब बन सँवर कर निकलती हैं--गोया गन्दगी |; 
| उनके अपने शौहर के लिए और सिंगार व सफाई गैर मर्दों के लिए । हे 
हदीसे पाक में सरकार सल्लल्लाहो तआला अलैहि व सल्लम ने & 

औरतों को घर में साफ और सजधज कर रहने का हुक्म दिया ताकि # 
शौहर अपनी बीवी को ही पसंद करे और गैर औरतों की तरफ न जाए, ४६ 
लेकिन अफसोस आज मामला ही उल्टा हो चुका है । है! 
(पक) | | डज > ६-६ रसले करोम सल्ललल्‍्लाहो तआला अलैह व सल्लम नें 
| इरशाद फरमाया---------++-+“--“८““““““+“““-+“४+5:+--“८“४““ दर 
“औरत, औरत है यानी छपाने की चीज है जब वोह निकलती ड£ 

है तो उसे शैतान झाँक कर देखता है यानी उसे देखना शैतानी काम है”। £ 
/तिर्मिजी शरीफ, जिल्‍द 7, बाब ने 796, हदीस में 7773, सफ़ा नें. 6०0/ है! 

हे चौडीमारी में मर्द और औरतें दोनों कुसूरवार है । मर्द ऐसे # 
५ कि वोह उनसे बद निगाही करते हैं उन्हें छेड़ कर उन की ब्रेईज्ज्ती करते & 
| 

थः 


3 “जुरू्ननआपनमध नि मिम जिम कम १ नक ४:४०: 
५ ३ जज शा व 5 
का ढ नजर 

728 5 बि हू हर - हे. 5४95 


8 है । और औरतें इस तरह कि वोह बे पर्दा सड़कों पर खुले आम है 
9 निकलती है ताकि मर्द उसे देखे । ४ 


का) फरमाते है आका झल्लल्लाहो तआला अलैहि व सललम-“::: 
हैं; “जिस गेर औरत को जान बूझ 
हि कर देखा जाए और जो. औरत कि 
अपने को जान बूझ कर गैर मर्दों को दिखलाए उस मर्द और औरत पर & 
अल्लाह को लअनत"। 
(पिश्कात शर्गफ़, जिल्‍द 2, हदीस ने 2997, स्रफ़ा के 27/ द 
हजरत मैमूना बिन सआद रबौअल्लाहो अन्हुमा से > 


- “42, 9-०) >> <॥॥ ..«/ | 


“अपने शौहर के सिवा दूसरों ३ ५२७ ५॥ (३:२७ ,॥ ज 


॥ के लिए जिनत के साथ दामन ४०.७ ... ५ 5 0 
॥ घसिटते हुए (इतराकर) चलने वाली > >> ओ 


(८ उमा का बा छा ला छ 8  # झा कीं अं  आ ->क | .. 30: ॥ 9 है हि. खिला 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


. [विभिजी शरीफ, जिल्‍द 7, बाब में 777, हवीस ने 7765, सफ़ा 597/ 
रसूलुल्लाह स्ल्लल्‍्लाहो तआला अलैह व सललम्‌ ने फरमाया---- 
“*(जब मर्द गैर औरत को देखता है । “०८० (20०० 
, और औरत गैर मर्द को देखती है) दोनों की आँखें जिना करती हैं”। 
/किशफुल महजूब, म्रफ्रा में 568/ 
( जलीर :-2) 9) फरमाया हमारे आका सरकारे मदीना जललल्लाहो 
बआला अलेहि व मल्लम नें+-+-०तकलन्-न«णन+>नान-+ मनन नी नल गलत ++ मद 777 
“पर्द का गैर औरतों को और ओरत का गैर मर्दों को 
देखना आँखों का जिना है, पैरों से उस की तरफ चलना पैरों का जिना 
है कानों से उस की बात सुनना कानों का जिना है, जबान से उस के 
साथ बातें करना जुबान का जिना है दिल में ना जाइज मिलाप की तमन्ना 
करना दिल का जिना है, हाथों से उसे छूना हाथ का जिना है । 
(अब्‌ दाऊद शरीफ पिल्द 2, बराब के 727, हदीस मेँ उ85, स्रफ़ा नें 7ब7/ 
ख्याल) हजरत जरीर बिन अब्दुल्लाह का बयान है---- 
“मैं ने रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो *७० 8 ५50 ०, 
तआला अलैहि व सलल्‍लम से अचानक ६ पा 
नजर पढ़ जाने के मुत्लल्लिक पुछा हक तक 72 
| तो फरमाया कि--“अपनी नजर क्‍ कफ जलन फल! 
फेर लिया करो”। 
(मिशकात शरीफ, जिल्‍द 2, हदीस ने 2970, शफ़ा मे 73/ 
मा 9) फरमाते है हमारे आका सललल्लाहों अलैहि व सललम------ 
“जब गैर मर्द और गैर औरत 
तनहाई में किसी जगह एक साथ ।;' 
होते है उन मे तौसरा शैतान होता है”! 


०00... निरधिजी शीश जिल्‍्द 7, बाब में 794, हदीस नी गाता, स्का मे उ99। 


न नि छल छल ऋड 
पा 2077 इहु4 प्राण छछाणजा क४ ६६ छतज का झा छा + पाल कत्ल छााय पाए माकपा पका पाप शक्ल श्याशा छक्का: 77 


४ ॥ 8. 2७« 76०: ही 


ह्व हर | | || | । ष्ा 


मं 5 3। ० >+ 5, ५2 >> श्ं 
>(0/ ४००००). २ 


४75१ कम जा जा जा काला का का का का का का का करा का का बा का व कक 209 99.68 8 9088 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


3:38. हा  :ग : हू. हू हा | हा ४|- )) ! एक | हु :क. छ [पक भ 


ज्सीरतप सरकारे. मदीना अल्लत्ताहे' बला अलैहि व सलल्‍लम नें है 
इरशाद फरमाया----+०-5४--०८-८“--#: हर कर मेक 
“तन्हा गैर औरत के पास जाने हर पड है 

से परहेज करो”। एक सहाबी ने “रण 0 देह 73 कक 
सवाल किया--“या रसूलुल्लाह ! - ८०+-की >०२3 २७ + »«« 
देवर के बारे में कया इरशाद है”? फरमाया--“देवर तो मौत है”! 
(बुख़ारी शरीफ, जिलल्‍द 3, बाब नें. 747, हेदीय नें. 276, गरफ़ा ने 708, तिमिजी शरीफ, 
जिलल्‍्द 7, बाब ने. 794, हदीस ने. 777), प्रफ़ा ने 599, मिस्कात जररीफ़, जिलल्‍्द 2, 
हदौय ने. 2968, ब्रछा नें. 75/ 

अब आप ख़ूद अन्दाजा लगाईये जब देवर के सामने भी # 
| भाभी को आने से मना किया गया और यहाँ तक कि उसे मौत की ५ 
8 तरह बताया तो फिर भला बताईये सड़कों पर, शादियों में, और दिगर ६ 
8 मुकामात पर गैर मर्दों का औरतों के सामने आना और औरतों का गैर है 
४ मर्दों के सामने बे हिजाब आना किस कदर खतरनाक होगा । क्‍ 
क लिहाजा माँ, बाप पर जिम्मेदारी है कि वोह अपनी जवान 
| कॉवा. लडकियों को पर्दा करवाए और बे फूजूल बाजारों और सड़कों 
| पर घुमने से रोके । इसी तरह शादी शुदा मर्दों पर भी जरूरी है कि हा. 
है वोह अपनी औरतों को पर्दा करवाए । 
| इमाम गजाली रक्कोअल्लाहों तआला अन्हों ने क्‍या खूब & 
 फरमायां है, फरमात हैं-----+-०--०८/-/--८-7-7--+-+त्क ४० न+- 
कह ... “मर्द अपनी औरत को घर कौ छत और दरवाजुं पर न 
है जाने दे ताकि वोड़ गैर मर्द को और गैर मर्द उस को न देख सके और | 
है खिड़की दरवाजे से मर्दों का तमाशा देखने की इजाजत न॑ दे कि तमाम ४ 
 आफते आँख से पैदा होती है घर में बैठे नहीं पैदा होती बल्कि खिडकी 

रौशगदान, छत, दरवाजे से पैदा होती है । 


/कैम्या- ए-मआदता, ग्रफ़रा ने 263/ 


नव) 


| 


हक न दर का 


क नर ् शा न्‍ कक पा है लिन ग् 'अगाजजअंड बा 
छा. ५ + ंआंकेज 2 क हे *- मी... 6 कक ह हज न 
जज ० - -»! ह् ् 

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पा. न हः आर 3.७» 
“- | हे के अन्‍ममण. | न 


ह // चर: ऋ|  पइछप 2७३ पक 5४व8 कक पछाड़ पत्ता ४तल आधा एऋछ & 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


कृरीन-ए-जिन्दगी 
कं न था जरा हु. आ.- भी |. ॥ जद गबती 0! . ७ की मं - मो कक मी -य .। जय 5 2 मा ; 


८ 
एक दिन एक ना बीना (अन्धें) सहाबी सरकार सल्लल्लाहो | 
तआला अलैहि व सल्‍लम से मिलने आए मैं और सरकार की दूसरी बीवीयों £ 
वही बेठी थी सरकार ने इरशाद फरमाया--“पर्दा कर लो”- फरमाती |; 
है हम ने अर्ज किया--“या रसूलुल्लाह ! येह वो हमें देख नहीं सकते”? । 
'फ्रमाया--“तुम तो अन्धी नहीं हो तुम तो देखे सकती हो”। 
(अबुद्ाऊर, जिलल्‍्द 3, बाब हूँ 258, हदीस ने 777, सफ़ा 246, फिशिजी, नि. 2 के 279) | 
अब जरा अंदाज़ा लगाईये जब नांबीना से भी सरकार सल्लल्लाहो 
अलैह व सल्‍लम ने अपनी अजृूवाज्हे मुतहरात (बीवीयों) को पर्दा करवाया तो 
क्या आज की इन औणों को पर्दा करना जरूरी न होंगा ?. यकोनन 
जरूरी होंगा | वरना अजाबे कन्न व दोजख उनके लिए तैयार है । 


५  सव्ीरत :--) 0) सरकारे दो आलम सललल्लाहो तआला अलैहि व सलल्‍लम ; | 
ने इरशाद फरमाया----------------------------------+--- 
“जब मर्द के सामने कोई अजनबी औरत आती है तो 
शैतान की सूरत में आती है जब तुम में से कोई किसी अजनबी औरत £& 
को देखे और वोह उसे अच्छी मअलूम हो तो चाहिये कि अपनी बीवी ॥ 
से सोहबत करलें (ताकि गुनाह से बच जाए) तुम्हारो बीवी क॑ पास भी वहीं ०] 
चीज मौजूद है जो उस अजनबी औरत के पास मौजूद है (और अगर किसी |॥ 
क॑ पास बीवी न हो तो वोह रोजा रखे कि रोजा गुनाह से रोकने वाला और हवस 
को मिटाने वाला है) 
(विभिजी शरीफ, जिल्‍द 7, सका ने 5ल्‍4, पमिलक्ात शरीफ, जिल्‍द 2, स्रक्ा मेँ 73/ 6 
मस्खत्या +- कुछ औरतें अपने मर्दों के सामने मनीहार (चूडीयाँ बेचने # 
वालों) के हाथ से चूडीयाँ पहनती है, येह हराम-हराम- | 
हराम है । हाथ दिखाना गैर मर्द को हराम है । उस के ४ 
हाथ में हाथ देना हराम है । जो मर्द अपनी औरतों के | 
साथ इसे जाइज्‌ रखते हैं दैयूस (यानी बेगैरर भड़वे) है । | 
(किवावा-ए-रज़्वीया, जिलल्‍द 2, सजा -॑ 208) 


हे २ यम -.- 


/ व कः तर का छा का फा' जत का जम का का अत छत जा का का का का शा का का का का का का का शा जा का का ह  ॥ ॥. - लुक 


पक; 2 कणनना 6. 


3554 55... का. आ आ क आआ 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


इरीजलू-|- जि गे! 
अ... ॥# हंजब उम बओे . 


| है 52 /!)) ह. छ-. ॥ हर 


ह | वक  व हर 7 229) के) उल्लाह र्वूल इन्‍्जत इरेशाद फ़रमाता हैं------- उनमे 
क्‍ "हे . हज :- और (मांपषि))] वोह जो के ८५४०४ ८87: 32० (००7२५ है 
है अपनी शर्मगाह की ,हिफाजत करते है । 
॥ कजमसा /- कन्जुल इन, प्राय 27 सराए मंआरिज, आयत 29/ । 
एक मर्द एक गेसी औरत से सोहबत करे जिस का वोह 
हज मालिक नहीं (कानों उस से निकाह नहों हुआ ) उसे जिना (बलत्कार) कहते है । 
| ज चाहे मर्द, औरत दोनों राजी हो तब भी यह जिना ही कहलाएगा । इसी 
| तरह पेशावः बाजारी औरतों और तवाएफों के साथ सोहबत करने को 
भी जिना कहा जाएगा । 
आज कल अक्सर नवजवान काफिरों की लडकियों के 
साथ नाजाइज तअल्लुकात को, कोई गुनाह नहीं समझते येह सख्त 
जहालत है काफिर लडकी से सोहबत भी जिना हीं कहलाएगी । 
इसी तरह कटटर बहाबी, देवबन्दी, मौदुदी, नेचरी, शिया, 
4 बगैरा जितने भी दीन से फिरे हुए फिरिके है उन की लड॒को से निकाह 
_॥ किया तो निकाह ही नहीं होगा बल्कि जिना कहलाएगा (जब त़क कि वोह 
क सच्ची तौबा कर के सुन्‍्नी न हो जाए और वहाबियों को काफिर, मुर्तद न समझे) 
ी जिना यकीनन बहुत ही बड़ा गुनाह और बहुत ही बड़ी 
॥ बला है येह इन्सान को कहीं का नहीं रख्ती । 
3 बचाओ) अल्लाह के रसूल ने इरशाद फरमाया---८८८८ 
| “शिर्क के बाद अल्लाह क नजदीक || &« ०००। ०० ०॥ 3०: ०-४३ 
है इस गुनाह से बड़ा कोई गुनाह नहीं |  & ०, ७०८० 3 २४०४ ..* थ॥ 
के एक शख्स किसी ऐसी औरत 33 
से सोहबत करें जो उस की बीबी नहीं” । पक ही 6 6 
बबा मा) और फरमाते हैं रसूलुल्लाह सह्लल्लाहो अलैह व सल्लघ-- 


ली 
हि: हा. छह  # धर 8. # ात एल पका तात जाता मामा जाया काका .....६ री 


॥ ॥ 8 ॥ .॥ ॥ है ॥ ॥ . ॥ ॥ ॥ ॥ . ॥ .॥ ॥ ह &॥ औ हे कह: हे. 


७ - न ॥ 8 ॥ ॥ ॥. 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


कृरी न-ए- जिन्दगी । 
507 अट- अय कए पा बा बाय एाक होड़ दर | 


|) था आ 8. 2 था कक 22) 
” “जब कोई मर्द और औरत जिना || ८५०२४ ५० हू २५४ ७१ ऐ 
करते है तो ईमान उन के सीने से क्‍ 20:६४...) , 3 ४८०» हु 
निकल कर सर पर साए की तरह ठहर जाता है 

(युकाशंफ़तुल कुलूब, बाब नें 22, क्रफ़ा न॑ 768/ 

हक) हजरत इकरेपा ने हजरत अब्दुल्लाह इब्ने 

अब्बास (रदीअल्लाहो ताला अन्हुमा) से पुछा------------------- 

“ईमान किस तरह निकल जाता है ? हजरत अब्दुल्लाह 
| इब्ने अब्बास ने फरमाया--“इस तरह ! और अपने हाथ की उगलियाँ 
दूसरे हाथ की उँगलियों में डाली और फिर निकाल ली और फरमाया-- 
“देखो इस तरह”। 

(बुखार जर्गफ, जिल्‍्द 3, बाब ने 968, हदीस ने 73, प्रफ़ा ने 674, 
अज्नअतुल लम्मत, जिलल्‍्द 7, सफ़ा - 287/ 

[544 ८ < ही ककल). हजरत ४... व इब्ने अब्बास रहद्दोअल्लाहो तआला 
अन्हमा से रिवायत है कि दो आलम सललल्लाहो तआला अलैहि व 
बलम न दरिशादि फरमंथिी२+530-००४६ ०... ३३.४० 3-3० 7505 

“मोमिन होते हुए तो कोई || >53७२2०४"७/४ | ४८४ | 
| जिना कर ही नहीं सकता" । 8 9 

(किख्ारी शर्रीफु, जिल्‍्द 3, काब 6. 968, हदीस नें. 774, सफ़ा नें 674) 
मुसीबते :- हजरत इमाम गृजाली फरमाते है------ ----- 

“जिना में छे ७) मुसीबतें. है । बाज सहाबा-ए-किराम से 
मरवी है कि जिना से बचो इस में "छे" मुसीबतें हैं जिन में से तीन 
का तअल्लुक दुनिया से और तीन का आखिरत से हैं । दुनिया की 


रा 


जज परत जब श्र छ 


_ ही. 


जत छऋ ;ऋ उऋ इस जन छत का शत बन छत बन छत बना छा बला छत छा छान कक पा छल 


()) जिन्दगी मुख्तसर (कम) हो जाती हैं । 
| (2) दुनिया में रिज्क कम हो जाता हैं । 
(5 जेहरे से रौनक ख़त्म हो जाती है । 
औ नन्‍िदिनाएणा ----आखिरत की मुसीबतें येह है कि----------- (2 


8... ॥ . ॥ .. ै। जाओ ऋण एड ऋा काका इामा हम | छ- जे ऋज उकब् पता हल्का | कि. 7. 


" 
या 


८ ॥ 9... / 


; 768 है. है ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥# ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ -॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥. ॥ ॥ ॥ ॥ #« ०६ 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


कव[नु-ए-जन्दगाी 
5०! चक्र: >न्‍्न्‍मा॥। का ... ह हा 8 ॥ सै १ 2 $)) # छा ॥ ता एड छा का 


लो 


(4) आख़िरत में ख़ुदा की नाराजगी । 

(5) आख़िरत में सख्त पूछ ताछ होगी । 

(6) जहन्नम में जाएगा और सख्त अजाब ! 
(िकाशेफ़तुत कुलूब, बाब में 22, ब्रफ़ा - 758/ 

$55+-१८+ की की रिवायत है कि अल्लाह के नबी हजरत मूसा 

अलैहिस्सलाम, ने अल्लाह जललाजलालहु से जिना करने वाले की सजा के बारे 

में पूछ तो रब तआला ने फरमाया---“उसे आग की जरह पहनाऊँगा 

(लोहे का लिबास जो आग से बना होंगा) वोह ऐसी वजनी है कि अगर बहुत 

बडे पहाड़ पर रख दी जाए तो वोह भी रेजा रेजा हो जाए । 
युकाशेफ्ठहुल ,कुलब, बाब न॑ 22, सफ़ा ने 758/ 

हक) अल्लाह तआला इरशाद फरमाता हैं---------- 


तर्जपा :- जो शख्स जिना करता ै है 
ता है (6, 202 20 3, )*५०../०५ 


.&7। 


हनी 
विदा 


5 उाक ७ कं: कप हलक उादन्‍_-ह कं कर्क बह. रहा लत 
की ह. नल न 
| ॥ हि. हि हू क्र व हब. व. | ड्ल दे ह्ः हि. 


उसे असाम में डाला जाएगा । 
के (कुरआने करीम, प्राद्र 79 झरए .छफुरकान, आयत 68/ 
हर असाम के बारे में ओलमा-ए-किराम ने कहा हैं कि वोह 


 जहन्नम का एक ग़ार है जब उस का मुँह खोला जाएगा तो उस की 
॥॥ बदबू से तमाम जहन्नमी चींख़ उठेंगे । 
क् (पुकार फ़तुल .कुलूब, बाब न॑ 22, सफ़र हू 767) 
अ) सातों आसमा ०54, २५ (१- ८॥»+- ०) 
॥ सातों जमीनें ओर पहाड़ जिना कार ७9 ४८००४ 0५०१५ ८६-* 


ष्ज़ 
| छत 
ज्ज 
#+ 


है पर लअनत भेजते हैं और कियामत (॥ )- (4592 70 , ट 3.८! 
| के दिन जिना. कार मर्द व औरत _+ >ब2०००** 


॥ की शर्मगाह से इस कदर बदबू आती होगी के जहन्नम में जलने वालों 
को भी इस बदबू से तकलीफ पहुँचेगी । 
(कहार॑ शर्त, जिल्‍द 7, हिस्‍सा ने 2, श्रफ़ा मेँ 43/ 
येह सजा तो आखिरत में मिलेगी लेकिन जिना करने वाले 


५ पर शरीअत ने दुनिया में भी सजा मुकर्रर कि है । इस्लामी हुकुमत 
७). समान 


् न्‍ु & छह का हु ॥ & & ॥ ॥ ॥. ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥. ॥ 


8 ॥ छ॥ क# 8 &#॥ 8 ७ ह ॥ ॥ # # कं है ॥& 5 छ 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


करी न-ए-जिन्दगमी 4773 
फोन था झा. हा बा ॥ ॥ छा ॥ ९४ 


/ हो तो बादशाहे वक्‍त या फिर काजी पर जरूरी है कि जिना करने वाले ले पु 
पर जुर्म साबित हो जाने पर शरीअत का हुक्म लगाए । 
हदीसे पाक में. है कि अगर कोई दुनिया में सजा से बच 

गया तो आख़िरत में उस को सख्त अजाब दिया जाएगा और अगर दूनिया ॥ 
में सजा मिल गई तो फिर अल्लाह चाहे तो उसे मुआफ फरमा दें । ] 
दुनिया में सजा :- अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो तआला अलैहि | 
ब सल्‍लम नें जिना .करने वाले मर्द और औरत को सजा का हुक्म दिया - 
और उस पर अमल भी करवाया । 
चुनानचे हदीसे पाक में है कि जिना करने वाले के लिए « 

येह सजा रखी गई है------- क 
6-२६ + आज) जिना करने वाले | हि अमिकिककल हर 
शादी शुदा हो तो खुले मैदान में हम व ह 
पत्थरों से मार डाला जाए और गैर &2>«ननी हद अिकम् फा ह्‌ 
शादी शुदा हो तो सो (००) दुर्रे || 26४७७ - 
(चाबूक जिस के सिरे पर नोकिला किला हो उस से) मे जाए । हे 
जुख़ारी शरीफ, जिलल्‍्द 3, बाब ने 9658, 980, हदीय मे 775, स्का ज॑ 675,625) 
ज्यादा तफ्सील के लिए क़॒रआने करीम में सूरए “नूर 

की दूसरी आयत का मुताला करे । |, 
हिन्दुस्तान में चुँकि इस्लामी हुकूमत नहीं इसलिए यहाँ । 

इस्लामी सजा भी नहीं दी जा सकती । लिहाजा जो इस गूनाह में पड़े 
हुए हैं वोह आज ही से सच्ची तौबा कर लें और अल्लाह से गिडगिडा ॥ 
कर मुआफी माँगे । अगर अल्लाह राजी हो गया तो उन के सारे गुनाह ' 
मुआफ कर देंगा । हे 


ब््ः 
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हा] 
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| 7. 
गा लॉ र 8... 
अन्य व ज औ। 
(4, की छ  ॥ . ॥ .ह शा ही का कम 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


[न ए-जिन्दगा 
00 27-+--5.. ॥. का हा ह॥ का ॥ 8 67]/.0)। व # व रह मा 0७५८० “६४ 
2 हा ल्यः पप है 


॥ ्यपिशाव्र ओर | 5 जा 


अक्सर नवजवान शादी से पहले अपने आप पर काबू नहीं 
रख पाते हैं और वोह अपनी हवस को मीटाने के लिए बाजारी औरतों 
| का संहारा लेते हैं । कुछ तो शादी के बाद भी अपनी बीवी के होते 
हुए पेशावर बाजारी औरतों के पास जाना नहीं छोडते । 

येह बाजारी ओरतें वोह है जिन्होंने हया व शर्म के नकाब 
को उठाया और बे गैरती व बेशर्मी के लिबास को पहेना है वोह यकौनन 
इन्सानी सोसायटी (50००७) के लिए वोह खतरनाक कीडे हैं जो पिलेग 
(एंब्रष्टपट) और हैजा के कीडों से ज्यादा दुनिया के लिए खतरनाक है। | 

अगर आप एक पिलेट में तरह तरह के खाने खट्टे, मीठे, 
कढ़वे, तेजू, तीखे, सब मिला कर रख दे तो वोह कुछ दिनों बाद सडेंगे, 
बदबू पैदा होंगी, कौडे पड जाएगे । 

बस येह बाजारू औरतें भी उसी पिलेट की तरह है । 
देखो इन के पावडर, लिबिस्टीक पर न बहलना ! बालों की बनावट 
और कपडों की सजावट पर न रिझना ! येह वही खुबसूरत दस्तर से 
ढ़की पिलेट है जिस में अलग अलग मिजाज वाले इन्सानों के हाथ पड 
चुके हैं और मुखतलिफ किस्म के माद्दों ने एक जगह मिल कर इसे 
इस कदर सड़ा दिया है और ऐसे बारीक बारीक कीडों को पैदा कर 
दिया है जो देखने में नहीं आते । तुम जरा इस के पास गए और उन्होंने 
तुम्हें डंग मारा | येह ऐसा नाग है जिस का काटा सॉस भी नहीं लेता, 
एक बकक्‍त की जरा सी लिज्जुत पर अपनी ऊमर भर की दौलत, आराम 
व राहत, तन्दुरूस्ती व सेहत और ऐश व इशरत को न खो बेठना, देखो # 
(5४725 कटी हमारा रब इरशाद फरमाता हैं-------------- 
हज /- मुसलमान मर्दों को हुक्म 


दो अपनी निगाहें कछ नींची रखे 


हीं. हैं हैं हैं हैं हैं ह हि. 


कमा बल छा बरक बता उम कम छा छा छा सा छा सडक आड़ | 


फू मा 22.4] 


न ग ह॥ २८8: ॥ 8: 8 8. ॥ ,ह 85८ ॥ ७ ह. है. ॥. ॥ .. है -ह. हा. ॥ :॥ ॥.- ॥ .॥ है ॥ .॥ ॥ हा: ॥ ॥ ॥. ॥ _॥ 


५ 
हक. ॥ “8 : 8 8. छ  ॥  ॥ ६ काल्त्ग 3 (ली । 


न 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


कीन के -जिन्दगी 
है) क्र हब हब | मम | |] ञ्नं | | । बे ब्र ))॥ ] जन _] भर न हर क्र ० हक गा 


+ पट | 2०००) हल 4 ञ ्ः 


डर और अपनी शर्मगाहों की हिफाजत < 
करे येह उन के लिए बहुत सुथरा ० 2/५४००५०८५ (:०- २॥॥ ०). ८ 
है बेशक अल्लाह ही को .उन के कामों की खबर हैं । 
(7ज्पा /- कन्छुल हपरान शरीक, प्राद्य 78 झूरए कर आयत 37) 
इस आयत की तफसीर में इमाम गजाली फरमाते हैं-- 
इस आयत में बड़े से मुराद जिना करना और छोटे से मुराद बोसा | 
(गैर औरत का चुम्मन) लेना, व बुरी नजर से देखना और छना हैं 
(वकाशफ़दुल कुलूब, बाब नं. 22, स्रफ़ा ने 767/ 
9.) एक दूसरी जगह इरशादे रब्बानी है---------- ; 
तर्जना :- गन्दियाँ, गन्दों के लिए 


रॉ 200 ॥ कु कही, मं हक स्पक 3 है कम मा क्र ०5% “] जी ही बी 


है आर है पी 7 अल 


और गनन्‍्दे गन्दियों के लिए, और ८27.) 2) हे 
सुतरियाँ सुतरों के लिए और सूुतरे पक क् 5९१2. 
सुतरियों के लिए | लिन तक :200वसन म ५०२०) ५ 


(ग्ज्या :- कर्जुल हपान, प्राय 78, सुरए का, आयत 26/ 
इस आयत की तफसीर में ओलमा-ए-किराम इरशाद ॥| 
फरमाते है कि----बदकारं और गन्दी औरतें, गन्दे आऔर बदकार मर्दों के | 
ही लाएक है । इसी तरह बदकार और गन्दे मर्द छसी काबिल हैं कि | 
उन का तअल्लुक उन जैसी ही गन्दी और बदकार अःरतों से हो । जब ॥# 
के पाक सुतरे नेक मर्द सुतरी और नेक औरतों के त्लाएक है और नेक ॥ 
ओऔरत का तअल्लुक नेक मर्द से ही किया जा सब्कता है । 


इरशाद फरमाया-------------+-----------+--------------- क्‍ 
अल्लाह तआला अपने बन्दों से अल! (८ +२२ ५४ | 
करीब है और कोई मगफेरत माँगे _े 2५०४ ८. ॥ 


उसे बख़्शता है लेकिन उस औरत को नहीं बख्शता जो अपनी शर्मगाह ) 


। मा 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


तह : -ह. १॥। / अरेए लिए बा छा जज छा एड शप (कक ु 
है 


| द ) फरमाया सरकार सल्लल्लाहो तआला अलैह व सललम नें>-- 
“जिस ने जिना किया या शराब पी 32 2 के 82200 
अल्लाह तआला उस में से ईमान || .:५ ८०४२५४..३ ०० थ)। 
को ऐसे निकालता है जैसे इन्सान ++म कोन >रयड 
सर से अपना कुरता निकाल डालता है”। 

इस हदीस को पढ़ कर वोह लोग दिल से सोचे जो पेशावर 
औरतों के पास जाते हैं और जिना करते है । तअज्जुब हैं कोई मुसलमान 
हो और जिना करे ! लिललाह अब भी होश में आ जाईये बरना फिर 
उन्हें मौत ही होश में लाएगी लेकिन याद रहे उस वक्‍त का होश किसी 
| भी काम का न होगा । उस वक्‍त होश भी आया तो क्‍या ! 

रियायच्क : हजरत इमाम गजाली रूदअल्लाहों तआला अन्हो 
ह रिवायत करते हैं कि------- नाल अमन लत ककननल-+ ८7१0 +55++ 

“जिस ने किसी गैर औरत (जो शादी शुदा हो) का बोसा 
(चुम्मन, ।.455) लिया उस ने गोया सत्तर (70) कँँवारी लड़कियों से जिना 
_ किया । और जिसने किसी केँवारी लड॒की से जिना किया तो गोया उस 
में सत्तर हजार (0,0०0) शादी शुदा औरतों से जिना किया”। 
(पुकाशं फुल .कुलूब, काब हू 22, सफा ने 769/ 
>> 5 0) कहते हे, इबलीस (शैतान) को हजार बदकार पर्दों 
से एक बदकार ओरत ज्यादा पसंद होती है । 
(काशफ़तुल कुलूब, बाब में 22, स्फा नें. 768/ 

ये नेक बनाने को लिए अमल :- 
अगर किसी औरत का मर्द बदचलन और दूसरी औरत के 
थे हराम कारी करता है या हराम कारी करने पर उतारू हो तो ऐसी 
रत रात को अपने बदकार मर्द से सोहबत से पहले बा वुज़ू गयारह 
[९-- ८२४ --7-अल वलौग्यो” पढ़े । अव्वल और आख़िर में ह#' 
६ शरीफ पढे । फिर अपने बदकार मर्द से सोहबत करे (येह अमल |, 
शीत, बार करने से) इन्शाअल्लाह वोह परहेजगार हो जाएगा । द 


जाता एइश एच एल फ्ाम ऋण एम गा 8? - हा . ॥ :- 2. ... कि _. की  #॥ कीं ले 


" नर थक 


जज जन जल जता ला नाक न बता ला हत् लत बा 


_ ह हू ॥ ॥ #& ह॥ कही हैं. 


॥ छू ॥ है ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥_  ॥  ह॥ ॥ (६ हैं ह ह॥ | 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


। कर ए-खजनन्‍्दयाीं 


जप दि 


। इसी तरह अगर किसी की औरत बदचलन हो या बदकारी 
थ करती हो तो वोह भी इसी तरह येह अमल दोहराए--इन्शाअह्लाइ ह# 
| औरत नेक व परहेजगार बन जाएगी । 

(कजाडफे रजावीया, करक्ा हूं 279) 


हु 

। 

८ 
धि ु 
े 
“ 
हु #+- $ अं है ऋफिष्ए-ओ ॥ ..लनलनहतनतनलनहनुल ; प्र 7०-०० । 
ँ कुछ बदबख़्त इस दुनिया में ऐसे भी हैं जो जिन्सी ६ 
| गंऊल्लुकात में हराम व इलाल में तमीज नहीं करते ऐसे लोग दारिन्दा हे 
है सिफत इन्सान हैं । 
डे जो लोग किसी कम उमर लड॒क या मर्द या फिर हिजडों 8 
हैं से मुँह काला करते हैं उन्हें इस्लामी शरीअत में “लूती” कहा -जाता हैं | 
है आम तौर पर लोग इन्हें “गंठक्ष” के नाम से जानते है । | 
व्हांमे लत अ - हजरत इमाम कलबी रूअल्लाहो तआला अन्‍्हो से छा! 
है. गाय 7 मी लिई- ० रकम पार बन ५ 
“सब से पहले येह काम (यानी मर्द का मर्द से सोहबत करनों 
॥ शैतान मरदूद ने किया, वोह अल्लाह के नबी हजरत जरत लूत अलैहिस्सलाम को * 
है कोम में एक खूबसूरत लड़के की शक्ल में आया और लोगों को अपनी ॥ 
तरफ माएल (आकर्षित [८60 ) किया और उन्हें गुमराह कर के सोहबत | 
# करवाई, यहाँ तक कि कौमे लूत की येह आदत बन गई अब बोह औरतों “ 
ह से सोहबत करने की बजाए खूबसूरत मर्दों से ही सोहबत करने लगे जो ॥ 
भी मुसाफिर उन की बस्ती में आता वाह उस से सोहबत करते । हजरत # 
| लूत अलैहिस्सलाम नें उन्हें इस बद फेल (बुरे काम) से रोका, अल्लाह की 
मै तरफ बुलाया और ख़ुदा के अजाब से डराया लेकिन कौम न मानी यहाँ 
हि अर तक कि हजरत लूत अलैहिस्सलाम ने अल्लाह रब्बुल इज्जत से अजाब की है, 


“ जप के न हट कु न. स् 2 . ५ :ही- कि " 83: हक (उन हे अनजान _> -+«++ ५ *> की 2. 7० उ्स न कर [ क् ह दा ! 


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7 दुआ माँगी जिस के जवाब में उन पर आसमान से पत्थरों की बारिश हुई । 
| हर पत्थर पर कौम के एक आदमी का नाम लिखा था और बोह उसी हि 
को आ कर लगा जिंस से वोह वही हलाक हो गया । इस तरह येह 
कौम जिन की आबादी चार लाख थी तबाह व बरबाद हो गई । . ॥ 
(प्रकाशेफ़दल हुलूब, कांब्र न॑ 22, सा मं. 69/ | 

है 


इस वाकेअ का मुकम्मल बयान कुरआने करीम के पारा 
4 सूरएण “हजर” रूकु 4 में षौजुद हैं । 
(स्व्यडडछी हजरत इमाम अबल फजल काजी अयाज 
रदीअल्लाहों त्आला अन्हों फरमात हर कि-->-----+४++ लक नल आल ज भा + 5 क 5 “5५ 
“मैं ने कुछ मशाएस्र (बुज़र्गों) से सुना हैं कि औसत के साथ 
| एक शैतान और खूबसूरत लड़के क॑ साथ अठठारा (8) शैतान होते हैं 
(युकाशेफ़तुल .कुलूब, बाब नं 22, सफ़ा हू 759/ 
च्््क्ल््छ आला हजरत "फतावा-ए-रजवीया” में फरमाते हैं 
।क्‍ “पन्कूल (रिवायत) हैं कि औरत के साथ दो शैतान और 
॥ हिजडे के साथ सत्तर 0०) शैतान होते हैं”। 
हर : / फतावा-ए-7ज़्वीया, जिल्द 2, सफ़ा हें. 64/ 
॥ (ही 77502 [5 अैजको) पप रख फरीदुद्वीन अत्तार रदीयल्‍लाहो तआला 
॥ अन्हो अपनी किताब “तजुकेरतुल ओलिया” में नकल करते हैं------- 
॥ “हजरत समाक रहमतुललाह अलैह के इन्तेकाल के बाद किसी ने आप 
है को ख्वाब में देखा कि आप का चेहरा आधा काला पड गया है । आप 
॥ से जब उसका सबब पूछा गया तो फरमाया कि---“एक मसरतबा दोरे 
॥ तालिबे इल्मी में मैं ने एक खूबसूरत लड॒के को गौर से देखा था चुनानचे ॥ 
| जब मरने के बाद मुझे जन्नत की तरफ ले जाया जा रहा था तो जहन्नम । 
| से गुजरते हुए एक सॉप ने मेरे चेहरे पर काटते हुए काह. कि हू 
एक नजर देखने की ही सजा है ओर अगर कभी तू उस लड़के को «४ 
| ज्यादा तवज्जेह से देखता तो में तुझे और तकलीफ पहुँचाता”। |, 
/#जकेरुल ऑलिया, काब न 8, सफ़ा नं 47/ हक 


यमन. जरा. का. ॥ . * हा हा है इक हा ५हा बडा 


_ 9 . ॥ है ह#& हर में ॥ हू &. ह 


&त छा #आ 


के. अमममणकम्मथ, 8 अवणमममकम ७. कुम्णणणवथछ 


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में जलेगा” । पिकाशंफ़तुल कुलब, बाब नें 22, श्रफ़ा हं 769/ 
किस कदर बेगैरत है वोह लोग जो किसी छोटे लड॒के से 
या फिर किसी ना मर्द (हिजडे) से सोहबत करते हैं । 


क़ुदरत ने इन्सान के बदन क हर हिस्से में एक ख़ास काम _ 


बा! हैं 4 ॥ ।)| छाल कला छत का हनन रब छत हत्स का. 7 2 कू 


[६-4-.2 5 आज) रमाम गजाली रक्केअल्लाहो अन्हो फंरंसातें है+----- ; ्‌ 
“रिवायत है जिस ने शहवत (5०% सहवास, मजे) के साथ | 
| किसी लड॒के को चूमा तो वोह पाँच सो (5०0) साल दोजुख़ की आग 


। 


की क़॒दरत रखी है चुनानचे इन्सान के पाखाने के मुकाम में अन्दर से | 


बाहर फेंकने की क़ुव्वत रखी गई हैं उजलात (.॥70७$) इस मुकाम पर | 


निगेहबानी के लिए हर वक्‍त तैयार रहते है कि कोई बाहर की चीज | 
अन्दर न जाने पाए लेकिन जब खिलाफे फितरत उस मुकाम से सोहबत 


की जाती है तो वोह नाज़ुक. हिस्सा, जो नर्म और बारीक झिल्ली और 


छोटी छोटी रगों से बना हैं कभी सिमटने और कभी फैल जाने से जख्मी ॥ 


हो जाता है रगें दब जाती है कमजोर हो जाती है, फिर बाद में नीली 
मोटी रगे चमकने लगती हैं और बार बार की येह रगड़ जख्म कर देती 
है और इन्सान तरह तरह की बीमारीयों में फँस जाता हैं इसी तरह वाह 
शख्स जो अपने ऊज़ू-ए-तनासुल (5०६००, लिंग) को मर्द के पीछे के 


मुकाम में दाखिल करता है उस के ऊज़ू-ए-तनासुल (लिंग) की नसे इस | 


सख्त मुकाम में बार बार दाखिल होने की वजह से कमजोर हो जाती 
है नसे और रगें ढीली पड़ जाती है पुटठे ठीले पड जाते है और नाली 
में जख्म पड़ कर पेशाब में जलन, वहाँ की झिल्ली में खराश पैदा हो 


जाती है । कसरत के साथ इस ख्वाहिश के पूरा करने की वजह से | 


मनी का ख़जाना खाली हो जाता है, आखिर में लगातार मनी (धाँतु) के 


बहने कौ बीमारी हो जाती है आँखों में गड़े, चेहरे पर बे रौनकी, दिल | 
| व दिमाग कमजोर हो जाते है फिर ऐसा इन्सान औरत को मुँह दिखाने 
9 के लायक नहीं रहता ' 5 


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के की: कान 8. ह. क॥ 8. ॥.  ह छा हक: छा . आल किए कर, पल छत इजच प्राय आधा या अल: 


(5 न्दप शक्ल 53०3 जान एल कमा छा है ) | छऋच छत्र छा छल हत्र ऋछ छा किक ० लक तर 
(लक 2 + 


ऐसे शख्स की सज़ा :- ऐसे शख्स के मुत्मुल्लिक्‌ शरीअते रे: 
छह इस्लामी का फेसला है कि ऐसे इन्सान को दूनिया में जिन्दा रहने का & 
कोई हक नहीं उस का मर जाना ही इन्सानियत के लिए बेहतर है & 


हा 


जज हब मठ + 


मर कर जे बेल ०२० २५ हमे +5- 


करे उन्हें इतने पत्थर के मारों कि वोह | |« है मर है है जम आल, 
मर जाए, उपर वाले और नीचे 

वाले दोनों को मार डालो”। . + ##(९» | 
/विर्मिजी जररीफ़, जिल्‍द 7, बाब हैं 983, हदीस ने. 7487, सफा नें 778, इनमें ग्राजा, 

.._ जिल्‍्द 2, बाब ने 749 हदीस ने उउब, ब्रफ़ा ने 709/ 

बन बना) हजरत इकरेमा ने हजरत अब्बास रददौअल्लाहो अन्हो से 
रिवायत किया कि रसूलुल्लाह सललल्लाहो अलैहि व सल्‍लम ने फे्‌रमाया------ 
“जिन को तुम पाओ के उसने दूसरे ४ ४./»४)-२४ कक ५ 
मर्द से सोहबत की है तो उसे ५ मल 
कत्ल कर दो करने वाले और ० का 7 कम 
करवाने वाले दोनों को कत्ल कर दा"। 

(अबू दाऊद शरीफ, जिलल्‍्द 3, बाब नें 348, हदीस नें 7050, ब्रफ़ा के 378/ 
ह्ड्सीरत ६--- ) हजरत जरत इब्ने शिहाब रदौयल्लाहों तआला अन्हों से ऐसे 
है| मर्द के बारे में पूछा गया (जो मर्द से हो सोहबत करे) इब्ने शिहाब ने फरमाया- 
| “ठसे संगसार किया जाए (पत्थरों से । 
है मार मार कर कत्ल कर दिया जाए) चाहे 
है शादी शुदा हो या गेर शादी शुदा"। 
'पांहा शरीफ, जि 2, किताबल हुवदूुव, हदीस नें 77, प्रफ्ता मेँ 278/ 

क्‍ एक हदीसे पाक में येह भी आया है कि ऐसे मर्दों को 
। जो आपस में ही सोहबत करे, उन्हें एक उँचे पहाड़ पर ले जा का 
नीचे ढकेल कर मार डालो, अगर वोह बच जाए तो फिर ढकेलो 


0 77 कलल कल इतन इतय जापल हकल ॥ वा. शा. न . हो की शी मी लो 


हि - || | न | । न हि विनय | | _- है कलल्‍्क || नल हि छ व््ञ््- 


मल  . ॥ है ह ॥ह ॥. ॥ ह ॥ ॥ ॥ ह ॥ # मै है ॥ 88 की ही 


मलिक मम अब की ॥2 


# 2: 


(->' 


वा है हू ॥ हे है हे ह. ॥ की थी की की 8 8 


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नम किक ४० बा, हजरत अली रत्बललाशे तआला अको ने तो उच्च खबीस | ह 
वा्म के करने वालों को कत्ल कर देने पर ही बस न की बल्कि उम्हें 
शाग में जलाया । 3 
चल ड्जर्त सिद्टीक अकबर रदोअल्लाहो तआला अन्हों ने उने पर £ 
दीवार गिराई जिस के नीचे वोह दब कर मर गए । न 
2 (बहार करंजतों, जिल्‍ए 7, डिस्सा माँ 9 खफा में यक! 
> दप्च टोर में अमरीका और इंगलैन्ड बगेशा जो साइंस ($०- 3 
ह 67०८) की तरक्की पर अपने आपको सब से ज्णदा तहजीब वाले और रु 
| आप्ला समझते हैं उनके यहाँ आज इस काम के करने वाले ज्यादा पाए # 
जाते है और वोह इसे कोई अयेब व भुनाह नहीं समझते जिस के नतीजे & 
६ में अल्लाह रब्बुल ईज्जत ने “एड्स” नाम की खतरनाक बला-नाजिल कर # 
| दी है । देखने में येह भी आया हैं कि इस काम के करने वाले को कुछ “ 
अर्से बाद ऐसी आदत हो जाती हैं कि वोह खूद ऐसा काम कराने के लिए / 
गगों पर पाल खर्च कर के अपनी हवस की आग बुझाता हैं । 
का आछ उजरत अच्दुल्लाह इब्ने ऊपर उदोअल्लाहों तआला > 
ध अन्हों नो रिवायत किया है कि रखल उपज) | सल्लललाहों तमआाला अलैहि व । | 
के अत्लम ने पशगोद फशमाशि4- 5-० ००००-०-+ ० नम तन मिस 7० न कक ल्‍ 
“ऐसे लोग जो मर्द से सोहबत करें या सोहबत करवाए £# 
उन की तरफ देखना, उन से बात करना, और उन के पास बेठना हराम # 
है"। (काशंफ़्तुल .कुलूब, बाब न 22, स्रफा नें 768/ 
इस हदीस से वोह लोग इबरत हासिल करे जो बाजारों, | 
, दुकानों में हिजडों से हँसी मजाक करते हैं 

३ इिडरचणछछछ) हजरत इकरेमा का बयान है कि हजस्त इब्न॑ 
2 ऊब्यारसे रोअल्लाहो तआला अन्हो ने फिययी-०--+-ल+ तन ++-++- 7 _ कह लेए न है 
; “नबी-ए-करीम सल्ललल्‍्लाहों तआला अलैहि व सल्लम ने हिजडों पर 
“औैलअनत फरमाई और फरमाया--“न्हें अपने घरों से निकाल दो” । ६ 


पं ह् स्‌ बा 7: न्ड्द ; जाआ खाता उस कप्ठ्य ह-] हब. पफ्ट या बा | 


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5 7 कक) एक दूसरी रिवायत में हैं कि----------------- ऐ 
है सरकार सलल्‍ललल्‍्लाहो तआला अलैहि व सलल्‍्लम ने हिजडों को शहेर से निकल डर | 
दिया और फरमाया किं----“हिजडों को अपनी बसस्‍्तीयों से बाहर # 
॥ निकाल दो कि कहीं उनकी वजह प्ले अल्लाह तआला तुम घर भी अजाब ४ 
नाजिल न कर दे” (किल्ारी शर्तीफ़, जिल्‍द 3, सफ़ा न॑ 675) ० 
|] आह ! अफसोस, कुछ लोग शादी ब्याह, या किसी और ! 
॥ ख़ूशी के मौके पर हिजड़ों को अपने घर बुलाना और उन से बेहुदा बातें & 
सुनना अपनी शान समझते हैं इस से उनके सीने फक्र और ग़ुरूर से फल 
| जाते हैं । शादियों में जब येह हिजडे आने लगेंगे तो जाहिर है फिर / 
8 ओलाद हिजड़ा न होगी तो क्‍या होंगी । द | 
5 आखरी ज़रूरी बात :- हिजड़ों से सोहबत करने वाले को 
७ “एड्स” की बीमारी का होना यकीनी है और फिर जल्द से जल ॥| 
तकलीफदा मौत ही उस का अंजाम । +| हि 


| क्या आप "ने जानवारों से भी बड़ कर हैवान देखे हैं | येह वोह & 
लोग है जिन्हों ने शर्म व हया के कानून की हर .जन्जीर को तोडा है | + 

0 इन्हें कछ नहीं मिलता तो जानवरों को ही अपनी हवस का शिकार बचत 
है हैं ओर येह सुबूत देते है कि हम देखने में तो वैसे इन्सान ही नजर ॥ 
|. आते है लेकिन दरीन्दगी के मामले में जानवरीं से भी बड क- हैं । # 
8 गोेया-६४ शर्य नबी ख़ोफ खुदा येह भरी नहीं वोह भरी नहां / 
;( इन लोगों में अगर अब भी कोई ख़ौफे ख़ुदा और शर्म व ॥ 
'क्‍ हया का जरा सा जर्रा भी बाकी होंगा तो वोह यकीनन इस हंदीसे पाक || 
क्‍ की यह कर सहेम अधि -नत+--नस>न>ससल>-लननज“_+्त>्तलक>59 न + 5 + ने 
:४-- / की 3:65। आअन्दुल्लाह ड्ब्नं उाज्य/सि रदीअल्लाहों तआला 


! मुद 


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“जो शख्स जानवरों से सोहबत हु लए हो 
_+ ०७ | कर ७ 4.......&+ (5 (४ 
है करे उसे और उस जानवर दोनों को ५४७ जीआ। 


कत्ल कर दो”। ॥4 हा व 


 /अबृदाऊद शरीफ, जिल्‍्द 3, बाब ने 349, हदीस ने 7052, स्फ़ा 378, इब्मे माजा, 
जिल्‍द 2, बाब मेँ 743, हदीस मे 334, म्रफ़ा नें. 708/ 
लोगों ने हजरत अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास, से पूछा कि | 
क्‍ “जानवर ने कया बिगाड़ा है”? उन्होंने फरमाया---“इस 
| की वजह और सबब तो मै ने रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो तआला अलैहि व सल्‍लम | 
| से नहीं सुना मगर हुज़र ने ऐसा हीं किया बल्कि उस जानवर का गोश्त | 
तक खाना न पसंद फरमाया”। क्‍ 
अगर हम इस हदीस पर गौर करे तो इस में चन्द हिकमतें 
नजर आती है । शायद हुज़र ने जानवर को कत्ल करने का हुक्म इसे 
| लिये दिया हो कि जब भी कोई उसे देखेगा तो गुनाह का मनन्‍्जर याद 
आएगा । दूसरी हिकमत इस में येह हो कि उम्मत को बताना मकसूद | 
है कि येह काम किस कदर बुरा है कि इसके करने वाले को कत्ल । 
है किया जाए और जिस से येह काम किया गया वोह किस कदर बुरा 
है कि उसे भी कत्ल कर दिया जाए । (बललाहो आलग) 
' अभी हाल में ही नई खोज से येह भी साबित हुआ है कि 
हि. जो मर्द या औरत जानवर से अपनी हवस पूरी करे उसको बहुत जल्द 
॥ एड्स की बीमारी हो जाती है याद रहे “एड्स” का दूसरा नाम मौत है 
॥ मसाला /-किसी ना बालिग शख्स ने. बकरी, गाये या भेस (या और 
किसी जानवर) के साथ सोहबत की तो उसे डाट डप्ट कर व सख्ती । 
से समझाया जाए । और अगर बालिग ने ऐसा काम किया तो उसे 
इस्लामी सजा दी जाएगी जिसका इख्तियार इस्लामी ब्लूशाह को है, | 
वोह जानवर जब्ह करके दफ्न कर दिया जाए और गशोश्त व खाल | 
जाला दे घाला न जाए जैसा कि टदर्रे प्रख्तार में है । 
/फ़रमावा-ए-रजकीया, जिल्‍ल्द 5, ग्रफ़ा ने #835/ 


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कम हर ड जाके कि कण । न] 
+ बढ 


बा हु 


मिल्वायथ | ॥ 


<॥52 (5 डक) अल्लाह के रसूल उल्लल्लाहो तआला अलैहि व सललम 
ने इशशाद फरमाया--------------------------------------- 

“कोई मर्द किसी (गैर) औरत की 54:०७ 52४ 
तरफ और कोई औरत किसी (गैर) 7.3 5,»० ३.४५.) 
मर्द की तरफ न देखे, और एक || 35% # जोक आे "० 

॥ आई कंश दूसरे मर्द अं 3द /। (५ / (५०२४५ 
| मर्द दसरे मर्द के साथ और एक हम की कहो 
हज और दसरी औरत के साथ एक | ० | ता 8 
कपडा ओड कर न लेटे”। ॥७४ «७७५३ 

(गिश्कात शर्तफ्‌ , जिल्‍्द 2, हदीस ने 296, प्रफ़ा न 273/ 

करबान जाइये उस तबीबे उम्मत नबी-ए-रहमत सल्लल्लाहो 

तआला अलैहि व सलल्‍लम के जिन्हों ने औरत को औरत के साथ एक बिस्तर 

पर एक चादर में आराम करने से मना फरमा दिया, मर्दों में जिस तरह 
इस हरकत से कौमे लूत के ना पाक अमल का खतरा, औरतों में भी 
उसी फितने का डर, और जो नुकसान दुनियावी व दीनी मर्दों की इस ना 

पाक हरकत से पैदा होते हैं वही औरतों की शरारत व खबासत से होगें 

अपने हाथ की उँगलियाँ या कोई चीज या सिर्फ उपरी 

“रगड़ और गैर मामूली हरकत, जिस्म की हालत को हर सूरत में तबाह 
करने वाली, और उमर भर के लिए जिन्दगी बेकार बनाने वाली हैं । | 
येह हरकत नर्म व नाज़ुक झिल्ली में ख़राश पैदा कर के वरम लाएगी 
इस वरम की वजह से बार बार ख्वाहिश पैदा होंगी । बार बार की 
| इस हरकत से माद्द निकलते निकलते पतला होगा और दिमाग की क्‍ 
पर असर पहुँच कर घबराहट, बेचैनी व पागल पन के आम्राए 
0३ दूसरी तरफ अपना ख़ून इस अन्दाज से बहाने को ब्रणह 


जी का छ. ॥... ॥  ॥ ७ 8  छ हक छह. ह के के 


॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ' हा" / 


है ॥ . है ॥ -ह :॥ ६. &  & #& ह आह प 
पका कल न 
कम ुा 

का 


आंहि है ॥ ॥ ॥ ॥ ॥& ॥ ॥&॥ ॥ ॥ ॥ ६ & 2 &8 #& ॥& #& ॥. # 


की 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


( 
227६2 गाय जय का पल कला का कला जम ५. 


न || है. ला 
॒ ! की 


सडाएगा, इस में जैहरीले कीडे पैदा होंगे जख्म भी पैदा हो जाए तो | 
कछ तअजुब्ब नहीं, पेशाब में जलन इस की ख़ास अलामत हैं । आखिर ॥ 
कार, मेदा, जिगर, गुरदा सब के काम ख़राब करेगा, आँखों में गडे चेहरे 
पर बेरौनकी, हर वक्‍त कमर में दर्द, बदन का कमजोर होना, जरा से | 
काम से चकराना, दिल घबराना, बात ब्वात में जिड्चिडा पन और फिर । 


बीमारी में गिरफ्तार हो कर मौत का श्िकार होना हैं । और फिर मौत | 
के बाद भी सुकून नहीं जहन्नम का अजाब बाकी । 

-: शायद औरतों ने येह ख्याल कर रखा है कि येह कोई | 
गुनाह नहीं या हैं भी तो मअमूली स्पा, देखो अल्लाह के रसूल | 


जिना हैं”। 
देखो | देखो और फरमाते है सरकारे दो आलम ॥ 


सल्लल्लाहों तआला अलैंहि व सललम-----“--5५+---------““-"““““5"“5“5“5“5““5“5::ः 
ह् 59 न ओरत, औरत की ० 

के साथ नजदीकी करे, न ओरत ४,३०३) >०ी ह€ »८ ४ 
अपने हाथों अपने आप को ख़राब २.3 0 ५५७ ७५.७४ ३। ,। ८ 9४ 

करे, जों औरत अपने हाथों अपने 5 >ज 


आप को खराब करती. है वोह भी 
यकीनन जानिया (जिना करने वाली) है । 
इस गुनाह के लिए दुनिया का कोई बद तरीन अजाब भी 


ज  क्याका कह #॥ ॥ छू छ था छ का छा हा ॥आ ह का आा छा छा छा बार 


५२५ उत हह हल बह कड़ा कक जा एन एक जा जा का का बल का पा का जा बा छह डे बा ब5 ७0 4 कक व. है _ # #& ॥ ॥& 


हक धर 


72[)-7 66460 ५ध॥ 00/00५9 ॥#8/ ४8/800 ७७७.|2४900/५.00॥] 


होंगा, बेहोशी के दौरे पडेगे । और जब येह पतला माद्द हर वक्‍त हे 
| थोडा थोडा रिस्ते रिस्ते उस मुकाम (शर्माह) को गनन्‍दा बना कर # 


सलल्‍लललाहो तआला अलैहि व सल्‍लम क्या इरशाद फरमात॑ हं-->55“5“5४“5““४४: " 

ल्ह्ड्स्कछ ओरतों का || 
आपस में (ख़ास सूरत में सेक्‍स के - (०/४+:2०) *--.)। ८२७ ००-- ॥ 
साथ) मिलना उन का आपस का 


॥ ॥ 


इन सब के बाद “तपेदिक” ((काणमां० 4८४०, पूराना तप) को ला इलाज न 


कु काफी नहीं हो सकता इस के लिए जहन्नम के वोह दहकते हुए अंगारे 
| और दोजख़ के वोह डरावने जैहरीले साँप और बिच्छू ही सजा हो सकते 
॥ हैं जिन की तकलीफ हमेशा जारी और बाकी रहने वाली । 


(ब हवाला, जवानी की हिफ़ाजुत, सफ़ा हैं 76, 77, 78) 


क्या आप जानते है ? इस दौर में नवजवानों में जिस कदर 
है ब॒राईयों पनप रही हैं उस की सब से बड़ी वजह क्‍या हैं ? जी हॉ फिल्में 
॥ ! आज मुसलमानों का तकरीबन हर मकान एक सिनेमा घर बना हुआ 
है हैं |! अब तो हद येह हो गई कि मुसलमान का जब एक बच्चा होश 
है संभालता है तो वोह अपने घर में टी.वी के जरिए वोह सब कुछ देखता 
| और जान लेता हैं जो उसे इस उमर में नहीं जानना चाहिये । जब होश 
_ संभालते ही वोह फिल्मों में एक मर्द ओर ओरत के बीच के खास 


तअल्लुकात को देखता हैं तो उस में भी वही ख्वाहीश (इच्छा, क्रक्र) पैदा 
होती है और फिर वोह उमर से पहले ही अपने आप को जवान समझने 
नगता है फिर येह ही ख्वाहीश आगे चल कर उमर के साथ साथ ज्यादा 
कि बडने लगती हैं और इस ख्वाहिश को पूरा करने के लिए वोह गलत 
हरीकों का इस्तेमाल करने लगता हैं यहाँ तक कि जब भी वोह तन्‍्हा 
प्रैकेला) होता है तो जिन्‍सी ख्वाहिश उसे परेशान कर देती है और वोह 
पं पूरा करने के लिए अपने ही हाथों अपनी क़ुव्वत (मनी) को निकाल 
र मजा हासिल करता है । अक्सर लड़के स्कूलों, और कॉलेजों में 
धरूम (3820 ए००7) में जा कर येह सब करते हैं । 
एक बार का येह अमल फिर हमेशा की आदत बन जाता : 
जिस के नतीजे में सिवाए नुकसान के कुछ नहीं मिलता । 
हाथों के इस नर्म व नाजुक हिस्से (लिंग) से हमेशा 


| _:8 हा ॥ हा हर ॥ हू ह & #॥ श्वा हा ॥. ॥ हक  ॥ छह. काम: 2 हक. 7 


एन जा बा छा छा छा का छा कक फा फा जा छा का जा छा ता जा का जा पड बच 75 


घट 
छत 
हज 
प्य् 
ब्ब 
बन । 
ब्श| 
कं 

८6 
कर 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


करी ब-ए-जिन्दगी 
हम... अल... 


शा जक उत्ा ह्रऋ एड छत (9 4 १ ])) जहा पका छत फ़त जया सका जा का पल 
छेड छाड॒ उसे कमजोर बना देती है, वोह बारीक बारीक रगें और पूठूठे ९ 
भी इस सख्ती को बरदाश्त नहीं कर सकते चाहे कैसी ही चिकनाहट 
क्यों न इस्तेमाल में लाई जाए | इस से सब से पहला जो असर होता 
है वोह ऊज़ू-ए-तनासुल (लिंग) का जड़ से कमजोर और लागिर हो 
जाना है इसके अलावा जहाँ, जहाँ रगें और पुठठे ज्यादा दब जाते है वोह 
हिस्सा टेडा हो जाता हैं । इनके दबने से खून का आना कम्न होगा । 
रगें फैल नहीं सकेगी सख्ती जाती रहेगी, जिस्म डीला और बेहद लागिर 
| हों जाएगा अपने हाथों के इस करतूत के सबब ऐसा शख्स औरत के 
काबिल नहीं रहता । अगर कोई शरीफ, ईज्ज़त पसंद लडकी ऐसे शख्स 
के निकाह में दे दी जाए तो उमर भर अपनी किस्मत को रोएगी । और 
येह बद नसीब उस को मुँह दीखाने के काबिल न होगा । इस लिए 
अव्वल तो उस से मिल ही नहीं सकता कि जब भी औरत से मिलना 
चाहेगा । पहले ही' सब कुछ बाहर गीरा देगा और अगर किसी तरकोब 
से मिल भी जाए तो माद्य में औलाद पैदां करने वाले अजजा (अंश) 
पहले ही इस हरकत से. मर चुके, इस लिए अब ऐसे शख्स को औलाद 
से भी मायूस होना पड़ता है । 

याद रखिये येह वोह कीमती ख़जाना है जो खून से बना 
और खून भी वोह जो तमाम बदन के गिजा पहुँचाने के बाद बचा, बस 
अगर इस खजाना (मनी, विर्य) को इस तेजी के साथ बरबाद किया गया 
तो दिल (तर«&छ/) कमजोर होगा । दिल पर तमाम बदन की मशीन का 
| दारोमदार है जिस्म को खून न पहुँचा. यानी येह आदत इस हद को पहुँची 
के खून बनने भी न पाया था कि निकलने की नौबत आ गई तो जिगर 
| का काम खराब हुआ------- 

एक जबरदस्त तजरूबेकार डॉक्टर ने अपनी तहकौक 
(८52४८) में इस तरह लिखा हैं कि--------------------- 

“एक हजार तपेदिक ((फ़ाठप्ांट €िश्टा, पुराने बुख़ार 
मरीजों को देखने के बाद येह साबित हुआ के 86 औरतों से ज्यादा 


् , 20," च्यक्ला ह 2 ह& छह ६ -ह छा ७ ॥ - 8 2 हवा छा छा. के का की छा आस दान्म्म 


“न हब का उल छाप हज बला जा शत तल सब पका हाद एल तज हस लक्ष तक छत 767 आप रा प्रड का का कमा आह कह न कह हा बढ हा अर 
हु ह ॥ ॥ 8 ॥ ॥ बह हू ॥ 8 ॥ 8.8 - है 8 8 ही हि 8 हे की. कं के 8 


भर 


7 


६ 5." 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


क्रीन-ए-जिन्दमी 
कक), आओ छा छा था ॥ ४ (है है? । | 90) 2 मर 9 मे ॥ 8 म कल कु 


है सोहबत करने की वजह से इस बीमारी में फसे हैं और 4॥4 सिर्फ अपने 
हैं; हाथों अपनी क़॒व्वत के बरबाद करने की वजह से । और बाकी दूसरे 
| मरीजों की बीमारी की वजह दूसरी हैं” 

ू आर: आगे लिखता हैं कि--ननल>-तत्तलभनतननन तर नर दूत 
४ “हम ने 24 पागलों का मुआएना किया उन के मुआएना 
श्र (निरिक्षण, [592०४ ०॥) करने से मअजलूम हुआ कि उन में से 24 सिर्फ 
हैं अपने हाथों अपनी क़ु॒व्वत को बरबाद करने की वजह से पागल हुए हैं 8 
9 और बाकी एक सौ दूसरे हजारों वजुहात (कारणो) से । 

इन्सानी दौलत का येह अनमोल ख़जाना अगर इन्सानी जिस्म 
है के संदूक में चन्द दिनों तक अमानत रहे तो दोबारा खून में जज्ब हो 
॥ कर खून को कृव्वत देने वाला, सेहत को दुरूस्त और बंदन को मजबूत 
है बनाने वाला होंगा । रोब व हुस्न व जमाल को बड़ाने वाला और मर्दाना . 
मै कव्वत में चार चांद लगाने वाला साबित होंगा । दिमाग की तेजी तरक्की 
पाएगी, याददाश्त तेज होगी आँखों में सुरखी के डोरे, हिम्मत बुलनेद 
हैं होसला की सर बुलन्दी इस दौलत में बडावट की अलामत होंगा । 
के बाजु हकीमों ने कहाँ है कि जिसे हद से ज्यादा दुबला 
है कमजोर, वहेशियाना शक्ल व सूरत का पाओ, जिस की आँखों में गड़े 
| पड गए हो, पुतलिया फेल गई हो, शर्मीली हो, तनहाई को ज्यादा 

ह करता हो उस के बारे में यकीन कर लो इस ने अपने हाथों अपना ख़ुत 
» 


हैं बहाया हैं । 
|" , हकीमों ने लिखा है कि सौ (॥00) मरतबा अपनी बीवी से 
| सोहबत करने पर जितनी कमजोरी आती हैं उतनी एक मरतबा अपने 
हाथों से अपनी मनी बरबाद करने में कमजोरी आती हैं । 
आज दुनिया से छुप कर बुराईयाँ कर रहे हों लेकिन येह 
है तो सोचो कि वोह हाजिर व नाजिर ख़ुदा तो देख रहा हैं उस से बच 
| कर कहाँ जाएगे । अल्लाह ने जिना को हराम किया उस की सजा 
बताई के येह सजा दुनिया में दी जाए तो आखिरत के अजाब से बच्च 


जा को जा हक था  ॥ झा ह ला का #% ॥ ह॥ व का ॥ हा. ह॥ 


लक 
| नो 
हैः 
छा 
छा 
है. 
जल 
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72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


गॉन-*च-जन्दमी 


> एक, कि 3 ० परहिक 


[ : 08 कै), # 8 ॥ 9 ह छा 7 ०7००७) “7 
# जाए लेकिन अपने हाथों इस अनमोल ख़जाने को बरबाद करना ऐसा रे 
सख्त गुनाह ठहराया गया कि दुनिया की कोई सजा ऐसे जुर्म के लिए 


काफी नहीं हो सकती जहन्नम का दर्दनाक अजाब ही इस का भुगतान 
हो सकता है । ऐसा ना पाक काम करने वाले की सूरत पर ख़ुदा की & 
हजारों लाखों फटकारे । हू 
५ स्व्दीस् :-) न फरमाते है आका सलल्‍लल्लाहो अलैहि ब॑ सललम-------- का 
“हाथ के जरिये अपनी कुब्वत (नी)... ||. ->०+४०+/ टी 8 


को निकालने वाला मलऊन है (अल्लाह की तरफ से फटकारा हुआ है)।”। | 
अगर ख़ुदा ना ख़ास्ता (अल्लाह न चाहे) कोई नसीब का ४ 
दुशमन इस बुरी आदत का शिकार हो चुका है तो उसे हमारा | 
दर्दमन्दाना मशवरा है कि ख़ुदारा, इशतेहारी दवाओं की तरफ न जाए 
पहले सच्चे दिल से तौबा करे और फिर किसी अच्छे तजरूबेकार 
तअलीम याफता हकीम, वैध, या डॉक्टर के पास जाईये और बगैर 
शर्ममाएं अपना सारा कच्चा चिट॒टा सुनाईये और जब तक वोह बताये 
बकायेदा पूरे परहेज के साथ उसके इलाज पर अमल कीजीये उम्मीद 
हैं कि कुछ मरहम पटटी हो जाए । 


क्या टड्रुएाँन सलल्‍लल्लाहो तआला अलैहि व सल्लम 
हाजिर व नाजिर हैं ? 

क्या छुएुंग हमारे हालात को बा ख़ूबी जानते हैं ?/ 

जानने के लिए पदक्ैये ------- 


व छल ऋण जय छत कम लय छा छड़ छत छत छा छा पका बा छत क़न छाइ छा ऋा छत्ा छा छम्र | 


-: मुरत्तिब :- 
मुहम्मद फारूक ' खाँ अशरफी रज़बी 


भा जज जा हा जा जा जा बा न जा बा छा बा बा बा जा छा क़ बा का पा थार थार पा एर प्रश्न का का फ का एक प्र ब्रा जार. की )) 


१ | 


बे 
(398 ७ 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


क्रीन-ए-जिन्दगी 
2४ क्रो मा जया छक पका छा छा ॥ है %2॥ / कमा ऋण ऋना ऋ जज छा छा । --3हे( हि) व, 
[लहारल का जायन्नो उपतश्चला आया बास्यव्त द्ध 


हैः 


 है। (६॥०:5 आक) अल्लाह र्बुलईज्जत इरशाद फरमाता है---------- ” 
 । वर्जणाा :- बेशक अल्लाह पसंद करता || “« »>«> हलक तर 
8 है बहुत तौबा करने वालों को और "अप डिड टी काश कह 5: क 
8 पसंद करता है सुतरों को । ००२ ४४०--*| हु 


मिशन मे | । | | 
2 कया ॥ ॥ ही ह ॥ ह ॥ ॥ ह ॥ ॥ ॥ ह ॥ ॥ ॥ ॥ है ही ॥ ॥ ॥ ॥ है है है 


(#7जप्ा /- कन्जुल इपान, प्रदर 2, घरए बकर, आयतह 222/ 

ह. (सेल रिय :--.) ः £ आकर). 'जएएणाह के रसूले सललल्लाहो ठआला अलैहि व सल्‍्लम 

. » ने इरशाद फरमाया---------------उ5"०5757०--+“-5+3533++55-- 

“पाकीजगी आधा ईमान है”। | “ज्रिरी | +6॥/ी 

क्‍ ब्व्ठीझ्तव +-) और फरमाते है आका इललल्लाहो तआला अलैहि व सल्लम 

“दीन की बुनयाद पाकीजगी पर हे” _ 230०.) ४०.2०) (५.२ 
(कॉम्या- ए- सआदत, स्रफ़ा नें. 732/ 


है गुस्ल कब फर्ज होता हैं :- 


थे गुसल पाँच चीजों से फर्ज होता हैं यानी इन पाँच चीजों 
॥ में से कोई एक भी सूरत पाई जाए तो गुसल करना फर्ज हर. 

क्‍ अब हम आप को हर एक के बारे में तफसील से बताते हैं । 
(]) मनी को निकलने से :- मर्द ने औरत को छुआ या 
देखा या औरत का सिर्फ ख्याल लाया और मजे के साथ मनी 
(धातु, विय) निकली तो गुसल फर्ज हो गया । चाहे सोते में हो 
या जागते में । उसी तरह औरत ने मर्द को छआ या देखा या 
उस का ख्याल लाई और लिज्जत (मजे) क॑ साथ मनी निकली तो 
औरत पर भी गुसल फर्ज हो गया । इन तमाम बातों का हासिल 
येह है कि अगर मजे के साथ मनी (धाँतु) निकली चाहे औरत से 
निकले या मर्द से गुसल फर्ज हो जाता है । 


कया ह॥ '॥॥ छह छह 8 ॥ छह ॥#- व कह ह ॥ हा ॥. छह का हू ही लतलतमापल 


॥ ॥ न 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


बा तह जा का छत पक जा का (53.20): ॥ 8 9. 8 9७.७ 25० 
# (2) एहतलाम होने से :- यानी सोते में मनी का निकलना ऐ 
जिसे “नाईट फाल” कहते हैं उससे भी गुसल फर्ज हो जाता हैं येह 

मर्द और औरत दोनों को होता हैं । चुनानचे हदीसे पाक में हे-- ५ 
हि््स्लाछछ हजरत उम्मे सलीम रोअल्लाहो क्आला अन्हा ने रसूले ॥ 

करीम सल्लल्लाहो तआला अलैहि व सल्‍लम से पूछा--“या रसूलुल्लाह ! अल्लाह ६ 

तआला हक बात बयान करने में नहीं शर्माता जब औरत को एहतलाम 

| (नाईट फाल) हो जाए यानी मर्द को ख़्वाब में देखे तो उस के लिए भी # 
गुसल जरूरी है”? सरकार ने इरशाद फरमाया---“अगर मनी (धातु) की £ 
तरी देखे तो गुसल करे”। 

(बिखारी जरीफ़, जिल्‍्द 7, बाब ने 79, हदीम में 275, सफ़ा नें 793, तिर्मिजीँ शरीफ, थि 

जिल्‍्द ।॥, बाब नें 89, हदीय मं 774, सफ़ा मे 730/ | 

मसला :-रोजे की हालत में था और एहतलाम (नाईट फाल) हो गया ॥ 
तो रोजा न टूटा लेकिन गुस्ल फर्ज हो गया । री 
(बहारे श़र्अत व काजूने शादअत वर्ग) 

(3) सोहबत करने से :- मर्द ने औरत से सोहबत किया, हैं 
और अपने ऊज़ू-ए-तनासुल (लिंग) को औरत कौ शर्मगाह में «& 
दाखिल किया चाहे मजे (5८४) के साथ या बिना मजे के साथ ६ 
दाख्लि करे और इन्जाल हो या न हो (यानी मर्द को मनी निकले या # 
न निकले सिर्फ औरत की शर्मगाह में ऊज़ू-ए-तनासुल को दाखिल कर देने से & 
ही) मर्द व औरत दोनों पर गुस्ल फर्ज हो गया । 

(बिखरी शर्तिफु, जिल्‍द 7, बाब नें 207, हदीस ने 204, सफ़ा नं 795,/ 

(<4) हैज के बाद :- औरत को जो हेज्‌ (माहवारी) का खून आता & 
है उसके बन्द हो जाने के बाद औरत को गुस्ल करना फर्ज है । । 

(कानून शरीअत, जिल्‍द 7, सफ़ा नें. 38/ व 

(55) निफास को काद :- औरत को बच्चा जन्ने के बाद जो ॥ 

खून शर्मगाह से आता है उसे “निफास” कहते हैं इस खून के बन्द £ 

हो जाने के बाद औरत को ग़ुसल करना फर्ज है (निफास का # 


बा छा  आ कथा आ कथा का हा ह . का. -8 / जा छल इटस कुत्ता 2 हट & 776 ' 


कब आा॥ , है... 2/ ॥ 8  ॥ ॥ ॥ #&. 8. #- ही 8 आस आओ जय फ् फ क्र ॥ 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


क्रीन-ए-जिन्दगी । 
+६277- जब छा कमा करन बम पा एन छह 


)। 8. 
तफसील से आगे बयान आएगा) | 
(काटने शरीअत, जिल्‍द 7, स्रफा हूं 38/| 
इन पाँच चीजों से .गुसल फर्ज हो जाता हैं । अब इस 
के अलावा चन्द और जरूरी मस्अले हैं जिन का हर मुसलमान को 
जानना और याद रखना जरूरी है । 
मनी :- मनी (विर्य) वोह है जो शहवत (मजे) के साथ निकलती है 
मजी :- वोह है जो बगेर मजे के, ऐसे ही बेफुजूल बेकार ही “ऊज़ू- 
ए-तनासुल” (लिंग) पर चीपचीपा सा माद्य निकलता है । 
क्दी :- गाडे पेशाब को कहते है । 
मनी के निकलने से गुस्ल फर्ज होता है जबकि मजी, और 
वदी के निकलने से गुस्ल फर्ज नहीं होता लेकिन वुज़ू टूट जाता है । 
मस्खला “अगर मनी इतनी पतली पड गई के पेशाब क साथ या 
वैसे ही कुछ कतरे बगैर शहवत (मजे) के निकल आए 
तो गुस्ल फर्ज न हुआ लेकिन वुज़ू टूट जाएगा । 
(कान्ने शर्रअत, जिल्‍्द 7, स्रफ़ा नें. 38/ 
बीमारी से मनी निकलना किसी ने बोझ उठाया या 
ऊँचाई से नीचे गीरा या बीमारी की वजह से बगैर शहवत (5८०५ 
के बिना ही) बगैर किसी मजे के साथ मनी निकल गई तो गुस्ल 
फर्ज न हुआ लेकिन बुज़ू टूट गया । 
(काए्नें शरौअत, जिल्द 7, स्फ़ा ने 38/| 
पेशाब के साथ मनी निकलना :- अगर किसी ने पेशाब ' 
किया और मनी निकली तो अगर उस वकत ऊज़ू-ए-तनासुल (लिंग) 
में तनाव (थईट पन) था तो गुस्ल फर्ज हो गया । और अगर तनाव _ 
नहीं था और बगैर मजे के पेशाब के साथ मनी निकली तो गुस्ल 
फर्ज न हुआ । (/फतावा- ए-आलगगीरी 
किस पर गस्ल फूर्ज हुआ :- मर्द और औरत एक ही बिस्तर 
पर सोए लेकिन सोहबत (संम्भोग) न किया और सुबह बेदार होने # 


हम " हे | 
2 चकणाड कह 8 कर  ॥  ह 8 हू ह ॥.. 8 ॥. ह॥  ॥ ॥ - ॥  ॥  छ आ  कान्त्न १५१ 


हा ध् ह् फ "कक छह 


< -ह ॥. ॥ ह 8 हैूं..& # #&. ॥ -॥ - & 8: ही ही. आी ही हि आओ आर मम ज 


4 


6 र्‌& >प्याक ॥ ६ .॥. ॥ 8... है. # हैं के के की 8 छा जाए छात्र जल कक बका का छा बरका कक बराक हल हम छा ॥8 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


७ “॥ न 
|. प पोज किन 


के बाद बिस्तर पर धब्बा (दाग) पाया । मर्द और औरत दोनों 
याद नहीं के दोनों में से किसे एहतलाम (नाईट फाल) हआ है तो 
अब उस धब्बे (दाग) को देखे अगर वोह धब्बा लम्बा और सफेद 
और गनन्‍्दा सा है तो मर्द पर गुसल फर्ज हुआ (यानी वोह धब्बा मर्द 
की मनी का है) और अगर धब्बा गोल, पत्ला, और पीले रंग, का 


है तो औरत पर गुस्ल फर्ज हुआ (यानी वोह मनी औरत की है) । 


” /-मर्द व औरत एक बिस्तर पर सोए बेदारी के बाद बिस्तर 
पाई गई और उनमें से किसी को एहतलाम याद नहीं ! 

एहतीयात येह है कि दोनों गुस्ल करे यही सही है । 

(हारे शर्गअत, जिलल्‍द 7, हिस्सा नं 2, स्फ़ा मेँ 27/ 


सांहबत के बाद मनी निकलना :- किसी औरत ने अपने 


हम. अर तट: 2 की 227 . आहट. के! कह ता कक परत शान दशा उ दशा या + जाता पा 


शौहर से सोहबत की सोहबत के बाद ग़ुस्ल किया फिर उस की 
शर्मगाह से अगर उस के शौहर की मनी निकलीं तो उसपर गुस्ल 
वाजिब न होगा लेकिन वुज़ू जाता रहेगा । 
(बहारे शरीअत, जिल्द नें. ॥, हिस्सा नें. 2, सफा न॑. 22) 

पक के लिए कौनसी बातें हराम हैं :- जिस को 
नहाने (ुस्ल) की जुरूरत हो, उस को मस्जिद में जाना, काबे का 
तवाफ्‌ करना, कुरआने करीम छूना, बे देखे या जुबानी पढ़ना या 
किसी आयत का लिखना, या ऐसी अंगूठी छना या पहेनना जिस 
पर कुरआन को कोई आयत या अदद या हुरूफे मुकत्तआत 
(५7७४० #97४7०) लिखे हुए हो, दीनी किताबें, जेसे हदीस व 
तफ्सीर और फिक॒ह वगैरा की किताबें छना येह सब हराम हैं । 
अगर कुरआने करीम जुजुदांन में हो या रोमाल व कपडे में लिपटा 
हो तो उस पर हाथ लगाने में हर्ज नहीं । अगर क़ुरआन की कोई 
आयत, क़ुरआन की नियत से न पढ़ी सिर्फ तबर्रूक के लिए, 
बिस्मिल्लाह, अलहमदुलिल्लाह, या सूरए फातिहा या अयतल करर्सी 
या ऐसी ही कोई आयत पढ़ी तो कुछ हर्ज नहीं । इसी तरह दुरूद 


हेमा की ऑन को ४ ( न 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


०. हा! 
0 कहर कि, 


जय जम जय करन उन नया उन उन कल छा छा छत छा छत छा छाड़ एल छल छा जम ८5 छा छत जता फत &ज जब छल छा छाछ 5 


न 


शरीफ भी पढ- सकते है 
(कानून शराअत, जिल्‍द 7, श्रफ़ा ने 38/ 
ना पाक का झूठा :- ना पाक आदमी, और हैज व निफास ! 
वाली औरत का झूठा पाक है । इसी तरह उसका पसीना या थूक 
किसी कपडे या जिस्म से लग जाए तो ना पाक न होंगा । 


कथा (कप क्र 
गान 


कं बुखार शर्गीफ़, जिलल्‍्द 7, पफ़ा के 7927, कातूनें ग़रीअत, जिल्‍द 7, सफा ने 46/ 
। ना पाक का चमाज़ पढ़ना :- रात में सोहबत की हो तो, ॥ 
| नमाजे फजर से पहले और अगर दिन में सोहबत की होतो अगली । 
॥ नमाज से पहले .गुस्ल कर लें ताकि नमाज कजा.न हो जाए । ; 
है और ज्यादा वक्‍त तक ना पाकी की हालत में रहना न पड़े 

.._ गुस्ल की हाजत है और अगर गुस्ल करता है तो फजर की नमाज 
| क॒जा होती है (यानी नमाज का वक्‍त ख़त्म हो जाएगा) तो ऐसी हालत ॥ 
् में “तयम्मुम” कर क॑ नमाज घर पर ही पढ़ ले । (इस से अदा हैं 
| नमाज पढ़ने का ही सवाब मिलंगा) उस के बाद गुस्ल कर के नमाज 8 
| लौटा दें । (यानी दोबारा वही नमाज पढ़े) हु 
! (अभेहकाम शरांज्त, जिल्‍्द 2, ग्रफ़ा ने 772/ 


जिस घर में ना पाक हो :- अक्सर मर्द और औरतें झूठी ६ 
शर्म व हया से गुस्ल नहीं करते और ना पाकी की हालत में कई । 
कई दिन गुजार देते हैं येह बहुत ही बड़ी नाहुसत व जाहेलाना 8 
तरीका हैं । हदीसे पाक में है जिस घर में ना पाक मर्द या औरत ॥ 
हो उस घर में रहमत के फरिश्ते नहीं आते उस घर में नहुसत । 
व बे बरकती आ जाती हैं करोबार व रिज्क से बरकत दूर हो | । 
जाती है और ग्रीबी और मुफलिसी का कब्जा हो जाता है | | 


| (अल्लाह महफज रखे। 
ग्स्ल से पहली बाल काटना :- गुस्ल करने से पहले ना ! 
पाकी की हालत में (ना पाक सोहबत करने से हआ हो या एहतलाम से 


पं हुआ हो) शर्मगाह क॑ बाल, बगल के बाल, सर कं बाल, नाक के 
_...2-प+ हाबत हलात 


क.....॥ छा... हू ॥. ॥ शा ॥  ॥ ॥ 8 &॥  #॥.. आह कक | 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


रा का ह ॥ व ॥8 : 52%) 2 2 व #ऋ हव॑ छ हु ८० हि 
बाल वगैरा न काटे और न ही नाखुन काटे, कि येह मकरूह 
और इस से सख्त बुरी बीमारियों के हो जाने का भी ख़तरा 
(कीग्यवा-ए-सजादा, 267, कानूने शर्अत, जिल्‍्द 2, सफ्ा ने 277/ 
एव जरूरी अध्यछाला “बुध के दिन नाखुन कतरवाने से हदीस 
में मना किया गया है | हुजूर सलल्‍्लल्लाहो तआला अलैहि व सलल्‍लम 
इरशाद फरमाते है---बुध के दिन नाख़ुन न कतरा करो के इस से कोड 
होने का खतरा हैं । (कोड एक ख़तरनाक बीमारी है जिस में जिस्म पर 
सफेद दाग पड जाते है) 
. (फतावा-ए-रज्वीया, जिल्द 9, निल्‍फ़ अव्वल, सफ़ा 37/ 


ह 
हे 


द 


छा छत्च 0:26 


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न टक |] हर हे छल ७ हब क्या जा 


गुस्ल से पहले गनन्‍्दे और ना पाक कपडों को पाक करना 


जरूरी है 
कपड़ों को. पाक करने का तरीका :- 
वोह कपड़ा जिस पर नजासत (गन्दगी) लगी हो उस पर 
पहले साफ्‌ पानी बहा कर खूब अच्छी तरह मलें फिर कपडे को अच्छी 
तरह निचोड़ ले । फिर दूसरा साफ पानी लें और कपड़े पर बहाएँ फिर | 
साबून या सर्फ वगैरा से अच्छी तरह धोए फिर उस कपडे को निचोंडे # 
लें । अब तीसरी मरतबा साफ नया पानी ले और कपड़े पर बाहाएँ ५ 
और फिर निचोड ले | अब आप का वोह कपड़ा पाक हो गया । | 
यानी तीन मरतबा नया पानी लेना और तीन मरतबा अच्छी तरह कपडे ' 
| पर बहाना और फिर अच्छी तरह निचोड़ लेना जरूरी है । 
गरखला +-नजासत (गन्दगी) अगर पतली है तो तीन मरतबा धोने और ॥ 
तीनों बार अच्छी तरह निचोडने से कपडा पाक होंगा । 
असथत्ता “कपडे को अच्छी तरह निचोडने का मतलब येह है कि £ 


घर हहत फमब एाजत कमला उक है..." क. _ वहलत"75 (हक | 


ह ॥ ह ॥. ॥ #॥ ह ॥ # है. ह  ह के की 


हे (0227 "या जन जम हल बल का जा छा छा का का का जा क्र खा का का का का का क्र का 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


क्रीन-ए-जिन्दगी.. क्‍ 
57 ः नह रे हा... का | फआ बा न है (ऋ% मी; /)) ॥ जा न बा छा छात्रा आता - हू 


हर बार अपनी पूरी ताक॒त से इस तरह निचोड़े कि पानी क्‍ 
के कतरे (बूंदे) टपकना बन्द हो जाए, अगर कपडे का 
ख्याल कर के अच्छी तरह नहीं निचोडा. तो बोह कपड़ा 
इस्लामी शरीअत के मुताबिक पाक न समझा जाएगा । 
कस्याला “कपड़े को तीन मरतबा धो कर हर मरतबा खूब निचोड़ 
लिया है कि अब निचोड़ने से पानी के क॒तरे (बुंदे) टपकेगी 

नहीं फिर उसको लटका दिया और उससे पानी टपक़ा तो 

_येह पानी पाक है, और अगर खूब अच्छी तरह नहीं निचोड़ा 

_ था तो येह पानी ना पाक है और कपड़ा भी ना पाक है । 

करस्अतल्ा 7-अगर किसी शख्स ने ना पाक कपडे धो कर अच्छी 
तरह निचोड़ लिया । मगर एक दूसरा शख्स शैसा है जो 

इस पहले शख्स से ज्यादा ताकतवर है अगर वोह कपड़ा 

निचोड़े तो एक दो पानी की बूंदे और टपक सकती थी 

तो वोह कपड़ा पहले वाले शख्स के लिए पाक है और 

इस दूसरे ताकतवर शख्स के लिए ना फाक हैं क्योंकि 

दूसरा शख्स पहले शख्य से ताक॒त में ज्यादा है । अगर 

येह दूसरा ज्यादा ताकतवर शख्स ख़ुद धोता और निचोड़ता 

तो वोह कपड़ा उस के लिए और पहले वाले शख्स के 

लिए भी पाक होता । 

इस मस्ञले से पता चला कि मर्द को अपने ना पाक कपडे खूद 

ही धोने चाहिये बीवी से न धुलाए क्‍योंकि औरत की ताकत मर्द की 
ताकत से कम होती है जब कि मर्द औरत से ज्यादा तांकतवर हैं अगर | 
वोह ख़ूद निचोड़े तो एक, दो, बूंदे कपड़े से और निकाल सकता हैं | 
इस लिए कपड़े ना पाक ही होंगे । ै 
लेकिन किसी की औरत, मर्द से ज़्यादा ताकृतवर हो और | 
५ उसने अच्छी तरह निचोडा तो मर्द के लिए कपड़ा पाक है ऐसे मर्दों » 
5 को जिन को बीवी उनसे ज्यादा ताकतवर है उस के हाथों धूले 


का . था. 8: ॥ जा & के  # छा हा  आ ॥ 9 ॥ ॥ #॥ ७ ७ € बिक «लक || 


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बजर। - दिया: जि र ही श्र | क्‍ ् ५ न्‍ 
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मी कि हि. मी... मी आी की हैं ..मि.. क| ..ह है . 9. है है ह  ॥ ६8 हवा ॥ . हा. ॥. ॥ ह॥. .॥ . ॥_ ॥. ॥ -. ॥ #ढ -् हट 
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रडीन-ए-।जन्दगी 82 
तप (297 का पक फऋछ कला छल कल हल फरड ७ थी /)॥%. जय कक छाए जाम उस हज पाक “णट३ रह 


पहनने में कोई हर्ज नहीं । 
4 अस्फाला “कपडे को पहली मरतबा धोने, निचोडने के बाद हाथ 
४ दूसरे नये पानी से अच्छी तरह धोए फिर दूसरी मर्तबा & 
श्र कपड़ा धोने और निचोड़ने के बाद हाथ दूसरे पानी से हि 
ल्‍ फिर अच्छी तरह धोएं, और तीसरी मरतबा कपड़ा धोने £ 
कु और निचोडने से कपड़ा और हाथ दोनों पाक हो गए । ' 
है मरूअत्या “सी चीजें जिन्हें निचोड़ा नहीं जा सकता, जैसे रूई का थे 
हर गद्य, दरी, चटाई, कारपेट, सतरंजी, वगैरा तो इन्हें पाक ६ 
; करने का तरीका येह हैं कि, उन पर पहले इतना पानी | 
हे बहाए कि वोह पूरी तरह भीग जाए और पानी बहने लगे 
इसके बाद हाथ से अच्छी तरह मले और उसे उस वक्‍त [६ 
५ तक छोड्‌ दे जब तक कि पानी गद्दे, चटाई वगैरा से # 
ह टपकना बंद हो जाए । फिर दूसरी मरतबा पानी बहाए 
फिर छोड दे जब पानी की बूंदे टपकना बंद हो जाए तो |! 


अब तीसरी मरतबा उस पर पानी बहाएं और सूख़ने के 
लिए छोड दे । अब वोह चीज पाक हो गई । तीन 
मरतबा नया पानी उस चीज पर बहाना और हर मरतबा 
पानी टपकने तक इन्तेजार करना जरूरी हैं । 
| (अहकामे शर्तअत, बिलल्‍द उ, सका ढ़ 252, कापूने शररीभुठ, जिलल्‍्द !, म्रछा हूं 5657/ 


... इमाम अहलेसुन्नत आला हजरत इमाम 


अहमद सजा खेरदीयललाहो तआला अन्हो की कलम का " 
एक अजीम शाहकार यानी 


जाए छत ४: छल छऋनस्‍नू-ल छ़ फऋछा छछ मल छत ऋा छड़ 


हिम्मत ब्य 
हि! 


हे 
५ धर 
ध5 ' | « है 


|. न! नं है पीर न 
(एव | आी:.. 
ष्य (5. मीट 


72[)-7 66460 ५ध॥ 00/00५9 ॥#8/ ४8/800 ७७७.|2४900/५.00॥] 


४ 2४ मर छा जा 6) छ मे. ढक 8 8 व का 


इक पान एन 
टन व करे 


ब हि ४, ' 
६० 


क। 


|ज्गुरसत (स्नान, 820702)| शा <- जता... हुक... की >> भी) | विवश आओ -3+- 3.७» ३-3७ आरयाआभभआ “करन. माकन-आं-पकाम पा ऋमपक- बाल ऋमका-- ब कुम आन: 5 फहत छह को ?े।....।/"“"ौज््च 


ऐ ४४ ः च््ुस्च्त (सूननावत, छेववत72) नेट रा 


डा. 


नम ब्मूएण हु मम ३. "मु नह. - विज 


#र्ज :- और अगर तुम्हें नहाने की 
हाजत हो तो खूब सुथरे हो लो । क्‍ 
___(हर्जा /- कत्जुल जान, ग्रादा 6, हूरए म्रावद्रा, आवक 6/ 


(44६०४०४८:४६४ ८५ 


है. . ॥. हु .ह....॥.,. ॥ ..- 8. . ॥ - ह :. छः कर 


(550 ६ आओ उम्मलमोमनीन हजरत आएशा द्भीयललाहो ठआला अन्हो से 
रिवायत है कि रसूलुल्लाह छत्तल्लाहे उमा! अलैहि व मल्लप ने इरशाद फरमाया- 

“जब मर्द सोहबत के बाद गुस्ल करता है तो बदन के 
जिस बाल पर से पानी गुजरता है उस हर बाल के बदले उसकी एक 
नेकी लिखी जाती है, एक गुनाह कम कर दिया जाता है और एक दर्जा 
उँचा कर दिया जाता हैं। और अल्लाह तआला उम्र बन्दे पर फख 
करता है और फरिश्तों से कहता है कि “मेरे इस बन्दे की तरफ देखों 
के इस सर्द (ठण्डी) रात में गुस्ले जनाबत के लिए उठा है, इसे मेरे 
परवरदिगार होने का यकौन है, तुम इस बात पर गवाह रहना कि में 
ने इसे बख्छ दीया"। 

थयिन्‍्यतुलालंबीन, बाब में. 5, जफ़ा ने 773॥ 

गुसल में तीन फर्ज है इन में से अगर कोई एक भी फर्ज 
छुट गया तो चाहे समुन्दर में भी नहाले तो भी ग़ुस्ल न होंगा और 
इस्लामी शरीअत के मुताबिक ना पाक ही रहेगा । इसी तरह अगर शम्ल 
तरीक॑ के मुताबिक नहीं किया बस ऐसे ही जिस्म पर पानी बहा दिया 
तो भी शुस्ल न होंगा । गुस्ल में तीन फर्ज है । 
मैं (]) ग्रारह करना :- मुँह भर कर ग्रारा करता के हलक का 
आखरी हिस्सा, दाँतों की खिड़कीयों, मसूड़ें वगैरा सब से पानी बह 
जाए । दातों में अगर कोई चीज अटकी हुई हो तो उसे निकालना 
जुरूरी है अगर वहाँ पानी न लगा तो .गुस्ल न होंगा । 


जा जता हा या बा छा एन छह एल ज् छा इक हक ॥ 


है... है बा &॥ है है  ॥' है. ॥ है आ 


० क) कह ज़ाा जा कड का का जा ला का ला लि का का का का छा का का का छा जा एन | 


हल 
| ॥ 


१ ह है... 


2५7 पंधात पाल पतय हा्का ॥ | ह  ॥ ह ॥ &  ह है हा... आतवनण 2 (हि 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


क्री न-श-जिन्दमी ह्ाढा 
भू" मना कद है ह्वः .ह. 8 ८. कक 4 हैक & ॥))५ #छ ऋजलज छत एक पा छत व 5 


अगर रोजा हो तो गरारा न करे सिर्फ कल्‍ली करे की अगर गलती हो 


०4 हक 4) बम 
- ॥ क् 5. के 
था सा । कि 


से भी पानी हलक्‌ के नीचे चला गया तो रोजा टूट जाएगा | ६ 
पापा सना --कार्ट ऋशद्ा पान चुन । कंध्या बगएा शा खालां है और चुना ै 


व कथ्था दाँतों की जड़ों में ऐसा जम गया कि उस का 
छूड़ाना | बहुत ज्यादा नुकसान का सबब है तो मुआफ है | 
ग्रारा करना काफी होगा ।और अगर बगैर किसी नकसान 
के छूडा सकता है तो छूडाना वाजिब है बगैर उस के 


कह है 


छडाए गुस्ल न होंगा । है 
(फतावा-ए- रज़्वीका, विल्‍द 2, बाबुल जुस्‍्ले, ब्रफ़ा में. 78/ 

(2) नाक में पानी ड्रालना :- तक के आखरी नर्म हिस्से है 
तक पानी पहुँचाना फर्ज है नाक की गन्दगी को उँगली से अच्छी 

तरह निकाले । पानी नाक में नाक की हड्डी तक लगना चाहिए 


और नाक में पानी तेज लगे । 
(3) तमाम बदन पर यानी बहाना :- तमाम बदन पर 
पानी बहाना कि बाल बराबर भी बदन का कोई हिस्सा सूखा न रहे, 
बगूले, नाफ्‌ (बोम्नी) कान, के सूराख तक पानी बहाना जरूरी है |. 
(कहर जर्रीअत, जिल्‍द 7, सफ़ा 78, कानने शर्ीअंत, जिल्‍क 7, ग्रफ़ा हे 37 


छिप बय 


गर्ल करने य श 


2 रूय+ं कं अक टिका ना ता ना झतपरयक ० 


गुस्ल में नियत करना सुन्नत हैं । अगर न की तब भी 
गुस्ल हो जाएगा । गुस्ल की नियत येह. हैं कि “मैं पाक होने और 
' नमाज जाइज होने के. वासते गुस्ल कर रहा हूँ “/ या कर रही हूँ । ॥ 

नियत के बाद पहले दोनों हाथ गठटटों (कलाई) तक तीन ॥| 
मरतबा अच्छी तरह धोए, फिर शर्मगाह और उसके आस पास कं हिस्सों | 
को धोए चाहे वहाँ गन्दगी लगी हो या न लगी हो, फिर बदन पर जहाँ 4 द 


+ 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


0) 
छ] 


बिल ० नष्क ३ 77 


आखरी हिस्से, दातों की खीन्डों, मसूडों वगैश में बह जाए, कोई चीज 


द्वातों में अटकी हो तो लकड़ी वगैरा से उसे निकालें फिर नाक में पानी .| 


डाले इस तरह की नाक के आखरी हिस्से (हड्ढी) तक पानी पहुँच जाए 
और वोह नाक में तेज लगे फिर चेहरे को धोए इस तरह के पेशानी 
से ले कर थुड़ी तक और एक कान से दूसरे कान की लव तक, फिर 


है तीन मरतबा कोहनीयों समेत हाथों पर पानी बहाएं फिर सर का मसा 
ि करे जिस तरह वुज़ में करते हैं उसी तरह मसा करे । 


इस के बाद जदन पर तेल की तरह पानी मल । फिर 
तीन मर्तबा सर पर पानी डाले फिर तीन मरतबा सीधे मोड़े (काधे) पर 
और तीन मरतबा दाएँ मोंन्डे पर लोटे या मग वगैरा से पानी डाले और 


जिस्म को मलते भी जाए इस तरह कि बदन का कोई हिस्सा सूखा 


॥ त रहे, सर के बालों की जड़ों बगल में शर्मगाह के हर हिस्से वगैरा 
सब जगह पानी बहना चाहिये उँगली में अंगूठी हो तो उसे घूमा कर 

| वहाँ पानी पहुँचाए इसी तरह औरत अपने कान कौ बाली, नाक की 
| नथनी वगैरा को घूमा घूमा कर वहाँ पानी पहुँचाए, सर के बाल खोल 


ले तो बेहतर है वरना येह अहतियात जरूरी है कि सर के बाल और 


॥ह सर की जडों तक पानी जरूर पहुँचे (अब आप इस्लामी शरीअत के 


॥ मुताबिक पाक हो गये और आप का गुस्ल सही हो गया) इस क॑ बाद साबुन 


| वगैरा जो भी जाइज्‌ चीज लगाना हो वोह लगा सकते है । आखिर 
| में पैर धो कर अलग हो जाए । 


(फ़रिलावा-ए-रज़्वीया, जिल्‍द 2. स्फ़ा ने. 78, कार शरोअत, जिल्‍द 7, सफ्रा के 38/ 


! मसाला नहाने के पानी में बे वुजू शख्स का हाथ, उँगली, नाखुन, 


या बदन का कोई और हिस्सा पानी में बे धोए चला गया 
तो वोह पानी .गुस्ल और बुज़ू के लाएक”न रहा । इसी 
तरह जिस शख्स पर नहाना (/शगुस्ल) फर्ज है उस के जिस्म 
का भी कोई हिस्सा बे धोए, पानी से छू गया तो वोह 


॥7%7 2055 । &:-:ै सनक “कं 
045: " 0... आय जब पडए प्राय रद एम दाइता हलाह ॥ रथ इस जमा जाद इमला काका का ८८755 


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छत हक छा का हा छा कक का का जा का का का का का का का बा का बा का का छा का का का एछ फ हड का का ७ 


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०-२ + कल 38०5 बड़ क्र छात्र फम । (8 68 ))। मनी. मिल. मम. लि लि ह)। )5५ रे 


पानी गुस्ल के लाएक नहीं । इस लिए टाके वगैरा का 
पानी जिस में घर के कई लोगों के हाथ बगैर धूले हुए 
पड॒ते हैं उस पानी से 'गुस्ल व वुज़ू नहीं करना चाहिये * 
बल्कि गुस्ल के लिए पहले से ही अहतियात से किसी 
बाल्टी या डराम में अलग ही नल से पानी भर लें । 
अगर धूला हुआ हाथ या बदन का कोई हिस्सा पानी में 
चला गया या छू गया तो कोई हर्ज नहीं । 

इसी तरह गुस्ल करते वक्‍त भी येह अहतियात रखे कि बदन से 
.. पानी कं छोटें बाल्टी में मौजूद पानी जिस से गुस्ल कर. 
रहा है उस में जाने न पाए वरना वोह पानी भी ना पाक 

. हो जाएगा और फिर उस पानी से गुस्ल नहीं होंगा । 

(कानून शरीअत, जिलल्‍्द 7, स्रफ़ा ने 39/ 

मस्थला :-शैसा हौज या तालाब जो कम से कम दस हाथ लम्बा, 
दस हाथ चौडा (यानी कम अज कम 0 5 0 9 का। होतो 
उसके पानी में अगर हाथ या नजासत (गन्दगी) चले गई 
तो वोह पानी ना पाक नहीं होगा, जब तक कि उसका 
रंग, मजा, और उसकी बू न बदल जाए । उससे गुस्ल और 
वुज़ू जाइज हैं । और अगर रंग या मजा या --- बू बदल 

गई तो उस पानी से बुज़ू व .गुस्ल जाइज न होगा । 

' कानों शरीअत, जिल्‍द 7, श्रफ़ा नें 39/ 

मस्थखला :-गुस्ल करते वक्‍त किबले की तरफ रूख कर क॑ नहाना 
मना हैं | गुस्ल खाने में नंगा नहाने में कोई हर्ज नहीं, 
औरतों को ज्यादा अहतियात की जरूरत हैं यहॉ तक कि 
बैठ कर नहाना बेहतर हैं । ऐसी जगह नहाए जहाँ किसी 
के देखने का ख़तरा न हो । नहाते वक्‍त बात चीत 
करना, कुछ पढ़ना, चाहे दुआ ही क्‍यों न हो, कलमा 
शरीफ, दुरूद शरीफ वगैरा पढ़ना मना है । 


ऑ0,  क्‍ायक _* ही. की. का ॥  ह॥ का &. ला. ॥ ॥ . श शा ॥ हा हा  . 


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जात हतन छात्र तय छल छू जम धमा समा हम ना प्रमा सम सम समा सता छा बम वथा ऋनत छल छल छल धलथ एज एल बच छा पका अथ छाकक हं 


कटा ॥ ह ॥ ॥ ॥ 8 ॥ ॥ ॥ ॥# # ॥ ॥ ॥. ॥ ह# ॥ ॥ ॥ 8 ॥ ॥ & ॥ #&॥ .ह #॥ छ है मी हि : की - 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


कृरीन-ए-जिन्दगी 
व 00 0777. मत आला जम बाल प्रा जमा बात मा )4 ह 2 ॥ # -॥ 9 किक कक 


द 
कुछ लोग चड़ी पहने सड॒कों के किनारे सरकारी नल में नहाते हैं 
येह जाइज -नहीं बल्कि सख्त गुनाह व हराम है क्‍यों क़रि 
मर्द को मर्द से भी बदन का घुटने से नाफ (बोप्नी) तक | 
का हिस्सा छुपाना फर्ज है । 

(कार्ने शरीआत, जिल्‍्द 7, स्फा मेँ 37/ 

““कुछ लोग ना पाक चड़ी या कपडा पहने हुए ही गुस्ल 
करते हैं और समझते हैं कि नहाने में सब कुछ पाक हो 
जाएगा । येह बेवकुफी हैं इस से तो गन्दगी फैल कर 
पूरे बदन को ना पाक कर देती है । और वैसे भी इस 
तरीके से चड़ी पाक समझी नहीं जाएगी क्‍योंकि नापाक | 
कपडे को तीन बार धोना, और हर बार अच्छी तरह 
निचोडना जरूरी ह्ठे (जिस का ब्यान पहले ही गुजर चुका हैं) इस 
लिए पहले ना पाक चड्ढी या कपडे को उतार लें, पाक 
चड्ढी या कपड़ा ही बॉध कर गुस्ल करें । 


एखुन पालश होने पर ग़ुस्ल न्‌ होगा :- कुछ मर्द 
और ज्यादा तर औरतें अपने नाख़ुनों पर पालिश लगाती हैं नाख़ुन पालिश 
ह में स्पिरिट (शराब, ७।००॥9।) होता हैं जो कि शरीअत' में सख्त हराम है, . 
है ओर मर्दों के लिए तो बहुत ही ज्यादा हराम व गुनाह है । नाख़ुनों पर 

है पालिश होने की वजह से .गुस्ल और वुज़ू करते वक्‍त पानी नाख़ुनों पर 
है नहीं लगता बल्कि पालिश पर लग कर फिसल जाता हैं और सिरे से 
५ ही गुस्ल नहीं होता । जब गुस्ल ही न हुआ तो नापाक ही रहा और 
॥ ना पाकी की हालत में नमाज पढ़ी तो नमाज न होंगी और जान बुझ 
है कर नापाक रहना सख्त गुनाह व हराम हैं । अल्लाह. न करे अगर इस 
॥$ हालत में मौत आ गई तो उस का वबाल अलग, । इस लिए औरतों 
| को चाहिये के नाख़ुन पालिश न लगाए । 


| 


-आ [छा ] * *॥ 8  ॥. & .. है है. “जी * ह: ॥ ॥ ह :- ॥ पा न ह 


ऋ-कें हू... इक्औ28 5 8 ढक न - पल. 


श कक न आर 
न्‍ न पा कक कक. “ रे | तल ] 
0 | २८ थ मे 


0... कल झा ३०-. जआ  मिलज विजजल किक शिमओ पाल वकश पा काल छताक उपाय जाम पतमा कान पता एका ब्रन्मा- 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


हि: है... है... है. है .॥ है ॥ ॥ ॥ है है. ॥. ॥..॥ ॥ ॥ 


जी - 8 ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ 


न्न््ाा 


कुरीन-ए-जिन्दमी 
कर क 


है हू 80 शा छा. (कै 850), ४ कि हा का बन पा जा कक ता, 


हे लाता म 
र प ह्ञॉँ 4] हु 
| या जय न 
2०-०० लक हि की मा न | 


अहादीसे मुबारका में ऐसी बहुत सी चीजों के बारे में बताया गया 
हैं जिन के खाने से क़ुव्वत बड़ती हैं जिस्म हमेशा सेहतमंद और चुस्त 
रहता है । इससे खास कर मर्दों में मर्दनगी को क॒व्वत बड़ती है । 


किन न बा) उम्मुलमोमेनीन हजरत आएशा सिद्दीका रददौअल्लाहो 


.॥ ॥ ४ हु ह॥ '॥ ॥ ह॥ 


“रसूले अकरम सल्लल्लाहो तआला अलैहि व सल्‍लम को शहद 
(लजा००, मधु) बहुत पसंद था । और मीठी चीज । 

..._खुखारी शरीफ, जिल्‍द 3, जबाब में 399, हदीस नें 672, प्रफ़ा नें 253/ 
ह्लल्ख्य्छि रसूले अकरम सललललाहों तआला अलैहि व सललम ने 
इरशाद फरमाया------- हि 3ब अं 2 जज लक पक बक 

“शहद के शरबत से बड़ कर कोई दवा नहीं (यानी हर 
बीमारी के लिए शहद बेहतरीन दवा है) । 

शहद के बे शुमार फायदें है शहद में हजारों किस्म के 
फूलों का रस होता हैं अगर पूरी दुनिया' के हकीम व ड़ाकटर मिल कर 
भी ऐसा रस तैयार करना चाहे तो भी लाख कोशिश कर ले वोह ऐसी 
चीज तैयार नहीं कर सकतें । येह अल्लाह रब्बुल ईजजत का खास करम 
है कि वोह इन छोटी छोटी मख्ख़ियों से इन्सानों के लिए ऐसी बेहतरीन _ 
और फायदेमन्द चीज तैयार करवाता हैं । 


्ट्क्िख्य आफ) हजरत अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास रदीअल्लाहो तआला 
महभ से :सियायेतें है किंल्स 3 ०-८-० ००००० कि >० ००० 


क्‍ ...__“हुजूर सल्लल्लाहो तआला अलैहि व सल्‍लम को पीने की चीजों में 
9९ सब से ज्यादा दूध पसंद था 


“0, च्याका, व. 8. ॥ ॥ 8. ॥# &. #॥ आ- छह ॥8 8 ॥ ॥ मा "98 ,॥॥ हक  काल्ककट छल क्‍ 


है ॥ ॥ & ॥8- 8-: ॥ ह 


॥ एक हक़ हज का कथा छम बम जा एव फक 


॥ ॥ 28 ॥ ॥ ॥ ॥ ४ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ 8 #॥ ह॥ ॥ ॥ & ॥ ॥ ॥ ॥ 8 ॥8॥:-॥: ॥ # ॥ 8 ॥ ॥ ॥ - | 


+ आा ,॥ ह ह ' 


/' (6 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


ऋरीन-श-जि> 
हट + 5 का: मि ४ डउ. घधिर मं : 
रे 


६ है है हों, ) 


। मी 6 


हज: आएंशा ससेअल्लाहों तमाला अन्हा ने इरशॉंदे 
>क्रस्माक-+--म>->+-केटल+--+3आ४ ० हुजुर अकृदस सल्ललल्‍्लाहों त्आला अलैहि । 
3 4 मल्‍लम, खाजः, मख्यन, और दही, मिला कर खाते थे । और येह आप 
है का बहुत पर्सद था” । 
4 नोट :- तीनों चीजें बराबर मिला कर खाए | मसलन आधा पाव मख्खन 
॥ आधा पाव दही, आधा पाव खजूर, इन तीनों को मिलाकर हलवा सा बना लें । 
हे, : ह्ल्ज्ख्क्छ्छ १८5 आज) ७ णुएएणाह सललल्लाहो तआला अलैहि व सल्‍लम, (अक्सर) 
है खजर को मख्खन (मसकं) के साथ खाया करते थे । 
(एछहल्ल््छछछ हजरत इमाम मुहम्मद गृजाली रूतअल्लाहो 
तआला अन्हों फरमाते हैं-----*+------८+---------------+--+- 
“चार चीजें मर्दाना क़ुव्वत को बड़ाती हैं । चीडियों का 
8 गोश्त, इतरीफल (एक किस्म की यूनानी दवा, आयूर्वैद में तीरीफल कहते हैं) 
हैं. पिसता, और तेरहतेज़क (एक तरह की जडीबूटी) |। हहयाउलऊलूम/ 
जालीरत :--, रसूले ख़ुदा सहलल्‍लाहो तआला अलैह व सललम ने इरशाद 
हैं फरमाया--------------------- तमाम गोश्त (मास//«७/) में पुश्त 
4 (पूठ) का गोश्त सब से बेहतर होता है”। 


हु ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ -॥ ॥ ॥# ॥ ॥ 8 . कर 


गाये का गोश्त :- 


कछ लोग मगाये के गोश्त को बहुत बुरा समझते हैं जब 
& कि अल्लाह तआला ने उसे हलाल फरमाया हैं फिर येह कितनी बड़ी 
8 जहालत होंगी कें जिस चीज को अल्लाह तआला हलाल करे उसे बन्दा 
हैं ना जाइज और बुरा समझे । अगर किसी को कोई चीज पसंद न हो 
तो वोह उसे न खाए लेकिन इस्लाम किसी को येह इजाजृत नहीं देता 
हु के वोह सिर्फ अपने ना पसंद होने की वजह से उसे बुरा समझे और 
हैं. जो लोग खाते है उन्हें हिकारत की नजर से देखे । 


* आला हजरत इमाम अहमद रजा र8्ौअल्लाहो तआला अन्‍न्हो ८ 
अब क) ह ॥ ॥ व थआ ॥ बव्र व #॥ थ 8  ह. ढक आ..॥ -आ  & . क  कान्म | 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


छ ही गरीबों को पालने वाला, और कुछ चीजों में तो बकरे व बकरी के 
है गोश्त से ज्यादा फायेदा पहुँचाने वाला हैं---और उस की क्रबानी का 


है तआला अलैहि ब सलल्‍लम नें उसकी कुरबानी अजवाजे मुतहरात (अपनी बीवीयों) 
४ की तरफ से फरमाई हिन्दुस्तान में ख़ास तौर पर इसकी क़ुरबानी करना 
| इस्लाम की ख़िदमत, ईबादत और शान है (इस लिए कि यहाँ के काफिर 


४ इसका (यानी गाये की कुरबानी) का बाकी रखना वाजिब है”। 
/अलमलफुज, जिल्‍्द 7, सफ़ा नें. 74/ 
और एक दूसरी जगह इरशाद फरमाते है----------- 
है| (६-++। 5 जछ म॒श्रिकों (बुतों को पूजने वालों) की खुशनुदी के लिए 
| भ गाये की क़ुरबानी बंद करना हराम-हराम-सख्त हराम है और जो बंद 
ह करेगा जहन्नम के अजाबे शदीद का मुस्तहिक होंगा, और रोजे कियामत 
मुश्रिकों के साथ एक रस्सी में बांधा जाएगा । /बल्‍लाहो आलम) 
(अहकाम जर्यजत, जिल्‍द 2, सक्का ने 739/ 
॥ कुछ ख्ाय चौज़्ँ :- इन चीजों का इस्तेमाल हमेशा अपनी 
| गिजा में रखे इनके खाने के बहुत से फायदे है । येह चीजें मर्दाना 
है कृव्वत को बडाती हैं | यहाँ हर एक के .फायदे बयान कर पाना 
| मुस्किन नहीं । 
हु. अनाज // गेहू, चावल, तिल, मुंगफल्ली, मंंग, चना, खशखश 
प्याज, लहसुन, आलू, अरबी, भेंडी, शलजम 
कहू, लौकी, गाजर, शकरकंद « 


ब गाये का गोश्त, पाये, कलेजी, दूध 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


मुर्गी का बच्चा, चतख्र के अंडे, ताज। मछली, बकरे 
है, मखछबन 4 / 


| तो खास क़रआने अजीम में इरशाद है । और खुद हुज़ुरे अकदस सल्लल्लाहों 


| गाय को पुजते हैं और इस्लाम ऐसे हर बातिल माबूदों को ख़त्म करने आया है) और # 


ड़ का था ब्रज. 


7 मत! लि किए पिमल0 अल शत लता प्रात 


हुक _करीन-ण-जिन्दगी _ 
व गा 02 .--_ जज) 


फ़ल ४ आम, अंगूर. अनार, केला, सेब, अमरूद, ख़रबुजा ; 
मंवे... /ऋ खजूर, पीस्ता, बादाम, मखाना, किशमिश, अखरोट, 
खापरा, चिलगाजा. जेतृन । 


कई ऐसी चीजें हैं जिन का इस्तेमाल मर्द में मर्दाना क़ुव्वत & 

को घटा देता हैं । लिहाजा मर्दाना क़॒ुव्वत को हमेशा कायम रखने के ॥| 

0 लिये इन चीजों का इस्तेमाल न करे अगर खना ही पड॒ जाए तो बहुत ४ 
8 कम खाए । कि इन चीजों के खाने से मर्द में कमजोरी पैदा होती है 

| वोह चीजें येह हैं | 

| इमली, आम या निंबू का अचार, चटनी, निंबू, आम की 
| खटाई, खट्टे फल, शराब, अफयून, और हर वोह चीज जो नशा पैदा # 

करे, ज्यादा चाय, कॉफी, बिडी, सिगरेट, खर्रा (गुटका), वगैरा इन चीजों | 
के ज्यादा इस्तेमाल से मर्द को नुकसान है हे 
6-7 ६5 आज) हंजरत अली रक्क॑यल्लाहा तआला अन्हों से रिवायत है है 
कि---------------- “४7 हुजूर सललल्लाहों तआला अलैहि व सललम से 
चालीस राज लगातार गोश्त खाने से मना फरमाया”। 


[८ सलल्‍लल्लाहों तआला अलैडि व सल्लम 
शक जापुब्ाइ रुख छाए साइजों) जृहुला वार अऑछाइरें घहकब्॒ो। ब्फा 
अीबकजोई छन्‍्दीशों शे सासाह्ा 


(0 पम०) “न क मुसन्निफ मं _ अप 
हजरत अल्लामा 


हृदीया सिर्फ 5/- रूप्ये | 
कमा अप की आओ आओ कि आाओ गन आह : का आप शा का 


० चना ++ 


एए2५)5ल्‍5 का हक छल पहन हार छत्र ऋ मन लुक 
० हे ख (का 5 23 पक * + जी हि - ४-3 ु नर ञ णपक क र च्णु हु कप] 5 हि जज का न 
॥ न्‍ 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


ट १ बा - मुझ ा+-..नमम्मु!_मुहु- ९... बदतर: जा पका. क-<.4 ना. 


मौजूदा ज़माने में बदकारियाँ और अय्याशियाँ बहुत ज्यादा “ 
बड़ चुकी हैं जिसकी वजह फिल्में, औरतों का सड़कों पर बे पर्दा & 
घुपना, नवजवान लड॒क॑ लड॒कीयों का गंदे मैगजीन और नाविल पढ़ना ॥# 
स्कूलों और कॉलेजों में लड़के लड़कियों का एक साथ घुमना फिरना, ५ 
वगैरा जैसी चीजें है । 

इन बदकारियों और अय्याशियों का नतीजा है कि अक्सर 
मर्द और औरतें तरह तरह की खतरनाक जिन्‍सी बीमारियों में फसे हुए 
हैं । इसलिये अव्वल तो ऐसी हरकतें ही नहीं करना चाहिये जिससे 
ख़तरनाक बीमारी होने का ख़तरा हो और अगर खुदा ना ख़ासता आप 
येह गलती कर चुके है तो पहले सच्चे दिल से तौबा किजीए और किसी 
इश्तेहही और सड॒क छाप हकीम के पास जा कर अपनी बची कूची 
सेहत को बरबाद करने कौ बजाए किसी अच्छे पढ़े लिखे काबिल 
डॉक्टर या हकीम से इलाज कराए । 

हम यहाँ कुछ मर्दाना और जनाना बीमारियों के बारे में और 
उनके इलाज के मुत्मुल्लिकु लिख रहे हैं इन बीमारियों के इलाज के लिए. 
वैसे तो हकीमों ने और बुज़ुर्गन दीन ने कई तरह के नुस्खे और दवाईयों बताई 
है लेकिन आज सबसे बड़ी दुशवारी येह हैं कि इन नुस्खों और दवांओं में 
जिन चीजों का इस्तेमाल किया जाता हैं उन में से तो कुछ चीजें मिलती ही 
नहीं है, और कुछ मिलती भी है तो वोह असली नहीं होती । 

लिहाजा हम यहाँ कुछ ही ऐसे नुस्खे लिख रहे हैं जिनमें 
इस्तेमाल होने वाली चीजूँ आप को आसानी से मिल जाएगी और आप इसे / 
अपने घर में खूद ही तैयार भी कर सकते है । इसके अलावा हम यहाँ कछ | 
हैं ऐसे वजीफे और ताविजात भी लिख रहे है जो बुज्ुगनि दीन से साबित है, । 
9 क्योंकि हकीमी इलाज के साथ साथ रहमानी इलाज भी जरूरी है | ॥! 


हु 
/ आज | 
्न्पः 
॥ए 
| हा 
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कह 


के 8 छह सा छू ही यू झा का हू ॥ हू ह- आ & ॥ -॥ हि ह 8“ 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


्फ _ कान इन एम हम ४ (00) 9 दा आओ. की का मा आन न कुक 


बा 
एज गा मन 
| | 
हि हू 


नामी ४-४। २ 


कुछ लोग अपने लड॒कपन में गलतियों व बुरी संगत को 
वजह से अपनी ताकत गवा देते हैं जिस के नतीजे में मर्दाना क़॒ुव्वत 
से हाथ धो बैठते है और शर्म की वजह से अपना हाल किसी से बता 
भी नहीं पाते । शादी होने या शादी की बात चलने के वक्‍त ऐसे लोगों 
की परेशानी और बड़ जाती हैं । अगर मर्द में सोहबत करने कौ क़ुव्वत 
कम हो और औरत में ज्यादा हो तो ऐसी हालत में औरत की ख्वाहिश 
पूरी नहीं हो पाती इस ना मुकम्मल सोहबत से, जिस में औरत को इन्जाल 
नहीं हो पाता, औरत को नागवार मअलूम होता हैं और गोह असाबी 
बीमारी “हेसटेरिया” (जिसमें जिस्म के पुठठे कमजोर हो जाते हैं) उस बीमारी 
| में मुबतेला हो जाती है सोहबत से बेरगृबती और शौहर से नफरत करने 


. | लगती है | ज्यादा सोहबत करने से भी ना मर्दानगी की बीमारी हो जाती 


है ऐसी सूरत में मर्द को इलाज की तरफ ध्यान देना चाहिये । 
लेकिन इश्तेहारी हकीमों, डॉक्टरों या सडक . छाप दवा 
। बेचने वालों से भूल कर भी इलाज न करवाए येह लोग जिस किस्म 
_ की दवाएँ बनाते हैं उन में अक्सर अफयून, धतूरा, भंग, सन्खया, बगैरा 
जैसी जहरीली चीजें शामिल होती हैं जिस से फौरन तो फायेदा होता 
है लेकिन बाद को नुकसान होता हैं और इन का हमेशा बार बार का. 
इस्तेमाल जल्द कब्र के गड़े तक पहुँचा देता हैं । इस लिए हुज़ूर 
सल्लल्लाहों तआला अलैहि व सल्‍लम और बुज़ुगनि दीन की हिदायतों से फायदा 
| हासिल करना चाहिये और दवाओं कौ बजाए गिजाओं (खाने पीने कौ चौजों) 
से कमजोरी दूर करना चाहिये । यहाँ हम नामर्दी को दूर करने के लिए 

कुछ नुस्खे बयान कर रहे है । 

ही जश्स्ीरक अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो तआला अलैहि व मल्‍लम 


कम; मम; ना ताक "फल! कक रन “मनन माया5ः पा; वा वा! मार" लाकर नह नरम नममााः+ः अाााा -मराा। पाक ताला ललाातः ताला" लातन- "सिम नमन + नममाा+ ,ााा। 'बामा॥. वाल. नस ना सा आस 


म्ण 
कि! 
चल 
धब्ण 
लि 
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४] 
डर 
शः 
| 
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श्र 
नव 
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क्रम 
द्क। 
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प्ण 
हा 
हि 
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६! 


थक कद इक लाकर कया प्रका इमला हमला काल पाला जाम पकड़ माय पथ लय कमा क्रम बाला जाम बा ..... तीर 


2७ स्कन 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


3: 2024 +/««, अमन € 98 ७9) बाप का-_ एल 
है “बदन से जेरे नाफ (शर्मगाह के आसपास क॑) बालों को जल्द 
। दूर करना कुृव्वत (मर्दाना त्ताक॒त) को बडाता है”। 


नी 2 


| अकऋफालााओ ञ>जाफ होग्ली। के गोचे के बाल दर करनों सन्‍्यत हे और : 
बेहतर येह है कि हफते में जुम्भ के दिन दूर करे | | 
पन्द्रहवे (5) रोज करना भी जाइज है और चालीस (४0) न 

दिनों से ज्यादा गुजार देना मुककह व सख्त मना है । # 

/काकने शर्रीगत, जिल्‍द 2, सफ़ा न॑ 277/ ः 

नुस्खे १ 


() माश की दाल (उड॒द की दाल) एक पाव किसी कॉँय 
या चीनी के बर्तन में डाल कर उसमें सफेद प्याज का रस इतना डाले 
कि दाल रस में अच्छी तरह भीग जाए । एक दिन, रात, उस को भीगा 
रहने दे फिर जब वोह सूख जाए तो फिर प्याज का रस पहले की तरह 
दाल में पूरे भीगने तक डाले एक दिन रात पहले की तरह सूखने के 
लिए रख दें | इस तरह येह अमल कुल (7०& सात बार करे यानी 
सात मरतबा प्याज का रस डाले सात मरतबा दिन और रात तक दाल 
भीगने और सूखने दें । अब दाल को बारीक पीस लें और हर रोज 
25 ग्राम येह पीसी हुई दाल लें फिर उस में 25 ग्राम असली थी 25 
ग्राम-शकर मिला कर रोजाना सुबह को फॉक लें और उस पर पाव 
भर दूध पीले येह दवा 40 दिनों तक खाए इस अर्से में औरत से 
सोहबत न करे बाद में इसका असर देखे 

(2) प्याज का रस एक पाव और असली शहेद. एक 
पात्र दोनों को मिला कर आग पर पकाए और जब प्याजु का रस जल 
कर सिर्फ शहेद बाकी रह जाए तो बोतल में भर ले 2 .तोले से लेकर 
3 तोले तक गर्म पानी या चाये के साथ पी लिया करे । क्‍ 

(3) खजूर और भुने हुए चने, दोनों बराबर वजन में 
ले कर पीस ले और छान कर उस में प्याज का रस मिला कर बड़े 
से लड॒डू बना ले और सुबह शाम एक एक लड॒डू खा लिया करे 

0 इस में बादाम भी मिलाना चाहे तो मिला सकते है) रू 


«3800० मल कर, मा दजलल उन अत उायड कहाए फाज पंप हटाए5 उपर सजा 


है... है. ॥ . &. है... है... है... है. है. है हे... 


हां हा. है... है... है .. हैं... ॥ . है 


5 थे वन्‍कन-«- 


लय तथा कम | 


-] 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


कुरीन-ए-जिन्दगी । 
की अं कोड ५ 7 2.0) जल जा का बा कान या कऋ 


(4) गर्म दुध में शहेद मिला कर पीते रहने से मर्दाना 


कव्वत बड़ती है (नेहार मुँह इस्तेमाल करे) । 

(5) चने की दाल एक पाव ले कर आधा पाव गाये 
के दूध में मिला कर अच्छी तरह पकाए जब सारा दूध सूख कर दाल 
में समा जाए तो इसे सिल पर बारीक पीस ले फिर पाव भर असली 
घी में थोडा सा भून कर पाव भर शकर मिला दे । इस हंलवे को 
शेजाना शक छटाक (50 ग्राम) सुबह नाश्ते में लीजिए ! 

द (6) हकीमों ने प्याज के इस्तेमाल को मर्दाल शक॒त 
बढ़ाने के लिए बहुत ही फायदे मनन्‍्द बताया हैं । लेकिन इस का | 
इस्तेमाल उतना ही करना चाहिये जितना हज्म हो सके .। 

(शिम्जं॑ शबिस्तानें रज़, जिल्‍्द 7 प्रफ़ा 76४/ 
'रहमानौँ इलाज :- 

अगर कोई आदमी किसी वजह से ना मर्द हो जाए तो 
हर रोज “सूरए इब्राहीम (जो कुस्आने करीम में ॥3.वे पारे में हैं) उस को । 
तिलावत करे और सूरए इनब्राहीम के इस नकक्‍श को तावीज बना कर 
अपने पास रखे ।- सूरए इब्राहीम का नकश येह हैं------------- 


५०2१4 ॥४८ 
५१००१ | 


सुर ते इउन्ज[ूऊू (मनी का निकलते रहना) 


डर स्न्््प्न ४ छाप ा 
। | 
] 


2 बाबू - 
; का. 


श्र छ एल छल पा बह एन जा का जा जा बा जा बा बा जा छा प्य छा ध बजकाफा बा फरः 
“हा 


कह हु ४ 8 ] बज क न्‍ न बा ब््ःः है श्र है 
हे. बम ४ 8 ब्र 
डू २०-१० » ०पहु-० मी ०० मे कम जे ्णनयू कि: 


हैं. है हू ॥ ॥:“/ ॥ 7 छत 57 


सुरअते इन्जाल इस हालत को कहते हैं कि जब मर्द 
सोहबत का इरादे करे या सोहबत शुरू करे और उस को इन्जाल हो 
९ कि जाए (यानी जल्दी से ही मनी निकल जाए) सोहबत जब कर रहा हो तो मत्ती 


ध ह है. ' ' आकर] | 
शा कलश फऋा एणा हल एम अाा प्रकमा मम काम फ्रमा जमा मा एज वेश . काओआ 2. 


- ॥ ॥ ॥ ॥ # व ॥ह॥ .॥ ॥ :- &- 8: है... 


ह् के 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


का जलाया 
कम से कम दो मिनट के बाद गिरना चाहिए अगर एक देड मिनट में ' 
ही मनी गिर जाए तो समझ लेना चाहिए की सुरअते इन्जाल की बीमारी ! 
है । अगर मर्द को सुरअते इन्जाल कौ शिकायत हो जाए तो उस सूरत £ 
में औरत की ख्वाहिश पूरी नहीं होती क्योंकि औरत को इन्जाल नहीं 8 
होता और येह हालत औरत 'के लिए तकलीफदेह होती है और इस से 
एक बडा नुकसान येह भी है कि औलाद पैदा नहीं हो पाती । 
जब येह बीमारी बढ़ जाती हैं तो किसी खूबसूरत औरत को 
; देखने से या किसी का सिर्फ ख्याल लाने से या फिर ऊज़ू-ए-तनासुल 
| (लिंग) के, किसी नर्म व मुलायम कपडे से छू जाने से भी इन्जाल हो 
जाता है । इस बीमारी के होने की कई वजूहात है जैसे, अपने हाथ से 
अपनी मनी निकालने की बुरी आदत, हमेशा गन्दे ख्यालात, गन्दी फिल्मों 
का देखना, या फिर किसी वजह से मनी का पतला होना वगैरा जैसी 
वजूहात है । इस बीमारी के होने की एक सब से बडी ठजह ज्यादा 
सोहबत करना भी हैं । हकीमों ने कहा है ज्यादा सोहबत बूढों को मौत 
| को तरफ ढ्केल देती है जवानों को बूढ़ा, मोटों को दूबला, और दुबले - 
को मुर्दा बना देती है । लिहाजा सोहबत कम ही करें । इस बीमारी को | 
दूर करने के लिए तेज, गर्म चीजों के खाने से बचना चाहिये । इसी तरह ;। 
| गन्दी बातों, फिल्में और गन्दे नाविल पढ़ने से बचना चाहिये । 


हुसड़ब 

(।) पाँच अदद खजू+रें ले, पॉच अद॒द मीठी अच्छी 
बादाम ले, कह्ू के बीज मीठे 6 माशा (१ माशा 8 रत्ती का होता है इस 
हिसाब से 24 रत्ती बीज ले) नारियल 2 तोला (वानी 20 ग्राम) ले । चारों 
को मिला कर अच्छी तरह बारीक पीस ले फिर एक सेर गाये के 
दूध में अच्छी तरह पका कर ठण्डा कर लें । रोजाना सुबह को नाश्ते 
में खाए | इन्शाअल्लाह येह बीमारी दूर हो जाएगी । . 

(2) ऐसे मरीज थी, मख्छन, मलाई का इस्तेमाल खाने # 
20 में रे । सुबह हल्की सी कसरत जरूर करें । ं 


व वकर >> 2 ही... हैं... 8... हि. हू. है. ॥. हू. .॥. के है है ह है वह ह ॥ ॥ .॥ है 


|] 
आओ डक की है. हू. ॥ 8 ॥ &. &. ॥ 8.8  ॥ ॥ ..॥ ॥& ॥ है :॥ ॥ ॥ बे हज ॥ ॥. 


रह 


हि 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


2०८०4 ता छाल 9 ॥ मा (है कह: है) । ५ रे 
। (3) अंडे और गोश्त का इस्तेमाल भी ऐसे मरीजों के 
॥ लिए फायदेमन्द होता है । / 
ल (4) उस नुस्खे का इस्तेमाल जो हम ने “नामर्दी” वाले 
है बाब (हिस्से) में नुस्ख़ा नं. 5 में लिखा हैं उस का इस्तेमाल भी ऐसी 
बीमारी वाले मरीज क॑ लिए फायदेमन्द साबित होंगा । 
(श#ग्ज॑ शक्त्तानें रा; जिल्‍द 7, सफ़ा हे 704, 
रहमान हलाज 2-. 
हम यहाँ सुरअते इन्जाल की बीमारी से छूटंकारे के लिए 
एक नकक्‍श नकल कर रहे है । इसे लिख कर कमर में बांधले ख़ुदा 
ने चाहा तो भर पूर ताकत पैदा होंगी और कैसी ही शहवत प्रसत औरत & 
क्यों न हो मर्द के मुकाबले हार जाएगी । इन्जाल देर में होगा (यानी #| 
मनी देर में निकलेगी) और मर्दाना क़॒व्वत में इजाफा होगा । नक्श येह है-- 


जला कप छत उन इल छत बा छल छल छान ब्रश ला छल हल एक छा कक छत छल छल हक एक छा एल जात छा हल इक छात्र 


न 
हि] 
हा 
ी; 
ण्द् ०, 
पा यु 
यो! 
| 
का 
। 


2 विज 


छहत्‌ृलाम्‌ (नाईट फाल) :- 


द एक तनन्‍्दरूस्त मर्द को महीने में 2 या 3 बार एहतलाम | 
हो जाए तो कोई फर्क नहीं पड़ता और न ही येह कोई बीमारी है क्‍यों ॥' 
| कि जिस्म में मनी तैयार हो कर मनी क॑ खजाने में जमा होती है और | 
१ जब मनी ज्यादा हो जाती हैं तो खुद ब खूद नींद में ख्याब वगैरा के £# 
| जरिये जायेद मनी खारिज हो जाती है । इस से कोई कमजोरी भी नहीं ढ& 
॥ हांती बल्कि येह एक सेहतमन्द की पहेचान हैं । लेकिन जब येह | 
|» 0 एहतलाम (नाईट फाल) ज्यादा होने लगे यानी महीने में 4 से ले कर 6 #6 


हि  आ . ह . ॥  ह -# - - ह॥ -आ -: ह : हू. ॥&.- ॥&॥ -- 8. 8: 8 - 9 हा 8 पट हि 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


क्‍ बला जल जा छा छा छू. ह 4 «७ | छड़ आता छा छा तल छल छा क 2७७०:२ ६5० 


# बार तक तो फ़िर येह एहतलाम की बीमारी में दाख़िल है । ज़्यादा 
एहतलाम होने की कई वजूहात हैं । आम तौर पर ख्यालात (विचारों) 
का गनन्‍्दा रहना, प्यार मुहब्बत की कहानियाँ पढ़ना, गन्दी फिल्में देखना 
और हमेशा गन्दी बातें करते रहना वगैरा जैसी वजूहात हैं जिन की वजह | 
से एहतलाम की बीमारी हो जाती हैं येह बीमारी आगे चल कर बहुत 
ही ख़तरनाक साबित होती है । 
एहतीयाते :- 

ऐसे लोग जिन को एहतलाम ज्यादा होता हो :उन्हें इन 
चीजों पर अमल करना चाहिये । इन्शाअल्लाह ज्यादा एहतलाम की 
परेशानी ख़त्म हो जाएगी । 

[) मरीज को चाहिये कि पेशाब कर के वुज़ू बना कंर सोए 
और सुबह को जल्दी उठ जाए । 

[7  दाहनी करवत लेटने से एहतलाम कम होता है और दाहनी 
करवट सोना हमारे आका सल्लल्लाहो तआला अलैहि व सलल्‍म की 
प्यारी सुन्‍नत भी हैं । 

[/] रात का खाना सोने से 3, 4 घंटे पहले ही और जरा 
कम ही खाए । 

[] सोते वक्‍त ज्यादा गर्म दूध न-पीए । ठण्डा या हलका 
गर्म पीए । 

()] सोने से पहले कोई अच्छी सी दीनी मअलूमात वाली 
किताब पढ़े । 

()] खटूटी, तेज, चटनी, गोश्त वगैरा कम खाया करे । 
सस्ते 


है छा फ़ा हा समा एन जता छह छत छल छत हक ऋा छत छत तय फ जम झात छा लाआशाशआधाका 


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कह 
बज । 
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फ्छ 


धनिया सूखा एक तोला (७ ग्राम) थोड़ा गर्म कर के रात 
को एक गिलास पानी में भिगो कर रखें । सुबह को छान कर दो तोला 
५ 20 ग्राम) मिशरी (गड़ी शकर) से मीठा कर के पीए । 


ही) जाना... आ  ॥. &॥ का. 8  ढ ढ॥ थ ॥ ॥. ॥- हक हू कह 


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न 9 शक पाए काम हाक पाक १ 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


__ करीनू-ए-जिन्टगी #हज्द्ध 
8 5 ००८०... हिल ओ इक अदाओं काओ पल अल " 


(5५ स् 


हर रहमानी इलाज 
जिस शख्स का एहतलाम ज्यादा होता हो तो उसे चाहिये 
कि सोते वक्‍त अपने दिल पर शंहादत की उँगली से लिख लिया करे 


| इन्शाअल्लाह एहतलाम से महफ़ज रहेगा । और येह नक्श लिख कर 
बाज़ू पर बान्धे या गले में डाले । नक्श येह है--------- 0 लत 


(3२२७० _5-0। (३०६ 


| नर है] ; जि |! ! 
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/शम्ज शब्लतान जा, जिल्‍द 7, प्रफ़ा न॑ 477 


हमारी मौजूदा नस्ल में येह बीमारी बहुत ज्यादा पाई जा 
रही हैं । इस बीमारी में पाखाना पेशाब से पहले या उस कं बाद में 
| पेशाब की नाली से मनी, मजी, या फिर वदी निकलती है या पेशाब छ| 
के बाद कभी कभी सफेद रंग का धोगा सा भी निकलता हैं । इस णि 
बीमारी में मरीज को कमर में दर्द, घुटनों में तकलीफ और आँखों क॑ & 
सामने अंन्धेरा या फिर चक्‍कर से आते है । और कमजोरी दिन बदिन ह 
बड़ती जाती है, भुक नहीं लगती और जो कुछ खाया जाए हजम नहीं 
होता और बेहतरीन शिजा भी खाई जाए तो बदन को नहीं लगती । 
इस बीमारी को बहुत सी वजूहाज हैं जिन में से कुछ इस तरह है---- 
मनी में तेजी आना । 
बासना (5८५) का ज्यादा होना । 
सोहबत ज्यादा करना ।! 
हमेशा बुखार ज्यादा रहना । 


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72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


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(की आआा आशा छा हब ॥ ॥ ॥ ॥ ॥# ॥ ॥ जा जन बज जा छा छा जा जा का का का का का बा मा का का का का 


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पल 


छत हर वक्‍त दिल व ख्याल में सोहबत की बातें बिठाए 
रखना या उसी के बारे में सोचते रहना । 

छछट कब्जीयत होना और अपने हाथों अपनी मनी निकालना । 

छू मर्दों से सोहबत करना, ओर बुरे ख्यालात । वगैरा, 


(।)  गवरानी मुर्गी का एक अंडा फोड कर किसी 


बर्तन में ले, फिर अंडे की पीलक व सफेदी दोनों के बराबर गजर का 


रस लें फिर उस में उतनी ही मिक॒दार /मात्रा) में शहेद और घी डालें 
अब सब को मिला कर हल्की आँच.पर पका कर हलवा सा बना लें 
इस तरह 2। दिनों तक इसी तरह हलवा बना कर खाए । खटटी चीजें 
दही, मछली का इस्तेमाल बंद रखे इस से पूरा परहेज करे और शादी 
शुदा है तो इस दौरान औरत से सोहबत न करे । 

(2). बरगद (बड॒। का दुध (बरगद क॑ झाड की टेहनी तोड़ने 
पर जो रस निकलता है वोह) 4 माशा, बताशे मैं या शकर में डाल कर 
रोजाना सुबह को लें ! 


सूजाक :- 


येह बीमारी ज्यादा तर नवजवानों में बुरी संगत व बुरी 
आदतों की वजह से होती हैं, येह बडी खतरनाक बीमारी है इसकी 
वजह से नवजवानों की सेहत धीरे धीरे बिगड़ जाती है उन 
कमजोरी आ जाती है । 

इस बीमारी की निशानी येह है कि पेशाब की नाली में 
सृजन या वरम आ जाती है और पेशाब की नाली के अन्दर घाव 
(जख्म) हो जाते है और इन जख्मों से पीप निकलता रहता है । और 
जब भी पेशाब किया जाए तो उस वक्‍त पेशाब में जलन होती हैं और 
सख्त तकलीफ होती हैं । 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


|| पता! [] ॥ 7 ॥ ))॥ थी जा कान पान छा जाम छत बा पाल: 


हि बह! 


व छा हा हा. का का ६ ॥ शा ॥ शह हू ॥ छू #॥ शा हा  पहालमम्य (लक द दे 


7५ व छत छत छल छत जता छत तक छल छा छत ऋण छल छत कक ७ छा छा छह छत ऋ उमा ऋ छल बत्र करन छत छा छा कम हल हल ला _ ही] 


(।) सफंद राल ॥2 ग्राम, शकर 72 ग्राम लें, दोनों 
को पीस कर चुरण बना लें । 2 ग्राम चूरण पानी के साथ दित्र में दो. 
बार लें । 

(2) धोबी क॑ कपडे धोने की मिट्टी (जिसे “रे” कहा 
जाता है) 60 ग्राम लें, नीम की ताजा पत्तियों का रस ॥2 ग्राम लें इन 
दोनों को 780 मिली लीटर पानी में भिगो कर रात भर रखें । सुबह 
को छान लें और थोड़ा सा और नीम का रस मिला कर सुबह को पीलें 

(3) हल्दी और सुखा आमला दोनों, बीस बीस (20) 
ग्राम ले । दोनों को बारीक पीस कर चूरण बनाले फिर 2 ग्राम येह 
चूरण पानी के साथ दिन में दो बार इस्तेमाल करे । 


_ ह॥ ॥ ॥ ह ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ हर 


पेशाब की जलन :- 


पेशाब के बाद तहारत न करने या सोहबत के बाद 
शर्मगाह (मर्द को लिंग और औरत को योनी को) न धोने की वजह से पेशाब 
में जलन होती हैं । ज्यादा गर्म खानों के इस्तेमाल से भी पेशाब में 
जलन कौ शिकायत पैदा होती हैं । इस बीमारी के मरीज को पेशाब 
जल्दी नहीं होता बल्कि थोडा थोडा जलन के साथ आता हैं और बडी 
तकलीफ होती हैं । 
बुस्ख़ :- 
(])  सफंद संदल का बुरादा (पावडर) 6 ग्राम, धनिया 
| 6 ग्राम, सूखा आमला 6& ग्राम लें, इन तीनों चीजों को 20 मिली | 
लीटर पानी में रात भर भिगो कर रखे, सुबह को छान कर इस पानी 
में शकर मिला कर शरबत बना ले और इसे सुबह और दोपहर को 
पीले । 


बीना  ॥ 8 हम हक मे मे के ही मे मे हे मे मे हे मे हे 


& "५.०० ५००>- >पनानप. अकसर कक 


>्ाआ कह ॥ हु ॥ ॥ ॥# ॥ ॥ ॥ ह ॥ ॥ ॥ 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


हि (2) खीरे के बीज & ग्राम, ककडी के बीज & ग्राम, 
दोनों को 720 मिली लिटर पानी में उबलने तक गर्म करे फिर छान ले । 
और इस पानी को ठण्डा कर के सुबह को पी लिया करे । 
(3) एक अंडे की सफदी लें (पीलक अलग कर ले) इस 

सफेदी को अच्छी तरह फेंट लें और एक प्याली गर्म दूध में मिला -कर # 
| सुबह को पी लिया करे । शी 
श्र 


॥ज्जननाज्ना. (औरसों छठी) 


है औरतों में भी तरह तरह की जिन्सी बीमारियाँ होती है । इनका / 
है जानना जरूरी है, हम यहाँ चन्द बीमारियों क॑ बारे में लिख रहे हैं 


लीकोरिया :- 


येह बड़ी ख़तरनाक बीमारी हैं जो औरतों के बदन को काटे 

की तरह कर देती हैं । इस बीमारी में औरत की शर्मगाह (योनी) से सफंद 

ह पानी निकलता रहता हैं इस पानी के साथ उसके बदन की सारी ताकत ॥ 

| निकलती रहती हैं कभी येह बदबूदार पानी इतनी तेजी से और ज्यादा आता 

है कि कपड़े तक भीग जाते हैं और पानी टखनों तक बहता रहता हैं । #॥ 

है. इस बीमारी की वजह से औरत ज्यादा परेशान रहने लगती है चिड॒चिडापन है 

॥ और गुस्सा बड़ जाता है घबराहट ज्यादा होती हैं खाना हजम नहीं होता 
क 3५०४० बार आता है दिल की धड़कन बढ़ जाती है 

थ | (!) कुछ बबूल को फलली सुखा कर बारीक चूरण 

है करे, 2 ग्राम सुबह में और 2 ग्राम दोपहर में पानी क॑ साथ लें । 

,. ,(2) 30 ग्राम इमली के बीज का गंदा ले और उसे थी बह में मर का ट 


न 
४ बी) जया, ॥ _ ७8 ॥  ॥ | ॥. ॥ -॥ : ॥आ हक. ह  ह॥ 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


० क. ०  अनमनीत-न»-«ण»मक-मथ बन बक मिमी. हम्मक (० 
' है || | 
ढ . 


कं ि लें ु फिर पौस 
में 3 बार लें 


|. िधमााा- बम... रा. धा-डा.९'का<।. धााया--.--पए० <०--:ावपय। ०० ०... धार -ा-..थ न 2 8." ल्‍तझच की. गन ला मकान व 


इस बीमारी में औसत को हैज बड़े बेढंगेषन से आता हैं, 
ओर बहत ज्यादा आता रहता है, इस से बदन कमजोर हो जाता है, नाड़ी 


लगता हैं, भख नहीं लगती पार्वें पर वर्म आ जाता हैं, और कभी कभी 
चक्कर भी आते हैं, यहाँ तककि कभो औरत निढाल होकर बे जान सो 
हा जाती हैं । येह बीमारी सोहबत (संम्भोग। ज्यादा करने से पैदा होती 
है । ओर बारबार हमल के गिरते रहने से भी येह बीमारी हो जाती है। 


नुस्स्र 

(]) अनार की छाल (छिल्क॑) 22 ग्राम लें । इसे 250 
मिली लीटंर पानी में इतना उन्नाले कि पानी सूख कर आधा रह जाए, 
इस पानी को रोजाना सुबह पी लें 

(2) 25 ग्राम मुलतानी मिट्टी आधा लीटर पानी में दो 
घंटे तक भिगोए रखे फिर उसे छान ले । रोजाना 25 मिली लीटर 
चार बार इस्तेमाल करें 
रहमानी इलाज 


जिस औरत को हैज (माहवारी) का खुन ज्यादा आता हो 


22 हाँ 
ग़ग्ज शबिस्तानें गज़ा, जिल्‍्द 2, ग्रफ़ा नें. 3४/ 


कप, हज सख्य फल छत फतय फल हवा काका समा काया पाला जाम हसन एम धमन बता छ 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


कर चूरण बना लें और ॥ ग्राम पानी क॑ साथ दिन 


तेज चलती है, प्यास बड़ जाती है, चेहरा पीला हो जाता है, कब्ज रहने. 


॥ 


है. .॥ है ॥ ॥ ह॥ ह॥ 8 . है. ह॥.  ॥. ४ है अं हु है... 


हु हे 


हे जय ह ॥ है. ॥ ह॥. ह.: ॥ ॥.- है. 


तरीन-ए- खिन्ट य। 


मिल _ जा वा वर व. व ६ सह 3 है) ॥ हम या ये हा यम [7 का 


2 
९४ 


नयी 


जा 


हैज॒ का रूक जाना :- 

औरत को हर. महीने पाबन्दी से जो गन्दा खून आता है 
वोह कुछ ख़ास दिनों में खास दिनों तक ही आता हैं । अगर औरत हमल 
से हो तो येह हैज का खुन आना अपने आप बंद हो जाता है, हैज का 
खून क़दरती तौर पर भी बंद होता है जो हमल के दौरान, बंच्चे को 
दूध पिलाने के दिनों में, और बुढ़ापे में रूक जाता हैं इस सूरत में इलाज की 
कोई जरूरत नहीं होती लेकिन इन चीजों के अलावा बंद हों जाए तो फिर 
येह बोमारी है जिस का इलाज जरूरी हैं । लेकिन बिना हमल के ही खून 
आना बन्द हो जाए तो येह बीमारी है, जिस का तुरन्त इलाज कराना चाहिये 
| इस की पहचान येह है कि हैज जब बन्द हो जाए तो सर में दर्द कमर और 
| पैरों में दर्द रहता है मिजाज में चिड॒चिडा पन आ जाता है ।. 
नुस्खा :- क्‍ 

सोए क बीज, मूली क॑ बीज गाजर के बीज, मेथी के 
बीज इन सब को तीन तीन ग्राम लिया जाए, और 250 मिली लीटर 
पानी में इतना उबाले कि पानी आधा रह जाए फिर छान लें और दिन | 
में दो बार इस्तेमाल करे । 
रहमानी इलाज <:- ः 

यहाँ हम एक नकक्‍श लिख रहे हैं जिसे मोम जामा कर ै 
के औरत की बाऐं रान पर बान्ध । इन्शाअल्लाह तआला हैज जा रूका - 
हुआ है. जारी हो जाएगा वोह नकश येह हैं--------------४८- 


|... है. ॥ है है ह ॥ ॥ ॥. है ॥ ॥ ॥ छू ॥ ॥- ॥ . ॥ ॥.. 


#। ड ॥ ॥ ६ ॥ # . ह हक -ह ॥ 8 ॥. ह ६ ॥ ह&॥  ह शव. 
] $ ि न न्‍न प्र 2 के 


। (परिम्अ शब्रिस्तान॑ रज़ा, जिल्‍्द 2. सफ्ा ने उप 
न जब शा फ़ का छा कमा छा करता छा छा ॥ | 


5 शााम्यबए ४ ाााा॥ मम मूमइूसर गम सह... कि ७. हतन्‍न्‍मम नाना... अ ५५०3-90. मा 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


५ का 


कुछ औरतों को हैज्‌ (माहवारी) के खून आने से पहले 
कमर, कोलूह और रानों में सख्त- दर्द होता है । कभी कभी मतली और 
| की (उल्टी, ७०) भी होती हैं । माहवारी का खून बहुत ही कम आता 
है और दर्द के साथ आता है । 


4४ हिंग 500 मिली ग्राम, गुड & ग्राम लें । हिंग में गुड मिलालें 
ह और माहवारी के दिनों में 5 से 6 दिनों तक रोजाना सुबह खाए । 


पेशाब मे जलून :- 


इस बीमारी में औरत को बड़ी परेशानी होती हैं और 
शर्मगाह में खुजली व जलन होती है पेशाब करते वक्‍त भी जलन 
महसूस होती हैं और बे चैनी रहती हैं । 


नुस्ख्बें :- ः 
(]) नीम के ताजा पत्ते 725 ग्राम लें, पत्तों को ॥ 
लीटर पानी में उबाल कर छान लें फिर इस पानी में 3 ग्राम भुना हुआ 
॥ सुहागा ले फिर उसे मिला कर शर्मगाह पर खुजली की जगह को सुबह 
शाम धोए । 


० (2) काफर 3 ग्राम, गुलाब का पानी 25 मिली लीटर 
लें, फिर काफ्र को पीस कर गुलाब के पानी में घोल लें, एक. साफ 

| कपडा ले कर उस में भिगोए और जलन की जगह रखे । जितनी बार 
४ जरूरत हो इस अमल को दोहराते रहें । 


५४४४ 


१7५ ज छात्र कक इलम जात फ़ हा जऋं का 2४ फन फल छल माह काम फमा जान | ए०-“ ही 


"० ॥ ६. ॥ ६ ॥ ॥ # ॥ # & ॥  आ ३ है # ॥# ह#& ह# . है ॥ &> 


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क का व हे का +( 6/75 


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फ्रीन-ए-जिन्दगी 
मिनट जा 


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के वजकणमम मा. ४ के ह हनन हनन हु ण व्कममहनह गा! जे हु बम» 


कब्या 24 
रा 

च्ढ 

ह् 


मौजूदा जमाने में ज्यादा बच्चों को मुसीबत समझा जा. रहा | । 
है । ज्यादा बच्चे पैदा न हो इस के लिए आज कल निरोध ((जावठआा) 
कापरं-टी, .और माला डी, नामी खाने की गोलियाँ, वगैरा जैसी चीजें [ 
इस्तेमाल. में लाई जाती हैं । 
क्‍ सरकार सलललल्‍लाहों तआला अलैहि व मसलल्‍्लम के जमाने जाहिरी में ॥ 
सहाबा-ए-किराम “अजल” किया करते थे | 
अजल यानी क्‍या ? द 
अजल उसे कहते है कि औरत से सोहबत करते वक्‍त जब 
इन्जाल होना (मनी का निकलना) करीब हो तो मर्द अपना ऊज़ू-ए-तनासुल 
(लिंग) औरत की शर्मगाह से निकाल कर मनी बाहर गिरा दें । इस तरह 
जब मर्द की मनी औरत की शर्मगाह में नहीं गिरती तो हमल ही नहीं 
ठहरता । क्‍ 
हदीसों के मुताले (अध्ययन, २८४०४४९) से पता चलता हैं कि 
हुजुरअकदस सल्लल्लाहो प्रआाला अलैहि ब सलल्‍लम के जाहिरी जमाने में भी लोग । 
औलाद की -पैदाशश को रोकने के लिए “अजुल” किया करते थे । 
ज्चुनानचे हदीसे पाक में हैं------- 
हज्ीरप ६--) क65666| जाबिर रदीअल्लाहो तआला अच्हो फरमात है----- 
'हम नबी ए करीम  सल्लल्लाहो । 
तआला अलैंहि व सललम के मुबारक [| 
जमाने में अजल किया करते थे | _ डणी जल +उ>+१३ 4 
हालांकि क़ुरआने करीम नाजिल हो रहा था"। । 
(बुख़ारी शरीफ, -जिल्द 3, बाब न॑ 726, हदीस मं 793, स्रफ़ा न॑ 707, तिर्मिजी क्री ॥ 
जिलल्‍्द 7, बाब नें 773, हृदीय माँ ॥734, सफ़ा न॑ उछ3उ, इब्मे गाजा, जिलल्‍द 7 बाब # 
678. हरदीय ने. 7996, संफ़ा नें 539, पिशकात जरीफ़, जिल्‍द 2, हवीस ने उल्ा6, 


जज जब जाए का खा जा का रा छा का का का का बा पा व श वि थी... हब एम ह. है. 


हम (डॉ का ($ (४ ड़ 


; बुना ह कल हं. ॥ ॥ डा ॒ जा ह 


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करी न- ण-जिन्दगी 
(् 2. अर, 5 ह 25) वीक ये 


इमाम तिमिजी (तंबललाहो तआला अन्हों फरमाते है--------. हे 
. “हजरत जांबिर रदोयललाहों तआला अन्हों की येह हदीस हसन सही है" 
हजरत जाबिर रद्दीअल्लाहों तआला अन्हों के ड्स कौल से मअलूम 
हुआ कि सहाबा-ए-किराम, अजल किया करते थे और उस जमाने में 
जबकि कुरआने करीम नाजिल हो रहा था लेकिन कोई ऐसी आयत नहीं 
नाजिल हुई जिस में सहाबा ए-किराम को अजल करने से मना कर दिया 
जाता । चुनानचे “मुस्लिम शरीफ” में इन्हीं हजरत जाबिर रतबललाहो 
तआला अन्हों से येह रिवायत नकल है कि--------------------- 
ह्त्क्ख््ड्ड 57 ८ बज) अजल के मुअल्लिक हुजुर सललल्लाहों तआला अलैहि व 
सल्‍लम का खबर पहुँची लेकिन आप ने हमें मना नहीं फरमाया" । 
यिस्लिय जरीफ़ बहवाला मिन्नकात अररीफ़, जिलल्‍्द ४, हदीस ने 3४6, अ्रफ़ा नें 87, पड 
सैय्यदना इमाम भहिम्भद गृजाली र्॑अल्लाहो तआला अन्हों हि 
अपनी तस्नीफ “कीम्या-ए-सआदत” में इशशाद फरमाते हैं--------- 
“सही येह ही है कि अजल हराम नहीं"! 
/कौम्या-ए- सआदत, सफ़ा ने 267/ 
(0६३६५ कि आज) मोता “इमाम मालिक" में है--------------- - 
“हजरत आमीर बिन सईद बिन 
अबी वक्‍कास ने हजरत सआद 
बिन अबीवक्कास रदीअल्लाहो तआला 


(बी ७५ (7 3० (२ 4 (नी 


. -(.) 32५० 4७| «३ (;नी 


ह्ड्ख्ज््छ्छ, शा 2 उसी ।म्रोता इमाम मालिक) में हैं “5४-५८ 

हजरत अबू अय्यूब अन्सारी रदीयल्लाहो | | >> «८ |०० १) ५४ 

तआला अच्हों से रिवायत हैं कि वोह अजलें किया करते थे" 
35 + शिककल) उसी (मोता इमाम मालिक) में है हजरत 
) धन मकको सक्ैयललाहो तआला अन्हों का बयान है कि-«०व 

| हजरत इब्ने अब्बास रवॉयललाहो. || ' ००७०० 

) ५ तआला अन्हमा से अजल के बारे में 


(| ४ (2 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


22... जि... किक अल न लि (६ हैं बह + ))) छा मा हा जात का ऋूछ ऋा ०७०४ के 


पूछा गया तो उन्‍्हों कहा--“मैं अजल करता हूँ” । 
(मग्रेता शारीफ्र, जिल्‍्द 2, बाब नें उबर, हदीस नें. 96,97,700, सफ़ा 475/ 
अजल करने का मकसद येह होता हैं कि हमल न ठहरे 
(यानी औलाद की पैदाइश को रोका जा सके) इस मकसद के लिए मर्द अपनी 
मनी को औरत को शर्मगाह में जाने से रोकता हैं । 
यही मकसद निरोध से भी हासिल होता है निरोध यानी 
रबड॒ की थेली (कणाव |.०क०) जो सोहबत के वक्‍त मर्द अपने 
ऊजु-ए-तनासुल पर चढ़ा लेते है और सोहबत करते है मनी इस रबड 
की थैली में ही रह जाती है औरत की शर्मगाह में नहीं पहुँचती । 
चुनानचे इस बुनयाद पर येह कहा जा सकता है जिस तरह 
अजल ना जाइजु नहीं उसी तरह निरोध का इस्तेमाल भी ना जाइज्‌ नहीं 
होंगा ! क्‍योंकि अजुल और निरोध दोनों से एक ही मकसद हासिल 
होता है । 
अहादीस व फिकही मसाइल की मुसतनद किताबों में येह 
बात नकल हैं कि अजल अपनी बीवी की इजाजत के बंगैर नहीं कर 
| सकता येह मकरूह हैं । 
| इमाम अब्दुल रज्जाक और “बयहकी” हजरत 
इब्ने अब्बास और इमाम तिर्मिजी, हजरत मालिक बिन अनस 
रदीअल्लाहो ठआला अन्हम से रिवायत लाए हैं कि-----------------+- 
“आजाद औरत (यात्री बीबी) से बगैर ||. ७३७४३ >»»॥.००००७४ 
उस की इजाजत के अजल मं॑ना हैं”। - 
/बयहकी जअर्रीफ़, तिर्मिजी शरीफ, जिल्‍द 7, बाब न 273, हदीस ने 7734, सफ़ा न॑ उ583/ 
नस १६ 0) हजरत ऊमर रदोअल्लाहों तआला अन्हो से रिवायत है---- ' 
“रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो तआला अलैहि व 
मसललम ने आजाद औरत (जो गुलाम न 
३ के हो बल्कि बीवी हो) उससे बगैर उसकी || 


का ५ लय का. - हा बन श् है की... 


आंध है. ह. ॥. ॥ है ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ह॥ # 8 ॥ ॥ ॥#॥ ॥ ॥ ॥ हर ह हू ॥ & ॥ ॥ ॥ #& हर ॥ हक ७ हे 


मा ता «)]! (४ ++ «(॥ ५.३४ (ड्राच 


(७३७४४ नी (/+ (| '«०॥७/४- 


न जी ॥ ह॥ ॥ ॥ ह॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ 2. ॥. है ॥ ॥  ॥  ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥. ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ हा ६.८ 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


पु. - ;-जुन्दया 
हवन (27 हक व के शा; वा ४ विद का मा मा मे या आल व 


7/ इजाजत के अजल करने से मना ९ 
| फरमाया ! 
स्न्लि ग्राणा शरीफ, बिल्‍्द 7, बाब न॑ 678, हदीस ने 722, ग्रफा ने 539| | 
इमाम मालिक उस्लेबल्लल्लाहो तआला अन्हों फरमाते हैं------ ह 

“कोई अपनी बीवी से अजल ०_ल्‍्ची डी गो | »। ].०.४ पे 

न .करे मगर उसकी इजाजत से”। । "30 है 
[मादा शरीफ, जिलल्‍द 2, बाब नें 4, हदीस में 700, ग्रक्ा नें 478/ रन 

| 


इस से पता चला कि औरत से सोहबत से पहले अजुल 
करने की या निरोध के इस्तेमाल की इजाजत जरूरी है | इस. की एक. 
वजह येह है कि सोहबत दरअसल औरत का हक है और ब जाहिर 
सोहबत वोह ही मानी जाएगी जिस में अजल न हो । अब चुँकि मनी | 
शर्मगाह में गिराना नहीं चहता इसलिए औरत से उस की इजाजत लें 4 
ओर अगर वोह अजल या निरोध क॑ इस्तेमाल से इन्कार कर दे तो फिर | 
अजल या निरोध का इस्तेमाल नहीं कर सकता । 

जैसा कि आप ने पढ़ा अजल ना जाइज नहीं वहीं ऐसी £& 
अहादीसे पाक भी मिलती हैं जिस से येह मअलूम होता हैं कि अजुल | 
बे कार और ना पसंदीदा काम है । सरकार सल्लल्लाहो तआला अलैंहि व मललम [हि 
ने अजल से मना न फरमाया लेकिन इसे अच्छा भी नहीं समझा और । 
न ही पसंद फ्रमाया हैं बल्कि आप ने ज्यादा औलादें पैदा करने की. 


मुसलमानों को तअलीम फरमाई ! (इस का बयान आगे आएगा! 
( हूलीरत ४-) हलीरतग :- ) हजरत अब्दल्लाह इब्न मसऊंद राआर गहों तआला । 
अन्‍्हों से अजल क बार म॑ पूछा गया तो आप ने फरमाया-------: - 


| 'रसूलुल्लाह ४0", अलौह व सलल्‍्लघ लत 8 शक न. ः " 
गआामायार- +गिर उल्लाहे गलती कक 5 हा हा 
किसी न ; ; ध अ... ॥ «3५2: 58. सच है हि 
ने किसी चीज क जहूर का अहद ;. हि कक के ली: पट, मे 
0 किया तो पत्थर में छुपी छपाई है ही 3 आए 6 “मा टच /6 


| बे 


हा बाथ 8. कण ४. कमान बम ब्ड न रथ है. 2 [ बा | ४ 3०-8०" कीक. 


0॥7 


ष्ं 7 फ ' 
टन ए:-. खिचया काम फलमा पका परम अा कलम मरमय अपन धमका सका हक पका छाकना आा आज आधा का प्रकक 7-5 


पा 
मोह ० १ 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


केरीन-ए-जिन्दगी 


व. छा 28 व ४ 62 क/ ॥. 2 मा जज हे 9 के... 


तो वोह जुरूर निकल कर रहेगी” 
(सुस्तटे इमामे आजम, बाब नें 727, कृफा ने 222/ 
इस हदीसे मुबांरका से मअलूम हुआ कि अजल से कोई & 
फायदा नहीं 
ईअ55१ ८ + आज) हजरत अनस रदौअल्लाहों तआला अन्हों से रिवायत है कि 
आप ने फरमाया---------------- अगर तू उस पानी को जिस से 
बच्चा पैदा होता हैं किसी चदटान पर डाल दें तो अल्लाह तआला चाह 
तो उस से भी बच्चा पैदा कर दंगा”। इम्राय. अहमद। 
( स्टस्टीजय: ४०८) 454 ८८ आज) हजरत अब साइद ख़॒ुदरी रदीयल्लाहो तआला अन्‍्हों ् 
रिवायत है कि-----“हमें कुछ केदी औरतें हाथ आई जिन्हें गुलाम बना ! 
लिया गया तो हम उनसे अजल किया करते थे हम ने अजल करने क न 
बारे में रसूलुल्लाह सलल्‍लल्लाहों ठआला अलैहि व सल्‍्लम 2] पूछा तो आप ने तीन “| 
| मरतबा इरशाद फरमाया-------------८-------------८८८---- 
'तुम अजल करते हो ! ऐसी रूह | ०४ ७ ६5 ७७ ५४ 5०५ हू 
नहीं जो कियामत तक आने वाली ४ २०0४) , »० ४ २5४२०. | 
हो मगर वोह जुरूर आ कर रहेगी”। । आए ० हा 
(ब्खारी शरीफ, जिल्‍द 3, बाब ने 726, हदीस न 794, सशफ़ा में 707, गोवा शरीफ, जिल्द 
ह्ग 
| 
है 
! 


हा 


न्यू ७७५ 


ल्‍्॥ ॥ तर ॥ बह 8 रन ज ] 
हु हू. # : है... ना 
रु न्‍ श्र | ग. ग्ग न है - की. ० ० ० हि हे 


2, बाब नें 34, श्रफ़ा 475, तिर्पिजी जरीफ जिल्‍द 7, बाब ने 774, हदीस में 7735, स्फ़ा 

तने 583, अबुदाऊद जरीफु, जिल्‍्द 2, बाब में 726, हदीस में 408, सफा म॑ 753, इब्ले हि 

प्राजा, जिल्‍्द ॥, बाब ने 539, हदीस ने 678, सफा न॑ 7995/ 

हिल रा पक) हजरत इमाम नाफे रदीयललाहो अन्हों से रिवायत है--- 

हजरत अब्दुल्लाह बिन उमर 

रदीअल्लाहो अन्हों अजुल नहीं करते थे रत | 

ही और अबल को ना प्रतद फोसाते थे हो ललीवि अली 

(शता शरीफ, जिलल्‍द 2, बाब में अ हदीस ने 98, संफ़ो हे 475/ | 
चुनानचे इन हदीसों से साबित होता हैं कि अजल (और # 

९ इस जमाने में निरोध, कापर-टी, माला-डी बगैरा का इस्तेमाल) बे फुजूल े 


०४ ४5। _«+ (२ ५४०० (+ 


डर ् ध् । बयु ८5, 5 है। का ह्ब्त् ०-७, ० « छु ७. ढक 
| ४ || हि | | | ( . | ह्र | | ़ ॥ | ्श ; 
जब क्र हण का रब #] |! बी बढ 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


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॥. '॥.. 8 ह॥ #& हवा. ॥ 8 - है  ह . हू हो. के. की. की कि “८ ४] 


कक 


| बेकार व ना पसंदिदह काम हैं ऐसे बहुत से ब्राकिआत का बुक सुबृतः 


मिलता है कि बच्चा पैदा न हो उसे रोकने के लिए लागों को मी. 
अहतियातें और तदबारें धरी की धरी रह गई और हमले ठहा गाया आग | । ' 


बच्चा भी पैदा हुआ । 


खिदमत में हाजिर हुआ और अर्ज किया--“या रसूलुल्लाह ! मेरी एक & 


खदेमा (कनीज) है जिस से मैं अजल करता हूँ मैं नहों चाहता कि ब्रोह 
हमेला रहे”। आप ने फरमाया---“तू चाहे तो अजल कर ल॑ अगर 


तकदीर में है तो खुद ब खूद बच्चा पैदा होगा” ! फिर वोह शख्य 
कछ अर्से क॑ बाद हाजिर हुआ और अर्ज कि--“या रसूलुल्लाह : उसे .# 
तो बच्चा पैदा हो गया” ॥. आप ने फरमाया---“में नें तो. कह दिया & 


था कि जो कुछ उस के मुकदर में है वोह उस को जरूर मिलगा!। 


(अबृदाऊद शरोफ़, बिल्द 2, बाब 726, हृदीय नें 466, सफा है 54. मिश्कात रायोफ्, | 


जिल्‍्द 2, हदीस नें उछ्पएण, सफा नें 38/ 


इस सें पता चला कि अगर तकदोर में बच्चे लिखे हुए 


हैं तों इन्सान कितना भी चाहे दुनिया में आने से नहीं रोक सकता । 


हकीमों ने लिखा है कि मर्द की मनी -क॑ एक कतः मे ह 


लाखों बच्चा पैदा करने वाले कीड़े होते हैं जो मर्द क॑ ऊजु-ए-तनासुल 


(लिंग) सें चिम्टे रह जाते हैं और मर्द इन्जाल करने के बाद फिर सोहबत हु 
कर लेते हैं दूसरी बार सोहबत के दौरान मनी न भी निकले तो वाह 


पहले सोहबत करते वकत के वोह कोड़े जो मर्द के ऊज़ू-ए-तनासुल 
से चिप्टे हां होते हैं औरत को शर्मगाह में लग जात हैं और इस तरह 
भी न चाहते हुए हमल ठहर जाता है और इन्सान की सारो काशिशं 
बेकार साबित होती है । लिहाजा बहतर येह है कि निरोध का इस्तमाल 
न करे कि यही अफजल हैं 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


मुस्लिम शरीफ कौ एक हदीस में हैं कि रसूल ः 


| न *- हा 8  ञ+ शव  - ६ ॥ हैं 89% ।।)- कं . हक छा है| छा छह हब लक. ष्क 


। हम 
के 
“अजल करना एक छोटी किस्म 


का बच्चे को जिन्दा जमीन में गाड _ +०४७। ») ._.0॥3 
देना हे”। 
(विष्लिम शरीफ बे हवाला मिरकात शारीफ़ु, जिलल्‍्द 2, हदीस नें. उठ57, स्फ़ा ने 89 
इब्न॑ गराजा, जिल्‍द !, बाब ने 549, हदीस मे 2कर मर 560/ 

मस्अजला /- आला हजरत इमाम अहमद रजा खाँ रक्वयल्लाहों तआला 
अन्हों “फतावा-ए-रजवीया” में फरमाते हैं--------------------- 

“ऐैसी दवा का इस्तेमाल जिस से हमल न होने पाए अगर 
किसी शदीद शरीअत में काबिले क़ुबूल जरूरत क॑ सबब हो तो हर्ज नहीं 
वरता सख्त बुरा व ना पसंदिदह है”। 

(फतावा-ए-रजवीया, जिल्‍्द 9 निस्फ आखिर, सफा नं. 298| 

हकीमों ने लिखा है कि--०++०६--+-+++ 5 +3 ० «००5 «नो - 

हमल न ठहरे इस के लिए सब से ज्यादा आसान तरीका | 
येह है कि औरत के हैज॒ (माहवारी) के शुरू होने से एक हफते पहले 
और हैजु से औरत जिस दिन से पाक हो जाए उस के बाद एक हफते 
तक, इस दौरान सोहबत करने से हमल नहीं ठहरता और येह दिन 
महेफ़ूज होते हैं क्योंकि इन दिनों में (यानी हैज शुरू होने से एक हफते पहले 
और हैज्‌ के बाद एक हफ्ते तक) औरत के जिस्म में बेजा बच्चा पैदा करने 
वाले अंडे (0५७) नहीं होते । जिस की वजह से बच्चा पैदा न होने 
के ज्यादा इम्कानात ((फऋ्राट०७) होते हैं । (विल्‍्लाहो आलाग) 


जा छल छत जा जा जा जा जा जा जा जा जा जा जा का का का का का का का बा का का फ जे 


पुल पल पिन्‍जओ मन अमन फेक फेक फत्ओ जज फिल्‍मों फेल कफ त्जों फेल 


मरने को बाद क्‍या रूहें अपने घरों को आती हैं ? 
जानने के लिए पढ़ीये 
मुसानन्‍तफ 
आला हजरत इमाम अहमद रजुरार खाँ रदोयललाहो तआला अन्‍्हों 


 खहां का आना 


है है हू हू ॥ हू ॥ & ६ ॥ ॥ हैं ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ह& ॥ ह॥ ॥ 8 -॥ ॥ &॥ ॥ & ॥ ॥ ॥ _#ह2 


धार 2""श्रानाना का का का 


हु. गे बा 
न 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


३२ क्री न-0-जिन्दगी 


बच्चे की पैदाइश रोकने क॑ लिए मर्द का नस्त बन्दी करना 
और औरत का ऑपरेशन (5४7०9) कर लेना, या ऐसी दवा का 
इस्तेमाल करना जिस से बच्चों की पैदाईश हमेशा के लिए बन्द हो जाए 
इस्लाम में सख्त ना जाइज व हराम व सख्त गुनाह हैं । 

आज कल लोगों में येह ख्याल हैजे की बीमारी की तरह फैल 
रहा है कि ज्यादा बच्चे होंगे तो खाने पीने की कमी होंगी,-खर्चे बडेगे वगैरा 
वगैरा । आह ! अफसोस मुसलमानों को अब रब तआला की जात पर भरोसा 
नहीं यकीनन येह किसी मुसलमान क़ां अकौदा नहीं हो सकता । भला इन्सान 
की औकात ही क्‍या हैं कि वोह किसी कों खिलाए और पाले । बे शक 
हकीकत में हमें पालने और खिलाने वाला अल्लाह तआला ही है । क्‍या 
आप ने नहीं देखा कि इन्सान अपनी सारी तदबीरे मुकम्मल कर लेता है 
लेकिन चन्द दिनों का कहेत (अकाल, 7777८) इन्सान को भूकमरी पर 
मजबूर कर देता है । इसी तरह कभी कभी ज्यादा बारिश भी इन्सान के 
किए कराए पर पानी फेर देती है और हाथ कछ नहीं आता । तो मअलूम 
हुआ हकीकत में खिलाने वाला सिर्फ अल्लाह हैं । 

का) रब तआला इरशाद फरमाता हैं-------------- 


॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥& ह .॥ ॥ ॥ ॥ ॥ 


5 के आम | + चल >>... 
7ह्जपा >> और जमीन पर. चलने !। ५) *५)॥ हज ॥५ (2५०७ 
वाला कोई ऐसा नहीं जिस का || 368 (6 
रिज्क अल्लाह के जिम्मे करम पर न हो । ८“ 7४-२८ 


_(विजया- :- कब्जुल इमाम शरीफ, पद 72, टूरए हुए, आय 6/ 
कण ण छा) और एक दूसरी जगह इरशाद फरमाता है------- 
अपनी औलाद को [| 


नॉन ह< न ही परी अं 2 


तजपा की कफ ः ि दी %)२ । । १५.४5 ह है!" 

कत्ल न करो मुफलिसी क॑ डर से हु हि & 2८22८१2.2.५१ ८८ 

हम उन्हें भी रोजी देंगे और तुम्हें प्थता 5 ३५:००) 
भी बे शक कत्ल बडी खता है । | 25 ५७2 ० 


हे स्नान नम > पी 
३ (“कक भन्न बजा क ! हब द ॥ हर ॥ ॥ ॥ ॥ हव॑ है मा 
7 हक जं॒ ॥ ॥ ॥ ॥ है ॥ हू ॥ ॥ छा ॥ .॥ 8३  ॥ # के मी सी आस आल मल कब 

ह्वू | हा ह 


पक कक । > -<८ 
कै. नल77 जन जा छ छा बा जा बा लत ला छा जा का 


(#ज्पा :- कत्जुल इपान, प्राय 75, झरए बनी डल्टाईल, आवत 37/ 


शत जा ऋण एनआ एाना एा ए्रकण जा छान एज प्रक प्राण छा खा मम... 


72[)-7 66960 ५॥ 007 00५ ॥8। ४8/507 ७७७.०0[900/५.00॥] 


हु | कुरीन-ए-जिन्दगी 2 


॥. ॥ «हि 8 की),  ॥ के मा छा के के कक 
लिहाजा मअलूम हुआ नस बन्दी या ऑपरेशन कराना 
श्र 


सख्त जहालत और गुमराहीयत हैं इस से बचना चाहिये 
( उचस्तीसन 2०) ५५28 हजरत जब्दुल्लाह बिन मसश्तऊद रदोअल्लाहों तआला 
अन्हो ने फरमाया--“मैं ने हुजुर सललल्लाहो ठआला अलैंहे व सल्‍लम से अर्ज किया 
या रसूलललाह ! कौन सा गुनाह 
सब से बडा है ? फरमाया--“तू 36406 ० 
अल्लाह का किसी को शरीक >>» 3 ७० ५४॥)) (-+॥० (| (७ 
ठहराए हालाँकि उसने तुझे पैदा 5५), 8६५, ५४ ०५७ 
किया हैं”"। अर्ज कि-- "फिर कौन 
सा”? फरमाया कि---“तू अपनी &। द 
औलाद को इस डर से कत्ल करे के वोह तेरे साथ खाएगी”। 
_ बुिखायी शरीफ, जिल्‍्द 3, बाब ने 576, हदीस ने 299, श्रछा हे आठ 
देखा आपने औलाद को कत्ल करना कितना बडा गुनाह है । काश 
मुसलमानों को समझ आ जाए और वोह इस कत्ल गिरी से बचें 
हदीसे मुबारका में हैं कि हुज़र सल्लल्लाहों तआला अलैहि व सल्लम 
को बच्चों से बहुत प्याश था और आपने ज्यादा बच्चे पैदा करने को 
पसंद फंरमाया । 


हैं. है .॥. ह 8 ५8.  ह ,॥ .॥ ...है है: हैं... हिकआत ७ 


बह 
प हि की 


भा का का 


छ पंभकाह कश क्योंकि में बरोजे | 


पाकर छछएए अखा उाा बम सूछ छड छह छ 


है कियामत तुम्हारे ज्यादा होने पर & कक । हराम 
॥ दूसगी उच्मतों के मुकाबले में फऱे कलूँगा!। 

थ् : अल इमाम आग कान काल अफा ४ रुष्ा/ 

श्र कप ली) 5:7० / 0 ॥॥ ड्र्न 53६ नी बल्लाहा तडाला अन्छो फरमाते 
है के हुज़ुर॑ सल्लल्लाहो उआला अलद्टि ब सल्‍लम ने इरशाद फरमाया------ । 


“औलाद की ख़ूशबू जन्नत की खूशबू हे”। 

(बुकाशफतल कलूब, शफ़ा नें. >75/ 
द इस बारे में बहुत स्री हदीसे हैं हक पसंद के लिए इस 
क॒द्र ही काफी द 


आए गज व्यय क्र उक्त एक जस्थ सहाय ताक न हे 
ह 2705 आन करार काम्मात ँ अक काला हल्फन 
७. कि जज न ४ यम बंसकिममानामामाांंआन जि कन्या सा या 3 आय कि एन ।_. जल पाहह सा फल हो. डे हु थोक बतणलमका बन हब 


; फट जा ह॥ 9.2. 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


क्‍ क्र: 2207 न कुरीन्‌- 8० जिन्दगी 


बा - हा. डा . बा है ५० ))। ॥ जात छत बा आम जब छा लक 


बहू मनमूहुइग्गगग्मुषणमूकुन्ग्गगूलमालण हल गा? "ला" -हु। "हमार हु करना 


६ |एक्स- स्े-या खोनु ग्ग्राप्ठी प्री 


अक्सर लोग अपने आप को मॉड्न (४०उ३८णा) और तरक्की 
' याफ॒ता कहेलवाना ज्यादा पसंद करते हैं लंकिन यही लोग अपनी हरकतों 
के एतबार से आज से साडे चौधा सो (१450) साल पहले के अरब के 
जाहिलों से भी बड़ कर जाहिल, बल्कि उन से कुछ मामलों में ज्यादा 
ही बड़े हुए नजर आते हैं। अरब में हुज़ूर की पैदाइया से पहले “जमाने 
जाहलियत” में वहाँ के काफिर अपनी लड॒कियों को जिन्दा जमीन के 
गाड॒ देते थे और लड़कों की परवरिश बड़े लाड, प्यार से करते थे । 
बस वहीं काम आज क॑ बुछ पढ़े लिखे कहलाने वाले मॉडन जाहिल 
कर रहे हैं यानी आज कल एक्स रे ( -२४७४) सोनू ग्राफी के जरिये 
येह मअलूम कर लेते है कि औरत क॑ पेट में लडका है या लडकी 
दा अगर लडकी हों तो उसे ख़त्म कर दिया जाता हैं यानी हमल गिरा देते 
| है और अगर लड॒का होतो उसे बड़ी खुशी के साथ जन्‍्ते हैं । 
आह ! किस कदर जालिम है वोह औरतें जो एक .नन्‍ही 
सी जान को दुनिया में आने मे पहले ही मौत की नींद सुला देती है | 
ओरतों पर अल्लाह को संकडों लअनतें जो खूद एक औरत हो कर ! 
अपने हो जैसी एक जिन्स ।वबानी लड़की) को कत्ल करती है । मुसलमानों 
होश में आओं क्‍या येह जमाने जाहलियत के काफिरों ब मुश्रिकों की | 
है पैरयी नहीं हैं ? क्‍या येह एक साफ खुला हुआ कत्ल नहीं ? ऐसी 
४ आओरतें यकीनन माँ के रिशते गर एक बदनुमा दाग है जो अपने पेट में । 
4 परवान चड॒ रही औलाद को सिर्फ इस बात की सजा- देती है कि बोह 
. एक लडकी हैं । क्‍या वोह एक लम्हे क॑ लिए भी येह 'सोचने क॑ लिए 


है ॥ ॥ ह ॥ ॥ ॥ की हू कि 


से छक ऋा व तत हल जल बय हल तन एा एक तर जा का | 


थि कल छन कक ऋण व । 


४ तैयार नहीं कि वोह भी तो पहले अपनी माँ के पेट में थी अगर उस 
हैं को माँ उसे पंट में ही खत्म कर देती जिस तरह आज वाह बड़ी 
| आसानी से अपने पेट की औलाद को कत्ल कर रही है तो क्‍या वोह 


8 मा छा छा छा छा का आजा जा हा 8 का 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


ह9454 ८ कि) सहाबी-ए-रसूल हजरत अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास 5< ऐ 
रदीललाहो अन्हो अपनी मश्हूर किताब “अलअसरा ऊल मेराज” में नकल 
 फरमाते है कि हुज़ूर सल्लल्लाहों अलैहि ब मललम ने इरशाद फरमाया------ 
“(जब मैं सफरे मेराज पर गया और मैं ने जहन्नम को 

देखा तो) मैं ने झाड़ों में लटकी हुई औरतें देखी के उन पर खौलता हुआ 
गर्म पानी डाला जाता तो उन का गोश्त झुलस जाता (और टूकडों में गिर 
पड़ता) में ने पूछा--“आए जिब्नील (अलैहिस्सलाम) येह कोन ओरखों हैं ? तो 
उन्हों ने बताया--“या रसूलुल्लाह ! येह वोह औरतें है जो अपनी 
।॥ औलाद के खाने पीने और उन की देख रेख के खौफ की वजह से 
दवाएँ पी कर अपनी औलाद को मार डालती थी” ! /अल्लाहो अकबर) 
(अलञसय ऊल' मेग़ाज (940) स्फ़ा है, 23/ 
(5454 + शक) हजरत अब्दल्ला इब्ने मसऊद रिवायत करते हैं 
कि अल्लाह के रसूल सललल्लाहो अलैहि व सललम ने इरशाद फ्रमाया----- 

“सबसे बड़ा गुनाह येह कि है; |। छोड 5 0 । | 
कि अल्लाह का किसी -को शरी है; 45 
ठहराए फिर उसके बाद का गुनाह ० बिक 0 डय ॥। 
येह है कि अपनी औलाद को खाने --८.४ ९ 
पीने के खौफ से कत्ल किया जाए"। 

(बिखारी शर्तीफ़, जिल्द 3, बाब में. 5765, हदीस नें 899, सफ्ा में. 345/ । 

गुड) एक रिवायत में है कि, बरोजे कियामत जब # 
हिसाब किताब होंगा तो कुछ ऐसे माँ, बाप भी होंगे जिन के आमाल £ 
अच्छे होंगे लिहाजा उन्हें जन्नत में जाने का हुक्म दिया जाएगा । जब | 
येह लोग जन्नत की तरफ जा रहें होंगे तभी कुछ सर कटे बच्चे वहाँ ! 
पहुँचेगे जिन के सिर्फ धड़ होंगे सर न होंगे उन के धड़ों से आवाज ॥ 
| आएगी “अए रब्बुल इज्जत ! हमें इन्साफ चाहिये” |! रब तआला ॥ 
इरशाद फरमाएगा-“हाँ कहो आज इन्साफे का ही दिन हे“ वोह अर्ज * 
करेगे अए अल्लाह येह जन्नत में जाने वाले लोग हमारे माँ, बाप 4 


7 ऑन कयादा . ह. आ का. को. 28. हा. कह  ह॥ हज. का हो... गा. ॥ आ के. आत्म ली लि 


८] - ॥  ॥ हू ह. ॥ 28. & -॥ 8 8  ॥ ॥&.. 


॥ आय छा छल का बक मा एम | 


का हैं. है: है. है ॥. ह॥ है ॥ 8  ॥. ह ह . ॥ ॥ हव मरा ॥  ॥ ॥ की या 8 की ॥ मै 8 ॥& शक “नह 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


क्रीन-ए-जिन्दगी 
हिल... का जा छा छा पा एम | ५ (है हे. &.ह/)॥ क ० थी आम : मी हा कि - मिकाआ,  लूक 5.२ 


हि न मल । दम कक 


हे और हमें इन से तकलीफ पहुँची है” । वोह माँ बाप हैरत से कहेंगे-- 
“तुम्हें तो हम जानते भी नहीं तुम हमारी औलाद केसे हो सकते हो” 
वोह सर कटे बच्चे जवाब देंगे--"हाँ तुम हमें पहचान. भी नहीं सकते 
क्योंकि तुम ने हमें देखा ही नहीं हम वही है जिन्हें तुम ने दुनिया में 
आने से पहले ही मार डाला था और हमल गिरा कर हमारी येह हालत 
कर दी”। अल्लाह तआला इरशाद फरमाएगा--“कहो तुम कया चाहते है, 
हो वोह कहेंगे--“अए हमारे रब ! भला वोह लोग जन्नत में कंसे जा हा. 
| सकते हैं जिन्होंने हमें इस हाल को पहुँचाया ! चुनानचे हक्मे रब्बी होंगा 
इन्हें (माँ, बाप को) जहन्नम में डाल दो और इन बच्चों को दुरूस्त कर 
के जन्नत में दाखिल कर दो”----- । 

इन हदीसों से और इस रिवायत से वोह फैशन प्रस्त औरतें 
ईबरत हासिल करे जो जान बूझ कर हमल गिरा देती है | हाँ, हाँ ! 
अभी तो यहाँ अपनी मन मानी कर लों लेकिन याद रहें इन्साफ जरूर 
होंगा और ऐसी अदालत में जहाँ न कोई रिश्वत काम आएगी और न | 
ही किसी वकील की बहेस, यकीनन वोह एक ऐसी वाहिद अदालत है | 
जहाँ कभी ना इन्साफी नहीं होती । 


कक “-॥ हि पक ऊअआत्नाद लोन 


जैसा कि हम पहले भी बयान कर चुके है कि हुज़र 
सल्लल्लाहों तआला अलैहि व सलल्‍्लम को बच्चों से बहुत मुह्ब्नत थी और आप 
ने, बच्चे पैदा करने को पसंद फरमाया । लेकिन अफसोस आज कल 
ज्यादा तर औरतें बच्चे पैदा करने से कतराती हैं कछ बेवक॒फ औरतों 
का ख्याल हैं कि बच्चा पैदा करने से औरत की खूबसूरती खत्म हो 
जाती है और वोह मोटी भद्दी और बद सूरत हो जाती है ! येह सब 
22५ जहालत की बातें, और शैतानी वसवसे हे 


राज आन ह्व। कह. की [ऋण छा है. हा कह... आ.. आ “हर ८ 


एन्मूहः'््मूइुनमाइए०्गहु-्ग्गाह॒नमूहग्गकरारूएगूहुन्मूहम०__. 


का ० कह 


| जब छल छत डक छड़ एक 


क्र कला जम छा छल माल कमा बाड़ बा छत छा आता काय 


छत छछ बल का कल किलर जला जार जल छल पक छथऋ जब कड़ छा छा का कक जा रा छा 


गा क 


(लिए हा हैं. है - ॥.  ॥ - | . है है है हू है है 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


तआला अन्हां से रिवायत है कि रसुलुल्लाह सलललल्‍लाहो तआला अलैहि व सलल्‍्लम । 
ने इरशाद फरमाया--------------------------८----------- ० 

“जो हमला (पेट वाली) औरत हमल की तकलीफ को #॥ 
बरदाश्त करती है उसे अल्लाह की राह में जिहाद करने वाला सवाब « 
मिलता है और जब उसे बच्चा पैदा होने का दर्द होता है तो हर दर्द # 


के बदले उसको एक ग़ुलाम॑ आजाद करने का सवाब दिया जाता है”। | 

(यन्यव॒ुत्ताल॑बीन, बाब ने. 5. गरफ्का नें 773/ 

45+5१ ६3 आज) रसूलुललाह सल्लल्लाहो तआला अलैहि व सल्लम, ने इरशाद | 
दाग कक सी 5 कक मल मल न कम न क जरिया नल के 20025 

'काली बच्चे देने वाली मुझ को ०* ही ५+ | 3०५ ह००० 

| ज्यादा पसंद हैं खूबसूरत बांझ से” आन 

(विलदे इमामे आजम, कबराब हे 720, श्रफ़ा न॑ 277, कौम्या-ए-सआदत) 
इमाम गृजाली रहौबललाहो तआला अन्हों फरमाते हैं हुज्रे 
अकदस जल्लल्लाहो तआला अलैहि व सललम ने इरशाद फरमाया---------- 
“औलाद की खूशबू जन्नत की खुूंशबू है”। 

(ुकाशेफ़तुल .कुलूब, सफ़ा न॑ 575) 

इस हदीस से येह साबित होता है कि जो बच्चे पैदा करने | 

को अयेब समझते हैं वोह जन्नत की खूंशबू से महरूम है । 


औलाद न्‌ होने की वजूहात :- - 
कुछ लोगों को औलाद नहीं होती इस की बहुत सी 

बजूहात हो सकती हैं मसलन------------- 
ध॥.ट् अल्लाह तआला की मर्जी येही है कि औलाद न हो ।. 
चुनानचे इस बात के सुबूत में येह दलील सब से ज्यादा अहेम होंगी * 


के हुज्रे अकरम अल्लल्लाहों तआला अलैहि व सललम की कल ग्यांहरा ] ८ ५ 
५. # 7 जा जा छान छा छा जा बज जल जा छत छा जाल छल खा ऋछा जात जता काश छा उस & 5 


री] 


॥ ॥ ॥ ॥ ॥&॥ ६  &॥ 


है ते ता तह जम का बा हक. है. ॥ ॥ ॥ ह क# ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ 8 ॥ ॥ ॥ & ॥ ॥ ॥ ॥ #& ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ का ' मई 


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(7725 ६५० बन 


५ बीवीयाँ थी लेकिन आप को ओऔलाद सिर्फ दो बीवबीयों से ही हुई बाकी 
॥ बीवीयों से आप को कोई औलाद न. हो सकी, अल्लाह तआला की मर्जी 
| यही थी । येह नहीं कि मआजल्लाह हुजूर की दूसरी बीबीयों में कोई 


नुक्स था और न ही मआजल्लाह सरकार में 
ज्ब्ण्ज्छ) हजरत इमाम अबूल फजल काजी अय्याज 
रदीअल्लाहों तआला अन्हों अपनी सनद क॑ साथ हजरत अनंस रद्दीअल्लाहो तआला 
#न्हों से रिवोॉथत करते है--------------०--------०--८-८-८-- 
“हुज़र सल्लल्लाहो तआला अलैहि व सल्‍लम को कव्वते मर्दाना तीस 


मर्दों के बराबब अता कौ गई थी । और हजरत इमाम तांऊस 


रदीअल्लाहो तआला अन्हो सें मरवी है कि हुजुर को चालीस मर्दों की ताकत 
अता फरमाई गई थी” 
शशिफा शर्गीफ़, जिलल्‍द 7, बाब में 2. फ़यल में # सफ़ा ने. /55/ 


लिहाजा इन तमाम बातों से येह साबित होता हैं कि औलाद. 


से नवाजनें वाला हकौकत में अल्लाह रब्बुल ईज्जुत ही हैं वोह जिसे चाहे 
अता करता है और जिसे न चाहे अता नहीं करता । उसके अता करने 
में ओर महरूम रखने में भी हजारों हिकमतें है जिसे वही सब से बेहतर 


जानता है । अगर वोह देना चाहे तो कोई उसे रोक नहीं सकता--चुनानचे 
हजरत इलब्राहीम अलैहिस्सलाम वे हजरत सारा रदीअल्लाहों अन्ा को जब अल्लाह 


॥ ॥ ॥ हू #॥ न हर ह॥ 8 ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ #॥ ॥ & ह॥ ह॥ कप ह हे 


ने बेटे (हजरत इसाक्‌ अलैहिस्सलाम) से नवाजा तो उस वक्‍त हजरत इब्राहीम & 


की उमर ॥20 साल और हजरत सारा की उमर 99 साल थी | 


२ (७. बच्चे न होने की वजह येह भी हो सकती है कि मर्द की । 


मनी में बच्चा पैदा करने वाले कीडे ही न हो या फिर कमजोर हो । 
इट बचपन या जवानी की गृलतीयों कौ वजह से ना मर्द हो 


चुका हो । 


एए.. औरत बान्झ हो, यानी उसकी बच्चादानी में औलाद पैदा ॥ 


करने वाले अन्‍न्डे (()>ए8) नो हो । 
9 औरत की बच्चा दानी का मुँह बन्द हो । 


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'ह छह छा हरा हा ॥ ॥ ॥.  - श॥ श्‌. का #&... 8. हर शा: ॥-  ॥ आहत. 


के हम हा पलक कर फ छा रू ९ 9 77) 


इस तरह की कई वजूहात हो सकती हैं जिस की वजह 5 
से औलाद की पैदाईश में रूकावट हो सकती है । - 
अगर मियाँ, बीवी दोनों ही सेहतमन्द हो तो दो (2) साल 
के अन्दर पहला हमल करार पा जाता हैं । अक्सर घरों में जब 4 | 
या 5 साल गुजर जाने पर भी औरत को हमल नहीं ठहरता तो घर 
की बूढ़ी औरतें औरत को बान्झ समझने लगती है । 
कोई भी औरत हो अगर उसे शुरू ही से हैज (माहवारी) ॥ 
का खून हर महीने मुकर्ररा तारीख़ (#» एल्‍सं०५) पर बगैर किसी | 
तकलीफ के आता हैं और कम से कम तीन दिन और ज्यादा से ज्यादा 
| दस दिन तक जारी रहता हैं तो ऐसी औरत को बान्झ नहीं कहा जा ॥ 
सकता । बच्चा न होनी की वजह और कोई दूसरी हो सकती है इस | 
| लिए अल्लाह से औलाद के लिए दुआ करे और मर्द व औरत दोनों । 
| अपना चेकअप (मुआइना) कराए और इलाज की तरफ रूख करें । हम । 
यहाँ चन्द वजीफे नकल कर रहे हैं जो आसान भी है और इन्शाअल्लाह | 
इस की बरकत से घर में खूशीयाँ भी आएगी । 
454 ८ + आज) हजरत मौला अली रदोअल्लाहो तआला अन्हों रिवायत £ 


कक इन कमा जलन कमा लम्का करण - देन 


“एक शख्स रसूले खुदा सल्‍लल्लाहो तआला अलैहि व 
सलल्‍लम की खिदमत में आया और अर्ज किया--“या रसूलुल्लाह ! मेरे | 
| घर औलाद नहीं होती”। हुज़्रे अकरम सलल्‍लल्लाहो तआला अलैहि व | 
| सलल्‍लम ने इरशाद फरमाया--“तो अंडे खाया कर”"। 


उलाद होगी या नहीं | 


अक्सर बे औलाद, औलाद की ख्वाहिश में बडी बडी # 
रकमें बरबाद कर देते हैं इस लिए दवाओं पर रूपये लगाने से पहले । 


इम्तिहान जरूरी है । इसके लिए हम यहाँ एक अमल लिख रहे है जिस /# 
£:  #॥& #& -. तय करे 


॥ ॥ ॥. ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ 8 ॥ ॥ ॥ 8 ॥ -8 8 ॥ ॥ ॥ 8 #&७७«*, पा 


# 0 >च्का 8 ह बह ॥ ॥ & ॥# #॥ #॥ ह हम हक 


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। 28 न अज अडकर अर ॥ (है है। [क)। ॥ 9 हछ का 9 9 कण ०० ६१5९ 
/ से इन्शाअल्लाह पता चल जाएगा कि औलाद किस्मत में हैं या नहीं । "१३ 
अमल <:- औरत को चाहिये कि जुमेरात को रोजा रखें, इप्तार के हि 
। बकक्‍त इतना दूध ले जो पेट भर कर पी सके, फिर सात (7) बार सूरए 
“मुज॒म्मिल” पढ़े । बेहतर येह है कि औरत खुद पढ़े अगर सही न पढ़ 
संके तो किसी आलिम या हाफिज से पढ़वा कर दूध पर दम करवाए 
। फिर इसी दूध से रोजा इफ्तार करे । 
अगर दूध हजम हो जाए तो इन्शाअल्लाह औलाद होगी । 
| और अगर दूध हजम न हुआ तो (अल्लाह न करे) फिर सब़् करे । यानी | 
ह औलाद न होगी । लेकिन फिर भी अल्लाह चाहे तो आता फरमा सकता है 
॥ अल्लाह की क़ुदरत से मायूस न हो कि मायूसी मुसलमान का काम नहीं । 
/शम्ज॑ शबिस्ितानें रजा, जिल्‍द 7, सफ़ा में 37) 


| औलाद होने के लिए अमल :- 


अमल ( 7) जिस औरत को औलाद न होती हो या हमल 
न रहता हो तो चाहिये कि वोह सात दिन लगातार रोजें रखें और इफ्तार _ 
के वक्‍त एक गिलास पानी ले कर 2 5४“ “अल मुसव्विरो” 
एक्कीस (2।) ब्रार पढ़ कर पानी पर दम करे और उसी पानी से इफ्तार 
करे । इन्शाअल्लाह सात रोज न गुजरने पाएगे कि हमल रह जाएगा 
और फरजन्द (लड़का) पैदा होगा । 
। (क्जाइफ़े रज़क्यि, सा मेँ. 274/ ल्‍ 
अमल (2) /- जो कोई अपनी बीवी से सोहबत करने से पहले 
<&-<') “अलमुता कब्बिरो” दस (0) बार पढ़े फिर उस के बाद 
सोहबत करे तो खुदा उसे फरमाबरदार लड॒का इनायत करें । 
(क्जाइफ़े रज़कीया, सफ़ा में 274) 
अमल (3) अच्छी किस्म का एक अनार ले कर उस के चार 
> ट्कड़े करे हर टूकडे पर “सूरए यासीन शरीफ” पढ़े और उस पर दम / 


रा आप चयाबड _ ह  क॥ ॥ छः क्ा शा. ह. ॥ ॥ | ॥ हू हा. ॥ 8 &. मरा आम. 


ह ॥ ॥ हु ॥ह ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ वर ॥ ॥ ॥ ॥ ॥. ॥ ॥  ॥ ॥ # | के की कि. की हो 


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पशु 
पद रा कं है | 


शक 
दा 
था ॥ है ॥# ॥ ह ॥ ६७॥ू-- -॥ हू ह ॥ हर ॥ ह॥ ह# ह& ॥ & 8. # #& ॥ &8 हू ह ह# ॥& ॥ # # हें है 


| इन्शाअल्छाह लड़का ही होगा :- 


| जरूर होंगा । लेकिन याद रहे येह अमल जब ही करे जब लड़का न ६ 


2 हुज़ूर सैय्यदयना गौसे आजम व हजुरत शेख़ मुहम्मद अफूजूल कानपूरी / ॥! 


करता जाए | उस के बाद फव भर किशमिश और पाव भर भुने हुए ; 
चने ले कर फातिहा दे, फिर उसे बच्चों में तकसीम कर दें, और अनार ॥ 
का एक ट्कड़ा मर्द खाए और एक औरत खाए रात को सोहबत करे, | 
सुबह बचे हुए वोह दो टूकडे दोनों मर्द व औरत खा लें और ग़ुस्ल ६ 
कर के नमाजे फजर अदा करे । || 
(शिम्ज॑ शक्सिताने रजा, स्रफ़ा ने 30/ 


अगर किसी औरत को सिर्फ लड़कियाँ ही लड़कियाँ पैदा 
होती हो तो उस हालत में लड़के की ख्वाहिश और ज्यादा बड़ जाती # 
हैं फिर कुछ लोग ऐसी हालत में लड॒के के लिए रूपये पानी की तरह & 
बहा देंते है यहाँ तक के कुछ कम अक्ल जादू टोने और गन्दे इलाज ॥ 
से भी बाज नहीं आते । 

हम यहाँ चन्द ऐसे अमल लिख रहे हैं जो जाइज और | 
फ़ायदेमन्द व सौ फिसद कामयाब हैं । इन्शाअल्लाह इस से फायदा | 


हो और बहुँत ज्यादा लड़कियाँ हो । 
अमल (/) :- कच्चे सूती धागे-के सात (7) तार ले फिर हर 


' तार औरत की पेशानी के बाल से पांवें की उंगली तक नाप ले अंब #& 
: सातों धागों को मिला कर उन पर ग्यारह (॥) बार “अयतलकरर्सी" इस ४ 


तरह पढ़े के हर एक बार एक गिठान लगाता जाए और दम करता जाए €| 
ग्याराह गिठान बान्धने के बाद इन धामों को औरत की कमर प्र || 
बान्ध दे । जब तक बच्चा पैदा न हो जाए हरगिजु न खोले यहाँ तक # 
कि गुस्ल के वक्‍त भी जुदा न करे जब हमल जाहिर हो तो घर की ६ 

पकाई हुई सफेद मीठी चीज पर जैसे सफेद मीठा हलवा, पेडे वगैरा पर ॥ 


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___ क्रीन-ए-जिन्दगी 


हां - मा शा .  «> है) है) )।)- ही हा. ह आह. : म . कि. हक 
| और सैय्यदना आला हजरत रदोअल्लाहो तआला अन्हुम की फातिहा दिलाए ओर 
है दो रकअत नफिल नमाज्‌ अदा करे । फिर खडे हो कर बगुृदाद शरीफ 
3 की तरफ मुँह कर के दुआ करे--“या हुज़ूर गीसे आजम ! मुझे लड॒का 
# हुआ तो हुज़ूर की (यानी गौसे पाक को) गुलामी में दे दूँगा और उसका 
है नाम गुलाम मोहियद्दीन रखूंगा”। इस के बाद यकौन रखें कि लड़का ही 
स्ि 
हा 


॥| होंगा । इन्शाअल्लाह तआला जब लड॒का हो तो वोह धागा माँ की कमर 
से खोल कर बच्चे क॑ गले में डाले । बच्चे की हर सालगिरह पर एक 
रूपया एक डब्बे में डालते रहें जब बच्चा 7॥ साल का हो जाए तो 
इन ॥] रूप्यों की शीरनी या इस में जितना चाहे और रूपये डाल कर 
नियाज दिलाए और उस धागें को किसी महफज जगह दफन कर दे । 
/शम्ज॑ शकिस्तानें 7जा, प्रफ्ता नें 26/ 
अमल (2) :- हजरत अबू सुएब हरानी ने इमाम अता 
रदीअल्लाहो तआला अन्हों से (जो इमामें आजम अबू हनीफा के उस्ताद है) रिवायत 


5 “'कम्माक कक थक वा. व््वाक 


_ हु है हि बह ॥ ॥ छह शव हू हे कं की ही छ आह मक 


“जो चाहे के उस की औरत के हमल में लडका हो तो 
| उसे चाहिये कि अपना हाथ अपनी औरत के पेट पर रख कर' कहे---- 


हज 57 डॉ ६2 । 
०3पिफि दु 3009७ (_) | 
है दुआ /- इन काना जक रन फकद सम्मैतोहू मुहम्मादा 0 
| तर्जमा :- अगर लड़का है तो मैं ने उस का नाम “मुहम्मद” रखा । 
जब लड॒का पेदा हो जाए तो उस का नाम “मुहम्मद” रखें । 
/अहकाय ज़रांजत, जिल्‍्द 3, ग्रफ़ा ने &83/ 
अमल (39) :- हामला (हमल वाली औरत। के पेट पर सुबह क 
वक्‍त उसका शौहर ऊन्‍नीस (॥99)) मरतबा &>:र्जा “अलमुबदीओ” 
शहादत (सीधे. हाथ के अंगूठे से लगी हुई पहली उंगली) से लिखे तो बफजलहि 


े हमल गिरने का खौफ जाता रहेगा । और जिस का हमल दर 


प्र 
ह्अ 
व्‌ 
घ्् 
का 
धर 
हा 
हा 
ब्द 
ध्ा 
का 
धर 
च्प् 
ष्ण 


हु ॥ ॥ हू हर ॥ ह&. है हू ह है हू हो. की आह 


0 


हर 


2 
है छजना छत हा. हा छा शव मा छा आाम्न्गा5 (2 


जब 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


तक रहे यानी महीने से (थोडा) ज्यादा गुजर जाए तो उस औरत के पेट 
पर लिखने से जल्द लड॒का पैदा होंगा । 


हे पा 
न यो 


के (वज़ाइके रज़ावीया, सरफ्ा -त॑ 220/ ५ 
है अमल (4) :- इस नकश को जुअफ्रान से लिख कर हामला 
औरत अपने पास रखे या कमर में बान्धे । इन्शाअल्लाह लड़का पैदा ;[ 
हर हांगा वोह नक्शा येह मम 82 2 72070. । “की. < 
ू ४2...5 न 

हमल को हिफाजूत :- ः 


अमल (7) :- अगर किसी औरत के कच्चे हमल गिर जाते है ॥ । . 
तो कुछ काली मिर्च और अजवाइन ले और उसपर सत्तर (0) बार 
किन(ल#र आम  । नॉन ढक नील डी की जज आर जज पट 


न, ३. औआ॥ ऑ लि रप ५ 


“७७-०० 5) .5 [| कल ४252 %/7 5 5 57 
“->पजाा 74027: 
(पयूरए मोमेनन, ग्रादा 7/8, आयत 74/ 
पड़े फिर “सूरए काफेरून” और “सूरए मुजम्मिल" सात बार ओर “सूरए 
अलम नशराह” १॥ बार पढ़े अब उन काली मिर्वों और अजवाइन पर 
दम करे । सात दाने काली मिर्च और थोड़ी अजवाइन औरत को खिलाए | 
जब तक बच्चा पैदा न हो उस वक्‍त तक हर रोज येह काली मिर्च और #& 
अजवाइन खाते रहे । इन्शाअल्लाह बच्चा सही सलामत पैदा होंगा । 
शिग्जे शबिशताने रज़ा, जिल्‍द 7, मफ़ा नं 33) 


* बए है ॥ ॥ .॥. ॥& ह हू ॥. &. झा छक बी 8 हर बा काल छा 


हि... मा. 9 के... भा... हे मी कि. . के... के... है... के... ००० लिट--५०----अ नम ० 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


कुरी न-ए-खिएडगी 
भर हा है तल कि | 


[7 
कु 


” अमल (2) :- सात धागें कच्चे लाल रंग के लें और औरत के ६ | 
| कद के बराबर उन धागों को कर लें फिर उस पर गिंठाने लगाता जाए # 


हर गिठान पर येह आयते करीमा------- 
के हि कर हर 22 ०४५ . «|, #।। (आ> तट 5 


ही 


ल्‍)) [किम का छत छत ऋाड़ ना कफ 5 


हक न्ट हर 
22205 59. ६८20 ०0, ०८०४४:४० ७:१७ 
५... 0.०२ (-७ 
पढ़ कर दम करे इस तरह नव (9) गिठाने बान्धें (इस तरह येह आयत नव 


मरतबा पढ़ी जाएगी) उस के बाद पेट पर येह धागा बान्ध दें । बच्चा पैदा 
होने से कुछ घन्‍न्टों पहले येह खोल दें 
(कॉलुल जयील, स्रफ़ा न॑ 746, शम्जे शबिस्तानें 7ज़ा, जिल्‍द 2, सफा ने 54/ 


"लाया. "गहन. | के अलक्कमम»+-न-अम्क.. 


हमल के दौरन अच्छे काम्‌ :- 


राज ह+०००+७०+ सरल नलस न + मन ५3७3333ें33५3५+3+++3०भ.3&आल७आ>लथक +॑नअसमलनन न ाक-न-आ-+०-.सनुनन--न_क्‍ने+ज मुन्ना ननलनमनन-न-न-म-मननम-न-+-+-+-न-न«म+«नमनन-नमन-नननशननननगनभ2£भ।ग--++ न इक >नानीनन-नननीीीीीणनन नाना. मनन ++5-+-म कम» अमन एप «॥॥ क्‍परडनलनानलएनूसल का. हानननीयननीननीनननन नननानीनननननीनननननननननी लिन न थ3+"तएऋझणण।श%ख“+>७2#ंसंंंछ७ ७5:  इअइब इबब बइअअअ बडउड:बजअअअअ अब इ्चन७्सललल्नननल-कनन-स काल 


एन एन बडा छा पडा पा बना कक कह 


सा परम काम... ०७: करी ४० मय". रत गालमा पक. जहा «गाय अम्मी आहत. ५ -ूमयायुनााभाामायुह+-ाथ, 


जब औरत हमल (पेट) से हो तो उसे चाहिये कि उन दिनों 
बेहूदा फुजूल बातों, झूट, गीबत, वगेरा से बिल्ख़ुसूस बचे । अच्छी दीनी 
गुफतुगू करे, खाने पीने पर ज्यादा ध्यान दे ऐसी गिजाएँ (खाने) इस्तेमाल 
* करे जो ताक॒त पहुँचाने वाली हो । ज्यादा से ज्यादा खूश रहें नमाज 
की पाबन्दी रखें कुरआने करीम की तिलावत ज्यादा से ज्यादा करते रहे, 
जिस क॒द्र हो सके खूब खूब दुरूद शरीफ पढ़े । इन सत्र बातों का 
बच्चे पर बड़ा असर पड़ता है द 

हुजुर गोौसे आजम रद्देअल्लाहों तआला अन्हों का वाकिअ इस - 
बात की दलील है कि---------- “हुज़ूर गौसे पाक जब अपनी माँ ॥ 
के शिकमे मुबारक (पेट) में थे तो वोह काम काज करते करते क़॒रआने 
करीम की आयतें पढ़ती रहती थी आप अपनी वालिदा (माँ) के पेट में 
ही सुनं कर याद कर लिया करते थे । जब आप की वालिदा १4 पारें | 
पढ़ चुकी थी तब ही आप को विलादत (पैदाईश) हों गई । चुनानचे आप | 
के 4 पारों के माँ पेट से ही हाफिज थे बाकी बचे हुए पारे आप ने बाद 
(700. 0:77 पाक जाला हाय शा 


[ 
॥ ॥ है. ह॥ छू. ॥ ॥ ॥ हर ह. ह॥ छा ह# है है ह | हैं की के मी - के.. जय जा बड ॥ 


“जहि है हु ॥ ॥ . हर हू ॥ -&.- # - ॥ ॥8. ॥ ह& ६ व्‌ श ॥. - हे 


पक 
जज आ आ बल ह# ६ छू ॥ -#॥ हो आकम्स्ग ७ वकील, 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


कुरीन-ए-जिन्दर्गी 
प0ी, ) 20... 


+ में उस्ताद से पढ़े | येह हमारे गौसे आजम की एक अदना सी करामत ६ 
ह॥ है । वैसे तो आज कल ऐसी करामत का दोबारा होना मुश्किल नजर ॥ 

आता है लेकिन इस वाकिओ में हमारे लिए येह सबक जरूर हैं कि माँ क्‍ 
को चाहिये कि फरमाबरदार, नेक और परहेजगार औलाद हासिल करने 
के लिए खूद भी नेक और परहेजगार बने । क्‍योंकि माँ की नेकी का 
ओऔलाद पर बडा असर पड़ता हैं । /कललाहो आलग) 


हमल के दौरान साहबत करना : 


शित्र छल जनम बम छान ६ 2200) 5 ))) रूना जब छत छा तब छान] [छल लत 4 दि 


द्; है! लिन न्‍ | । | । | | 
न्ज् की ज जा अम-आत---ी.......... न 


औरत जब हमल से हो तो उस हालत में सोहबत करना शरीअते | 
इस्लामी की रू से मना नहीं है और इस पर कोई गुनाह भी नहीं । 
लेकिन हकीमों के नजदीक सोहबत न करना बेहतर है कि 
सोहबत करने से नये हमल के ठहरने का खतरा होता है । 
«कि इमामे आजम अब हनीफा रूोवल्‍लाहो अन्हो अपनी 
मुस्नद में हजरत इब्ने उमर रदीबल्लाहो अन्हो से रिवायत करते हैं------- 
“रसूलुल्लाह सललल्लाहो तआला अलैहि 4: 4॥४ै॥ (५०० «४ |» , (५४५ 
व सललम ने मना फरमाया हामला (डे « ७ ० $5 (| «०७ 
| (पेट बाली) औरतों से सोहबत की || 5 वकील हा कक 
जाए जब तक कि वोह जन न लें अपने पेटों के बच्चे” 
(युलवे इप्राम आजाय, बाब न॑ 737, स्रफ़ा ने 227) 
इन हामला औरतों से मुराद जिहाद में कैद की गई कनीजें 
है क्‍यों कि इमामे आजुम से दूसरे तरीक से और रिवायत है जिस में 
७५5 के साथ (५+-ध८०» की भी कैद हैं जिस से साबित होता 
है कि इससे मुराद कैद की गई औरतें है येह हुक्म अपनी बीवी के 
लिए नहीं (यानी अपनी क्मला बीवी से सोहबत कर सकता है) । ओलमा-ए-किराम 
फरमाते है कि---“वोह औरत जिस का. हमल जिना से हो उस से 
६ सोहबत जाइज (हाँ जिसका शौहर खूद जानी हो उसे सोहबत करने में 
६300 हर्ज नहीं) 


3 कयाइा. ह  ॥ व व #& ॥ ह॥ ॥ #॥&॥ ॥ &॥& #& 


प्र हर -- _॥ | ह॥ ॥ ॥._ बह जब छह आ हल ॥ #&. ह्र_ कक जक ऋल छल छत पा जात बता पल छल | 


के 
कै, पर: 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


ही हा. ह. ह शह्वा. शा. (2983. ६ ।))। ह् [ जा छत बा ऋण का कक अन्ना 


३५ 
५ ना कम 


बच्चा पैदा होने के बाद जब तक बच्चा दूध पीता हैं उन 
॥ दिनों तक हकीम हजरात सोहबत करने से मना करते है । उनके नजदीक 
॥ दध पीते बच्चे की मौजूदगी में बीवी से सोहबत करने से बच्चे को 
॥ नुकसान हैं वोह इस तरह कि बच्चा. जनने के बाद अगर औरत से 
है सोहबत की जाए तो औरत का दूध ख़राब हो जाता हैं जिस को पीने 
ह 


॥ से बच्चे की सेहत पर असर पड़ता है । 

| शरीअत भी हमें ऐसी बातें इख्तियार करने कौ हिदायत 
है करती हैं जो हमारे लिए ही फायदे मनन्‍द हो और उन बातों से मना 
॥| करती है जिस में हमारे लिए ही नुकसान हो । 


६73६८ अंक हजर सललल्लाहों तआला अलैहि ब सललम ने इरशाद फरमाया-- 
| “पोशीदा (छपे) तौर पर अपनी , हा बट ह+ 8. की कं ४, 
४ ओलाद को कत्ल न करो कसम है ००57 छिण 3 453 ६ 


हैं| उस जात की जिसके कबजे में नेरी || छः ५+# रे ००४ 
जान हैं दूध पिलाने के बकत में 

| बीवी से सोहबत करना सवार को घोडे की पीठ पर से गिरा देता है”। 
(अबुदाऊद शरीफ, जिल्द 3, बाब ने. ॥98, हदीस नं. 484 सफा ]72, इब्ले माज़ा, 


जिल्द , बाब नं. 649, हृदीस ने. 2083, सफा ने. 560) 

तहकीक येह है कि दूध पीलाने के दौरान औरत से 
| सोहबत. करना. जाइज है और इस हदीस में हुज़ूर सललल्लाहो तआला अलैहि 
॥ व सललम ने नसिहतन मना फरमाया हैं आप का येह इरशाद ना जाइज ' 
हैं या मुमानियत के दरजे में नहीं । 
इस लिए भी कि अगर औरत के दूध पिलाने कौ वजह 
है से सोहबत करना ना जाइज कर दिया जाता तो मर्दों को इससे तकलीफ 
होती क्‍योंकि औरत बच्चे को आम तौर पर दो (2) साल तक दूध 
| पिलाती है और मर्द का दो (2) साल अपने आप को औरत से रोकना 
मुश्किल होता । लिहाजा शरीअत ने इसे ना जाइजं न कहा और सोहबत 
#| की इजाजत दी ।जैसा कि “इब्ने माजा” व “मिश्कात शरीफ” को दूसरी / (6 


"बी हः 
अर 0) जया ह 8 & छ 8 ॥ &॥ छ झा ॥ कक को की 8. 8 ह -"ल्क्ा 


ध्य्ो पु 
ष् 
बज 
शत । 
क् 
पडा 
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खा 
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जब 
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| ॥ 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


कृरीन-ए-जिन्दगी 


00 मिल - वि 9  ह मा हा & है | की का का जा जा छा छा 8 हक 


हम और हदीस से जाहिर है, वोह हदीस येह है-------------- र 
की ज्ात्ीरज ट ४८८7० / नबी ए-करीम सलल्‍लल्लाहो अलैहि व सललम फरमाते है 

. “मै ने इरादा किया था कि 
| दूध पिलाने वाली औरत से सोहबत 25502 720 

करने से मना कर दूँ लेकिन फारसी 3 अकल । 
| और रूमी भी इस जमाने में अपनी कं विजक: कल 
| बीवीयों से सोहबत करते हैं तो उनकी औलाद को कोई नुकसान नहीं 
» पहुँचता । 

॥ ईिन्‍ने माजा, जिल्‍्द 7, बाब ने 649, हदीस ने 2082, ग्रफ़ा ने 560, मिश्कात शर्तीफ़, 
जिल्‍द 2, हदीस ने 3057, ग्रफ़ा मे &8/ 

लेकिन बेहतर येह है कि उन दिनों बार बार सोहबत न 

करे और न ही ज्यादा सोहबत करे । (बल्लाहो हआला आलगमे) 


ह ह ॥. ॥ ह॥ ॥& है ॥ ॥ हू ॥ हू ॥ आ है वाहक 323 


जब औरत के बच्चा जन्ने का वक्‍त करीब आता है तो उसे 
दर्द होता है । कभी कभी किसी औरत को इस कदर ज्यादा दर्द होता 
है कि औरत उसे बरदाश्त नहीं कर पाती और औरत का इन्तेकाल भी 
हो जाता है (अल्लाह महफूज रखे) कुछ औरतों का बच्चा आधा बाहर और ' 
आधा अन्दर ही अटक जाता हैं फिर उसे सही सलामत जिन्दा निकाल | 
| पाना डॉक्टरों के लिए बडा मुश्किल हो जाता है और औरत व बच्चे # 
दोनों की जान पर बन आती हैं । कई बार औरत को दर्द होता रहता ४ 
हैं लेकिन बच्चा बाहर नहीं आता जिसे ऑपरेशन (07८४०) कर के | 
निकालना पडता है | हम यहाँ चन्द ऐसे अमल नकल कर रहे है जिनको 
इस्तेमाल में लाने से इन्शाअल्लाह आसानी से बच्चे की पैदाइश होंगी । 
अमल (/) :- जब औरत को दर्द शुरू हो तो “मोहरे नुब॒ुवत” ॥ 
और “नअलैन शरीफ” हुजूर सल्‍लल्लाहो अलैह ब सल्‍लम की जूतीयों) क॑ अक्स / 


पह 


छा बला हल छा छा बला छल छा छ 


हैं है ॥ -॥ ॥ ॥  ॥ ॥ .- ॥ #॥ मी मा कल हु ह ह ह हि 


[2 के कु? री 


का, - छू... ॥ छा हक हछ. ज्यड लव । कमल [ इजाफ़ धरम ष् हफत छा 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


न्‍ ३५.७४. जल कल करत अत प्रा (5 (६) 60 ))) लक ॥ झा छ था कह दा हा. वर लक कु 
(तस्वीर) क॑ बारीक तअवीज औरत मुठ्‌ठी में दाब ले या फिर बाज़्‌ पर |; 
बान्ध ले । इन्शाअल्लाह 5 मिनट: में बच्चा पैदा होगा । 
(भम्अज॑ शब्सिताने रजा, जिल्‍द 7, स्फ़ा ने 34/ 

मल (2) :-जब ओरत को बच्चा पैदा होने के बकत ज्यादा 
दर्द हो रहा हो और विलादत (जन्‍्ने) में इन्तेहाई परेशानी हो रही हो तो 
चाहिये कि येह नक्श जअफरान से लिख कर मोमजामा कर के औरत 
की रान पर बान्ध दिया जाए और जेसे ही बचा पैदा हो जाए ! खोल 
देना चाहिये । इन्शाअल्लाह इस नक्श की बरकत से तकलीफ ख़त्म 
हो जाएगी | वोह नकश येह हैं---------- कि. मी अअ 
| “7८ » ““77,९- | 
अमल (3) :- जिस औरत को बच्चा जन्‍ने पर दर्द आना शुरू 
हो जाए (यानी बच्चा पैदा होने का दर्द तकलोफ दे) तों किसी पाक कागज 
पर येह आयत लिखे; - द्रव या उपाय 5 ++++८ 

५०5०० .०।७०८.००- 9५२८० 3५ 5५७-३७--जा45 
और उस कागज को पाक कपडे में लपेटे और औरत की बाएँ रान पर 
बान्धे इन्शाअल्लाह जल्द बच्चा पैदा होगा । 
(बॉलूल जयील, ब्रफ़ा ने. 746/ 


्च्न् था कि 


(है है हे ही | के ही | है है ॥ हू ॥ ॥ ॥ ॥ ॥. ॥. ॥-॥ ॥ ॥ ॥ ॥ 


जब बच्चा पैदा हो जाए तो उसे पहले गुस्ल दे फिर उस 
के बाद नाल काटी जाए और जिस कदर जल्दी हो सक॑ उस के दाहिने 
(सीधे) कान में अजान और बाए (उल्टे) कान में तकबीर कहीं जाए । 
चाहे घर का कोई आदमी ही अजान और तकबीस कह दें या कोई 
॥ आलिमे दीन या फिर मस्जिद का इमाम कहे । हदीस शरीफ में हैं जो, 2० 


एल एकता एल छाल छा छत छा एल बजाज छात्र छत छल खा छाल उ्य एश “--ल्ा हर, 


_ ६ हू है ह ॥ ह॥ & ॥- 


कह! ॥ 8 8 ॥ & ॥ . &. ॥ अ. ॥ ह& & .॥ 


 ज आ.. लड 30: नम हक . 


/6 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


लय । ॥ हर हा हू हल (200 7.)) _ जा जा मा मा वा हा 


् का हे 


# शख्स ऐसा करें तो बच्चा बचपन की बीमारियों से महफूज रहेंगा फिर ' 
अपनी गाद में बच्चे को लिटा कर खजूर या शहेद वगैरा कोई भी मीठी ऐ 
चीज अपने मुँह में चबा कर या घुला कर उंगली से उस के मुँह में 
| तालू से लगा दे कि वोह चाट लें । 

कोशिश येह की जाए के बच्चे को पहली घुटटी (खजूर, शहेद 
या कोई भौ मीठी चीज वगैरा) कोई नेक आदमी अपने मुँह में चबा कर अपनी 
जुबान से पहुँचाए और सब से पहले जो गिजा बच्चे के मुँह में पहुँचे वोह 
खुर्मा हो और किसी बुजुर्ग के मुँह का लुआब ,(बझुटा), कि “तफसीरे रूहुल 


_ हर हर ह॒ हर ह है ॥ वफ्राा८ रा 


॥ बयान” में है कि बच्चे में पहली घुटटी देने वाले का असर आता है और - 
है उसके जेसी आदतें पैदा होती है । और येह सुन्नत भी है । 
ग हदीसे मुबारका में है कि--- सहाबा-ए-किराम, अपने - 
ह बच्चों की पैदाईश पर हुजूर अकद्स सल्लल्लाहों तआला अलैहि व. सलल्‍्लम क॑ पास क्‍ 
है। लाते थे ओर सरकार अपना लुआबे दहन (थूक मुबारक) या दहने मुबारक # 
॥ की कोई चीज बच्चे के मुँह में डाल देते । 
3 /हिले हमीन, स्फ्ा में /66, फतावा-7 -?ज़वीया, जिल्‍द 9 स्फ़ा 46, उत्लामी जिन्दगी, 77/ | । 
ज्ुसमनम्चचखचचेननलि िनन्ननननननननमनम्ग्््न्ज्न्ज्ज्ग्ग्ग्व्ग्ज्््म््ज्ज्स | 
लड़की के लिए नाराजगी क्‍यों 


कुछ लाग लड़कियों को अपने उपर बोझ समझते हैं ओर लड़कियों को हकोर 
व जलील जानते हैं, येह बात इस्लामी हअलीमात क॑ सग़सर खिलाफ है । ॥ 
लडकी हो या लड़का दोनों का पेदा करने वाला अल्लाए # 
रब्बुल इज्जत ही है । लडकी भी रब तआला की अजीम नेअमत है 
इसे ख़ुशी. खुशी कुबूल करना चाहिये । हदीसे पाक में है-------- 
७5:४० आ99) हजरत जअष्दल्लाह इब्ने अब्बास रक्कअल्लाहों तआला 
अन्हों से रिवायत है कि हुज़ूर सल्लल्लाहो तआला अलैह व सललम ने फरमाया-- ॥ 
“जिसे लड॒की हो फिर वोह उसे जिन्दा दफन न करे, न उस को जूलील ॥ 
8 समझे और न लड़के को उस पर अहमीयत दे तो अल्लाह तआला उच्च, । 


उप 3 तक ह  ॥ #॥ कह थक & ह ॥ शक 8 ॥ 8 & कछके ॥ कक ६ काल्स्ग2 ली 


आंत ॥ ॥ ॥ 8 ॥ ह 8:५8. ह&.. 8 शव हछ 


72[)-7 66460 ५ध॥ 00/00५9 ॥#8/ ४8/800 ७७७.|2४900/५.00॥] 


हर 7 तं ब्क्न 
“2०७ 7 


का को जन्नत में दाखिल करेंगा” । द 
(अबूद्ाऊद शरीफ, जिलल्‍्द 3, काब ने 348, हदीस हे 770, ब्रफ़ा मे 676) 
इस हदीस से मअलूम हुआ कि बेटे को बेटी से ज्यादा अहमियत 
8 देना मना हैं बल्कि दोनों के साथ बराबरी का सुलूक करना चाहिये -। 
“कि ह& छछ/ हजरत अनस रददीअल्लाहो तआला अन्हों से रिवायत है कि 
मो हज़रे ० है जकरमभ॑ जल्‍लल्लाहो बला अशहि व सलल्‍लम ने दरशाद फरमाया---<- 
है. जिस ने दो लड़कियों की परवरिश || ७//८०/७ ८८ ! 
| किया यहाँ तक के वोह बालिग हो | ०५०७ २०९५॥ , ,; «५: ४४३ 
४ गई तो में ओर वोह कियामत _<555«४&454.। 
दिन इस तरह करोब होंगे” फिर आप ने अपनी दो उँगलियों को मिला । 
234 बताया । (शस्लिग शर्ते) 
ज्ीरज एक दूसरी हदीस में है कि, हुज़ूर स्ल्लल्लाहो तआला | 
अलेई व. बहलंम फरंधोंते हैँ>+--००-००+०७-+-+क- कल लरल 04% 
“जिस ने अपनी एक भी लड॒की या बहेन की परवरिश 
की और उसे शराई आदाब सिखाया, उन से प्यार व मुहब्बत से पेश 
आया और फिर उन की शादी कर दी तो अल्लाह तआला उसे जरूर. 
जन्नत में दाखिल करेगा”। 
(अबृदऊद खर्रीफू, जिल्‍द 3, बाब मेँ 5728, हदीस मेँ 7706, स्रफ़ा नं 67, 
काम्या-ए-सआदत, सका ने 267/ क्‍ 
(ह्स्य्छछ बुख़ारी, व तिर्मिजी शरीफ, की एक हदीस में है--- ॥ 
“जो लोग अपनी बच्चियों को प्यार व मुहब्बत से परवरिश 
करेगे तो वोह बच्चियाँ उन के लिए जहन्नम से आड बन जाएगी" 
(किख़ारी शरीफ, तिर्मिज़ी शरीफ, जिल्‍द 7, बाब ने 7279, हदीस ने 7980, श्रफ़ा ने 907/ क्‍ 
रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो तआला- अलैहि व सलल्‍लम के इम इरशादात 
से मअलूम हुआ कि लडकियों से मुहब्बत करना और उन को पालना 
है फिर उन की शादी कर देना बड़े सवाब का काम हैं और रसूले पाक । 
५ से करीब होने का जरिया हैं । 


। 0) > ककया हा. का के अटल अियओ कल अऑध्यो!ं दिवय आऋ शक ऋण मात जा जाका जाया जा न 


छल छल छत छत छत छात्र छल छा छा छा छा 


जक कल 
न ्अमए..कारमा पिता 


जु 8 ॥ ॥ हर 


हा जबींगड 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


पक की... हा... 8 हवा. थ.  ॥ . श. .ह#&.. >॥ (3 47./2)8 व व का छा बन >> निया. थ 


न्‍ कर ! 


वोह खुन जो औरत को बच्चा जन्ने के बाद आता हैं उसे ॥ 
निफास का खुन कहते है । खून आने की कम से कम मुद्दत मुकर्रर । 
नहीं आधे से ज्यादा बच्चा निकलने के बाद एक लम्हे (पल) के लिए 
भी खुन आया तो वोह निफास हैं | ज्यादा से ज्यादा निफास का जमाना | 
चालीस (40) दिन, रात है । चालीस दिन, रात के बाद जो खून आए £ 
बोह निफास नहीं इस्तेहाजा हैं । 
मस्थव्ता /-निफास की गिनती उसवकत से होगी जब बच्चा आधे से 
ज्यादा निकल आया । बच्चा पेदा होने के बाद जिस वकत खून बन्द | 
हो जाए अगर चालीस दिनों के अन्दर फिर न आए तो उसी बक्‍त से 
औरत पाक हो जाती है, मसलन सिर्फ एक मिनट भर खून आया फिर | 
न आया तो बच्चा पैदा होने के उसी एक मिनट तक ना पाकी थी फिर 
॥ पाक हो गई, नहा के नमाज पढ़े (अगर रमजान हो तो) रोजा रखें फिर | 
अगर चालीस दिनों क़े अन्दर खून न आया तो येह नमाज रोजे सब सही 
हो गए और अगर फिर आ गया तो नमाज रोजे फिर छोड दे । अब ॥ 
पूरे चालीस दिन या उस से कम पर जा कर बन्द हुआ तो बच्छे की ॥ 
पैदाइश से उस वक्‍त तक सब दिन निफास के समझे जाएँगे बोह नमाजे ! 
जो पढ़ी बेकार हो गई (लेकिन नमाजों की कजा नहीं) और फर्ज रोजे थे ॥ 
तो कजा रखे जाएँगे । 

/फरतावा- ए- 7ज़्वीगा, जिल्‍दे 2, /निलक आशिर, कफा ने 753/ 
गरखत्ता “5 अगर किसी को चालीस दिन से ज्यादा खून आया तो ॥ 
अगर उस को पहली बार बच्चा पेदा हुआ है तो चालीस दिन निफास ! 
के और बाद के दिन इस्तेहाजा के है । द 

..... इसी तरह किसी को याद नहीं के इस से पहले बच्चा पैदा 
होने के कितने दिनों तक खून आया था तो इस सूरत में चालीस दिल, | 
रात निफास के और उस के बाद के इस्तेहाजा के है । 


मकर । ऑक। >आाका  छू  ह हवा 8 #॥ ह ४७ ॥॥ ह#॥ #& # ॥ छः: 


“है! है. है:. 


' 02% जाए का का का का ह+। छा जड़ बन कक ४ 


|| 45 हा 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


हम कितने लत कमल क्‍र++ हज गलआ-क 2 4 4) ))) कत्ल कह हू हल पक क़ हू: ० - * 
8 अगर किसी औरत को तीस दिन, की आदत थी (यानी इस 
से पहले वाले बच्चे की पैदाइश पर तीस दिन खून आया था) लेकिन इस बार 
हैं. चालीस दिन, रात आया तो तीस दिन निफास के समझे और बाकी के 
3 दस दिन इस्तेहाजा के है 
हु मस्स्‍भलया :- बच्चा यैदा होने से पहले जो खून आया बोह निफास 
नहीं इस्तेहाजा हैं । हमल गिरने से पहले कूछ खून आया कुछ हमल 
थ ः | शरद के ज्ाद तो हमल गिरने ले पहले का खुन इस्तेहाजा है और हमले £ 
हू गिः। के शाद का खून निकाय हैं । लेकिन जब के बच्चे रा कोई # 
मे आज जे जिस्म का काईह मो हिस्पा) अने जुक! हो सस्मा पहले बाला ४्् ले। 
सकता है तो हैज है नहीं तो इस्तेहाजा है द हे 
ध्परसाल्मा >-चालीस दिन की अन्दर कभी खुन आया कभी नहीं तो सब 
| निफास ही है चाहे पंद्रह (5) दिनों का फासला (589) हो जाए । 
सस्सात्या +- निफास के खून का रंग लाल, काला, हरा, पीला, मिट॒टी 
रंग जैशा गदेला (कोचड के रंग जैसा) कौरा भी हो सकते हैं । 

ष्ध (कानून शर्रोअत, जिलल्‍्द 7, पश्फा ने 52, 55/ 

॥ >फरचअतल्या “+- निफास वाली औरत को नमाज पढ़ना; रोजा रखना हराम 
है इन दिनों में नमाजे मुआफ है और उन की कजा भी नहीं । अलबत्ता 
फर्ज रोजों की क॒जा और दिनों में रखना फर्ज है । इसी तरह निफास 
॥ वाली ओरत को क़ुरआने मजीद पढ़ना देख कर हो या ज़ुबानी, और इस 
| का छूना चाहे उस के हाशिये को उंगली की नोक या बदन का कोई 
हिस्सा ही लगें, येह सब हराम हैं इसी तरह दीनी किताबों का छूना भी 
है हराम हैं | करआने करीम क॑ अलावा तमाम वजीफे, दुरूद शरीफ 
_ कलमा शरीफ वगशैरा पढ़ने में कोई हर्ज नहीं । 

_ मसला :-हालते हैज (माहवारी) में जिस तरह सोहबत करना हराम 
है उसी तरह इस में भी (यानी हालते निफास में भी) सोहबत करना सख्त #॥ 
हराम व गुनाहे कबीरा हैं । लेकिन निफास वाली औरत के साथ खात्ते * 
और बोसा (चुम्मन) लेने में हर्ज नहीं । (क्ल्लाहो आलष/ |॥ 
(काजून॑ शररीअत, जिलल्‍द 7, सफ़ा मेँ 549) हैँ" 


॥ ॥ ह ॥ ॥ 8 ॥ ॥ ॥ &॥ ॥ ॥ ॥ ॥. ॥ ॥ - 8. ह॥. .ह 


'कमबहिर.- 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


. करीन-ए-जिन्दगी 


4 


डक डक एक फका क (2 ॥ ))) हक कल उस लक छत कम क्र कार हय ता 


न 
बाला «गा. 
 औ! 
| 


"हु ह॥ हु ॥, ॥ ॥ है. काका 


बच्चे की पैदाईश के मौके पर अलग अलग मुल्कों में 
तरह तरह की रस्में है मगर चन्द रस्में ऐसी हैं जो तकरीबन किसी कदर 
थोड़े फर्क से हर जगह पाई जाती हैं । जैसे---------- 

लड॒का पैदा हुआ तो छे रोज तक खूब खूशियाँ मनाई 
जाती हैं औरतें मिल कर ढोल बजाती है, येह सब हराम है । खूशी | 
मनाने की शरीअत में मनाई नहीं लेकिन खिलाफे शरअआअ काम करने से 
| जुरूर बचना चाहिये । » 

पैदाईश के दिन लड्डू या कोई मीठाई तकसीम करना, 
सदका खैरात करना कारे सवाब हैं मगर बिरादरी के डर से और नाक | 
कटने के खौफ से मीठाई तकसीम करना बे फायदा हैं और अगर सूद 
पर कर्ज ले कर येह काम किया तो आख़िरत का गुनाह भी । इस 
लिए इन रस्मों को बन्द करना चाहिए । 

क्‍ एक रस्म येह भी हैं कि औरत के मैके के लोग अपने 

दामाद को अईर करते हैं जिसमें कपडे के जोडें, बच्चें को झूला और 
कुछ नगदी रूपये व जेवर देते है । अक्सर देखा गया है कि मालदार 
लोग येह सब खर्च बरदाश्त कर लेते है लेकिन गरीब लोग इन र्मों 
को पूरा करने के लिए सूद पर कर्ज -लेते हैं अगर बच्चा पैदा होने 'पर | 
किसी औरत के भैके वाले येह रस्में परी न करें तो सास व ननन्‍्दों के ॥ 
ताने सहते पड़ते है और घर में खाना जंगी शुरू हो जाती है लिहाणा &॥ 
जरूरी व बेहतर है कि इन रस्मों को मुसलमान छोड़े ताकि फुजूल खर्ची ॥ 
से भी बचा जा सके और ना इत्तेफाकियों का दरवाजा भी बंद हो जाए । 

आम तौर पर लोग अकिका नहीं करते बल्कि “छट्टी” 
करते हैं । छट्टी येह हैं कि बच्चे कि पैदाईश के छटे रोज रात कौ 
औरतें जमा हो कर मिल कर गाती बजाती है फिर जच्चा को बाहर 
ला कर तारें दिखा कर गाती है फिर मीठें चावल तकसीम किए जाहै। 


चना कि थ. जा को. थ 8 छा  छ  आ शा छा छा 8 बालन ले 


0 अर: आम 


“ का सकनसकर“ स् सकबक 


की ए हू ह ॥ ॥ ॥ ह॥ ॥ हु क ॥ 2 5 8. ॥ # ॥ :॥ ॥  थ ७ ॥ & ॥ ६ . ॥ 


: हि हर ॥ ॥ ॥# -॥ 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


हु | कुरिय-ए-जिन्दगी 40६ 2.5 


का बह पल ]चत हज एड बला पका जय 2 8 22 ))) हा खाल जमा पथ जा एक जा उंटक +सयप/क कक 
७२5 के 5 न्‍्ध्मूक 2०. 


है है येह भी मशहूर है कि औरत का पहला बच्चा उसके मैके में ही ऐं 


है पेदा हो ओर सारा खर्च औरत के माँ बाप बरदाशत करें अगर वोह 
थे ऐसा न करें तो सख्त बदनामी होती है । 3 
| छट्टी करना, और दिगर इस तरह कि रस्में जो हम ने 
है उपर बयान कि वोह खालिस हिंदुओं की रस्में है जो उन्होंने अकौके के # 
4 ग़काबले में ईजार को हैं । क 
डुकी लड्॒क का अकोका करना सुन्‍नत हैं आर सुन्‍नत 
| इवादा हे और इसी तरह हुजूर सल्लस्‍्लाहों तआला अलैंहि व सल्लम से साजित हे 


5 लत 


है अपनी तरफ़ से इस में रस्यें दाखिल करना फुज़ूल हैं लिहाजा बेहतर £& 
है कि मुसलमान इन रस्मों को छोड़ कर अल्लाह और उसके रसूल की 
खुशनुदी हासिल करें |. क्‍ 

अगर बच्चे की पैदाईश पर मीलाद शरीफ या वअज £ 
शरीफ या फातिहा कर दी जाए तो बहुत अच्छा है इसके सिवा तमाम 
रूसुमात बंद कर देना. चाहिये । (स्लापी फिन्दगी) 


अकीका :- 
बच्चा पैदा होने के बाद अल्लाह के शुक्र में जो जानवर जबह 
किया जाता है उसे अकीका कहते हैं । अकीका करना सुन्नत है । 
क्‍ सुनन्‍्तत तरीका येह है कि बच्चे की पैदाईश के सातवें 6) | 
रोज अकीका हो और अगर न हो सके तो पन्द्रवें (५) दिन या एक्कीसवें 
(27) रोज या जब भी हेसीयत हो करे, सुन्नत अदा हो जाएगी । 
(किल्‍्नें शयीअत, जिलल्‍्द 7 सफ़ा नें 760 इस्लामी जिन्दणी ॥7/ 
लड॒के के लिए दो बकरे और लड॒की के लिए एक बकरी 
जबह करे । लड़के के लिए बकरा और लड़की के लिए बकरी जबह 
करना बेहतर है । अगर लड॒का लडकी दानों के लिए बकरा या. बकरी 
भी जबह करे तो हर्ज नहीं । हि 
। ल्‍ । 34-25 न ञ 53% ही मे ही निलन। पा | 


>> हि ढक नि 
हा हक 
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लि लि सनी पका. «>> की लक... 8८ अजब 


बजा का का का का का कान का शा छा का ला का छा का कक एड 


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72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


छल कक कक एल का कल कक “सट2(न्ाप 


गग॥ | 


लड्के क॑ लिए दो बकरे न हो सके तो एक बकरे में हि 
भी अकीौका कर सकते है । .इसी तरह अगर गाये, भैस ज़बह करे तो 
| लड़के क॑ लिए दो हिस्से ओर लडकी के लिए एक हिस्सा हो । 
अकौके के जानवर के लिए भी वही शर्ते है जो कुरबानी | 
के जानवर के लिए जरूरी हैं । 
(कान शररअत, जिल्‍द 7, सफ़ा में. 760/ क्‍ 
अकौक्‌ के जानवर के तीन हिस्से किये जाए । एक 
हिस्सा गरीबों को ख़ैरत कर दे दूसरा हिस्सा दोस्त व रिश्तेदारों में 
तकसीम करे और तीसरा हिस्सा खूद रखें । क्‍ 
(स्लागी जिन्दगी सफ़ा न॑ 77) ॥ 
अकीक का गोश्त ग्रीबों फकौरों, दोस्त व रिश्तेदारों को & 
कच्चा तकसीम करे या पका कर दे या फिर दावत कर के खिलायें ॥ 
सब सूरतें जाइजू है । 
(कान गरीअत, जिल्‍द 7, सफर न॑ 760॥ 
अकीके का गोश्त माँ, बाप, दादा, दादी, नाना, नानी 
वगैरा सब खा सकते है । 
अकीके के जानवर की -खाल अपने काम में लाए, गरीबों ॥ 
को दे या मदरसा या मस्जिद में दें । यानी इस खाल का भी वहीं # 
| हुक्म है जो क़ुरबानो की खाल का हुक्म हैं । 
(वन शर्रीअत, जिल्‍द 7. स्फ़ा हें. 760/ च् 
बेहतर है कि अकीके के जानवर की हड्डीयाँ तोडी न जाए 
बल्कि जोड़ों से अलग कर दी जाए और गोश्त वगैरा खा कर जमीन # 
में दफन कर दी जाए । 
(किम्या- ए-सआदत, स्रफ़ा नें. 267, इल्लाग्री जिन्दगी, श्रफ़ा नें 77/ द 
नेक फाल के लिए हड्डी न तोडना बेहतर है और तोडना ॥ 
भी ना जाइज नहीं । 
/कानूने शरीअत, जिल्‍्ट * कए्ण न 7507 


४११५७... आाका जाम जा का कमा हयत समा जमा: पलक सकते पाए: पद फकम एफ: ए छक़सह फ76 तक 7 पा 


फ् 


श.. 


कि 


हैँ कि ह ॥ ॥ 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


' अकीक॑ में बच्चे के सर के बाल मुंडवाए और उस के "५ 
बालों के वजन के बराबर चांदी या (/हसीयत हो तो) सोना सदका करे । 


कह (कीप्या- ए-सआदत, सफ़ा मं 267/ जा 
क्‍ बछ) इमाम मुहम्मद बाकर रहीवलल्‍लाहो अन्हो से रिवायत है- 
के रसूलुल्लाह सलल्‍लल्लाहो तआला अलैहि व सल्‍लम को साहबजादी न 
हर हजरत फातमा ने इण्मम हफप्तद, दृशस हसेन, हजरत जेनब और हजरत 
है उप्मे कलसूम हद्देडल्लाहों तआला ऋच्इम) के बाल उतरवा कर उन के वजन है. 
के बराबर चांदी खैरशत फरपाई । ; 
(किला इजाय प्ोॉलिक, जिल्‍्द 7, बाब किताबुल अकीका, हदीस में 2, बफ़ा झे 402/ 
अकीका फर्ज या वाजिब नहीं है सिर्फ सुन्‍्नते मुस्तहेबा है 

' गरीब आदमी को हरगिज जाइज नहीं कि सूद पर कर्ज ले कर अकीका & 


करे कर्ज ले कर तो जकात भी देनां जाइज नहीं अकीका जकात से 
बड़ कर नहीं । (इस्लामी जिन्दगी, गफ़ा ४ 78 

अकीके क॑ जानवर को जबह करते वक्‍त की दुआएँ बहुत 
से मसाईल की किताबों में आई है लिहाजा वोह दुआएँ वही देखे 


सतना :- 


् क मर ग ्गू० न्‍ । नम बू-ण« मणक न ह का" २० मम 
न्‍ सा श् श्र कक हद कि हर व | मु है का  ऐ 
हल जा | । हि | | | | | | ६०” हल छह | । | | हुए हू आग 


लड॒कों की ख़तना करना सुनन्‍्नत हैं और येहं इस्लाम की 
अलामत है मुस्लिम व गैर मुस्लिम में इससे फर्क होता है । रसूले खुदा 


थि 
मै सललल्लाहो तआला अलैहि व सल्‍लम ने फरमाया--- हजरत इब्राहीम अलैहिस्स 
॥ ने अपनी खतना किया तो उस वक्‍त उन की उम्र शरीफ अस्सी (80) 


बस्स की थी”। 

ख़तना का सुन्नत तरीका येह हैं कि बच्चा जब सात 0) 
॥ साल का हो जाए उस वक्‍त खतना करा दिया जाए ख़तना कराने की 
॥ उप्र सात (7) साल से ले कर बारह (॥2) बरस तक है । यानी बारह 
५ (१2) बरस से ज्यादा देर लगाना मना है और अगर सात साल से पहले #९ 


(४ 9-7 झा छक्त- उ् छा जात कान फ़ फऋा जक कान एल हा ता जला जता जा जमा लग कम «कक 


जम 


जा जा छा ओझा छाफाफा नय कन छत मत फ फना का छड़ फल 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


पर ह ॥ ॥ ह हब ४ // पान छल हमत छा तक छत्त छब स्‍्ण्ट्शन 
/ढ ख़तना कर दिया जब भी हर्ज नहीं । ख़तना कराना बाप का काम है 
वोह न हो तो फिर दादा, मामू, चचा, कराए । 

ख़तना करने से पहले नाई की उजरत तय होना जरूरी है 
जो कि उसको ख़तना के बाद दी जाए इलाज में खास निगरानी रखी 
जाए तजरूबेकार नाई से ख़तना कराया जाए । 

ख़तना सिर्फ इस काम का ही नाम है बाकी येह धूमधाम 
से बारात निकालना, रिश्तेदारों को फुज़ूल में कपडों के जोडें देना, गाने 
बाजे और लाईटींग बगैर सब फुज़ूल काम हैं और फुजूल ख़र्ची इस्लाम 
में हराम है येह सब मुसलमानों की कमजोर नाक ने पैदा कर दिये है 
जिसे बचाने के लिए कर्ज तक लेते हैं और कर्ज दार बन कर बाद को. 
परेशानी मोल लेते हैं । लिहाजा इन सब चीजों को बंद किया जाए । 
अल्लाह र्बुल इज्जत इरशाद फरमाता हैं--------- 
रर्जश :- और फुजूल ना उडा, बे 35) ७ 6505 5 ब८ 
शक उड़ाने वाले शैतानों के भाई है /2£05/2.5625, 

(्ज्शि :- कत्जुल इमाम, प्रात 75, टूरए क्री इस्टाईन, आवत 286/ 


प्रश्न हब झा .]। रु /ो 


कान नाक छेदना :- 


लडकियों के कान नाक छीदवाने में कोई हर्ज नहीं इसलिए 
की हुजूर सल्लल्लाहो अलैहि व सल्‍लम के जमाने जाहिरी में भी औरतें कान 
छीदयाती थी और हुज़ूर ने इससे मना नहीं फरमाया । 
(छितावा-ए-रजवीया, जिल्द 9, गिसफ़ अव्वल, ग्रफ़ा 57, कानूनंशरीआत, जिल्‍्द 7, श्रफ़ा 273) 

एक रिवायत में हैं .कि----"“सब से पहले नाक कान 
हजरत सारा रददीवललाहो तआला अन्हा ने हजरत हाजरा रद्दीयललाहो तआला अनहा के 
छेदे थे हजरत सारा व हजरत हाजरा हजरत इब्राहीम अलैहिस्सलाम की 
बीवीयों थी । जब से हो 5रतों“में कान नाक छीदवाने का रिवाज चला 
आ रहा है । (कल्लाहो ताला आलम) 


४, >भकाक 8 ॥ 2 ह ॥ ॥ व हे हम हब तु 2) 8 _ हि. था ह॥  ॥ छह ह॥ कान" को, 


ह 


 2-- ॥ 8 ॥ ॥ ॥ ॥ & ॥: ॥# 8 ॥ ह॥ 8 ह ॥ ॥ ॥ ह ह॥_ ॥ ह॥ ॥ ह&॥ ६ ॥ * हं . ॥ 8 ॥# ॥ & ॥ 


/ 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


क्रीन-ए-जिन्दगी (( 
कट (0. बा कछ एज छा एन ५० 9 बैंक ))। >> 5 ७००५ ह 


कुछ लोग किसी मन्‍नत के लिए या फिर फिरंगी फैशन 
“के लिए लड॒कों के कान छेद देते हैं । येह सख्त ना जाइज व हराम 
व सख्त गुनाह हैं और ऐसी मन्नत की शरीअत में कोई हैसियत नहीं 
यकीनन अल्लाह व रपस्तूल इस से नाराज होते हैं । इसलिए मुसलमानों 
को इस से बचना चाहिये । 


| काला टीका लगाना :- 


हमारा और आप का येह मुशाहेदा है कि घर की औरतें 
अपने छोटे बच्चों को किसी कालक, काजल, या सुरमें वगैरा से उनके 
गाल पर काला टीका (छोटा सा नुक्‍ता) लगाती हैं ताकि किसी की बुरी 
नजर न लगे । येह बेअसल बात नहीं है, नजर का लगना हदीस से 
साबित है यानी बुरी नजर लगती है । चुनानचे हदीसे पाक में है--- 
ज5 व £म शक)... ]एुललाह सल्लल्लाहो तआला अलैहि व सलल्‍लम इरशाद 
फरमाते हैं------------------------------------“८-८८“-- 
“नजर का लगना ठीक है अगर कोई चीज तकदीर पर 
गालिब होती है तो नजर गालिब होती है”। 

मोत्रा शरीफ, जिल्‍द 7, बाब किताबुल ऐग, हदीस 3, स्रछा 282, कॉहुलजगील, सफ़ा 750/ | 
टच लव) एक रिवायत में है कि हजरत ऊसमाने गनी 8 
रदीयललाहो तआला अन्हों ने एक खूबसूरत बच्चे को देखा तो फ्रमाया---- ४ 
| “इस की थुड्ड़ी में काला टीका लगा दो कि इसको नजर न लगे”। ६ 
(कौलुल जमील, स्फ़ा में. 753/ 

'पतिर्मिजी शरीफ” की एक रिवायत से साबित है कि 

काला टीका. लगाना बच्चों को बुरी नजर से बचाता हैं | /कल्लाहों आलम) 


 ह ह ॥ ॥ ॥ ॥  ॥ ॥ ॥ ॥ ह॥ ॥ & ॥ &8  ॥  ॥ के के 


ह ॥ ॥ ॥ ॥ ह# ॥ ॥ ॥ ॥ 2 ह ॥ ॥&8 8 . ॥# ॥ ता जा जा का छा छा एफ का का. . जल एड फड का व. न नमक 


शी काका - आ#' ॥  ह# - 8. ॥ - ॥. क# .॥ . ॥ 8 &  ह  ॥ . &छ 2 है. 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


-+ कि 
बच्चे की परवरिश का हक माँ को है चाहे वाह निकाह 
में हो या निकाह से बाहर हो गई हो । हॉ अगर मुरतद (यानी दीने इस्लाम 
से फिर कर काफिर) हो गई तो परवरिश नहीं कर सकती, या जिना करने 
वाली (तवाएफ) हो या चोर या मातम यानी चौख चीख कर रोने वाली 
है तो उसकी भी परवरिश में बच्चे को न दिया जाएगा । यहाँ तक कि 
कुछ फ़काह-ए-किशम ने फरमाया है कि---“अगर औरत नपाज की 
गपाबन्द नहीं तो उप्तकी भी परवरिश में न दिया जाएगा”। मगर सही येह 
है कि बच्चा उसकी परवरिश में उस वक्‍त रहेगा जब तक ना समझ है, 


| जि मर छह छड का बम का पथ का एक का ५० 
मा मनन 


प्राँ को देख कर वही आदतें इख्तियार करेगा जो माँ की है | यूँ ही 
उस माँ की परवरिश में भी नहीं दिया जाएगा जो बच्चे को छोड कर 
इधर उधर चली जाती हो चाहे उसका जाना किसी गुनाह के लिए न हो 


/बहारे जरीअत, गिल्‍द 7, हिस्मा में 72, श्रफ़ा नें. 79 हइस्लागी जिन्दगी, स्फ़ा में 23/ 
बच्चे को दूध पिलाना :-. 


मस्खअल्ग :-लड॒की हो या लड़का दानों को दूध दो साल तक पिलाया 
जाए । माँ बाप चाहे तो दो साल से पहले भी दूध छूडा 
सकते है मगर दो साल के बाद पिलाना मना है । 
(बहारे ज़दीअत, जिल्‍्द 7, हिस्सा ने 72, सफ्ा नें 79,/ 
अक्सर देखा गया कि कुछ औरतें येह समझती है कि 
बच्चों को अपना दूध पिलाने से औरत की खूबसूरती ख़त्म हो जाती है, 


"एज जा छा जा जा छा छा बना जा छा का हछ जल का का बा जा बा बला नन्‍य जड़ एफया छ 


कई महीनों से पडे हुए पवडर का दुध पिलाती हैं । 
येह सख्त जहालत और उस बेकुसूर बच्चे के साथ ना 


४ 


कॉम. हा जममिन 
क्र न 


४ क्री: कक ह - 8  आ. ॥  ॥ & #॥ हक छः छ का छा छा छः शा शा यू का बहन्बन्नः 3 (हक 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


ओर जब कुछ समझने लगे तो अलग कर लिया जाए इसलिए कि बच्चा । 


इसलिए वोह अपना दूध नहीं पिलाती बल्कि गाय, भैस, का दूध या फिर _ 


हर [ झा 

ञ्‌ बे 

ली कं ते न्क 

न्‍ हा हि थ 


न टन के वायु 


के जण्या ॥ ॥ हु 8 ॥ ॥ ह॥ ॥ ह ॥ ह॥ ढक. हे. 


_ कररान-ए-जुन्दगा 
दे 22 कक [छल ऋर छह हल छछछ &> ह हए /)/ छा जता छत जा छत हक ऋ जिक५८० (कुक 


रू; 


7 इन्साफी है हॉ अगर किसी औरत को कम दूध आ रहा हो या आ ही 
है नहीं रहा हो तो उस हालत में औरत को अपना इलाज कराना चाहिये | 
थे (्आज््छछक) हजरत इमाम जलालुद्दीन स॒ुयूती रद्वीबल्लाहो ठआला 
है अन्हों अपनी मशहूर जमाना किताब “शरहुस्सुदूर” में हजरत अबू उम्ाषा 
&। रदीयललाहो तआला अन्हों से रिवायत करते हैं कि हुजूर अंक २+ सल्लल्लाहो 
कं तआला अलैहि व झन्‍ल्‍लम ने इरशाद फरमाया---------------------- 
अं "(मेराज कौ रात) में ने कुछ औरतें ऐसी भी देखी जिन के पिस्तान 
॥ (स्थन) लटके हुए थे और सर झुके हुए थे । उन के पिस्तानों को सॉँप 
॥ ड्स रहे थे । जिन्नील (अलैहिस्सलाम) ने मुझे बताया--या रसूलुल्लाह ! येह 
है वोह औरतें हैं जो अपने बच्चों को दूध नहीं पिलाती थी”। 

पर /#रहरसदूर, बाब “अज़ाबे कब्र के क्‍यान में” श्रफ़ा ने 753/ 

डॉक्टरों की तहकौक से येह बात साबित हो चुकी हैं कि 
॥ माँ का ही दूध उसके बच्चे के लिए सब से ज्यादा मुफीद होता है और 
| बच्चे को दूध पिलाने से औरत में न किसी किस्म की कमजोरी आती 
| है और न ही उसकी खूबसूरती पर कोई फर्क पड़ता हैं । 

हि मुशाहेदा हैं कि जो बच्चे अपनी माँ का दूध पीते है वोह 
है ज्यादा सेहतमन्द ओर तन्दुरूस्त रहते हैं, जबकि जो बच्चे अपनी माँ के 
है दर से महरूम रहते हैं वोह कमजोर होते है और तरह तरह की 
४ बीमारियों में हमेशा गिरफतार रहते है । 
$ 


हा 


ह्ल््ह्य्छ्छ उमपमलमोमीनीन हजरत आएशा सिद्दीका रदौवल्लाहो 
हज तआला अन्हा से रिवायत हैं कि हुज़ुर सलल्‍लल्लाहों तआला अलैहि व सल्लम | 
शी करशाद फरमाया-+-००- ८०००० ४ ०+०+-२++-- ८० > 3 मर 

“जो औरत अपने बच्चे को दूध पिलाती है और जब 
$& बच्या मां कं.पिस्‍्तान से दूध की चुस्की लेता है तो हर चुस्की के बदले 
हैं उस औरत को एक गुलाम आजाद करने का सवाब दिया जाता है । 
हैं जब औरत बच्चे का दूध छूडाती है तो आसमान से निदा आती है कि 
आए औरत ! तेरी पिछली जिन्दगी के सारे गुनाह मुआफ कर दि. गा. 


जय जा जा जा हल छा का बता जा छा छा ना छा बा जा बा का तक का बा हक का बड़ बहा हल छा छा कक छा | छत! हैं. 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


आग ॥22%- यहा ता उमा फ़त पक कर | डक का मा कब का 
अबू नये सिरे से नेक जिन्दगी शुरू कर” । 
(न्यहुल्ालेबीन, बाब न॑ 5, स्फ़ा नें. 773/ 


ह 
 अन्‍णनूणमो-. “०-ण “कनमम फ्रोणओ ७ ०१ मत." जापान | थे अणण-»--७५०५०७७०००५++++ «मम: कक गन मूनन++मूहत“नन३»» »»-+ न.» जनक मऊ ++++++मम ५ “जमीन 


-/ हुए & ॥ 78 हर आन 


| बच्चे का नाम 

ल्‍ बच्चे की पैदाइश के सात रोज बाद बच्चे का नाप रखा 
॥ जाए, बच्चा चाहे जिन्दा पैदा हो या मरा हुआ, पुरा बना हो या अधूरा, 
है हर सूरत में उसका नाम रखा जाएगा, और क्ियामत के दिन उसका हश ] 
ह होगा । /कानूने सरीआत, जिलल्‍द 2, इफ़ा ४ 55/ हा 
् बुज़ुगनि दीन फ्रमाते है--------८०८८८०८४४“४भ४ध४8४8४++४5 हु 


“अपने बच्दों के अच्छे मम रखो कि अच्छे नामों का 

असर बच्चों पर पड़ता है और बुरे नाम का बुरा असर पड़ता है । & 

सय्यदना आजा हजरत इमाप्रा अहमद रजा खा व 

रदीयल्लाहो तआला अन्हो फरमाते हैं---------८-“४“४४7“5उ5>75757“7“5ै“577757:::ः ह 

“फकीर ने आपनी आँखों से खूद देखा हैं कि बुरे नामों ॥ 

का सख्त बुरा असर बड़ता हैं'। . /अहकामे शर्दआत, जिल्द 7, सफ़ा में 75/ 

हिला अममाकर) रसूलुललाह सल्लल्लाहो अलैहि ब.सललम फ्रमाते हैं---:“ ० 

“अम्बिया-ए-किराम के नामों ७०.०१ ++-5 

| पर नाम रखों” (बुखार झरीफु, अकृदाऊद शरीफ; नसाई शरयफु/ 

अहादीसे करीमा में “मुहम्मद” नाम रखने को बहुत ज्यादा 

. फजीलत आई हैं, हम यहाँ सिर्फ चन्द हदीसें ही बयान कर रहे है । 

( ज्लीसपय: ४) ज्व्स्ीस्यं - पड जाक हुजरे अजकर मं चजललल्लाहो तआला अलैहि व प्लललम श्शाद 
फरमाते हें---------०-------०-“-८--४“““-“८८“““४४+7८;४:४४८ 
“अल्लाह तआला ने मुझे से 3 छ++ 3 जय १४) (७ 

फ़रमाया--“मुझे अपने ईज्जुत व हज २७ ८२२+ मैं ७2५ 

जलाल की कसम जिस का नाम (.) / ०.०९ 

> तुम्हारे नाम पर होंगा उसे दोजख़ का अजाब न दुंगा। 


जय. 2 जा तय छत तल कक कक ऊत जम छत छत कम हक 


॥ 
पा 
हु 


है .. है; के - का मी - मी * की  आ आज जम >> 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


(८ “न हा. हर श्र हा हा (2209 )) हा जन बता बन जम का क्रम क् -पशआ5 
(ब हवाला अहकामे जरीअत, जिलल्‍्द ॥, स्फ़ा ने 8॥/ र 
ण्ण्ण्लणण््ण्ण्ण्ण्क्ल द्माम मालिक रखोवललाहो तआला अन्हों फरमाते हैं---- 

“जिस घर वालों में कोई 


जा - पु: ०० 
१ 0 मम पी 
ड़ बह ३! 5 | 
मे 


बन ५)... ह* ९.०2 7 (डॉ ए 

॥ मुहम्मद नाम का होता है उस घर 0 आफ 

॥ को बरकत ज्यादा होती है"। ॥24% पल ८ 

रे /ब हवाला अहकामे जरअत, जिलल्‍्द 7, स्रफ़ा ने 83/॥ 

१ (६-१६ लीड) हुजुर सल्लल्लाहो तआला अलैहि व सललम इरशाद फरमाते है 

! 'जिसे लडका पैदा हो और वोह पर मलिक कल 

है मेरी मुहब्बत और मेरे नामे पाक से कक 8 हुआ ०४ शाम 
दी ०४ (५९९ 23८ 

॥ तबर्रूक के लिए उसका नाम मुहम्मद 20803 

ह रखे वोह और उसका लड़का जन्नत कक ते पड] 

# में जाएगे"। (व हवाला अहकामे शर्रीजत; फिल्द ॥, सफ़ा #ं. 80) 


ः “/---)। और फरमाते सरकार सल्लललाहो तआला अलैहि व छल्‍लम 
| “जिस के तीन बेटे पैदा हो और -.२ (४ ५॥ <5 ५०४, ०० 
| वोह उनमें से किसी का नाम मुहम्मद मद आए 
न रखे तो जरूर जाहिल है”। ह #कब 07 # 757 
/#बराती जरीफ, ब हवाला अहकामे ज़रीअत, जिल्द 7, स्रफ़ा में. ' 63/ 
६++- ८६ आओ) और फरमाते है आका ज़ल्लल्लाहो तआला अलैहि व सल्लम 
; “तुम में किसी का क्या नुकसान ८... ७ ०४५ 6 ००.०० 
है अगर उसके घर में एक पुहम्मद + ४ आर 
दो महम्मद तीन मुहम्मद हो _ 4-० 9९.४" ०3 
या दो मुहम्मद या तीन मुहम्मद हो”। न्‍ 
(ब हवाला अहकामे जरीआत, जिल्‍्द 7॥, सफ़ा में. 62/ 
आला हजरत ऱोवल्‍लाहो तआला अन्हो इस हदीस को नकल 
करने के बाद फरमाते हैं--------------- “फकीर ने अपने सब बेटों 
भतीजों का अकीके में सिर्फ मुहम्मद नाम रखा । फिर नाम को तअजीम 
के लिए और पुकारने के लिए अलग अलग नाम रखे । बहमदुलिल्लाहि 
तआला फकौर के यहाँ पाँच (5) मुहम्मद अब भी मौजूद हैं" 
(अहकामे एरआत, जिलल्‍्द, ॥, ग्रफ़ा नें. &2/ 


आह हा हैं हा है  ॥ है छ- झा  ॥ कं की ६ की श  हामा शी 


हु ॥ ॥ है -- है है 8. हर ह्व.. ह ब्वर अ | 
| रे | ही ू हल हिना का 


अत्लएट 


ए 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


0 हमें भी चाहिये की अपने बच्चों के सिर्फ “मुहम्मद” नाम हट पट 
॥ रखे और घर में पहचान और पुकारने के लिए दूसरे नाम रख दें, लेकिन । 

| याद रहे बोह पुकारगे के नाम भी इस्लामी ढंग के हो । हा 
5 अफ्सोस ! आज कल लोग अपने बच्चों के नाम फिल्‍मी ॥ 
॥ हीरो हीरोइन या फिर किसी फिरंगी के नाम से मुतासिर (प्रभावित) हो | 


कर रखते है जैसे---टिंकू, पिंकू, रिंकू, चीकू, मीकू, चीकू, कल्लू, ॥# 
3 लल्लू, भूरू, राहूल, काजोल, मीना, टीना, बीना, लीना, और न जाने 
ही क्या कया ब्कतब्रांस नाम । पर 
१ ६ अप है ् हे हे) किे। पार आरशज्ों प्ल्ाललाहं। तआला अलैंहि तउ मल्‍लम देराट 
है. 2 8.0 न 5 हे किक «जा और 08 ५5023: ५0%... 

“बशक तुम रोज कियामत हा 


|| ; ः 

है जि दा. जिस्मो+ओ-+ 63202 %# ०० /*«| 
# अपने नामों और अपने बापों > डे अल 2 ह #ज न 5० हे 
नामों से पुकार जाओगें गें अपने || 5560.० 

नाम अच्छे रखा करो”। 
(प्राय अहमद, अकुदाऊर करीफ़, जिल्‍ल्द 3, बाब नें 485, हदांव ने 76/5, सफ़ा ने 5528, 
इस हदीस से साबित हुआ कि अगर किसी का नाम टींकू 
होंगा तो उसे रोजे कियामत टींकू के नाम से पुकारा जाएगा । आह ! 
उस वक्‍त किस कदर शर्मीन्दगी होगी, आज वक्‍त है जिन्हों ने अपने 
बच्चों के नाम ऐसे बेहूदा रखे है वोह आज से ही उसे तबदील कर 
दें और अच्छा सा कोई इस्लामी नाम रख लें । हदीसे पाक में है---- 
हिना इक). “नती-ए-करीम. || (०५५०० «॥ (० 2). 

 झल्ललल्‍लाहो तआला अलैहि व सल्‍लम की 75: (3 «| (२2०) 
आदते करीमा थी कि आप बुरे नाम को बदल दिया करते थे” द 
(विर्मेजी ज़रीफ़, जिल्‍द 2, बाब ने 335, हदीस ने 246, ग्रफ़ा ने 30, अबृदाऊद जरीफ़, । 
जिलल्‍्द 3, बाब नें 466, हदीस न ॥677, सका ने 557/ हु 
अक्सर मुसलमान ऐसे नाम रखते हैं कि जो बजाहिर ॥ 
तो अच्छे मअलूम होते है लेकिन या तो हराम है या फिर ऐसे कि _ ॥! 
१५ जिनके कोई मअने नहीं होते /५ 


3 है. 


छत्र ऋऋछ छात्र छात्रा छाल छा एक उन जता सम पड 


जग ॥ , ॥/ :॥- ह 2. हर है ॥. ॥ & ॥ & -ह ॥ की की के 


पड हक फ़ला छात्रा जम छा फ़ का छा छा 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


क्रीन-ए-जिन्दगी 
277 हक छल छत उन्म हनन फल हू ] 


इमामे अहले सुन्‍नत आला हजरत द्धोयल्लाहो तआला अन्हो नें ४ ऐ 

अपने फततवे में ऐसे बहुत से नामों के बारे में लिखा हैं जो नहीं रखना 

चाहिये । हम यहाँ मुख्तसर तौर पर कुछ का जिक्र कर रहे है । 
आला हजरत फरमाते है--------------------- 

. “ग्रहम्भद नबी, अहमद नबी, नबी अहमद, येह नाम रखना 
हराम हैं कि येह हुजू्‌र पझल्लल्लाहो तआला अलैहि व सल्‍लम के लिए ही जेबा 
(लायक ) है"। (अहकागे जरतअत, जिल्‍द 7, स्फा नें. 23/ 

"यूँ ही यासीन, ताहा, नाम रखना मना है । येह ऐसे नाम 
है जिनके मअनी मअलूम नहीं इन नामों के आगे “मुहम्मद” लगाने से 
भी फायदा नहीं होगा कि अब भी यासीन, व ताहा, न मअलूम माअनों 
में रहें”। /अहकामे शरीअत, जिल्‍द 7, सज़ा नें 24) 

'भाफूरूद्दीन, नाम भी सख्त बुरा और अयेबदार है । गृफूर 
के मअने “मियने वाला, बरबाद करने वाला” क॑ होते हैं, गफूर अल्लाह 
का नाम है और अल्लाह अपनी रहमत से बन्दों के गुनाह मिटाता है (अब 
, अगर किसी शख्स का येह नाम हो तो) गफ्रूद्दीग के मअने हुए “दीन का 
मिटाने वाला” येह ऐसे ही हुआ जैसे शैतान नाम रखना ”। 

(अहकामे ज़रीअह, जिल्‍ल्द 7, क्फ़ा ने 78/ 

“इसी तरह कलब अली, कलब हसन, कलब हुसैन, गुलाम 
अली, गुलाम हसन, गुलाम हुसैन, बगैर नामों से पहले “मुहम्मद लगाना” 
जाइज नहीं । (जैसे मुहम्भर कलब अलौ, या मुहम्मद गुलाम अली वगैरा येह जाइज्‌ 
नहीं) अगर सिर्फ कलब अली, कलब हसन, गुलाम अली, गुलाम हसन 
वगेरा ही रहने दे तो कोई हर्ज नहीं” 

/अहकाग॑ जरीअत, जिल्‍द 7, स्रफा ने 77/ 

“इसी तरह निज़ामुद्दनी, मोहीयुद्वीन, शमसुद्दीन, बदरूद्धीन, 
नरूद्दीन, फेखरूद्दीन, शमसुल इस्लाम, मोहियुल इस्लाम, बदरूल इस्लाम, | 
वगैरा नामों को ओलमा-ए-किराम ने सख्त ना पसंद रखा और मकरूह 
0७ व मम्नुअ (मना) फ्रमाया कि येह बुज़ुगनि दीन के नाम नहीं बल्कि उनक 


न १ छल फल छाआ छलूत हा. ॥ 8 8 8 8 &॥ &॥. ॥ 8 8 .. -््ल-जक 


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72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


ऋषि ग-77- . ज्‌रस्शाताए 
जाट ० की. की क.. की (2298 .)) हू. ही मे .लिओ शा. मा. के मम 6७) 5 बडा 
| ्् 


न ्त] | हक. 


! अलकाब (पदवी, प्रणा०प्राब्व06 'पिश्ञा।25) हैं जिस से प_सलमान|। उनको ऐ 
तअरीफ में इन्ही लकबों से याद किया”। क्‍ 
(भिह्कामे जरीअठ, जिल्‍द 7, प्रफ़ा में 77/ 

“अली, हुसैन, गौस, जीलानी, और इस तरह के तमाम 
नाम जो बुज़ुगनि दीन के नाम हैं उन नमों से पहले लफजु “गुलाम” 
हो तो बेशक जाइज्‌ है”। (जैसे गुलाम अली, गुलाम हुसैन, गुलाम गौस 
गुलाम जीलानी, वगैरा) 

(अिहकाये जरीअत, जिल्‍द 7, बरफ़ा में 77) 

“अन्दुल्लाह, अब्दुर्र्रमान, अब्दुल करीम, अबदुल रहीम 
बगैरा नाम और अम्बिया-ए-किराम व सहाबा-ए-किराम के नामों पर 
नाम रखना अच्छा हैं । 

६ डलीीडिय 72-) रू जज) हजरत उब्दल्लाह इब्ने उमर रहवल्लाहो तआला अन्हो... 
से रिवायात है कि सुलुल्लाह जअललाहो तआला अलैहि व सल्लम ने इरशाद 
व गश «०७० न न 5 जक + नरक +०+ नी 7 ननन+-+ «न मत्ज न लभनलान+ न नणन-+«++ ९० शत 

“अल्लाह तआला को तमाम नामों 
| में से अब्दुल्लाह और अब्दुर्रहमान 
सब से ज्यादा पसंद है”। 

(अबृद्ऊद ज्रीफ़, जिलल्‍्द 3, बाब नें. 485 द हदीय ने. 773, स्रफ्चा है 550/ 
और ऐसे नाम जो बे मअनी है जैसे------ बुदधू, कललू, ॥ 
लल्लू, जुमेराती, खैराती, बगैशा और इसी तरह वोह नाम जिन में फख्र ' 
जाहिर होता हो न रखे जाए जैसे--शाहजहाँ, नवाब, राजा, बादशाह, 
| बगैरा इसी तरह लडकियों में--कमरून्निसा, जहाँआरा बेंगम, वगैरा नाम । 
न रखे, बल्कि उनके नाम--कनीज फतमा, आमना, आएशा, खदीजा, ॥# 
मरयम, जैनब, कुलसूम, वगैरा रखें । 
(ईस्लामही जिन्दगी, सज़ा ने 77) 


मल हि 'ब हू हू # बी शेड मच पढ़ 


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: हु ॥' हू हू ह ह॥. ह॥ :ह8- हे. हे. औ + हि. कि ही 


९07 एल जा पा का क्रम बल का बा 8 8. ॥ ॥ ॥ ॥& ॥  ह॥ ॥ ॥ .॥ ॥ व 8. 8 ॥ & &॥ के. को के थी ॥ ॥ 


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72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


॥ ं' क छल ० पं हा. 
[7 


विश ५207 इन कम कला का कम जया ! म जज 22 “2 .॥ ))) का कल पहल का बा भा फ चर ्म्लदप 
अजय के तेजलीम थे तरवीस 5 


“जब , बच्चा बोलना शुरू करे तो उस को सब से पहले 
कलमा शरीफ .._<0॥ ८ 22% 2 ४.5 20) ४। ८) ५ सिखाए"। 

क्‍ पहले जमाने में मॉएँ अपने बच्चों को अध्लाह, अल्लाह 
कह कर सुलाती थी अब घर के रेडियों, टी-वी, और बाजे वगैरा बजा 
कर मुलाती है । कुछ बेवकूफ अपने बच्चों को गाली बकना सिखाते 
हैं और उस पर बड़े खूश होते है । (मआजल्लाह) 

बच्चों के सामने ऐसी हरकतें न करें जिस से बच्चों के 
इख्लाक खराब हो क्योंकि बच्चों में नकल करने की ज्यादा आदत होती 
है वोह जो कुछ अपने माँ बाप को करते हुए देखते हैं वोह खूद भी 
वही करने लगते हैं, इस लिए उनके .सामने नमाजें पढ़े, कुरआन की 
तिलावत करे ताकि येह सब देख कर वोह भी ऐसा ही करे । बच्चों 
को झूटी कहानियाँ व किस्से सुनाने की बजाए बुजुगनि दीन के सच्चे 
वाकिआत सुनाए ताकि उन के दिल व दिमाग पर इस का अच्छा असर 
पडें और उनके दिलों में इस्लाम से मुहब्बत पैदा हो । 
माँ बाप का फर्ज हैं कि अपनी औलाद की तअलीम व 
तरबियत के बारे में अपनी जिम्मेदारी का खास ख्याल रखे । दुनियावी 
तअलीम से पहले शरई आदाब सिखाए और मजहबी तअलीम दें । अगर 
इस में जरा भी कोताही करेगा तो कियामत के रोज औलाद से ही पूछ 
न होंगी बल्कि माँ बाप भी पकडे जाएगे । 
(६25 के रब तआला इरशाद फ्रमाता है-------- +>+«+- 


कज बत्र |गा जय एन हल जा छा छा छा जा का बा जा का का का का जा तन का करा बा का का कि व कि थी. . “3३३८ 


हू 7र्जण /- अए ईमान वालों अपनी 5: 2५ ०॥ 84०।2.-2 ता (६ ([ ]। ९ 
ह जानों. ओर अपने घर वालों को | “अमल १६४5.: ६ ॥ 
| उस आग से बचाओं । 7 हे 

(#ज्पा' /- कत्जुल इपान, प्रात 78, सूरए तहरीम, आयत &/ है 


हल 


कफ बह था मं ही आ हा भा ॥ ॥ ढ ॥ ह का. हवा #॥ & &  हननग 5 आी8. 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


जा 2. डा बातो का एम हक जन हन्‍न (2 2 5) कब हक हू जब्न बन सन क्र तन २८ लेप 
द < 


पं 
“तुम खूद गुनाहों से बचो, खुदा को फरमाबरदारी करो ॥£ 
अपनी औलाद को भलाई का हुक्म दो, बुराई .से मना करो और शरई ॥| 
आदाब सिंखाओं और मजहबी तअलीम दो । | 
जब बच्चा होश सम्भांले तो किसी बअमल मुत्तकी 
| परहेजुगार आलिम या हाफिज्‌ के पास बीठा कर क़ुरआने पाक और उर्दू 8 
०| की दीनी किताबें जरूर पढ़ाए । (० 
८ अगर अल्लाह तआला ने आप को एक से ज्यादा लंडक ॥ 
हि. दिये हैं तो कम अजु कम एक लड॒के को जरूर आलिमे दीन या हाफिज # 
॥ करआन बनाए । हदीसे पाक में हैं----“बरोजे कियामत एक हाफिज ई६ 
# अपनी तीन पीडियों को और एक आलिमे दीन अपनी सात पुशतों ६ 
५ (पिडियों) को बख्शवाऐगा”। येह ख्याल गुलत हैं कि आलिमे दीन को £ 
॥ रोटी नहीं मिलती । जरूरी नहीं कोई दुनियावी इल्म हासिल करे तो उसे & 
| रोटी (यानी रोजगार) भी मिल जाए । सैंकड़ों गिरेजवेट मारे मारे फिरते है 
9 नजर आते हैं । यकौनन हर किसी को वोह ही मिलता है जो अल्लाह & 
 तआला ने उस की किस्मत में लिख दिया हैं । डर 
(इस्लामी जिन्दगी, सफ़ा ने 24/ 
जब बच्चा सात (7) साल की उमर का हो जाए तो उस ] 

ध 

4 


| नमाज पढ़वाए और नमाजु न पढ़ने पर मुनासिब सजा भी दें और नव 

| (9) बरस की उमर में उसका बिस्तर अलग कर दें । 
/हिल्‍्नें हसीन, श्रफ्ता में. 767/ थ 

बच्चों को बुरे लोगों में बैठने, बुरे बदमाश लड॒कों में 

| खेलने से रोके उस पर इतनी सख्ती भी न करे कि वाह बागी हो जाए 

ह ओर इस कदर लाड प्यार भी न करे कि वाह जिद्दी व गुस्ताख़ बन 

हैं| जाए । मुहब्बत के वक्‍त मुहब्बत से पेश आए और सख्ती के वक्‍त | 

* ५ सख्ती से पेश आए । ४ 


72[)-7 66960 ५॥॥ (00700५ ॥#॥। ४8/800 ७७५७.2(४[9800/५.00॥] 


| ))॥ 8 8 अल.“ . मिल .. वि कक... (ही) 


स्वलीसता :-- हुजरे अकरम सझल्लल्लाहो तआला अलैहि ब सल्लप ने ऐ 
इरशाद फरमाया-------- 3 


> ५ 


] ६१४ (४ ७४५ २४५ *+ ७ 
« “कोई बाप अपनी औलाद को .. ->०+५००/०*०*भ 


इससे बेहतर तोहफा नहीं दे सकता कि वोह उसको अच्छी तअलीम दें”। 
/तिर्मिजी ज़्फ जिल्‍द 7, बाब ने 7299, हठीस ने 2078, श्रफ़ा नें. 973/ 
बच्चों से मुहब्बत करना सुन्नते रसूलुल्लाह स्ल्लल्लाहो अलैहि 
| ब सल्‍लम है । अगर एक से ज्यादा बच्चे हो तो सब बच्चों के साथ बराबरी 
और इन्साफ का सुलूक करें चाहे वोह लड़का हो या लड़की । 
जूस्ठीरसप :-- के रसूल सललल्लाहो तआला अलैहि व सललम 
निलललिल न लिन न तल ल तन जनम + “अल्लाह तआला | 
पसंद करता है कि तुम अपनी औलाद के दरमियान अदल (बराबरी व 
इन्साफ) करो यहाँ तक कि उनका बोसा (चुमने) में भी बराबरी रखो”। 
(कानूने ज़रीअत, जिल्द 2, बफ़ा ने 243/ 
(हलीसरप :*-) की) ओर फरमाते है अींकी सललल्लाहो तआला अलैहि व सल्‍लम 
“तोहफे देने में अपनी औलाद के दरमियान इन्साफ करो 
(यानी सब बच्चों को बराबर बराबर दो) जिस तरह तुम खूद येह चाहते हो 
कि वोह सब तुम्हारे साथ एहसान व मेहरबानी में इन्साफ करे”। 
औलाद के हुकूक्‌ में से सब से अहम हक येह है कि 
उन्हें हलाल कमाई से खिलाएँ हराम की कमाई से खूद भी बचे ओर 
अपनी औलाद को भी बचाए । 
अल्लाह रब्बुल ईज्जुत अपने हबीब और हमारे 
॥ आका व मौला सल्लल्लाहो तआला व आलैहि ब असहाबेही व बारिक व सल्लिम के 
8 सदके तुफेल में हमें सिराते मुस्तकौम पर चलने की तौफीक अता 
फरमाए और सुन्नियत, हनफियत, व मस्लके आला हजरत पर मजबूती 
| से कायम व दायम रखें और ईमान के साथ अहले सुनतत व जमाअत 


. 29 पर मौत नसीब फरमाए । 22 .__+ आमीन । ६ 
न कया था  ॥ ॥ व ॥ म एलन कण नी. ॥ ॥ छा. ॥ बी 85, 


रु बना लत $ > का शल् रू लक हब ०, ष हृ बी... धरा ऑन हे व बल हिल ता ५7 आाडा न इरयः प " छू5 हट १४. वा. | ४ इशायी कः मे कफ जा या 
-उ एड छल जज एफ हा छत उस फ छडएडल छल का एल पत घटा ला एल धयच जा ब्य छत तच्र एज ला व 


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ः ह > 
जय ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ह ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ &॥ ॥ ॥ ह ॥ ॥ .॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ 


72[)-7 66960 ५॥ 007 00५ ॥8। ४8/507 ७७७.०0[900/५.00॥] 


दुवाओ में याद रखें 
अब्दुल हुसैन खान 
मोहम्मद साजिद परवेज 
मोहम्मद आरिफ शेख 
अनिस अहमद 
मोहम्मद र.जा खान 
मोहम्मद इदरिस खान 
शाकिफ खान 
सैय्यद इसरार अली 
मोहम्मद अतहर 
फारूक खान 
माजिद खान 


2[07 0698060 ५श॥ [007-3007५9 ॥8| ४8॥580॥